क्या आप पीढ़ियों का अन्तर समाप्त कर सकते हैं?
दुनिया भर के माता-पिता उनके बच्चों में पायी जानेवाली एक प्रवृत्ति के कारण व्याकुल हैं। जैसे वे बढ़ते हैं वैसे वे उनके माता-पिता से दूर होते हैं। एक ऐसा पीढ़ी-अन्तर उत्पन्न होता है जो पार करने में कठिन है—और कुछ स्थितियों में असम्भव। शायद आप ने इस समस्या को देखा है और इससे चिन्तित हैं।
यह अन्तर क्यों?
इस में शक नहीं कि आप इस बात पर सहमत होंगे कि माता-पिता और बच्चे एक दूसरे से जितना बातचीत कर सकते हैं, उतना करते नहीं है। क्यों? जापानी सरकार के द्वारा किया गया एक अवलोकन यह है, कि जब बच्चे दूरदर्शन देखने के लिए हर दिन दो घंटे व्यय करते हैं, वे उनके पिताओं से केवल २५ मिनट और उनकी माताओं से केवल ४० मिनट बातें करते हैं।
एक और कारण यह है, कि कई परिवारों में आर्थिक दबाओं के कारण गुज़ारा करने के लिए, दोनों माता और पिता को सांसारिक काम करना पड़ता है। इसका अर्थ यह है कि उनके बच्चों के साथ कम समय बिताया जाना। परिणामस्वरूप माता-पिता और बच्चे एक ही घर में रहते हुए भी अजनबी बन सकते हैं। कभी-कभी जब संवाद करने की कोशिश की भी जाती है, तब समझ की कमी के कारण यह गलत दिशा ले लेता है। जैसे एक समाचार पत्र अग्रलेख ने उल्लेख किया, माता-पिता बहुधा चिड़चिड़ाकर आदेश देते हैं, जैसे “अच्छी तरह पढ़ो” या “तुम्हारे मेज़ को व्यवस्थित करो”। लेकिन, यह अपने आप में, ना एक व्यक्ति को विकसित करता है और ना ही इस पीढ़ियों में के अन्तर को समाप्त करता है।
इस अन्तर को कैसे समाप्त करना है
कैनडा के एक मनुष्य जिन्होंने कई परेशान नवजवानों को सलाह दी है, परामर्श देते हैं: “संकोची जवानों के लिए सब से उत्तम चिकित्सा एक ऐसी माता या पिता है जो सुनने, सुनने और सुनने के लिए उपलब्ध हो।” बाइबल भी “सुनने के लिए तत्पर और बोलने में धीरे और क्रोध में धीमा” होने के लिए सलाह देती है। (याकूब १:१९) कई बार माता-पिता बच्चों से गुस्सा में “चुप रहो” या “तुम मुझे परेशान कर रहे हो!” कहकर उसे रोकने की गलती करते हैं। अगर एक बच्चे को लगता है कि जब भी वह बात करने की कोशिश करेगा, उसे रोका जाएगा, तो फिर वह उसके माता-पिता के पास जाना आहिस्ता बन्द कर देगा। एक संवाद-अन्तर तो ज़रूर उत्पन्न होगा।
दूसरी ओर, शायद कोई परियोजना बनायी जा सकती है और एक कुटुम्ब होकर उसे किया जा सकता है, जैसे कि घर की मरम्मत का ध्यान रखना, एक कमरे को पुन:सज्जित करना, एक उपेक्षित जगह में रंग लगाना या पौधों को लगाना। तब तक रुकने की ज़रूरत नहीं जब तक निबटने के लिए कोई बड़ी योजना न आए। कई बार यह इतना सरल होगा जैसे माँ के साथ भोजन बनाना या पिता के संग कोई टूटे हुए उपकरण की मरम्मत करना। महत्त्वपूर्ण विषय यह है कि जो भी किया जाता है, वह माता-पिता और बच्चों को साथ में सम्मिलित करता है। बदले में, यह वार्तालाप का एक वातावरण निर्माण करता है। लेकिन ध्यान दें कि आप अपने बच्चे के कार्य में अधिक छिद्रान्वेषी न बनें या उन से अधिक प्रतीक्षा न करें।
यह सही है कि एक बच्चा अपने समान उम्र के दोस्तों से खेलना चाहेगा, लेकिन यही है वह समय जब उस बच्चे को पीढ़ियों के अन्तर को समाप्त करने या उसे रोकने के लिए त्याग करना होगा। माता-पिताओं को भी अपना कुछ समय दे देना होगा। इसका अर्थ एक त्याग होगा, लेकिन यह माता-पिता द्वारा बच्चों को दी गई कोई भौतिक वस्तु से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है।
मदद कहाँ से आएगी?
इसलिए कि बच्चे का प्रारम्भिक जीवन केवल उसके माता-पिता के साथ बिताया जाता है, आप इन बहुमूल्य निर्माणात्मक वर्षों को गँवाना नहीं चाहेंगे।
किन्तु आप शायद आपके बच्चों को कैसे और क्या सिखाएंगे, इस विषय में उलझन महसूस कर रहे होंगे। कई माता-पिताओं ने यह जान लिया है कि शिक्षण का सब से उत्तम स्रोत बाइबल है। बाइबल का उपयोग करके आप अपने बच्चों में उच्च नैतिक सिध्दान्तों, क्रियाशीलता, आत्म-संयम, अधिकार का आदर करने, और कई अन्य उत्कृष्ट गुणों को विकसित कर सकते हैं। आज, पृथ्वी भर लाखों माता-पिताओं ने, जो अपने बच्चों को शिक्षण देने के लिए बाइबल का पालन करते हैं, नीतिवचन २२:६ की सच्चाई को समझ लिया है जो बताता है: “लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उसको चलना चाहिए, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा।”
लेकिन माता-पिता अपने जवानों को बाइबल से कैसे परिचित करवाएंगे? जब बच्चे छोटे हैं, तब साथ बैठकर कुछ पढ़ना आसान है जैसे कि बाइबल। इस तरह व्यय किया गया समय सब से अधिक लाभप्रद होगा, क्योंकि बच्चे मुक्त भाव से बातें करने लगेंगे, जिससे आपसी भरोसा और विश्वास निर्माण होता है।
बच्चे कहानी पसन्द करते हैं। बाइबल इससे भरी हुई है। वॉचटावर बाइबल और ट्रॉक्ट सोसायटी द्वारा प्रकाशित माय बुक ऑफ बाइबल स्टोरीज़, ऐसा एक उत्कृष्ट प्रकाशन है, जो बच्चों और माता-पिता को बाइबल से परिचित करवाएगी। कई बड़े रंगीन चित्रों के साथ यह पुस्तक बाइबल में अभिलिखित मुख्य घटनाओं को तैथिक क्रम से पूर्ण करती है।
एक और उत्तम शैक्षिक मदद यहोवा के गवाहों द्वारा वितरित लिसनिंग टु द ग्रेट टीचर पुस्तक है। उस में छोटे छोटे ४६ अध्याय हैं, जो बच्चों के साथ पढ़ने के लिए रचा गया है, और जवानों को जीवन में मदद करनेवाले प्रमुख सिध्दान्तों को सिखाते हैं। उन में कि कुछ अध्याय ये हैं: “आज्ञाकारिता आपका संरक्षण करता है,” “दो व्यक्तियाँ जिन्होंने सच्चाई नहीं कही,” और “देने में और अधिक आनन्द।” इन विषयों को आपके बच्चों के साथ चर्चा करना, आपको और आपके बच्चों को भी बाइबल शिक्षाओं को समझने में मदद करेगी।
शायद आपके बच्चे किशोरावस्था में होंगे। अगर हैं, तो यह पुस्तक युअर यूथ गेटिंग द बेस्ट औट ऑफ इट, माता-पिता होने के नाते, आपके नवजवानों के साथ बातें करने के लिए, आपको एक मनोहर सहायता होगी। यह पुस्तक किशोरावस्था की समस्याओं को यथार्थता से निबटती है। इन अध्यायों पर विचार करें: “पुरुषत्व में प्रवेश करना,” “नारित्व में प्रवेश करना,” “आपको किस प्रकार के मित्र चाहिए?” और “आपको जीवन से क्या चाहिए?”
हम ऐसा नहीं कह रहे हैं कि केवल ऐसी किताबों को पढ़ना ही सम्पूर्ण उत्तर है। लेकिन यह सही मार्ग में एक शरुआत है। माता-पिता सुनिश्चित हो सकते हैं कि वे एक अच्छी कोशिश कर रहे हैं। (इफिसियों ६:४) परिणाम एक अधिक संगठित परिवार और साथ में माता-पिता और बच्चों के लिए एक उज्ज्वल भावी प्रत्याशा होगी। ऐसा एक कार्यक्रम आप के घर में आरम्भ करने के लिए यहोवा के गवाह आप की मदद करने में खुश होंगे।—यूहन्ना १७:३.