सागर के चमकते महल
कनाडा में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
“ठीक आगे हिमशैल है!” चिन्तित पहरेदार चिल्लाता है। समुद्री-जहाज़ के चबूतरे पर कर्मचारी-दल तुरन्त प्रतिक्रिया दिखाता है। टकराव से बचने के लिए इंजन को उल्टी दिशा में चलाया जाता है। लेकिन बहुत देर हो चुकी है। जहाज़ के दाएँ भाग में एक घातक प्रहार लगता है।
तीन घंटों से कम समय में, उत्तरी अटलांटिक उस समय संसार के सबसे बड़े ठाठदार समुद्री-जहाज़ को निगल लेता है। अप्रैल १५, १९१२ के दिन, यूरोप से उत्तर अमरीका की अपनी पहली यात्रा के केवल पाँच दिन बाद, टाइटेनिक सतह से चार किलोमीटर नीचे, समुद्र तल पर पसर जाता है। क़रीब १,५०० यात्री और कर्मचारी-दल सागर में डूबकर मरते हैं।
और उस विशालकाय बर्फ़ के पिण्ड का क्या हुआ? वह वस्तुतः साबुत रहा। केवल उसका एक सिरा टाइटेनिक से टकराया। दूसरे दिन, खोजियों ने उसे दक्षिण की ओर ज़्यादा गर्म पानी की ओर तैरकर जाता हुआ देखा, मानो जैसे कुछ नहीं हुआ था। इस शैल के अन्त को, विशाल सागर में धीरे-धीरे पिघलने को जल्द ही भुला दिया जाता। लेकिन, टाइटेनिक के डूबने को अब भी एक दुःखद समुद्री दुर्घटना के तौर पर याद किया जाता है।
हिमशैल! वे कितने आकर्षक और भव्य होते हैं, फिर भी कितने अटल। क्या आपने कभी उन्हें पास से देखा है और उस प्रभाव को महसूस किया है जो वे मानव और प्रकृति पर डालते हैं? क्या आप जानना चाहेंगे कि क्यों और कैसे वे अस्तित्व में आते हैं? और सागर में लोगों को हिमशैल के संभव ख़तरे से सुरक्षित रखने के लिए क्या किया जाता है? (“अंतरराष्ट्रीय हिम गश्ती-दल” बक्स देखिए।)
जन्म और जीवन-चक्र
हिमशैल ताज़े पानी की बर्फ़ के महाकाय टुकड़ों की तरह हैं। वे उत्तर और दक्षिण-ध्रुव-प्रदेश के हिमनदों और हिमचादरों से आते हैं। क्या आप जानते थे कि दक्षिण-ध्रुव-प्रदेश का हिमशिखर पृथ्वी के कुछ ९० प्रतिशत हिमशैल उत्पन्न करता है? इससे सबसे बड़े हिमशैल भी निकलते हैं। यह जल-रेखा से १०० मीटर तक ऊँचे होते हैं और इनकी माप लम्बाई में ३०० किलोमीटर और चौड़ाई में ९० किलोमीटर से ज़्यादा हो सकती है। बड़े हिमशैल वज़न में २० लाख और चार करोड़ टन के बीच हो सकते हैं। और हिमलवों की तरह, कोई दो शैल एक जैसे नहीं दिखते। कुछ सपाट या ऊपरी सतह पर चपटे होते हैं। अन्य फानाकार, शिखरयुक्त, या गुंबदाकार के होते हैं।
सामान्यतः किसी हिमशैल के पिण्ड का केवल सातवाँ या दसवाँ हिस्सा पानी के ऊपर नज़र आता है। यह विशेषकर सपाट सतह के हिमशैलों के बारे में सच है। यह काफ़ी कुछ वैसा ही है जब आप पानी के ग्लास में बर्फ़ के टुकड़े को तैरते हुए देखते हैं। लेकिन, जल के ऊपर और जल के नीचे की बर्फ़ का यह अनुपात, शैल के आकार पर निर्भर करते हुए बदलता है।
दक्षिण-ध्रुव-प्रदेश के हिमशैल ज़्यादातर सपाट होते हैं और चारों ओर से चपटे होते हैं, जबकि उत्तरध्रुवीय हिमशैल अकसर ऊबड़-खाबड़ या कंगूरेदार होते हैं। ये दूसरे हिमशैल, जो ज़्यादातर ग्रीनलैंड को ढाँपनेवाले बड़े हिमशिखर से आते हैं, मनुष्य के लिए सबसे बड़ा ख़तरा हैं, क्योंकि वे बहकर अटलांटिक जलमार्गों में आ सकते हैं।
हिमशैल उत्पन्न कैसे होते हैं? पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों में, हिम और हिम-वर्षा का इकट्ठा होना अकसर गलन और वाष्पीकरण से अधिक होती है। इस कारण भूमि पर बननेवाली हिम की परतें हिमनदीय बर्फ़ बन जाती हैं। वर्ष प्रतिवर्ष, जैसे-जैसे ज़्यादा हिम और वर्षा होती है, निरन्तर पुँज बनता जाता है। यह ग्रीनलैंड जैसे विशाल क्षेत्रों पर बड़े-बड़े हिमशिखर उत्पन्न करता है। आख़िरकार, यह बर्फ़ इतनी सघन और पक्की हो जाती है कि इससे वह भारी हिमनद ऊँची ढलानों से बहुत ही धीरे-धीरे नीचे फिसलकर घाटियों और आख़िरकार सागर में चला जाता है। इस प्रवास का वर्णन करते हुए, बर्नार्ड स्टोनहाउस ने अपनी पुस्तक उत्तरी ध्रुव, दक्षिणी ध्रुव (अंग्रेज़ी) में कहा: “पक्की बर्फ़ लचीली होती है लेकिन आसानी से विरूपित हो सकती है; दवाब के अधीन इसके षट्कोणीय मणिभ एक दूसरे के साथ मिल जाते हैं, फिर एक दूसरे पर फिसलते हैं ताकि वह बहाव और गिरावट उत्पन्न करें जिसे हम हिमनदों के साथ जोड़ते हैं।”
ज़रा कल्पना कीजिए एक ऊबड़-खाबड़ ज़मीन पर बर्फ़ की नदी बहुत ही धीरे-धीरे, ठण्डे शीरे की तरह बहती हुई। पहले ही गहरी सीधी दरारों के होते हुए, इस महाकाय हिमचादर पर और अधिक प्रभाव होंगे, ताकि तट-रेखा तक पहुँचने पर यह एक शानदार चमत्कार करे। ज्वारभाटा का चढ़ना और उतरना, लचकीली लहरों और अन्तर्जलीय अपरदन के संयुक्त प्रभावों के कारण, ताज़े पानी की बर्फ़ का एक बड़ा टुकड़ा जिसका विस्तार सागर में कुछ ४० किलोमीटर तक जा सकता है, बड़ी गड़गड़ाहट के साथ हिमनद से टूटकर अलग हो जाएगा। एक हिमशैल का जन्म हुआ है! एक प्रेक्षक ने इसे “तैरता चमकदार महल” कहा।
उत्तरध्रुव क्षेत्र में, हर वर्ष १०,००० से १५,००० हिमशैल बनते हैं। फिर भी, तुलनात्मक रूप से कहा जाए तो बहुत कम न्यूफाउंडलैंड तट के पास दक्षिण सागर तक पहुँचते हैं। जो पहुँचते हैं उनका क्या होता है?
हिमशैल प्रवास
जब हिमशैल टूटकर अलग होते हैं, तो सागर की तरंगें उनमें से अधिकांश को एक लम्बी यात्रा पर ले जाती हैं, और बाद में उनमें से कुछ पश्चिम और दक्षिण में और आख़िरकार लैब्राडर सागर में, जिसका उपनाम है हिमशैल गलियारा, छोड़ दिए जाते हैं। हिमशैल जो अपने जन्मस्थान से क़रीब दो वर्ष के बहाव से बचकर खुले अटलांटिक में लैब्राडर और न्यूफाउंडलैंड के पास आ जाते हैं उनकी जीवन-अवधि छोटी होती है। जब वे ज़्यादा गर्म पानी की ओर बहते हैं, वे गलन, अपरदन और अधिक टूटने के कारण व्यापक विकृति से गुज़रते हैं।
ठेठ रीति से, दिन के दौरान बर्फ़ पिघलती है और पानी दरारों में इकट्ठा होता है। रात के वक़्त पानी जमकर बर्फ़ हो जाता है और इन दरारों में फैलता है और इस कारण टुकड़े अलग हो जाते हैं। इससे शैल के आकार में एक आकस्मिक परिवर्तन आता है, जो उसके गुरुत्व-केन्द्र को बदल देता है। बर्फ़ का यह टुकड़ा बाद में पानी में लुढ़क जाता है, और पूरी तरह से नयी बर्फ़ीली मूर्तिकला सामने आती है।
जैसे यह चक्र जारी रहता है और ये हिमशैल टूटते-टूटते आकार में और घटते जाते हैं, वे स्वयं अपने हिमशैल उत्पन्न करते हैं। ये “शैलीय टुकड़े” कहलाते हैं जो लगभग एक सामान्य मकान के आकार के होते हैं, और “गुर्रानेवाले” जो लगभग एक छोटे कमरे के आकार के होते हैं—गुर्रानेवाले लहरों में तैरते वक़्त जो आवाज़ निकालते हैं उस कारण उन्हें यह नाम दिया गया है। कुछ छोटे गुर्रानेवाले शायद तट-रेखा या उपखाड़ी के उथले जल में भी घूमते होंगे।
परिस्थितियाँ चाहे जो भी हों, दक्षिणी जल का वातावरण, उस हिमशैल को बर्फ़ के टुकड़ों में और फिर विशाल सागर का भाग बनने के लिए तेज़ी से विघटित करेगा। लेकिन, जब तक यह हो हिमशैल के साथ संभलकर व्यवहार किया जाना चाहिए।
हिमशैल हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं
जो मछुआरे अपनी जीविका के लिए सागर पर निर्भर होते हैं वे हिमशैल को एक मुसीबत और एक ख़तरा समझने के प्रवृत्त हैं। एक मछुआरे ने कहा: “पर्यटक शायद हिमशैल चाहते होंगे, लेकिन मछुआरों के लिए यह एक संभव संकट है।” मछुआरे अपनी पकड़ देखने के लिए लौटे हैं, और यह पाया है कि ज्वारभाटा और तरंग से स्थानांतरित होकर एक हिमशैल ने उनके क़ीमती जाल और उनकी पकड़ नष्ट कर दी है।
हिमशैल आदर के योग्य हैं। “दूरी बनाए रखना उचित है,” एक पाल-नाव कप्तान कहता है। “हिमशैल सबसे अधिक अनिश्चित हैं! ऊँचे हिमशैलों से बड़े-बड़े भाग टूट सकते हैं, या तल से टकराते वक़्त, बड़े टुकड़े टूटकर आपकी ओर एकाएक आ सकते हैं। साथ ही, शैल चक्कर खा सकता है और लुढ़क सकता है, और यह सब ख़तरनाक रीति से पास के किसी भी व्यक्ति के लिए अनर्थकारी हो सकता है!”
हिमशैलों द्वारा समुद्र-तल का खुरचना एक और चिन्ता का विषय है। एक प्रेक्षक के अनुसार, “अगर एक शैल के पानी के नीचे का भाग क़रीब-क़रीब समुद्र-तल तक पहुँचता है, तो वह लम्बी और गहरी नालियाँ खोदने के लिए ज्ञात है। पेट्रोलियम अनुसंधान के क्षेत्रों में ऐसा कार्य समुद्र-तल पर लगे उपकरणों पर, जैसे कि तेल-कूओं पर बने ढाँचों पर विनाशकारी प्रभाव करेगा।”
अब तक आप शायद सोच रहे होंगे कि अगर हिमशैल न हों तो अच्छा होगा। लेकिन, हिमशैल की कहानी किसी भी तरह केवल नकारात्मक नहीं है। न्यूफाऊंडलैंड के एक निवासी ने कहा: “सालों पहले, जब फ्रिज सर्वसामान्य नहीं था, कुछ छोटे तटीय गाँवों में लोग शैल के छोटे टुकड़ों को ढूँढ निकालते और उन्हें अपने कूओं में फेंक देते ताकि पानी को अतिशीतल रखें। शैल के टुकड़ों की बर्फ़ को बुरादे के डिब्बों में रखने की रीत भी थी ताकि घर में आइसक्रीम बनाने में सहायता करे।”
विशेषकर पर्यटक हिमनदीय बर्फ़ के इन तैरते विशालकाय पहाड़ों की ओर आकर्षित होते हैं। वे न्यूफाऊंडलैंड के ऊबड़-खाबड़ तट पर अनुकूल स्थान ढूँढते हैं कि वे एटलांटिक का विशालदर्शी नज़ारा देख सकें और इन समुद्री दैत्यों को देखने का आनन्द उठा सकें। फ़िल्म में उस घड़ी को क़ैद करने के लिए अनेक चित्र लिए जाते हैं।
हिमशैल ताज़ा पीने का पानी प्रदान करने की क़रीब-क़रीब अंतहीन आपूर्ति भी प्रदान करने की क्षमता रखते हैं। हिमशैल के पानी को छानना और बोतल में भरना, अपूर्व जल-प्रदूषण के इस समय में आख़िरकार एक लाभदायक कार्य बन सकता है। बड़ी मात्रा में पानी के लिए, एक महाकाय “हिमशैल” को ढूँढना और उस पर कार्य करने के लिए उसे बन्दरगाह तक खींच लाना शायद एक सरल बात लगे। असल में, यह एक पर्वताकार चुनौती है जो अब तक बहुत ही कठिन साबित हुई है।
यहोवा की सृष्टि का एक आश्चर्य
स्वर्ग और पृथ्वी का सृष्टिकर्ता पूछता है: “किस के गर्भ से बर्फ निकला है?” (अय्यूब ३८:२९) एलीहू जानता था, क्योंकि उसने पहले कहा था: “ईश्वर की श्वास की फूंक से बरफ पड़ता है।”—अय्यूब ३७:१०.
अतः, जब हम समुद्र के इन ऊँचे, चमकते आश्चर्यों को देखते हैं, हमारे विचार हमारे सृष्टिकर्ता की ओर मुड़ते हैं, जिसने उन्हें वहाँ रखा है। भजनहार की तरह, हम कहते हैं: “हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है।” वह आगे कहता है: “तेरे काम तो आश्चर्य के हैं।”—भजन १०४:२४; १३९:१४.
सचमुच, यहोवा आश्चर्य उत्पन्न करनेवाला सृष्टिकर्ता है। हम उसे और अच्छी तरह जानने के लिए कितने लालायित हैं! उसके वचन पर ध्यान देने के द्वारा हम ऐसा कर सकते हैं।—रोमियों ११:३३.
[पेज 18 पर बक्स]
अंतरराष्ट्रीय हिम गश्ती-दल
टाइटेनिक समुद्री-जहाज़ की त्रासदी के बाद, अंतरराष्ट्रीय हिम गश्ती-दल (आइआइपी) १९१४ में स्थापित किया गया ताकि हिमशैल का स्थान निश्चित करें, समुद्री और वायु-तरंगों के आधार पर उनके चलन का पूर्वानुमान लगाएँ और फिर जनता को हिम-सम्बन्धी चेतावनियाँ दें। समुद्र के इन चमकते दैत्यों से सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से, हिम की विशेषताओं और उसके कार्य का ज्ञान इकट्ठा करने के लिए हर प्रयास किया गया है। जिस टॆक्नॉलॉजी का प्रयोग किया जाता है उसमें हवाईजहाज़ से अवलोकन और रेडार निगरानी, व्यावसायिक जहाज़ों की हिम-प्रेक्षण रिपोर्टें, उपग्रह फ़ोटोग्राफी और सागर विज्ञान-सम्बन्धी विश्लेषण और पूर्वानुमान सम्मिलित हैं।
[पेज 16, 17 पर तसवीर]
शिखरयुक्त
गुंबदाकार
सपाट सतह के