एकमात्र सच्चे परमेश्वर की पहचान करना
जब से मनुष्य अस्तित्त्व में आये हैं लगभग तभी से उनके अनेक ईश्वर रहे हैं। पृथ्वी भर में इतने ढेर सारे देवी-देवताओं की उपासना की गयी है कि उनकी निश्चित संख्या बताना मुश्किल है—लेकिन यह संख्या करोड़ों में है।
यह सिद्ध करने के बाद कि एक परमेश्वर है, अब हमारा प्रश्न है, पृथ्वी भर में जितने ईश्वरों की उपासना आज तक की गयी है, उनमें से सच्चा परमेश्वर कौन है? केवल एक सच्चा परमेश्वर है और उसकी पहचान की जा सकती है, यह बाइबल में यूहन्ना १७:३ में साफ-साफ बताया गया है: “अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें।”
पहचान करानेवाला नाम
यह तर्कसंगत होगा कि कोई भी ईश्वर जिसका अपना व्यक्तित्व है उसका अपना व्यक्तिगत नाम भी हो जो उसे दूसरे ईश्वरों से अलग दिखा सके क्योंकि शायद उनके भी अपने-अपने नाम हों। वह नाम शायद ईश्वर ने अपने लिए खुद चुना होगा बजाय इसके कि उसके उपासक उसका कोई नाम रखें।
लेकिन इस संबंध में बहुत उलझन में डालनेवाली सच्चाई सामने आती है। जबकि अधिकतर जाने-माने धर्म अपने ईश्वरों को व्यक्तिगत नाम देते हैं, यहूदी और मसीहीजगत के मुख्यधारा चर्च उस ईश्वर की पहचान एक अलग व्यक्तिगत नाम देकर नहीं करते जिसकी वे उपासना करते हैं। इसके बजाय, वे प्रभु, परमेश्वर, सर्वशक्तिमान, और पिता जैसी उपाधियों का सहारा लेते हैं।
थिऑलजी नामक प्रकाशन में लेखक डेविड क्लाइन्स ने निम्नलिखित टिप्पणी की: “ईसवी सन् पूर्व पाँचवीं से दूसरी सदी के बीच में कहीं परमेश्वर के साथ त्रासद दुर्घटना हुई: उसका नाम खो गया। सटीक रूप से कहें तो यहूदियों ने परमेश्वर के व्यक्तिगत नाम याहवेह को इस्तेमाल करना बंद कर दिया और याहवेह को अनेक संज्ञाओं से संबोधित करना शुरू कर दिया: ‘परमेश्वर’, ‘प्रभु’, ‘वह नाम’, ‘वह पवित्र जन’, ‘वह उपस्थिति’, यहाँ तक कि ‘वह स्थान’। बाइबल में जहाँ याहवेह लिखा था वहाँ भी पाठक उस नाम को अडोनाई उच्चारित करते थे। मंदिर के आखिरी पतन के बाद वे इक्का-दुक्का धार्मिक रस्में भी बंद हो गयीं जब वह नाम इस्तेमाल किया जाता था और लोग उस नाम का उच्चारण तक भूल गये।” लेकिन, निश्चित रूप से कोई नहीं कह सकता कि ठीक कब रूढ़िवादी यहूदियों ने ऊँचे स्वर में परमेश्वर का नाम लेना छोड़ दिया और उसके बदले परमेश्वर और सर्वसत्ताधारी प्रभु के लिए इब्रानी शब्दों का प्रयोग करने लगे।
तो फिर ऐसा प्रतीत होता है कि “अद्वैत सच्चे परमेश्वर” की पहचान करने के लिए सबसे पहले उसे उसके नाम से जानने की ज़रूरत है। यह बिलकुल मुश्किल काम नहीं, क्योंकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर, सृष्टिकर्ता का नाम भजन ८३:१८ में साफ-साफ बताया गया है: “जिस से यह जानें कि केवल तू जिसका नाम यहोवा [जहोवाह, अंग्रेज़ी] है, सारी पृथ्वी के ऊपर परमप्रधान है।”
जहोवाह या याहवेह?
जबकि जहोवाह अंग्रेज़ी किंग जेम्स वर्शन और बाइबल के अन्य अनुवादों में आता है, फिर भी कुछ लोग जहोवाह के बजाय याहवेह नाम इस्तेमाल करना ज़्यादा पसंद करते हैं। कौन-सा नाम सही है?
सबसे पुरानी बाइबल हस्तलिपियों को इब्रानी भाषा में लिखा गया था। इब्रानी शास्त्र में परमेश्वर का नाम लगभग ७,००० बार आता है और उसे चार व्यंजनों—YHWH या JHVH—के द्वारा लिखा जाता है। इन चार-व्यंजनवाले शब्दों को आम तौर पर टॆट्राग्रैमटन या टॆट्राग्राम (चतुर्वर्णी) कहा जाता है। इन्हें दो यूनानी शब्दों से लिया गया है जिनका अर्थ है “चार अक्षर।” अब सही उच्चारण का प्रश्न उठता है क्योंकि पुराने इब्रानी लेखनों में सिर्फ व्यंजन होते थे, स्वर नहीं होते थे जो पाठक की मदद करें। सो टॆट्राग्रैमटन का उच्चारण याहवेह है या जहोवाह, यह इस पर निर्भर है कि पाठक इन चार व्यंजनों में किन स्वरों का प्रयोग करता है। आज अनेक इब्रानी विद्वान याहवेह को सही उच्चारण मानते हैं।
लेकिन, सुसंगति के हिसाब से देखें तो जहोवाह सही है। कैसे? अंग्रेज़ी में उच्चारण जहोवाह को सदियों से स्वीकार किया गया है। जो इस उच्चारण को इस्तेमाल करने का विरोध करते हैं उन्हें अंग्रेज़ी में जॆरॆमायह और जीसज़ जैसे मान्य उच्चारणों का भी विरोध करना चाहिए। अंग्रेज़ी में जॆरॆमायह को बदलकर यिरमयाह या यिरमयाहू करना पड़ेगा, जो मूल इब्रानी उच्चारण हैं और जीसज़ को यीशुआ (इब्रानी) या ईसुअस (यूनानी) करना पड़ेगा। इसलिए, अनेक बाइबल विद्यार्थी, यहोवा के साक्षी भी मानते हैं कि सुसंगति के हिसाब से देखें तो अंग्रेज़ी में अरसे से प्रयोग हो रहे जाने-माने शब्द जहोवाह और दूसरी भाषाओं में उसके समतुल्य शब्द का प्रयोग करना ही बेहतर है।
क्या सचमुच कोई फर्क पड़ता है?
कुछ लोग तर्क करते हैं कि असल में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर को उसके व्यक्तिगत नाम से पुकारते हैं या नहीं। वे पिता या सिर्फ परमेश्वर कहकर परमेश्वर को संबोधित करने और उसका ज़िक्र करने से संतुष्ट हैं। लेकिन पिता और परमेश्वर उपाधियाँ हैं नाम नहीं, और न ही ये व्यक्तिगत और विशिष्ट हैं। बाइबल समय में परमेश्वर (इलोहिम, इब्रानी) शब्द किसी भी ईश्वर का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था—पलिश्तियों के दागोन नामक झूठे देवता के लिए भी। (न्यायियों १६:२३, २४) सो किसी इब्रानी का एक पलिश्ती से यह कहना कि हम इब्रानी लोग “परमेश्वर” की उपासना करते हैं उनके सच्चे परमेश्वर की पहचान नहीं कराता।
दी इंपीरियल बाइबल-डिक्शनरी (१८७४) में दी गयी टिप्पणी दिलचस्पी की है: “[यहोवा] हर जगह व्यक्तिवाचक नाम है, जो व्यक्तिगत परमेश्वर को सूचित करता है किसी दूसरे को नहीं; जबकि इलोहिम जातिवाचक संज्ञा का रूप अपनाता है, जो असल में आम तौर पर सर्वशक्तिमान को सूचित करता है लेकिन हर जगह ऐसा हो यह ज़रूरी नहीं। . . . इब्रानी व्यक्ति सभी झूठे देवताओं से अलग दिखाने के लिए वह इलोहिम, सच्चा परमेश्वर कह सकता है; लेकिन इब्रानी व्यक्ति कभी वह यहोवा नहीं कहता, क्योंकि यहोवा सिर्फ सच्चे परमेश्वर का नाम है। वह बार-बार मेरा परमेश्वर कहता है . . . ; लेकिन कभी मेरा यहोवा नहीं कहता, क्योंकि जब वह मेरा परमेश्वर कहता है तो उसके कहने का अर्थ होता है यहोवा। वह इस्राएल के परमेश्वर की बात करता है, लेकिन इस्राएल के यहोवा की बात कभी नहीं करता, क्योंकि दूसरा कोई यहोवा है ही नहीं। वह जीवते परमेश्वर की बात करता है, लेकिन जीवते यहोवा की बात कभी नहीं करता, क्योंकि वह किसी दूसरे रूप में यहोवा की कल्पना कर ही नहीं सकता।”
सच्चे परमेश्वर के गुण
लेकिन किसी का नाम भर जान लेने का यह अर्थ नहीं कि हम उसे असल में जानते हैं। हममें से अधिकतर लोग प्रमुख राजनेताओं के नाम जानते हैं। हम शायद दूसरे देशों की जानी-मानी हस्तियों के नाम भी जानते हों। लेकिन बस उनके नाम जानना—उनका सही-सही उच्चारण भी कर लेना—अपने आपमें यह अर्थ नहीं रखता कि हम व्यक्तिगत रूप से उन लोगों को जानते हैं या यह जानते हैं कि वे किस किस्म के लोग हैं। उसी तरह, एकमात्र सच्चे परमेश्वर को जानने के लिए हमें उसके गुण जानने और उन्हें सराहने की ज़रूरत है।
यह सच है कि मनुष्य सच्चे परमेश्वर को कभी नहीं देख सकेंगे, लेकिन परमेश्वर ने कृपा करके अपने व्यक्तित्व के बारे में अनेक बातें हमारे लिए बाइबल में दर्ज़ करवायी हैं। (निर्गमन ३३:२०; यूहन्ना १:१८) अमुक इब्रानी भविष्यवक्ताओं को सर्वशक्तिमान परमेश्वर के स्वर्गीय दरबार के ईश्वरप्रेरित दर्शन दिये गये। उन्होंने जो वर्णन किया उससे न केवल बड़ी गरिमा और विस्मयकारी महानता और सामर्थ का भाव मिलता है, परंतु शांति, व्यवस्था, सुंदरता और मोहकता का चित्र भी मिलता है।—निर्गमन २४:९-११; यशायाह ६:१; यहेजकेल १:२६-२८; दानिय्येल ७:९; प्रकाशितवाक्य ४:१-३.
यहोवा परमेश्वर ने मूसा को अपने कुछ आकर्षक और मनमोहक गुण बताए, जो निर्गमन ३४:६, ७ में दर्ज़ हैं: “यहोवा, यहोवा, ईश्वर दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करुणामय और सत्य, हज़ारों पीढ़ियों तक निरन्तर करुणा करनेवाला, अधर्म और अपराध और पाप का क्षमा करनेवाला है।” क्या आप नहीं मानते कि परमेश्वर के इन गुणों को जानने से हम उसकी ओर खिंचते हैं और हमारे अंदर यह इच्छा जागती है कि उसे व्यक्तिगत रूप से और भी अच्छी तरह जानें?
कोई मनुष्य यहोवा परमेश्वर को उसकी तेजोमय महिमा में कभी नहीं देख पाएगा, लेकिन यह लिखा गया है कि जब यीशु मसीह एक मनुष्य के रूप में पृथ्वी पर था तो उसने असल में दिखाया कि उसका स्वर्गीय पिता, यहोवा परमेश्वर किस किस्म का परमेश्वर है। एक बार यीशु ने कहा: “पुत्र आप से कुछ नहीं कर सकता, केवल वह जो पिता को करते देखता है, क्योंकि जिन जिन कामों को वह करता है उन्हें पुत्र भी उसी रीति से करता है।”—यूहन्ना ५:१९.
सो इससे हम यह अर्थ निकाल सकते हैं कि यीशु ने कृपालुता, करुणा, नम्रता और स्नेह साथ ही धार्मिकता से अटल प्रेम और दुष्टता से घृणा के जो गुण दिखाए वे सभी उसने मनुष्य बनकर पृथ्वी पर आने से पहले, स्वर्गीय दरबार में अपने पिता, यहोवा परमेश्वर में देखे थे। इसलिए, जब हम सचमुच यहोवा नाम का पूरा अर्थ समझ जाते हैं तो निश्चित ही हमारे पास उस पवित्र नाम से प्रेम करने और उसकी महिमा करने, उसकी स्तुति करने, उसको बुलंद करने और उस पर भरोसा करने का हर कारण होता है।
इस तरह से एकमात्र सच्चे परमेश्वर को जानना असल में अंतहीन प्रक्रिया है, जैसा न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द होली स्क्रिप्चर्स में यूहन्ना १७:३ का अनुवाद स्पष्ट रूप से दिखाता है। यहाँ “जानना” क्रिया को सामान्य वर्तमान काल की बजाय निरंतरता-बोधक वर्तमान काल में इस्तेमाल किया गया है जो बहुत सहायक सिद्ध होता है। सो हम पढ़ते हैं: “अनन्त जीवन यह है कि वे तुझ एकमात्र सच्चे परमेश्वर का, और जिसे तू ने भेजा है, अर्थात् यीशु मसीह का ज्ञान लेते रहें।” जी हाँ, एकमात्र सच्चे परमेश्वर, यहोवा का और उसके पुत्र, यीशु मसीह का ज्ञान लेते रहना एक ऐसी प्रक्रिया है जो कभी नहीं रुकनी चाहिए।
सच्चा परमेश्वर प्रकट है
इसलिए, अनेक झूठे ईश्वरों और सच्चे परमेश्वर के बीच भेद करना आसान है। वह मानवजाति सहित पृथ्वी का और पूरे विश्वमंडल का सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता है। उसका निराला व्यक्तिगत नाम है—यहोवा, या याहवेह। वह किसी रहस्यमय त्रिदेव, या त्रियेक का भाग नहीं है। वह प्रेम का परमेश्वर है और वह अपनी मानव सृष्टि के लिए अच्छे-से-अच्छा चाहता है। लेकिन वह न्याय का परमेश्वर भी है और वह हमेशा तक उन्हें बरदाश्त नहीं करेगा जो पृथ्वी को बिगाड़ने पर तुले हैं और युद्ध और हिंसा भड़काते हैं।
यहोवा ने अपना दृढ़निश्चय प्रकट किया है कि वह पृथ्वी को न सिर्फ दुष्टता और दुःखों से मुक्त करेगा बल्कि उसे एक परादीस बना देगा जहाँ सच्चे दिलवाले लोग सुख से सर्वदा जीएँगे। (भजन ३७:१०, ११, २९, ३४) सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने अब अपने पुत्र, यीशु को परमेश्वर के राज्य का स्वर्गीय राजा बना दिया है और जल्द ही यीशु धार्मिकता का नया संसार लाएगा और हमारी पृथ्वी पर फिर से परादीस जैसी परिस्थितियाँ लाएगा।—दानिय्येल २:४४; मत्ती ६:९, १०.
हम आशा करते हैं कि अब आप इस प्रश्न का उत्तर ज़्यादा आसानी से दे सकते हैं कि क्या परमेश्वर सचमुच अस्तित्त्व में है? और सच्चे परमेश्वर की पहचान कर सकते हैं।
[पेज 9 पर तसवीर]
यीशु मसीह ने यहोवा की पहचान एकमात्र सच्चे परमेश्वर के रूप में करायी