बाइबल का दृष्टिकोण
क्या परमेश्वर का नाम ज़ुबान पर लाना गलत है?
सदियों से यहूदी धर्म की एक परंपरा में यह सिखाया गया है कि परमेश्वर का नाम यहोवा इतना पवित्र है कि इसे ज़ुबान पर नहीं लाया जा सकता।a (भजन ८३:१८) अनेक धर्मशास्त्रियों ने दलील दी है कि अपने महान सृष्टिकर्ता को नाम से पुकारकर उसके साथ अपनापन दिखाने का मतलब है कि हम उसका अनादर करते हैं। इसका मतलब यह भी लगाया जाता है कि हम परमेश्वर की दस आज्ञाओं में से तीसरी आज्ञा को तोड़ते हैं, जहाँ ‘परमेश्वर का नाम व्यर्थ में लेने’ से मना किया गया है। (निर्गमन २०:७) सा.यु. तीसरी सदी में मिशनाह ने बताया कि “जो कोई परमेश्वर के नाम को अपनी ज़ुबान पर लाता है,” उसका “आनेवाली दुनिया में कोई भाग नहीं होगा।”—सैनहॆड्रिन १०:१.
दिलचस्पी की बात है कि मसीहीजगत के कई विद्वान बाइबल का अनुवाद करते वक्त इसी यहूदी परंपरा पर चलते हैं। मसलन, द न्यू ऑक्सफर्ड एनोटेटॆड बाइबल (अंग्रेज़ी) अपनी प्रस्तावना में यों कहती है: “एकमात्र परमेश्वर के लिए नाम का इस्तेमाल यहूदी धर्म में पहली सदी से पहले बंद हुआ, क्योंकि वे लोग मानते थे कि दूसरे ईश्वर हैं ही नहीं, और इसीलिए उनसे परमेश्वर को अलग दिखाने के लिए किसी नाम की ज़रूरत नहीं थी। इसी वज़ह से परमेश्वर के नाम के इस्तेमाल को ईसाई विश्वास में भी गलत समझा जाता है।” इसीलिए, उस अनुवाद में परमेश्वर के नाम के बदले “प्रभु” इस्तेमाल किया गया।
परमेश्वर का दृष्टिकोण क्या है?
मगर क्या परमेश्वर भी इन अनुवादकों और धर्मशास्त्रियों की तरह ही सोचता है? नहीं, क्योंकि खुद परमेश्वर ने इंसानों से अपना नाम छुपाने की कोशिश नहीं की; इसके बजाय, उसने तो उन्हें अपना नाम प्रकट किया है। बाइबल का जो भाग इब्रानी भाषा में लिखा था, जिसे आम तौर पर पुराना नियम कहा जाता है, उसमें परमेश्वर का नाम, यहोवा ६,८०० से भी ज़्यादा बार लिखा हुआ है। बाइबल का रिकार्ड दिखाता है कि पहले मनुष्य, आदम व हव्वा उन लोगों में से थे जो परमेश्वर का नाम जानते थे और उसे इस्तेमाल भी करते थे। अपने पहले बेटे को जन्म देने पर हव्वा ने कहा: “मैं ने यहोवा की सहायता से एक पुरुष पाया है।”—उत्पत्ति ४:१.
कई सदियों बाद परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वह इस्राएल की जाति को मिस्र की गुलामी से छुड़ाने में अगुवाई करे। तब मूसा ने परमेश्वर से पूछा: “जब मैं इस्राएलियों के पास जाकर उन से यह कहूं, कि तुम्हारे पितरों के परमेश्वर ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है, तब यदि वे मुझ से पूछें, कि उसका क्या नाम है? तब मैं उनको क्या बताऊं?” मूसा ने शायद सोचा होगा कि क्या परमेश्वर अब किसी नए नाम से खुद को प्रकट करेगा। तब परमेश्वर ने मूसा से कहा: “तू इस्राएलियों से यह कहना, कि तुम्हारे पितरों का परमेश्वर, अर्थात् इब्राहीम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर, और याक़ूब का परमेश्वर, यहोवा, उसी ने मुझ को तुम्हारे पास भेजा है। देख, सदा तक मेरा नाम यही रहेगा, और पीढ़ी पीढ़ी में मेरा स्मरण इसी से हुआ करेगा।” (निर्गमन ३:१३, १५) सच्चे परमेश्वर ने जो कहा उससे साफ ज़ाहिर होता है कि उसने ऐसा नहीं सोचा कि उसका नाम इतना पवित्र है कि उसके लोग इसे ज़ुबान पर भी नहीं ला सकते।
दरअसल, हर पीढ़ी में परमेश्वर के वफादार सेवकों ने बेझिझक और आदर के साथ परमेश्वर के नाम को अपने ज़ुबान पर लाया है। परमेश्वर का एक वफादार सेवक, बोअज़ हमेशा इन शब्दों से अपने खेत में काम करनेवालों को प्रणाम करता था, “यहोवा तुम्हारे संग रहे।” ये शब्द सुनकर क्या काम करनेवालों को धक्का लगा? बिलकुल भी नहीं। बाइबल आगे कहती है: “वे उसे से बोले, यहोवा तुझे आशीष दे।” (रूत २:४) बोअज़ के इन शब्दों को परमेश्वर का अपमान समझने के बजाय, उन्होंने इसे अपने हर दिन के कार्यों के दौरान परमेश्वर की महिमा करने व उसे सम्मान देने का एक तरीका समझा। इसी तरह, यीशु ने अपने शिष्यों को प्रार्थना करना सिखाया: “हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए।”—मत्ती ६:९.
तीसरी आज्ञा
लेकिन दस आज्ञाओं की तीसरी आज्ञा में दी गयी मनाही के बारे में क्या? निर्गमन २०:७ ज़ोर देकर कहता है: “तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना; क्योंकि जो यहोवा का नाम व्यर्थ ले वह उसको निर्दोष न ठहराएगा।”
असल में परमेश्वर का नाम ‘व्यर्थ में लेने’ का अर्थ क्या है? ज्यूइश पब्लिकेशन सोसाइटी द्वारा प्रकाशित द जेपीएस तोराह कमेंट्री (अंग्रेज़ी) समझाती है कि जिस इब्रानी शब्द को ऊपर ‘व्यर्थ में’ लेना (ला-शाव) अनुवादित किया गया है, उसका अर्थ “झूठे तरीके से” या “बेकार में, फज़ूल में” हो सकता है। वही पुस्तक आगे कहती है: इस इब्रानी शब्द का “मतलब हो सकता है कि किसी मुकदमे में विरोधी पक्षों द्वारा शपथ लेकर भी झूठ बोलने, झूठी शपथ खाने, और परमेश्वर का नाम बेवज़ह लेने या इसे तुच्छ जानने से मनाही।”
यह ज्यूइश कमेंट्री इस बात को सही-सही तरीके से बताती है कि ‘परमेश्वर का नाम व्यर्थ में लेने’ का एक मतलब है इस नाम को अनुचित तरीके से इस्तेमाल करना। लेकिन परमेश्वर के बारे में दूसरों को सिखाते वक्त उसका नाम लेने या फिर प्रार्थना करते वक्त अपने स्वर्गीय पिता का नाम लेने को क्या ‘बेवज़ह लेना या इसे तुच्छ जानना’ कह सकते हैं? यहोवा भजन ९१:१४ के शब्दों में अपने विचार व्यक्त करता है: “उस ने जो मुझ से स्नेह किया है, इसलिये मैं उसको छुड़ाऊंगा; मैं उसको ऊंचे स्थान पर रखूंगा, क्योंकि उस ने मेरे नाम को जान लिया है।”
क्या नाम लेने, न लेने से कोई फर्क पड़ता है?
इवरॆट्ट फॉक्स द्वारा आधुनिक-अंग्रेज़ी में अनुवादित पुस्तक मूसा की पाँच पुस्तकें (अंग्रेज़ी) लीक से हटकर है। इस अनुवाद में परमेश्वर के नाम के लिए आम तौर पर लिखे जानेवाले “प्रभु” के बजाय “YHWH” दिया गया है। “इब्रानी भाषा में पढ़नेवाले व्यक्ति को कैसा महसूस होता होगा, उसे दिखाने की इच्छा से” ऐसा किया गया है। फॉक्स ज़ोर देकर कहता है: “पढ़नेवाले व्यक्ति को यह फौरन पता चल जाएगा कि इस पुस्तक में बाइबल के परमेश्वर के अपने नाम के लिए ‘YHWH’ दिया गया है।” वह स्वीकार करता है कि व्यक्ति को पढ़ते वक्त परमेश्वर का नाम देखकर “धक्का” लग सकता है। उसने अनुवाद करते वक्त परमेश्वर के नाम को नहीं छुपाया जो एक सराहनीय काम था। लेकिन वह कहता है: “मैं यह सलाह दूँगा कि ज़ोर से पढ़ते वक्त आप आम तौर पर कहा जानेवाला ‘प्रभु’ ही कहिए, लेकिन दूसरे लोग अपने-अपने रिवाज़ों के अनुसार जो कहते हैं शायद वही कहना चाहें।” लेकिन, क्या यह बस व्यक्ति की पंसद-नापंसद, परंपरा या अपने रिवाज़ के अनुसार चलने की ही बात है?
जी नहीं। बाइबल सही तरीके से परमेश्वर के नाम का इस्तेमाल करने के लिए न केवल प्रेरित करती है बल्कि ऐसा करने की आज्ञा भी देती है! यशायाह १२:४क (NHT) में यह साफ-साफ शब्दों में बताया गया है कि परमेश्वर के लोग यह कह रहे हैं: “यहोवा का धन्यवाद करो, उसके नाम से प्रार्थना करो।” (तिरछे टाइप हमारे।) इसके अलावा, भजनहार उन लोगों के बारे में बात करता है जिन्हें परमेश्वर ने नाश करने के लिए ठहराया है: “अपना प्रकोप उन जातियों पर उंडेल जो तुझे नहीं जानतीं, और उन राज्यों पर भी जो तेरा नाम नहीं लेते।” (तिरछे टाइप हमारे।)—भजन ७९:६, NHT. नीतिवचन १८:१० और सपन्याह ३:९ भी देखिए।
सो हालाँकि कुछ लोग तीसरी आज्ञा से हुई गलतफहमी की वज़ह से यहोवा के गौरवशाली नाम को ज़ुबान पर लाने से कतराते हैं, पर वे लोग जो परमेश्वर से सचमुच प्रेम करते हैं उसका नाम लेते रहते हैं। जी हाँ, हर उपयुक्त मौके पर वे ‘सब जातियों में उसके बड़े कामों का प्रचार करते हैं, और कहते हैं कि उसका नाम महान है’!—यशायाह १२:४ख।
[फुटनोट]
a बाइबल का जो भाग इब्रानी भाषा में लिखा गया है (यानी पुराना नियम), उसमें परमेश्वर का नाम चार अक्षरों में लिखा गया है, जिनको अंग्रेज़ी में YHWH लिखा जा सकता है। जबकि परमेश्वर के नाम का सही उच्चारण मालूम नहीं है, अंग्रेज़ी में इसे आम तौर पर “जॆहोवा” कहा जाता है।
[पेज 26 पर तसवीर]
डॆड सी स्क्रोल्स में भजन की पुस्तक का एक भाग। इस स्क्रोल में सिर्फ परमेश्वर का नाम यहोवा (YHWH) बहुत ही पुरानी और अलग इब्रानी लिपि में लिखा है
[चित्र का श्रेय]
Courtesy of the Shrine of the Book, Israel Museum, Jerusalem