वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • g98 10/8 पेज 24
  • हकलाहट दूर हुई!

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • हकलाहट दूर हुई!
  • सजग होइए!–1998
  • मिलते-जुलते लेख
  • ऐसी बोली बोलिए जो “हिम्मत बँधाएँ”
    “खुद को परमेश्‍वर के प्यार के लायक बनाए रखो”
  • क्या आप बोलने के मामले में एक अच्छी मिसाल हैं?
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2022
  • विश्‍व-दर्शन
    सजग होइए!–1995
  • ऐसी बोली बोलिए जो दूसरों की हिम्मत बँधाए
    परमेश्‍वर के प्यार के लायक बने रहिए
सजग होइए!–1998
g98 10/8 पेज 24

हकलाहट दूर हुई!

करीब अस्सी साल से सजग होइए! ने अपने पाठकों को रोज़मर्रा की समस्याओं से निपटने में मदद दी है। कभी-कभी यह पाठकों को चिकित्सा क्षेत्र में हुई नयी खोज और धारणाओं के बारे में सतर्क करती है, जिससे उनके जीवन पर गहरा असर हो सकता है। निम्नलिखित कहानी यही दिखाती है।

मैथ्यू का जन्म १९८९ में उत्तरी इंग्लैंड में हुआ था। दो साल की उम्र तक वह अच्छा-खासा बच्चा था। फिर एक बार छुट्टियों के दौरान अचानक वह बहुत हकलाने लगा।

मैथ्यू की माँ मार्गरॆट बताती है, “मैंने और मेरे पति ने हमारी स्थानीय वाक्‌ चिकित्सा इकाई से परामर्श किया और हमें बताया गया कि जब तक वह सात साल का नहीं हो जाता उसके लिए कुछ नहीं किया जा सकता क्योंकि उस उम्र तक बच्चे अपने वाक्‌तंतुओं पर नियंत्रण नहीं कर पाते।” लेकिन जब मैथ्यू स्कूल गया तो दूसरे बच्चे उसे बहुत चिढ़ाते थे और इस कारण वह ज़्यादा हकलाने लगा। उसे लोगों की संगति से नफरत हो गयी और वह गुमसुम रहने लगा। राज्यगृह की सभाओं में जाना भी एक चुनौती बन गया।

“फिर हमने सजग होइए! (अंग्रेज़ी) के अप्रैल ८, १९९५ अंक में ‘विश्‍व-दर्शन’ के नीचे ‘हकलानेवालों के लिए आशा’ जानकारी पढ़ी। उसमें सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में काम कर रही वाक्‌ चिकित्सकों की एक टीम के बारे में संक्षिप्त रूप से बताया गया था कि यह टीम छोटे बच्चों में हकलाहट का इलाज करने में सफल रही है।

“हमने यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी को लिखा और डॉ. मार्क ऑन्ज़लो ने हमें एक भला-सा जवाब भेजा कि हम टॆलिफोन के द्वारा उससे संपर्क करें। क्योंकि हम दुनिया की दूसरी छोर पर हैं इसलिए उसकी वाक्‌ चिकित्सकों की टीम ने फैसला किया कि वे दूर से ही चिकित्सा करने की कोशिश करेंगे। मैथ्यू के माता-पिता होने के नाते हमें टॆलिफोन, फैक्स और ऑडियो टेप के द्वारा बताया गया कि टीम क्या तरीका अपनाती है। चिकित्सा मैथ्यू की खास ज़रूरतों के हिसाब से ढाली गयी। मैं उसके साथ बैठती और तनाव के बिना आराम से उसे उन शब्दों को सुधारने में मदद देती जिनको बोलने में उसे परेशानी होती थी। जब वह ‘सरलता’ से बोलता तो उसे खूब शाबाशी देती और छोटे-छोटे इनाम देती।

“छः महीने बाद मैथ्यू गुमसुम और अपनी ही छोटी-सी दुनिया में खोया हुआ नहीं था बल्कि अच्छा-खासा, हँसमुख और मिलनसार बच्चा बन गया था। अब वह कलीसिया की सभाओं में जवाब देता है और राज्यगृह में बाइबल पठन करने में उसे बहुत मज़ा आता है। घर-घर की सेवकाई में भी वह अर्थपूर्ण हिस्सा लेता है। उसकी बोली ठीक हो गयी है!

“सजग होइए! में उस छोटी-सी जानकारी के लिए हम कितने आभारी हैं जिसने हमारे बेटे की ज़िंदगी बदल दी है!”—साभार।

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें