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  • चिपकू दोस्त मैं इतना भर कहना चाहती हूँ कि लेख “युवा लोग पूछते हैं . . . मैं क्या करूँ कि मेरा दोस्त चिपकू न बने?” (मई ८, १९९८) मुझे बहुत पसंद आया। जबकि मैं छोटी नहीं, शादी-शुदा हूँ, मुझे ये लेख हमेशा बहुत अच्छे लगते हैं। मैं और मेरे पति इन दिनों जो महसूस कर रहे हैं उस पर यह अंक एकदम फिट बैठा और मैंने इसे पाँच बार पढ़ा। इसने मुझे यह सीखने में मदद दी कि यीशु भी अकेले में कुछ समय बिताना चाहता था।
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चिपकू दोस्त मैं इतना भर कहना चाहती हूँ कि लेख “युवा लोग पूछते हैं . . . मैं क्या करूँ कि मेरा दोस्त चिपकू न बने?” (मई ८, १९९८) मुझे बहुत पसंद आया। जबकि मैं छोटी नहीं, शादी-शुदा हूँ, मुझे ये लेख हमेशा बहुत अच्छे लगते हैं। मैं और मेरे पति इन दिनों जो महसूस कर रहे हैं उस पर यह अंक एकदम फिट बैठा और मैंने इसे पाँच बार पढ़ा। इसने मुझे यह सीखने में मदद दी कि यीशु भी अकेले में कुछ समय बिताना चाहता था।

पी. ए., ट्रिनिडैड

छोटी-छोटी गलतफहमियों के कारण, कभी-कभी मैं और मेरा दोस्त एक दूसरे से बात करना बंद कर देते हैं और मैं इतना उदास हो जाता हूँ कि मेरा ध्यान किसी बात पर नहीं लगता। इस लेख को कई बार पढ़ने के बाद, मुझे एहसास हुआ कि मैं चिपकू बन रहा हूँ और अपने दोस्त को दूसरे काम करने के लिए समय नहीं दे रहा हूँ। मुझे लगता है कि यह लेख खास मेरे लिए लिखा गया था। इससे मुझे बहुत-से तरीके जानने को मिले कि मैं दूसरों के साथ अपने संबंध कैसे सुधारूँ।

आर. एस., भारत

दंत-शोधन हाल ही में जब मैं अपने डॆंटिस्ट के पास गयी तो मैंने उसे मई ८, १९९८, सजग होइए! की एक प्रति दी जिसमें दंत-शोधन पर एक लेख था। बाद में डॆंटिस्ट ने आभार व्यक्‍त किया और कहा कि लेख ज्ञानप्रद और संक्षिप्त था और सरल रीति से लिखा गया था। उसने यह भी कहा कि उसने लेख की प्रतियाँ बनाकर कुछ मरीज़ों को दी हैं ताकि उन्हें यह समझने में मदद मिले कि उनका क्या इलाज किया जा रहा है।

टी. पी., इंग्लॆंड

वर्ष २००० जग होइए! के जून ८, १९९८ अंक में छपा लेख “बाइबल का दृष्टिकोण: वर्ष २००० कितना महत्त्वपूर्ण है?” एकदम सही समय पर आया। मैं इस बात की कदर करता हूँ कि आपने साफ-साफ बताया कि अटकलें लगाने का फायदा नहीं और यहोवा का दिन कब आएगा इस बारे में अतीत में जो टिप्पणियाँ की गयी थीं आपने उन्हें भी साफ-साफ समझाया।

एस. डब्ल्यू., अमरीका

कम्बोडिया में ज़िंदगी और मौत लेख “कम्बोडिया में ज़िंदगी और मौत का मेरा लंबा सफर” (जून ८, १९९८) के लिए शुक्रिया। वफादारी से यहोवा की सेवा करना और यह जानना बहुत बढ़िया है कि अनेक लोग दुःखद यादों के बावजूद यहोवा की सेवा कर रहे हैं, जैसे वॉथना मीअस जो पहले एक सैनिक था और उसने अपनी जान बचाने के लिए दूसरों की हत्या की थी। मैं यह पढ़कर हैरान रह गयी कि उसने एक गड्ढे में छिपकर तीन महीने बिताए। उसे नहीं पता था कि जल्द ही उसे अपने जीवन का सबसे बड़ा विशेषाधिकार मिलनेवाला है—यहोवा को जानना!

सी. एम. एस. एल., ब्राज़ील

क्या आप रूप देखकर फैसला करते हैं? रूप से धोखा हो सकता है, नाज़रॆदिन हॉज़ की लोक-कथा इसे बहुत अच्छी तरह समझाती है। (जुलाई ८, १९९८) हमें याद दिलाने के लिए शुक्रिया कि हमें सिर्फ लोगों का रूप देखकर उनके बारे में अच्छी या बुरी राय नहीं बनानी चाहिए—और यह भी कि यहोवा हमारा रूप देखकर नहीं, हमारा हृदय देखकर फैसला करता है।

ए. ओ. एफ. ए., ब्राज़ील

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