लूका
अध्ययन नोट—अध्याय 24
हफ्ते के पहले दिन: मत 28:1 का अध्ययन नोट देखें।
तैयार किए हुए खुशबूदार मसाले: मर 16:1 का अध्ययन नोट देखें।
कब्र: मत 27:60 का अध्ययन नोट देखें।
पत्थर: मर 15:46 का अध्ययन नोट देखें।
प्रभु यीशु की: कुछ हस्तलिपियों में ये शब्द नहीं पाए जाते मगर यहाँ जो लिखा है, उसका ठोस आधार शुरू की अधिकृत हस्तलिपियों में पाया जाता है।—पुरानी हस्तलिपियों से कैसे पता लगाया जाता है कि यूनानी पाठ में क्या आना चाहिए और क्या नहीं, इस बारे में ज़्यादा जानने के लिए अति. क3 देखें।
दो आदमी . . . जिनके कपड़े तेज़ चमक रहे थे: यहाँ सीधे तौर पर तो नहीं बताया गया है, लेकिन ऐसा मालूम होता है कि ये आदमी स्वर्गदूत थे। (लूक 24:23 से तुलना करें।) प्रेष 1:10 में स्वर्गदूतों को “सफेद कपड़े पहने दो आदमी” बताया गया है।
वह यहाँ नहीं है बल्कि उसे ज़िंदा कर दिया गया है: कुछ हस्तलिपियों में ये शब्द नहीं लिखे गए हैं, लेकिन यहाँ जो लिखा है उसका ठोस आधार शुरू की अधिकृत हस्तलिपियों में पाया जाता है।—अति. क3 देखें।
काठ पर लटकाकर मार डाला जाए: या “खंभे पर लटकाए जाने के लिए।”—मत 20:19 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “काठ”; “यातना का काठ” देखें।
वे . . . इन सारी बातों की खबर उन ग्यारहों को . . . दी: लूक 24:4 में बताए ‘दो आदमी जिनके कपड़े तेज़ चमक रहे थे’ दरअसल स्वर्गदूत थे। वे चाहते तो यीशु के ज़िंदा होने की खबर उन आदमियों को दे सकते थे जो उसके चेले थे। पर यह सम्मान औरतों को मिला। स्वर्गदूतों ने यह खबर उन औरतों को बतायी जो कब्र के पास आयी थीं। (लूक 24:6-9; यूह 20:11-18) और उन औरतों को यह सम्मान भी दिया गया कि वे “ग्यारहों को और बाकी सभी” चेलों को यीशु के ज़िंदा होने की खबर सुनाएँ। इसके अलावा, यीशु के ज़िंदा होने के बाद जिन चेलों ने उसे पहले देखा, उनमें से एक मरियम मगदलीनी थी।—यूह 20:16; कृपया मत 28:7 का अध्ययन नोट देखें।
कब्र से: कुछ हस्तलिपियों में ये शब्द नहीं लिखे गए हैं, लेकिन यहाँ जो लिखा है उसका ठोस आधार शुरू की अधिकृत हस्तलिपियों में पाया जाता है।
मरियम मगदलीनी: लूक 8:2 का अध्ययन नोट देखें।
योअन्ना: यह शब्द स्त्रीलिंग है और इब्रानी नाम यहोहानान का छोटा रूप है जिसका मतलब है, “यहोवा ने मदद की; यहोवा ने कृपा की।” योअन्ना उन औरतों में से एक थी जिन्हें यीशु ने ठीक किया था। वह हेरोदेस अन्तिपास के एक अधिकारी खुज़ा की पत्नी थी। योअन्ना का ज़िक्र मसीही यूनानी शास्त्र में सिर्फ दो बार आता है और दोनों ही बार लूका की खुशखबरी की किताब में आता है।—लूक 8:2, 3.
. . . ताज्जुब करता हुआ चला गया: कुछ हस्तलिपियों में यह आयत नहीं लिखी गयी है, लेकिन इसे लिखे जाने का ठोस आधार शुरू की अधिकृत हस्तलिपियों में पाया जाता है।—अति. क3 देखें।
करीब 11 किलोमीटर: या करीब सात मील। शा., “60 स्तादिया।” एक स्तादियौन 185 मी. (606.95 फुट) के बराबर था।—शब्दावली में “मील” और अति. ख14 देखें।
मतलब खोल-खोलकर समझाया: यूनानी शब्द दिएरमेनूओ को इस तरह इस्तेमाल किया जा सकता है, “एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद करना।” (प्रेष 9:36; 1कुर 12:30) लेकिन यह शब्द इस तरह भी इस्तेमाल हुआ है, “मतलब साफ-साफ समझाना; खुलकर समझाना।” यहाँ इसका मतलब है भविष्यवाणियों को समझाना।
शास्त्र का मतलब खोल-खोलकर समझा रहा था: “खोल-खोलकर समझा रहा था” के लिए यूनानी क्रिया दियानोइगो इस अध्याय में तीन बार आती है। इसका ज़िक्र पहली बार लूक 24:31 में आता है। वहाँ बताया है कि उन दो चेलों की “आँखें खुल गयीं” यानी वे पहचान गए कि वे जिससे बात कर रहे हैं, वह यीशु है। दियानोइगो का दूसरा ज़िक्र यहाँ लूक 24:32 में मिलता है और इसका मतलब निकलता है, “साफ-साफ समझाना।” इस क्रिया का तीसरी बार ज़िक्र लूक 24:45 में मिलता है। वहाँ बताया है कि यीशु ने चेलों के दिमाग “पूरी तरह खोल दिए” ताकि वे इब्रानी शास्त्र की बातों का मतलब समझ पाएँ।—प्रेष 7:56, “खुला हुआ”; 16:14, “पूरी तरह खोल दिए”; और 17:3, “समझाता रहा,” भी देखें जहाँ यूनानी क्रिया दियानोइगो इस्तेमाल हुई है।
धड़कनें तेज़ . . . हो गयी थीं: ये शब्द एक यूनानी शब्द से निकले हैं जो इस आयत में एक रूपक अलंकार के तौर पर इस्तेमाल हुआ है। वह यूनानी शब्द खुशी और उमंग जैसी गहरी भावनाओं को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और उससे गहरी रुचि और जोश से भरने का भी मतलब निकलता है। इस यूनानी शब्द के इस्तेमाल से पता चलता है कि जब यीशु इब्रानी शास्त्र की बातें खोल-खोलकर यानी साफ-साफ समझा रहा था, तब उन दो चेलों को कैसा महसूस हुआ।
और उनसे कहा, “तुम्हें शांति मिले”: कुछ हस्तलिपियों में ये शब्द नहीं लिखे गए हैं, लेकिन यहाँ लिखे जाने का ठोस आधार शुरू की अधिकृत हस्तलिपियों में पाया जाता है।
कोई स्वर्गदूत है: हालाँकि यूनानी शब्द नफ्मा का मतलब स्वर्गदूत हो सकता है, लेकिन ज़ाहिर है कि इस आयत में इसका मतलब एक दर्शन या कोई वहम है। यीशु ने अपने हाथ-पैर दिखाकर चेलों से कहा, “मुझे छूओ और देखो क्योंकि स्वर्गदूत का हाड़-माँस नहीं होता, जैसा कि तुम मेरा देख रहे हो।” (लूक 24:39) उसने ऐसा इसलिए कहा ताकि उसके चेले देख सकें कि उसने इंसानी रूप धारण किया है, ठीक जैसे स्वर्गदूतों ने प्राचीन समय में किया था।—उत 18:1-8; 19:1-3.
मेरे हाथ और मेरे पैर: रोमी लोगों का दस्तूर था कि अपराधी के हाथ (और शायद पैर भी) कील से ठोंके जाते थे और यीशु के साथ भी ऐसा ही हुआ था। (भज 22:16; यूह 20:25, 27; कुल 2:14) कुछ विद्वानों का मानना है कि यीशु के पैरों को एक या उससे ज़्यादा कीलों से सीधे-सीधे काठ पर ठोंक दिया गया था या काठ से लगे लकड़ी के टुकड़े पर।
. . . और पैर दिखाए: कुछ हस्तलिपियों में यह आयत नहीं लिखी गयी है, लेकिन इसे लिखे जाने का ठोस आधार शुरू की अधिकृत हस्तलिपियों में पाया जाता है।—अति. क3 देखें।
मछली का एक टुकड़ा: कुछ बाद की हस्तलिपियों में ये शब्द जोड़े गए “और मधुमक्खी का एक छत्ता,” लेकिन शुरू की अधिकृत हस्तलिपियों में ये शब्द नहीं दिए गए हैं।
मूसा के कानून, भविष्यवक्ताओं की किताबों और भजनों में: मुमकिन है कि यहूदियों की तरह यीशु ने भी पूरे इब्रानी शास्त्र को तीन समूहों में बाँटा और यहूदी इन समूहों से अच्छी तरह वाकिफ थे। “कानून” (इब्रानी में, तोराह) का मतलब है, बाइबल में उत्पत्ति से लेकर व्यवस्थाविवरण तक की किताबें। “भविष्यवक्ताओं की किताबों” (इब्रानी में, नविइम) का मतलब है, इब्रानी शास्त्र में भविष्यवक्ताओं की लिखी और बाइबल में यहोशू से लेकर पहले और दूसरे राजा तक की किताबें। “भजन” तीसरा भाग है जिसमें इब्रानी शास्त्र की बाकी किताबें हैं और इसे ‘लेख’ या इब्रानी में केथुविम कहा जाता है। इस भाग को “भजन” इसलिए कहा गया है क्योंकि भजन इस भाग की पहली किताब है। यहूदियों ने पूरे इब्रानी शास्त्र के लिए “तनाख” नाम रखा और यह शब्द इन तीन समूहों के पहले अक्षर से मिलकर बना है (त-न-क)। यीशु ने इन तीन समूहों का ज़िक्र किया जिससे पता चलता है कि उसके दिनों तक यह तय किया जा चुका था कि कौन-कौन-सी किताबें इब्रानी शास्त्र का हिस्सा होंगी और वह उससे सहमत था। बाइबल का संग्रह देखें।
तुम्हें . . . गवाही देनी है: यहाँ यीशु अपने चेलों को एक नयी ज़िम्मेदारी देता है। वह उनसे कहता है कि उन्हें उसकी ज़िंदगी और सेवा, यहाँ तक कि उसकी मौत और ज़िंदा होने के बारे में गवाही देनी है। ऐसी ही बात उसने कुछ वक्त पहले कही थी। (यूह 15:27 से तुलना करें।) यहूदी होने के नाते यीशु के चेले पहले से ही गवाही दे रहे थे कि यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है। (यश 43:10-12; 44:8) यहाँ बतायी घटनाओं के करीब 40 दिन बाद यीशु ने उसकी गवाही देने की बात फिर से कही और इस बात पर ज़ोर दिया।—प्रेष 1:8 का अध्ययन नोट देखें।
जिसका वादा मेरे पिता ने किया है: यानी पवित्र शक्ति देने का वादा। यह वादा योए 2:28, 29 और यूह 14:16, 17, 26 में दर्ज़ है। इस ज़ोरदार शक्ति से ताकत पाकर यीशु के चेले पूरी दुनिया में उसके बारे में गवाही दे पाते।—प्रेष 1:4, 5, 8; 2:33.
इसी शहर: यानी यरूशलेम।
फिर: प्रेष 1:3-9 से पता चलता है कि यीशु के ज़िंदा होने के 40 दिन बाद उसे स्वर्ग में उठा लिया गया। लूक 24:1-49 में नीसान 16 की घटनाएँ दर्ज़ हैं, यानी जिस दिन यीशु को ज़िंदा किया गया था। और यहाँ आयत 50-53 तक अय्यार 25 की घटनाएँ दर्ज़ हैं, यानी जिस दिन यीशु स्वर्ग लौटा। इस बीच जो-जो हुआ, वह इस ब्यौरे में नहीं बताया गया है।—अति. क7 देखें।
बैतनियाह: मत 21:17 का अध्ययन नोट देखें।
और उसे स्वर्ग उठा लिया गया: कुछ हस्तलिपियों में ये शब्द नहीं लिखे गए हैं, लेकिन यहाँ लिखे जाने का ठोस आधार शुरू की अधिकृत हस्तलिपियों में पाया जाता है। यही नहीं, लूका ने प्रेष 1:1, 2 में लिखा कि उसने अपनी “पहली किताब” यानी खुशखबरी की किताब में ‘यीशु को स्वर्ग उठा लिए जाने तक’ का ब्यौरा दर्ज़ किया और बताया कि उस दौरान यीशु ने कैसी ज़िंदगी जी और परमेश्वर की सेवा में क्या-क्या किया। इसलिए यह सही था कि लूका ने परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी अपनी किताब में ये शब्द दर्ज़ किए।
उसे दंडवत किया: या “उसे झुककर प्रणाम किया; उसके सामने मुँह के बल ज़मीन पर लेट गए; उसका सम्मान किया।” जब यूनानी क्रिया प्रोस्किनीयो किसी देवता या ईश्वर की पूजा के संबंध में इस्तेमाल हुई है तो उसका अनुवाद “उपासना” किया गया है। (मत 4:10; लूक 4:8) यहाँ यीशु के चेले समझ गए कि दोबारा ज़िंदा किया गया यीशु, परमेश्वर का प्रतिनिधि है। इसलिए उन्होंने उसे “परमेश्वर का बेटा,” भविष्यवाणी में बताया गया “इंसान का बेटा” और मसीहा समझकर दंडवत किया, न कि देवता या परमेश्वर मानकर। (लूक 1:35; मत 16:13-16; यूह 9:35-38) उन्होंने ठीक वैसे ही झुककर प्रणाम किया जैसे इब्रानी शास्त्र में बताए लोग किसी भविष्यवक्ता, राजा या परमेश्वर के दूसरे प्रतिनिधियों से मिलते वक्त करते थे। (1शम 25:23, 24; 2शम 14:4; 1रा 1:16; 2रा 4:36, 37) कई मौकों पर जब लोगों ने देखा कि यीशु पर परमेश्वर की मंज़ूरी है या जब उन्हें एहसास हुआ कि परमेश्वर ने उसे भेजा है, तो उन्होंने उसे दंडवत किया।—मत 14:32, 33; 28:5-10, 16-18; यूह 9:35, 38; कृपया मत 2:2; 8:2; 14:33; 15:25 के अध्ययन नोट भी देखें।
उसे दंडवत किया और: कुछ हस्तलिपियों में ये शब्द नहीं पाए जाते मगर यहाँ जो लिखा है उसका ठोस आधार शुरू की अधिकृत हस्तलिपियों में पाया जाता है।—अति. क3 देखें।
हर दिन मंदिर में: जब दुश्मनों ने यीशु को मार डाला, तब उसके चेले उनके डर से छिप-छिपकर घरों में मिलने लगे। (यूह 20:19, 26) लेकिन जब चेलों ने देखा कि यीशु ज़िंदा हो गया है (प्रेष 1:3) और जब उनकी नज़रों के सामने उसे 40वें दिन स्वर्ग में उठा लिया गया, तो उन्हें बहुत हिम्मत मिली। वे सरेआम सब लोगों के सामने परमेश्वर की बड़ाई करने लगे। लूका अपनी खुशखबरी की किताब के आखिर में जिन घटनाओं के बारे में बताता है, उन्हीं का ज़िक्र करके वह प्रेषितों की किताब में आगे का ब्यौरा देता है। वह बताता है कि चेलों ने कितने ज़ोर-शोर से गवाही दी।—प्रेष 1:1 का अध्ययन नोट देखें।