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सजग होइए!–1998
g98 7/8 पेज 24-25

मंगलग्रह पर रोबोट द्वारा छानबीन

अपने परिवार सहित मैं उत्सुकता से देख रहा था जब मार्स पाथफाइंडर अंतरिक्षयान को केप कनॆवरल, फ्लॉरिडा में उड़ान-मंच से छोड़ा गया। हमने सोचा, ‘क्या यह मंगलग्रह पर सही-सलामत उतरेगा? कौन-सी नयी खोजें की जाएँगी?’

पाथफाइंडर की सफलता की चिंता कुछ हद तक इस कारण थी कि मंगलग्रह के पिछले दो मिशन असफल रहे, जो मार्स ऑबसर्वर और मार्स 96 द्वारा किये गये थे। इसके अलावा, पाथफाइंडर को बहुत ही कठिन अवतरण करना था।

अंतरिक्षयान करीब २७,००० किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से मंगलग्रह के वायुमंडल को भेदने लगा। रफ्तार कम करने के लिए एक पैराशूट खोलने और फिर सतह से करीब ९८ मीटर की ऊँचाई तक उतरने के बाद, इसने रॉकॆट छोड़े ताकि रफ्तार और भी कम हो जाए। इस बीच, अंतरिक्षयान के लिए गैस से भरी बड़ी-बड़ी हवा-थैलियों का सुरक्षात्मक गद्दा प्रदान किया गया। जुलाई ४, १९९७ में, ६५ किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से मार्स पाथफाइंडर मंगलग्रह की सतह पर उतरा।

पहला झटका लगने पर अंतरिक्षयान कुछ १५ मीटर उछला। बड़ी-सी हलकी गेंद की तरह १४-१५ बार और उछलने के बाद वह रुक गया। फिर हवा-थैलियाँ पिचक गयीं और अंदर चली गयीं। हालाँकि पाथफाइंडर को इस प्रकार बनाया गया था कि यदि वह सीधा न उतरा हो तो खुद-ब-खुद सीधा हो जाए, लेकिन वह सीधा ही उतरा। आखिर में, उसने अपनी फूल-जैसी पंखड़ियाँ खोलीं और वैज्ञानिक उपकरण, रेडियो एन्टीना, सोलर पैनल और सोजर्नर नाम की बैटरी-कार दिखने लगी।

मंगलग्रह में जाँच-पड़ताल

जल्द ही पाथफाइंडर के कैमरे ने आस-पास के भूदृश्‍य का सर्वेक्षण किया। क्रूसे प्लानिटया (अर्थात्‌ “सोने का मैदान”) नामक चौड़े मैदान में, एरीज़ वालिस, या “मंगल घाटी” नामक क्षेत्र के पास ठहरे पाथफाइंडर को एक चट्टानी, लहरदार सतह और दूर पहाड़ियाँ दिखीं—सोजर्नर द्वारा छानबीन करने के लिए एकदम सही। लंबाई में ६५ सॆंटीमीटर, इस छोटे-से कुशल रोबोट को अपने कैमरे से तसवीरें लेकर जाँच-पड़ताल करनी थी और स्पॆक्ट्रोमीटर से चट्टानों और मिट्टी में रसायनिक तत्त्वों की मात्रा नापनी थी।

इस मिशन के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने सोजर्नर द्वारा छानबीन शुरू की। चूँकि रेडियो संकेतों को पृथ्वी और मंगल के बीच यात्रा करने में कई मिनट लगते हैं, सो मिशन के संचालक स्वयं सोजर्नर को नहीं चला सकते थे। इसलिए मंगलग्रह की भूमि पर बाधाओं से बचने के लिए सोजर्नर अपनी ही क्षमता पर बहुत निर्भर था। उसने अपने मार्ग में आयी चट्टानों के आकार और स्थिति का पता लगाने के लिए लेज़र किरणों का प्रयोग किया। फिर यदि चट्टान छोटी होती तो उसका कंप्यूटर उसे बताता कि उसके ऊपर से चला जाए या यदि चट्टान बहुत बड़ी होती तो कंप्यूटर उसे बताता कि दूसरा रास्ता ले ले।

साहसी-कार्य और खोज

अखबारों और पत्रिकाओं में छपी रिपोर्टों ने पाथफाइंडर द्वारा ली गयी मंगलग्रह की सतह की तसवीरें देकर करोड़ों लोगों को खुश किया। जैसे-जैसे मंगल से नये-नये दृश्‍य आये, घूमती बैटरी-कार के करतब देखकर पृथ्वी पर लोगों का मनोरंजन हुआ। चट्टानी और पहाड़ी भूदृश्‍यों के रंगीन चित्रों को देखकर लोगों की जिज्ञासा बढ़ी। मंगल के आकाश में बादलों और सूर्यास्त के दृश्‍य देखकर लोग रोमांचित हुए। मिशन के पहले महीने के दौरान, अंतरिक्षयान की गतिविधियों में दिलचस्पी रखनेवाले लोगों ने इंटरनॆट पर पाथफाइंडर के वॆब पेज को ५० करोड़ से ज़्यादा बार “हिट” किया।

पाथफाइंडर ने जानकारी का अंबार लगा दिया, इतनी अपेक्षा तो मिशन के वैज्ञानिकों ने भी नहीं की थी। यह सब उसने ० डिग्री सॆल्सियस से -८० डिग्री सॆल्सियस के ठंडे तापमान के बावजूद किया। इस मिशन ने क्या प्रकट किया?

कैमरों और उपकरणों ने अलग-अलग रसायन मिश्रण, रंग और बनावट की चट्टानें, मिट्टी और हवा में उड़नेवाली धूल पायी। इससे संकेत मिलता है कि मंगलग्रह पर जटिल भूविज्ञानिक प्रक्रियाएँ हुई हैं। आस-पास के भूदृश्‍य में छोटे-छोटे टीलों ने उत्तर-पूर्व की हवाओं द्वारा लायी गयी भुरभुरी रेत के जमा होने का प्रमाण दिया है। आकाश में भोर होने से पहले के बादल दिखे जो पानी की बर्फ के कणों से बने थे। जैसे-जैसे बादल छँटे और भोर हुई, वातावरण में बारीक धूल होने के कारण आकाश में लाली छा गयी। कभी-कभार, अंधड़, हवा और धूल के बवंडर अंतरिक्षयान के ऊपर से उड़ जाते।

मार्स पाथफाइंडर ने हमें ऐसा अनुभव कराया है जो सचमुच अलौकिक है। अमरीका और जापान अगले दशक में मंगलग्रह के और भी मिशनों की योजना बना रहे हैं। उसके बाद से एक परिक्रामी अंतरिक्षयान, मार्स ग्लोबल सर्वेयर मंगलग्रह पर पहुँच चुका है ताकि अन्य वैज्ञानिक जाँच-पड़ताल कर सके। सचमुच, जैसे-जैसे हम अंतरिक्षयान में लगे कैमरों से मंगलग्रह की सैर करते हैं, उस लाल ग्रह से हम ज़्यादा अच्छी तरह परिचित हो जाएँगे।—साभार।

[पेज 24 पर तसवीरें]

उड़ान

अवतरण

मंगल पर

[चित्र का श्रेय]

सभी चित्र: NASA/JPL

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