7-13 अप्रैल
नीतिवचन 8
गीत 89 और प्रार्थना | सभा की एक झलक (1 मि.)
1. यीशु की बुद्धि-भरी बातें सुनिए
(10 मि.)
यीशु को नीतिवचन की किताब में “बुद्धि” कहा गया है। और उसी से यहोवा ने “सृष्टि की शुरूआत” की (नीत 8:1, 4, 22; मेरा चेला पेज 130-131 पै 7)
यहोवा और यीशु ने युग-युग तक साथ मिलकर सृष्टि की। इस दौरान यीशु की बुद्धि और अपने पिता के लिए प्यार बढ़ता गया (नीत 8:30, 31; मेरा चेला पेज 131-132 पै 8-9)
यीशु की बुद्धि-भरी बातें सुनकर हमें फायदा होगा (नीत 8:32, 35; प्र09 4/15 पेज 31 पै 14)
2. ढूँढ़ें अनमोल रत्न
(10 मि.)
नीत 8:1-3—बुद्धि कैसे ‘ज़ोर-ज़ोर से पुकारती’ है? (सज 7/14 पेज 16)
इस हफ्ते पढ़ने के लिए जो अध्याय है, उसमें आपको क्या-क्या रत्न मिले?
3. पढ़ने के लिए आयतें
(4 मि.) नीत 8:22-36 (जी-जान गुण 10)
4. वापसी भेंट करना
(4 मि.) मौका ढूँढ़कर गवाही देना। सामनेवाला स्मारक में हाज़िर होने की सोच रहा है और पूछता है कि वहाँ क्या-कुछ होगा। (प्यार पाठ 9 मुद्दा 3)
5. बातचीत शुरू करना
(3 मि.) मौका ढूँढ़कर गवाही देना। स्मारक में आए ऐसे व्यक्ति का स्वागत कीजिए जिसे अपने घर पर स्मारक का निमंत्रण-पत्र मिला था। स्मारक के बाद उसके कुछ सवालों के जवाब दीजिए। (प्यार पाठ 3 मुद्दा 5)
6. समझाना कि आप क्या मानते हैं
(5 मि.) भाषण। पवित्र शास्त्र से जवाब जानिए 160—विषय: यीशु को परमेश्वर का बेटा क्यों कहा जाता है? (जी-जान गुण 1)
गीत 105
7. मंडली की ज़रूरतें
(15 मि.)
8. मंडली का बाइबल अध्ययन
(30 मि.) गवाही दो अध्या. 25 पै 1-4, पेज 199 पर बक्स