मनोरंजन को ध्यान से चुनिए
मनोरंजन का बच्चों पर क्या असर होता है? ऑलविन पूसैन एक शिक्षक और डॉक्टर है और वह बच्चों के साथ करीब ३० साल से काम कर रहा है। वह विश्वस्त है कि सॆक्स और हिंसा वाली फिल्में देखना बच्चों को सिखाता है कि ऐसा व्यवहार ठीक है। वह एक और खतरा भी बताता है: “मैंने देखा है कि ऐसी फिल्में देखने के बाद बच्चे भयभीत—या बहुत लड़ाकू हो जाते हैं। कुछ बच्चे फिर से किसी को थामने या अँगूठा चूसने या बिस्तर गीला करने लगते हैं।” इस डॉक्टर के अनुसार, विशेषज्ञों ने दूसरी बातें भी नोट करके रखी हैं जिनके कारण बच्चे ऐसा व्यवहार कर सकते हैं—शारीरिक या लैंगिक दुर्व्यवहार या युद्ध-ग्रस्त क्षेत्र में रहना इत्यादि। “हममें से कोई भी जानबूझकर बच्चे को ऐसी स्थितियों में नहीं डालेगा,” वह बताता है, “फिर भी हम उन्हें ऐसी चीज़ों के बारे में फिल्में देखने से नहीं रोकते जो हम नहीं चाहेंगे कि वे हकीकत में देखें।”
मसीहियों के पास इसका ठोस कारण है कि ध्यान से मनोरंजन का चुनाव करें और यह निश्चित करें कि जो मनोरंजन वे चुनते हैं उससे बाइबल सिद्धांतों का उल्लंघन न हो। उदाहरण के लिए, भजन ११:५ कहता है: “यहोवा धर्मी को परखता है, परन्तु वह उन से जो दुष्ट हैं और उपद्रव से प्रीति रखते हैं अपनी आत्मा से घृणा करता है।” और मसीही प्रेरित पौलुस ने लिखा: “इसलिये अपने उन अंगों को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात् व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्कामना, बुरी लालसा और लोभ को . . . क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्दा और मुंह से गालियां बकना ये सब बातें छोड़ दो।”—कुलुस्सियों ३:५, ८.
इसलिए, माता-पिता को सचेत रहना चाहिए कि जो मनोरंजन वे अपने बच्चों के लिए—और अपने लिए—चुनते हैं वह ‘शरीर के कामों’ को बढ़ावा न देता हो। (गलतियों ५:१९-२१) उन्हें मनोरंजन का चुनाव इन बातों को ध्यान में रखकर करना चाहिए कि वह कैसा है और कितनी मात्रा में है।—इफिसियों ५:१५-१७.