लोगों का क्या कहना है?
मारिया कहती है, “जब मैं प्रार्थना करती हूँ, तो मुझे ऐसा लगता है जैसे ईश्वर मेरे साथ है, उसने मेरा हाथ थामा हुआ है और वह मुझे सही राह दिखा रहा है।”
राहोल कहता है, “मेरी पत्नी 13 साल तक कैंसर से लड़ी और फिर वह गुज़र गयी। उस दौरान मैं हर रोज़ भगवान को अपने दिल का हाल बताता था। इससे मुझे मन की शांति मिलती थी।”
आरने कहता है, “यह कितनी बड़ी बात है कि हम ईश्वर को अपने मन की बात बता पाते हैं।”
कई लोग मानते हैं कि ईश्वर से बात कर पाना वाकई एक बहुत बड़ी बात है। प्रार्थना करके वे ईश्वर से बात करते हैं, उसका धन्यवाद करते हैं और उससे मदद माँगते हैं। ‘उन्हें भरोसा है कि अगर वे परमेश्वर की मरज़ी के मुताबिक कुछ माँगेंगे, तो वह उनकी सुनेगा।’—1 यूहन्ना 5:14.
वहीं कुछ लोग मानते हैं कि प्रार्थना करने का कोई फायदा नहीं। स्टीव नाम के एक व्यक्ति का भी यही मानना था। वह कहता है, “जब मैं 17 साल का था, तब मेरे तीन दोस्तों की मौत हो गयी, एक की सड़क दुर्घटना में और दो की समुंदर में डूबकर। मैंने भगवान से बार-बार पूछा, ‘तूने ऐसा क्यों होने दिया?’ पर मुझे कोई जवाब नहीं मिला। मैंने सोचा, जब कोई सुन ही नहीं रहा, तो प्रार्थना करने का क्या फायदा।” स्टीव की तरह जब कई लोगों को अपनी प्रार्थनाओं का जवाब नहीं मिलता, तो वे भी प्रार्थना करना छोड़ देते हैं।
कई लोगों को लगता है कि ईश्वर को तो सबकुछ पता है, इसलिए वे प्रार्थना नहीं करते। वे कहते हैं कि ईश्वर तो जानता ही है कि हमारी ज़िंदगी में क्या चल रहा है और हमें किन चीज़ों की ज़रूरत है, तो फिर हर बात के लिए प्रार्थना करने की क्या ज़रूरत है।
कुछ लोग प्रार्थना करने से इसलिए झिझकते हैं क्योंकि उन्होंने बीते समय में कई गलतियाँ की हैं। उन्हें लगता है कि ईश्वर पापियों की नहीं सुनता। जेनी नाम की एक औरत कहती है, “मुझे लगता है कि मैं ईश्वर से प्रार्थना करने के लायक ही नहीं हूँ। मुझसे बहुत गलतियाँ हुई हैं, इसलिए शायद ईश्वर मेरी प्रार्थनाएँ नहीं सुनेगा।”
क्या आप ईश्वर से प्रार्थना करते हैं या आपको भी लगता है कि प्रार्थना करने का कोई फायदा नहीं? हो सकता है कि प्रार्थना के बारे में आपके मन में कई सवाल हों, जैसे:
क्या ईश्वर सच में हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है?
ईश्वर कुछ प्रार्थनाएँ क्यों नहीं सुनता?
हमें किस तरह प्रार्थना करनी चाहिए?
प्रार्थना करने से हमें क्या फायदा हो सकता है?
पवित्र शास्त्र बाइबल में इन सभी सवालों के जवाब दिए गए हैं और इस पर हम पूरा भरोसा कर सकते हैं।a
a बाइबल में ईश्वर के कई भक्तों की प्रार्थनाएँ लिखी हुई हैं, जैसे यीशु मसीह की। इसके एक हिस्से में (जिसे पुराना नियम भी कहा जाता है) 150 प्रार्थनाएँ लिखी हैं।