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सजग होइए!–1998
g98 10/8 पेज 25-27

सोना—इसकी कशिश

सोना—प्राचीन समय से इस पिटवां, चटक-पीली धातु को इसके अनोखे गुणों के लिए अनमोल समझा गया है। इसका रंग, चमक, नरमी और ज़ंग न लगना इसे अनोखी धातु बना देते हैं। सोने की तलाश करनेवालों के मन में इसका बड़ा मोल था। इसीलिए इसका इतिहास दूसरी किसी भी धातु से बहुत भिन्‍न है।

“यह सोना है! सोना! सचमुच सोना!” सोना मिल जाए तो दिल उछल जाता है, धड़कनें बढ़ जाती हैं, कल्पनाएँ उड़ान भरने लगती हैं। इसे ज़मीन पर, नदियों और सोतों में और ज़मीन के हज़ारों मीटर नीचे तक ढूँढ़ा गया है।

महँगे आभूषणों के रूप में इसने राजा-रानियों को सँवारा है। इसने सिंहासनों और महलों की दीवारों की शोभा बढ़ायी है। मछलियों, पक्षियों, पशुओं और दूसरी वस्तुओं के आकार में सोने की मूर्तियाँ बनायी गयी हैं और फिर उन मूर्तियों को ईश्‍वर मानकर उनकी उपासना की गयी है। सोने की अथक खोज दूर-दूर तक हुई है और सभ्यता पर इसका गहरा असर हुआ है।

सोना और इतिहास

प्राचीन मिस्र में फिरौनों ने अपने सौदागरों और सेनाओं को दूर देशों में भेजा कि सोने की तलाश करें, जिसे मिस्र के देवताओं और फिरौनों की मूल संपत्ति समझा जाता था। १९२२ में मिली टूटैंकामन की कब्र सोने के अनमोल खज़ाने से भरी पड़ी थी। उसकी ताबूत भी शुद्ध सोने की बनी थी।

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि सिकंदर महान “फारस के सोने के मशहूर खज़ाने के कारण शुरू-शुरू में एशिया की ओर खिंचा चला आया था।” कहा जाता है कि जो सोना उसने फारस से लूटा था उसे उसकी सेना हज़ारों जानवरों पर लादकर वापस यूनान ले गयी। इस कारण यूनान देश में सोने की बहुतायत हो गयी।

एक इतिहासकार बताता है कि रोम के “सम्राट अपने दरबारियों की निष्ठा प्राप्त करने और दूसरे देशों के उच्च-अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए खुलकर सोना देते थे। वे सोने के शानदार गहनों का प्रदर्शन करके अपना वैभव दिखाते थे और इससे अपनी प्रजा पर धाक जमाते और उन्हें डराते भी थे।” एक प्रकाशन कहता है कि रोमियों ने स्पेन पर विजय पाकर और स्पेन में सोने की खानों पर कब्ज़ा करके अपना अधिकतर सोना हासिल किया था।

लेकिन सोने की कहानी अधूरी रह जाएगी यदि उसके खूनी इतिहास को खोदकर न देखा जाए। यह आक्रमण, क्रूरता, दासता और मौत की कहानी है।

खून से लथपथ इतिहास

जैसे-जैसे सभ्यता बढ़ी वैसे-वैसे ज़्यादा बड़े और ज़्यादा मज़बूत पानी के जहाज़ नये देशों को ढूँढ़ने, नयी बस्तियाँ बसाने और सोने की तलाश करने निकल पड़े। कई अन्वेषकों को सोना ढूँढ़ने की सनक चढ़ गयी। साहसी नाविक क्रिस्टोफर कोलंबस (१४५१-१५०६) उन्हीं में से था।

सोने की तलाश करते वक्‍त कोलंबस की नज़र में आदिवासियों की जान का कोई मोल नहीं था। स्पेन के राजा और रानी ने उसकी खोजयात्राओं का खर्च उठाया था। एक द्वीप पर हुआ अपना अनुभव उन्हें बताते हुए कोलंबस ने अपनी डायरी में लिखा: “यहाँ राज करने के लिए बस इतनी ज़रूरत है कि यहाँ बस जाएँ और आदिवासियों पर अधिकार चलाएँ, जो हर आज्ञा का पालन करेंगे . . . आदिवासी . . . नंगे और निहत्थे हैं, इसलिए उन्हें आदेश देकर उनसे काम करवाया जा सकता है।” कोलंबस मानता था कि उस पर परमेश्‍वर की आशीष है। सोने के खज़ानों से स्पेन अपने धर्म युद्धों का खर्च उठा सकेगा। एक बार जब उपहार के रूप में उसे सोने का मुखौटा मिला तो उसने कहा, ‘परमेश्‍वर अपनी दया दिखाकर सोना ढूँढ़ने में मेरी मदद करे।’

सोने की तलाश में स्पेनी विजेताओं ने उसी मार्ग से समुद्रयात्रा की जो कोलंबस ने लिया था। स्पेन के राजा फर्डिनन्ड ने उन्हें आज्ञा दी: “मेरे लिए सोना लाओ! हो सके तो इनसानियत दिखाकर लाओ। नहीं तो कुछ भी करो, लेकिन मेरे लिए सोना ज़रूर लाओ।” मॆक्सिको और केंद्रीय तथा दक्षिण अमरीका में निर्दयी अन्वेषकों ने हज़ारों आदिवासियों की हत्या कर डाली। इन विजेताओं ने जो सोना स्पेन भेजा वह मानो खून से लथपथ था।

फिर रास्ते में समुद्री-डाकू मिलते, जिनके जहाज़ों पर किसी देश का झंडा नहीं होता था। बीच समुद्र में वे स्पेनी जहाज़ों को लूट लेते जो सोने और दूसरे अनमोल खज़ानों से लदे हुए होते थे। स्पेनी जहाज़ समुद्री-डाकुओं की बराबरी के नहीं थे क्योंकि उनके पास उतनी बंदूकें और लोग नहीं होते थे जितने कि इन डाकुओं के पास होते थे। १७वीं और १८वीं सदियों में समुद्रयात्रा का एक बहुत बड़ा खतरा था समुद्री-डकैती। यह खतरा खासकर वॆस्ट इंडीज़ और अमरीकी तट के आस-पास रहता था।

१९वीं सदी में सोने के लिए भागदौड़

कैलिफॉर्निया की सैक्रामॆंटो घाटी में १८४८ में सोने का एक खज़ाना मिला। जल्द ही यह खबर फैल गयी और ढेरों लोग अपना हक जमाने के लिए दौड़े। अगले साल तक दुनिया के सभी भागों से हज़ारों लोग सोना हासिल करके किस्मत बनाने के लिए कैलिफॉर्निया में दौड़े चले आये थे। कैलिफॉर्निया की आबादी जो १८४८ में करीब २६,००० थी १८६० में बढ़कर ३,८०,००० के करीब हो गयी। किसानों ने अपने खेत छोड़ दिये, नाविक जहाज़ छोड़ गये, सैनिक सेना से भाग गये—सिर्फ इसलिए कि वहाँ जाकर सोना हासिल करने के लिए अपनी किस्मत आज़माएँ। कुछ लोगों को “खून के प्यासे बदमाश” कहा गया। यहाँ दुनिया भर से आये लोगों के साथ-साथ अपराध और हिंसा की लहर भी आयी। जो सोने के लालच में फँसे थे लेकिन उसके लिए मेहनत करने को तैयार नहीं थे उन्होंने चोरी का सहारा लिया, घोड़ा-गाड़ियों और ट्रेनों को लूटना शुरू कर दिया।

कैलिफॉर्निया में सोने के लिए भागदौड़ के तुरंत बाद, १८५१ में खबर मिली कि ऑस्ट्रेलिया में सोने के ढेर मिल रहे हैं। खबर थी कि “सचमुच बड़ा खज़ाना है।” कुछ समय के लिए ऑस्ट्रेलिया दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया। जो लोग कैलिफॉर्निया जा बसे थे उनमें से कुछ लोगों ने जल्द ही अपना तामझाम उठाया और ऑस्ट्रेलिया की ओर चल दिये। ऑस्ट्रेलिया की आबादी आसमान छूने लगी—१८५० में ४,००,००० से बढ़कर १८६० में ११,००,००० से ऊपर हो गयी। खेती और दूसरे काम मानो पूरी तरह ठप्प हो गये क्योंकि बहुत लोग सोने की तलाश में दौड़े।

उन्‍नीसवीं सदी के आखिर में यह पागल भीड़ सोने की तलाश में यूकॉन और अलास्का की ओर भागी, जब पता चला कि इन जगहों में सोना मिला है। हज़ारों लोग कड़ाके की ठंड से जूझते हुए उत्तर की ओर क्लॉनडाइक क्षेत्र और अलास्का की ओर बढ़े ताकि सोने से भरपूर देश पर अपना हक जमा सकें।

डूबा खज़ाना

इस २०वीं सदी में जब गहरे समुद्र में जाना संभव हो गया तो सोना खोजनेवालों ने अपना ध्यान समुद्र-तल की ओर मोड़ा। वहाँ उन्होंने टूटकर डूबे जहाज़ों को खोजा ताकि डूबा खज़ाना—सोने के ज़ेवर और सदियों पहले बनी दूसरी चीज़ें—पा सकें।

सितंबर २०, १६३८ में, स्पेनी जहाज़ कॉनसॆपस्यॉन खराब मौसम के कारण चट्टानों से टकराने के बाद प्रशांत महासागर में साइपैन के तट के निकट डूब गया था। उसमें सोना और दूसरे खज़ाने भरे हुए थे जिनकी कीमत आज करोड़ों डॉलर होती। जहाज़ पर सवार ४०० लोगों में से अधिकतर मारे गये। गोताखोरों ने जहाज़ के मलबे में से सोने की ३२ जंज़ीरें निकाली हैं जिनमें से हरेक की लंबाई करीब १.५ मीटर और भार कई किलो है। कुल मिलाकर, गोताखोरों ने सोने के १,३०० गहने—जंज़ीरें, क्रॉस, बिल्ले, जड़ाऊ पिनें, अँगूठियाँ, और बक्सुए—निकाले।

दूसरे जहाज़ी मलबों का भी पता चला है। १९८० में अमरीका के फ्लॉरिडा तट के पास गोताखोरों ने १७वीं सदी के एक स्पेनी जहाज़ सान्टा मार्गरीटा का मलबा ढूँढ़ निकाला। उसके अगले साल के अंत तक, गोताखोरों ने ४४ किलोग्राम से ज़्यादा सोने की ईंटें निकालीं, साथ ही उन्हें सोने की दूसरी चीज़ें भी मिलीं।

युद्ध का सोना

वर्ष १९४५ में जर्मन सरकार की हार के बाद, मित्र देशों की टुकड़ियों ने जर्मनी के थुरिंजिया में काइज़रोडा नमक की खानों में चौंकानेवाली खोज की। दी अटलांटा जरनल के अनुसार, “उन खानों में २.१ अरब डॉलर की सोने की ईंटें, कलाकृतियाँ, मुद्रा और सुरक्षा-पत्र मिले।” साथ ही सोने और चाँदी के दाँतों से भरे थैले मिले, जिनमें से कुछ को पिघलाया जा चुका था। ये हॉलोकॉस्ट पीड़ितों के मुँह से निकाले गये थे। सोने के इस बड़े गुप्त-भंडार से नात्ज़ी कमांडरों को एक लंबे युद्ध का खर्च उठाने में मदद मिली। लगभग २.५ अरब डॉलर का सोना ऐसे करीब दस देशों को वापस दिया जा चुका है जो कभी हिटलर के कब्ज़े में थे, जरनल रिपोर्ट करता है। इस आम विश्‍वास के कारण कि नात्ज़ियों द्वारा छिपाया गया सारा सोना अभी तक नहीं मिला है, खोज जारी है।

यह तो निश्‍चित है कि सोना मूल्यवान है। लेकिन बाइबल कहती है कि दूसरी भौतिक संपत्ति की तरह सोना भी उन्हें जीवन नहीं दे सकता जो इसे खोजते हैं। (भजन ४९:६-८; सपन्याह १:१८) बाइबल का एक नीतिवचन कहता है: “बुद्धि की प्राप्ति चोखे सोने से क्या ही उत्तम है!” (नीतिवचन १६:१६) सच्ची बुद्धि सृष्टिकर्ता यहोवा परमेश्‍वर की ओर से आती है और यह उसके वचन बाइबल में मिलती है। परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करने के द्वारा, ऐसी बुद्धि ढूँढ़नेवाला परमेश्‍वर के नियम, सिद्धांत और सलाह सीख सकता है और फिर इन्हें अपने जीवन में लागू कर सकता है। इस तरह प्राप्त की गयी बुद्धि उससे कहीं ज़्यादा उत्तम है जितना सोना आज तक मनुष्य ने प्राप्त किया है। ऐसी बुद्धि से अभी जीवन बेहतर बन सकता है और भविष्य में अनंत जीवन मिल सकता है।—नीतिवचन ३:१३-१८.

[पेज 27 पर बक्स]

सोने के बारे में कुछ तथ्य

● सोना सबसे नरम और पिटवां धातु है। इसे पीटकर ०.१ माइक्रोमीटर पतला किया जा सकता है। २८ ग्राम सोने को पीटकर इतना फैलाया जा सकता है कि करीब १७ वर्ग मीटर का क्षेत्र ढाँप ले। एक आउंस सोने को ७० किलोमीटर लंबा फैलाया जा सकता है।

● क्योंकि शुद्ध सोना इतना नरम होता है इसलिए आम तौर पर इसे दूसरी धातुओं के साथ मिलाकर कठोर किया जाता है ताकि गहने और सोने की दूसरी चीज़ें बनायी जा सकें। सोने के मिश्रण की मात्रा २४वें अंश में नापी जाती है जिसे कैरॆट कहते है; इसलिए १२ कैरॆट सोने के मिश्रण में ५० प्रतिशत सोना होता है, १८ कैरॆट सोने में ७५ प्रतिशत सोना होता है, और २४ कैरॆट का सोना शुद्ध होता है।

● सोने का उत्पादन करनेवाले प्रमुख देश दक्षिण अफ्रीका और अमरीका हैं।

[पेज 25 पर तसवीर]

Alexander the Great: The Walters Art Gallery, Baltimore

[पेज 26 पर तसवीर]

एक चित्र जो १४९२ में क्रिस्टोफर कोलंबस को सोने के खज़ाने की तलाश में बहामाज़ आते हुए दिखाता है

[चित्र का श्रेय]

Courtesy of the Museo Naval, Madrid (Spain), and with the kind permission of Don Manuel González López

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