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    परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!
सजग होइए!–1999
g99 7/8 पेज 14-20

जानलेवा तूफान से बचाव!

पिछले साल तूफान-मिच ने जो तबाही मचायी वह दुनिया भर में सुर्खियों में आयी। लेकिन, इस जानलेवा तूफान के पीड़ितों को राहत पहुँचाने के लिए यहोवा के साक्षियों ने जो साहसी काम किये उन पर शायद ही किसी का ध्यान गया। निम्नलिखित रिपोर्ट नाटकीय रूप से दिखाती है कि कैसे बदतर-से-बदतर परिस्थितियों में भी सच्ची मसीहियत और भाईचारे की जीत हो सकती है।

अक्‍तूबर २२, १९९८ में, दक्षिण-पश्‍चिमी कैरिबीयन सागर में एक जानलेवा तूफान उठा। तेज़ समुद्री हवाएँ चलीं और २४ घंटे के अंदर भारी तूफान आ गया। उस तूफान का नाम रखा गया—मिच—जिसे याद करके लंबे अरसे तक लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएँगे और दिल बैठ जाएगा। मिच-तूफान प्रचंड रूप अपनाकर उत्तर की ओर बढ़ा। अक्‍तूबर २६ तक, वह ५वीं श्रेणी का तूफान बन गया था जिसमें २९० किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएँ चल रही थीं और बीच-बीच में ३२० किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी ज़्यादा तेज़ हवाओं के झोंके आ रहे थे।

शुरू में, ऐसा लगा कि मिच-तूफान जमाइका और केमैन द्वीपों को अपनी चपेट में लेगा। लेकिन वह पश्‍चिम की ओर मुड़ गया और केंद्रीय अमरीका के तट पर स्थित बलीज़ की ओर बढ़ा। वहाँ हमला बोलने के बजाय, मिच-तूफान हॉन्ड्युरास के उत्तरी तट के पास संकट के बादल की तरह मंडराता रहा। और फिर, एकाएक मिच-तूफान चल पड़ा। अक्‍तूबर ३० को मिच ने हॉन्ड्युरास पर धावा बोला और एक लंबे क्षेत्र में जान-माल का नुकसान किया।

मिच-तूफान ने हॉन्ड्युरास पर हमला किया

ज़ोरदार बारिश ने मिच-तूफान के आने का संदेशा दे दिया। टगूसिगॉलपा नगर में रहनेवाले एक पूर्ण-समय सुसमाचारक, बीकटॉर आबिलार ने कहा: “शनिवार, अक्‍तूबर ३१ को रात के करीब एक बजे हमें तेज़ गड़गड़ाहट सुनायी दी। पासवाला छोटा-सा सोता अब उफनती नदी में बदल गया था! उसकी तेज़ धारा दो घरों को बहा ले गयी। उन घरों के अंदर फँसे लोग चिल्लाते रह गये।” नगर के दूसरे हिस्से में ३२ लोग भू-स्खलन में मारे गये। उनमें ८ लोग ऐसे थे जो साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन कर रहे थे। लेकिन, कोई बपतिस्मा-प्राप्त साक्षी नहीं मरा।

हॉन्ड्युरास के अधिकारियों ने इस संकट से निपटने के लिए तुरंत कमर कसी और पीड़ितों के लिए शिविर बनाये। साथ ही, कई देशों से एक अंतर्राष्ट्रीय राहत दल मदद करने के लिए आगे आया। इसी तरह, यहोवा के साक्षियों ने भी बाइबल के इन शब्दों को याद करते हुए राहत काम शुरू किया: “हम सब के साथ भलाई करें; विशेष करके विश्‍वासी भाइयों के साथ।” (गलतियों ६:१०) सो आपातकालीन राहत कमेटियाँ बनायी गयीं। यह देखते हुए कि तटवर्ती नगरों में स्थिति बहुत खराब है, साक्षियों ने एक बचाव अभियान शुरू किया।

ऎडगारडो आकोस्टा नाम का एक साक्षी याद करता है: “शनिवार, अक्‍तूबर ३१ को हमने एक नाव ली और बाढ़-ग्रस्त इलाके में गये। हालाँकि हम दो भाइयों को वहाँ से बचाकर निकाल लाये,a लेकिन हमें एहसास हुआ कि सभी भाइयों को वहाँ से निकालने के लिए हमें एक बड़ी नाव की ज़रूरत है। सो एक बड़ी नाव लेकर हम रविवार को सुबह-सुबह फिर से निकल पड़े। धीरे-धीरे हम कलीसिया के सभी सदस्यों को और उनके कुछ पड़ोसियों को भी—कुल १८९ लोगों को—वहाँ से निकाल लाये।”

ख्वान आल्बाराडो ने ला हुन्टा के पास बचाव काम में मदद दी। उसे याद है: “हमें लोगों की पुकार सुनायी दे रही थी, ‘बचाओ! हमें बचाओ!’ यह मेरी ज़िंदगी का सबसे बुरा अनुभव था। भाई लोग चारों ओर से फँसे हुए थे। कुछ लोग छतों के ऊपर खड़े थे।” वहाँ से बचकर निकली मारीया बोनीया बताती है: “हमारे चारों ओर इतना पानी था मानो हम बीच समुन्दर में हों। हम सब रो रहे थे।” लेकिन बचाव काम सफल रहा। बचकर निकला ऊमबर्टो आल्बाराडो कहता है: “भाइयों ने न सिर्फ हमारी जान बचायी बल्कि हमें ठहरने की जगह, खाना और कपड़े भी दिये।” ऊमबर्टो आगे बताता है: “बचाकर निकाले गये एक आदमी ने हमसे कहा कि उसे बचाने के लिए उसके गिरजे का कोई नहीं आया—आये तो सिर्फ यहोवा के साक्षी। अब उसे विश्‍वास हो गया है कि यहोवा के साक्षियों का धर्म ही सच्चा है!”

ला लीमा नगर में कुछ साक्षी एक घर में फँस गये थे। उनके चारों ओर पानी चढ़ रहा था सो उन्होंने अंदर से छत तोड़ी और छत पर लगी छड़ों के ऊपर चढ़ गये। गाबी नाम की एक साक्षी बताती है: “हमारे पास जितना खाना था उससे कुछ दिन काम चल गया। जब वह खत्म हो गया तो एक भाई अपनी जान हथेली पर रखकर नारियल तोड़ने के लिए बाहर निकल गया। अपनी व्याकुलता कम करने के लिए हम राज्य गीत गाने लगे।” युआन नाम का एक सहायक सेवक याद करता है: “हमें नहीं लग रहा था कि हम बचेंगे। सो हमने बाइबल पत्रिका प्रहरीदुर्ग का अध्ययन करने का फैसला किया। हम सब यह सोचकर रोने लगे कि बस अब आखिरी बार हम एकसाथ अध्ययन कर रहे हैं। अध्ययन ने हमें धीरज धरने की शक्‍ति दी।” उन्होंने आठ दिन तक संघर्ष किया और फिर अधिकारियों ने उन्हें बचा लिया।

लोग सही-सलामत तो बच गये, लेकिन बहुतों को कड़वी सच्चाइयों का सामना करना पड़ा। लिलियन नाम की साक्षी कहती है: “कपड़े, फर्नीचर और घरवालों की तसवीरें बरबाद हो जाएँ तो बहुत दुःख होता है। जब मैंने देखा कि मेरे घर में मिट्टी और कचरा भरा पड़ा है और साँप घूम रहे हैं, तो मुझसे बरदाश्‍त न हुआ!” लेकिन एक बार फिर, मसीही भाईचारा अनमोल साबित हुआ। “भाई लोग मदद करने के लिए आये,” लिलियन बताती है। “मेरे पति साक्षी नहीं हैं। उन्होंने पूछा, ‘हम इनके इतने एहसानों का बदला कैसे चुकाएँगे?’ एक बहन ने मुझसे यह कहते हुए जवाब दिया, ‘मुझे शुक्रिया न कहें। मैं तो आपकी बहन हूँ!’ ”

ऎल सैल्वाडॉर पर मिच-तूफान का प्रकोप

जैसे-जैसे मिच-तूफान पश्‍चिम में ऎल सैल्वाडॉर की ओर बढ़ा, वह थोड़ा शांत पड़ गया। लेकिन अभी-भी उसमें जानलेवा शक्‍ति थी। उस समय, ऎल सैल्वाडॉर में यहोवा के साक्षी “ईश्‍वरीय जीवन का मार्ग” ज़िला अधिवेशन की तैयारियों में जुटे हुए थे। ४०,००० से ज़्यादा जनों के आने की उम्मीद की जा रही थी। जब मिच-तूफान निकट आने लगा तो उस अधिवेशन में सभी भाइयों के उपस्थित होने के आसार कम दिखने लगे। नदियाँ उफनकर बह रही थीं, फसलें, रास्ते और घर बरबाद हो गये थे। वन-कटाई से मिट्टी ढीली पड़ गयी थी सो अब पहाड़ियों पर बड़े भू-स्खलन हो रहे थे।

नॆलसॉन फ्लोरस, चीलाँगॆरा नगर में यहोवा के साक्षियों की कलीसिया का प्रिसाइडिंग ओवरसियर था। अक्‍तूबर ३१, शनिवार सुबह को जब वह जागा तो देखा कि नदी के पार जहाँ चीलाँगॆरा नगर हुआ करता था, वहाँ कुछ नहीं है! पाँच सौ घर बह गये थे! यह सोचकर कि उसके आध्यात्मिक भाइयों की जान खतरे में है, अपनी परवाह न करते हुए नॆलसॉन उफनती नदी में कूद पड़ा। “जब मैं दूसरी ओर पहुँचा,” नॆलसॉन याद करता है, “तो मैंने खड़े होकर अपने होश सँभालने की कोशिश की। मैं इस इलाके में घर-घर प्रचार करता हुआ, यहाँ से हर दिन गुज़रता था, लेकिन आज मुझे यहाँ एक भी ऐसी चीज़ नहीं दिख रही थी जिसे मैं पहचान पाता!”

उस रात चीलाँगॆरा में करीब १५० लोग मारे गये। उनमें ऐसे कई लोग थे जो यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन कर रहे थे। लेकिन कोई बपतिस्मा-प्राप्त साक्षी नहीं मरा।

जल्द ही बचाव काम शुरू हो गया। आरीसटॆडस ऎस्ट्राडा ने इन अभियानों का संचालन किया। वह बताता है: “हमें चीलाँगॆरा में जाने की अनुमति नहीं दी गयी। पानी अभी-भी चढ़ रहा था! मैं उन लोगों का दृश्‍य कभी नहीं भूलूँगा जो मदद के लिए चिल्ला रहे थे लेकिन बचाव कर्मियों ने उन्हें छोड़ दिया क्योंकि उन्हें खुद अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा।” लेकिन, धीरे-धीरे सभी भाइयों को सही-सलामत निकाल लिया गया। राज्यगृहों ने राहत केंद्रों का काम किया। साथ ही, साक्षियों को अस्पतालों, स्कूलों और दूसरी जगहों पर तैनात किया गया जहाँ वे घायल और बेघर लोगों की सूचियों को देखकर साक्षियों के नाम ढूँढ़ सकते थे। स्थानीय कलीसियाओं ने फटाफट ज़रूरी सामान का प्रबन्ध किया।

लेकिन जहाँ सामान इकट्ठा किया जा रहा था वहाँ तक पहुँचना हमेशा आसान नहीं था। कॉरिन्टो नगर के भाई दान देने के लिए अपने खेतों की उपज लेकर निकल पड़े, लेकिन आगे जाकर देखा कि भू-स्खलन के कारण रास्ता बंद है। उन्होंने क्या किया? उन्होंने मिट्टी हटाकर रास्ता साफ किया! शुरू में, आस-पास खड़े लोग संदेह की दृष्टि से देख रहे थे। लेकिन बाद में उन्होंने भी रास्ता साफ करने में हाथ बँटाया। कॉरिन्टो के भाई अपनी मंज़िल तक पहुँचे तो वे मिट्टी से लथपथ थे लेकिन उन्हें खुशी थी कि वे अपनी ओर से दान ला सके।

वॉच टावर सोसाइटी के शाखा दफ्तर में भी सामान इकट्ठा किया जा रहा था। वहाँ हीलबर्टो नाम के एक कर्मचारी ने राहत सामान पहुँचाने में मदद की। वह याद करता है: “विश्‍वास ही नहीं होता! इतनी सारी गाड़ियाँ आयीं कि स्वयंसेवकों को तैनात करना पड़ा कि गाड़ियों को पार्किंग की जगह पर और शाखा के सामनेवाली सड़क पर खड़ी करने में सहायता दें।” करीब २५ टन कपड़े और १० टन भोजन दान किया गया। कपड़ों को छाँट-छाँटकर भेजने में १५ स्वयंसेवकों को पूरा एक हफ्ता लग गया।

मिच निकाराग्वा के पास से गुज़रा

मिच-तूफान निकाराग्वा की सीमा के इतने करीब से गुज़रा कि वहाँ भी तूफानी बारिश ने बहुत नुकसान किया। हज़ारों घर बरबाद हो गये और मुख्य रास्ते पूरी तरह खराब हो गये। पॉसॉल्टॆगा नगर के पास हुए भू-स्खलन में पूरे-के-पूरे गाँव दब गये—और उनमें २,००० से ज़्यादा लोग दफन हो गये।

जब निकाराग्वा के साक्षियों को इस त्रासदी का पता चला तो उन्होंने बड़े पैमाने पर राहत काम की व्यवस्था की। स्वयंसेवकों को बचाव के बहुत कठिन और खतरनाक काम के लिए भेजा गया—कि जाकर अपने भाइयों को ढूँढ़ निकालें! साक्षियों के दो दल, एक लेओन (पॉसॉल्टॆगा के दक्षिण में एक नगर) से और दूसरा चीचीगाल्पा (उत्तर में एक नगर) से, पॉसॉल्टॆगा के लिए रवाना हुए। हर भाई सामान का भारी गट्ठर उठाये हुए था। बचाव कर्मियों ने चिताया कि रास्ता बहुत खराब है वहाँ न जाएँ, लेकिन भाइयों ने ठान ली थी।

सोमवार, नवंबर २ को सुबह-सुबह लेओन के भाइयों ने एक ट्रक पर सामान लादा और एक टूटे पुल तक पहुँचे। वहाँ ट्रक पर से सामान उतारने के बाद, भाइयों ने साइकिल चालकों के दो दल बनाये: एक दल पॉसॉल्टॆगा जाने के लिए और दूसरा बाढ़-ग्रस्त टॆलीका नगर जाने के लिए। रवाना होने से पहले भाइयों ने प्रार्थना की। “प्रार्थना के बाद,” एक भाई कहता है, “हमारे अंदर बहुत शक्‍ति आ गयी।” उन्हें इसकी ज़रूरत थी। उन्हें बड़ी-बड़ी खाइयाँ पार करनी थीं, कई बार मिट्टी पर से फिसलते हुए और कई बार अपनी साइकिलें कंधों पर रखकर। जगह-जगह पर टूटकर गिरे पेड़ों ने उनका रास्ता रोका। और उन्हें पानी पर तैरती लाशों का भयानक दृश्‍य देखना पड़ा।

हैरानी की बात है कि लेओन और चीचीगाल्पा से साइकिलों पर चले भाई लगभग एक ही समय पॉसॉल्टॆगा पहुँचे! उस बचाव दल का एक सदस्य, नॆरयो लोपॆस याद करता है: “मेरी साइकिल के टायर घिसे हुए थे। मैंने सोचा कि ये एक-दो किलोमीटर से ज़्यादा नहीं चलेंगे।” लेकिन, साइकिल ने मुझे मंज़िल तक पहुँचा ही दिया। लौटते समय दोनों टायर फट गये। जैसे भी आए, राहत काम के लिए हमारे भाई ही सबसे पहले पहुँचे। उन्हें कितनी खुशी हुई जब उनकी मुलाकात वहीं के मसीही भाई-बहनों के एक समूह से हुई! “मैं यहोवा की और अपने भाइयों की कितनी शुक्रगुज़ार हूँ कि उन्होंने हमें सहारा दिया और हमारी मदद की,” एक बहन ने कहा। “हमने तो सोचा भी नहीं था कि हमारे भाई हमारी मदद करने के लिए इतनी जल्दी पहुँच जाएँगे।”

इसके बाद भी बाढ़-ग्रस्त नगरों में कई दल साइकिलों से गये और कई जगहों पर हमारे भाई ही राहत काम के लिए सबसे पहले पहुँचे। लारेनागा नगर ने १६ भाइयों को साइकिलों पर आते देखा! उनकी मेहनत देखकर स्थानीय भाइयों की आँखों में आँसू छलक आये। कोई-कोई भाई साइकिल पर २० किलो से ज़्यादा सामान लादकर लाये। दो भाई १०० किलो से ज़्यादा सामान लेकर ऎल ग्वायाबो नगर पहुँचे! एक भाई अपनी साइकिल पर भरसक सामान लादकर निकला और चलते-चलते उसे यशायाह ४०:२९ में लिखे बाइबल के वचन पर मनन करने से हिम्मत मिली: “[यहोवा] थके हुए को बल देता है और शक्‍तिहीन को बहुत सामर्थ देता है।”

टोनाला नगर के साक्षियों ने एक दूत के हाथों ज़िम्मेदार भाइयों के पास यह खबर भेजी कि उनके पास बहुत थोड़ा भोजन बचा है। जब वह दूत वहाँ पहुँचा तो यह सुनकर दंग रह गया कि राहत सामान भेज दिया गया है! और जब वह घर लौटा तो देखा कि उसके घर में भोजन पहुँच चुका है। मारलन चावारीआ ने चीनानडॆगा के आस-पास के बाढ़-ग्रस्त इलाके में राहत सामान पहुँचाया। वह याद करता है: “एक नगर में, साक्षियों के ४४ परिवार थे। लेकिन, ८० परिवारों को फायदा हुआ क्योंकि भाइयों ने अपना भोजन दूसरों के साथ बाँटकर खाया।”

राहत के इन कामों पर अधिकारियों का ध्यान गया। सो वामब्लान नगर के महापौर ने साक्षियों को एक पत्र लिखा और कहा: “हम यह जानने के लिए आपको लिख रहे हैं कि क्या हमें कुछ मदद मिल सकती है। . . . हम देख रहे हैं कि यहाँ वामब्लान में आप अपने भाई-बहनों की बहुत मदद कर रहे हैं और हम जानना चाहते हैं कि क्या आप हमारे लिए भी कुछ कर सकते हैं।” यहोवा के साक्षियों ने भोजन, दवाएँ और कपड़े भेजकर उनकी मदद की।

ग्वाटामाला में बरबादी

हॉन्ड्युरास और ऎल सैल्वाडॉर से निकलते ही मिच-तूफान ने ग्वाटामाला पर हमला बोला। सारा आगूस्टीन एक साक्षी है और ग्वाटामाला नगर के दक्षिण में रहती है। उफनते पानी की आवाज़ से उसकी नींद खुली। वह जिस तंग-घाटी में रहती थी वह गरजती नदी में बदल गयी थी। अपने पड़ोसियों को बाइबल की सच्चाई बताने के लिए अकसर वह उनके दरवाज़े खटखटाया करती थी। आज वह उन्हें जगाने के लिए बेताबी से उनके दरवाज़े खटखटा रही थी! फिर भू-स्खलन हुआ और पहाड़ी पर से मिट्टी तेज़ी से लुढ़कती हुई आयी और उसके कई पड़ोसियों के घर दब गये। सारा ने एक फावड़ा उठाया और लोगों की मदद करने लगी। उसने सात छोटे बच्चों को मिट्टी में से निकाला। सारा पेशे से दाई है और इनमें से एक बच्चे का जन्म उसी ने करवाया था। लेकिन दुःख की बात है कि मरनेवालों में विल्मा नाम की एक किशोरी भी थी जिसे हाल ही में सारा ने बाइबल साहित्य दिया था।

हालाँकि मिच-तूफान अब काफी धीमा पड़ गया था, फिर भी लगातार बारिश होने के कारण फसलों, पुलों और घरों को काफी नुकसान हुआ। ग्वाटामाला में यहोवा के साक्षियों के शाखा दफ्तर को बड़ी मात्रा में राहत सामान भेजा गया और यह तय किया गया कि इसमें से कुछ सामान हॉन्ड्युरास के भाइयों की मदद करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। क्योंकि बहुत से पुल टूट गये थे और हवाई अड्डे पर बाढ़ आयी हुई थी, इसलिए सामान को पानी के रास्ते भेजना पड़ा। शाखा दफ्तर का फ्रेद ब्रून बताता है: “हमने २७-फुट-लंबी फाइबर-ग्लास की नाव किराये पर ली और उसमें एक टन के करीब दवाएँ और भोजन लेकर निकल पड़े। अशांत समुद्र में बहुत ही डरावने सफर के बाद हम पूरी तरह भीगे हुए जैसे-तैसे ओमोआ बंदरगाह पहुँचे।”

मिच—उसके बाद की कहानी

ऐसा लग रहा था कि दक्षिण-पूर्वी मॆक्सिको के पास मिच-तूफान मरने पर है। लेकिन जीने की आखिरी कोशिश में साँस भरते हुए मिच उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ा और दक्षिणी फ्लॉरिडा, अमरीका में जा टकराया। लेकिन अब तक मिच कमज़ोर पड़ चुका था। सो वह अटलांटिक की ओर मुड़ गया और जल्द ही उसने दम तोड़ दिया। नवंबर ५ तक यह घोषणा कर दी गयी कि तूफान का खतरा खत्म हो गया है।

कुछ विशेषज्ञों ने मिच-तूफान को “पिछली दो सदियों में पश्‍चिमी गोलार्ध का सबसे जानलेवा तूफान” कहा है! मरनेवालों की कुल संख्या ११,००० तक हो सकती है; हज़ारों लोग अभी तक लापता हैं। तीस लाख से ज़्यादा लोग बेघर हो गये हैं या उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा है। हॉन्ड्युरास के राष्ट्रपति, कार्लोस फ्लोरेस फाकूसे ने दुःख के साथ कहा: “हमारा वह सब कुछ बरबाद हो गया जो हमने धीरे-धीरे करके ५० सालों में बनाया था।”

मिच-तूफान में अनेक यहोवा के साक्षियों के घर बरबाद हो गये। दुःख की बात है कि कई किस्सों में ऐसा हुआ है कि जिस ज़मीन पर उनके घर खड़े थे वह ज़मीन ही नदारद हो गयी है! इसके बावजूद, यहोवा के साक्षियों ने बहुतों को अपने घर की मरम्मत करने या उसे फिर से खड़ा करने में मदद दी।

मिच-तूफान के जैसी दुःखद विपदाएँ यह मनहूस याद दिलाती हैं कि हम “कठिन समय” में जी रहे हैं। (२ तीमुथियुस ३:१-५) ऐसी विपदाओं से पक्की सुरक्षा सिर्फ तब मिलेगी जब परमेश्‍वर का राज्य इस ग्रह की बागडोर सँभालेगा। (मत्ती ६:९, १०; प्रकाशितवाक्य २१:३, ४) तो भी, यहोवा के साक्षी आभार मानते हैं कि सीधे मिच-तूफान के कारण उनके किसी भाई की जान नहीं गयी।b इलाका खाली करने के अधिकारियों के आदेश का पालन करने और स्थानीय कलीसियाओं के अच्छे प्रबंध के कारण बहुत लोग सुरक्षित बच निकले।

पिछले कुछ महीनों में, प्रभावित देशों में यहोवा के साक्षियों ने मेहनत करके अपने आध्यात्मिक नित्यक्रम को फिर से सामान्य करने की कोशिश की है। उदाहरण के लिए, ऎल सैल्वाडॉर में मिच-तूफान आने के कुछ ही दिनों बाद ज़िला अधिवेशन होनेवाला था। सो तूफान पीड़ितों के लिए प्रबंध किया गया कि उसमें उपस्थित हो सकें। उनके आने-जाने के लिए बसें किराये पर ली गयीं और ठहरने का प्रबंध किया गया। बीमारों के लिए दवाओं का इंतज़ाम किया गया ताकि वे भी उपस्थित हो सकें! अधिवेशन सफल रहा और शिखर उपस्थिति थी ४६,८५५—इतने ज़्यादा लोग उपस्थित होंगे यह तो शुरू में किसी ने सोचा भी नहीं था। “उस अनुभव से हमें सदमा पहुँचा था,” ऎल सैल्वाडॉर का एक भाई होसे रिवॆरा कहता है। मिच-तूफान में उसका घर और कारोबार दोनों बरबाद हो गये। “लेकिन सम्मेलन के बाद हम एकदम बदलकर लौटे क्योंकि हमने देखा कि भाइयों ने हमारी कितनी पहुनाई की।” रिपोर्ट किया जा रहा है कि इन देशों में यहोवा के साक्षियों की सभाओं में उपस्थिति बहुत बढ़ गयी है—यह इसी कारण हुआ है कि बाहरवालों ने खुद देखा कि हमने कितना राहत काम किया।

लेकिन शायद उस अनुभव का सबसे ज़्यादा असर खुद साक्षियों पर हुआ है। हॉन्ड्युरास में आयी बाढ़ से बचकर निकला कार्लोस कहता है: “ऐसा अनुभव मुझे पहली बार हुआ है। मैंने अपने भाइयों के प्रेम और स्नेह को खुद महसूस किया है।” जी हाँ, मिच-तूफान ने जो नुकसान किया है वह एक दिन भुला दिया जाएगा। लेकिन यहोवा के साक्षियों ने जो प्रेम दिखाया है और उनमें से कितनों ने जान हथेली पर लेकर जिस तरह अपने भाइयों की मदद की है, उसे कभी नहीं भुलाया जाएगा।

[फुटनोट]

a यहोवा के साक्षी आम तौर पर एक दूसरे को “भाई” और “बहन” कहकर बुलाते हैं।

b तूफान के बाद बहुत लोगों को संक्रामक रोग हो गये। इसी कारण निकाराग्वा में एक साक्षी की मौत हो गयी।

[पेज 19 पर बक्स/तसवीर]

पड़ोस के साक्षियों ने मदद की

जब मौसम बतानेवालों ने कहा कि बलीज़ में मिच-तूफान आनेवाला है तो वह देश उसका सामना करने के लिए तैयार हो गया। सरकार ने सभी तटीय और निचले क्षेत्रों को खाली करने का आदेश दिया। इसलिए यहोवा के साक्षी करीब ८० किलोमीटर भीतर की ओर राजधानी बॆलमोपैन चले गये या ऊँचे क्षेत्रों के नगरों में चले गये।

खुशी की बात है कि बलीज़ पर मिच-तूफान का प्रकोप नहीं भड़का। लेकिन जब उन्होंने हॉन्ड्युरास, निकाराग्वा और ग्वाटामाला में अपने भाइयों की मुसीबत के बारे में सुना तो बलीज़ के भाइयों ने भोजन, कपड़े, पीने का साफ पानी और पैसे दान किये।

असल में, पड़ोसी देशों के भाइयों ने भी एकदम ऐसी ही प्रतिक्रिया दिखायी। कोस्टा रीका के साक्षियों ने चार बड़े बक्सों में भरकर भोजन, कपड़े और दवाएँ भेजीं। पनामा के भाइयों ने चार केंद्र बनाये जहाँ दान में आयी चीज़ों को इकट्ठा करके छाँटा और पैक किया गया। कुछ ही दिनों के अंदर २०,००० किलो से ज़्यादा राहत सामान इकट्ठा किया जा चुका था। एक गैर-साक्षी ने कहा: “मैं सोचता था कि राहत काम की व्यवस्था करने में सेना के लोग सबसे आगे हैं। लेकिन देख रहा हूँ कि सबसे आगे तो यहोवा के साक्षी हैं।” बाइबल की सच्चाइयाँ बताने के लिए साक्षी अब इस व्यक्‍ति के पास नियमित रूप से जाने लगे हैं।

एक भाई का गाड़ियों का कारोबार है। उसने निकाराग्वा तक राहत सामान पहुँचाने के लिए एक ट्रक और ड्राइवर (गैर-साक्षी) दिया। सीमा पार करते समय पनामा और कोस्टा रीका के अधिकारियों ने ट्रक पर कस्टम ड्यूटी नहीं लगायी। एक पॆट्रोल पंपवाले ने मुफ्त में ट्रक के दोनों टैंक भर दिये—जो आने-जाने के सफर के लिए काफी था! निकाराग्वा में भी कस्टम अधिकारियों ने सामान की जाँच नहीं की। “यदि यह यहोवा के साक्षियों की तरफ से आया है तो हमें इसे जाँचने की ज़रूरत नहीं,” उन्होंने कहा। “हमें उनके साथ कोई दिक्कत नहीं होती।”

ज़मीन के रास्ते हॉन्ड्युरास तक पहुँचना संभव नहीं था। लेकिन एक मसीही बहन हॉन्ड्युरन ऎमबॆसी में काम करती थी और उसने ऎमबॆसी में बात करके राहत सामान को हवाई जहाज़ से भेजने का इंतज़ाम करवा दिया और वह भी मुफ्त में! इस तरह १०,००० किलो से ज़्यादा सामान भेजा गया।

दिलचस्पी की बात है कि साक्षियों के राहत काम को देखकर कुछ गैर-साक्षी बहुत प्रभावित हुए। कुछ कंपनियों ने गत्ते के बक्से, टेप और प्लास्टिक के कंटेनर दान दिये। दूसरों ने पैसों से मदद की और डिस्काउंट दिये। पनामा में हवाई अड्डे के अधिकारी यह देखकर बहुत ही प्रभावित हुए कि साक्षियों के २० से ज़्यादा स्वयंसेवक उस सामान को उतारने में हाथ बँटा रहे थे जो हॉन्ड्युरास भेजा जाना था। अगले दिन, उन्हीं में से कुछ अधिकारी अपनी तरफ से दान इकट्ठा करके लाये।

[पेज 20 पर बक्स]

मॆक्सिको में भी ऐसा ही राहत काम

मिच-तूफान से मॆक्सिको को खास नुकसान नहीं पहुँचा। लेकिन केंद्रीय अमरीका तक इस तूफान के पहुँचने से कुछ ही हफ्ते पहले चीआपस राज्य में बहुत बाढ़ आयी हुई थी। करीब ३५० इलाके प्रभावित हुए; कहीं-कहीं तो पूरे-के-पूरे नगर ही गायब हो गये।

बाढ़ ने वहाँ यहोवा के साक्षियों के लिए भी कई मुश्‍किलें पैदा कीं। लेकिन, स्थानीय कलीसियाओं के प्राचीनों ने फुरती से काम किया और इस कारण कई जगहों पर तूफान का बहुत कम असर पड़ा। उदाहरण के लिए, एक छोटे-से इलाके में प्राचीन लोग कलीसिया के हर सदस्य से मिलने गये और उनसे कहा कि यदि बारिश न रुके तो राज्यगृह में शरण लें। उनके हिसाब से राज्यगृह उस इलाके की सबसे मज़बूत बिल्डिंग थी। सवेरा होते ही दो उफनती नदियों का पानी पूरे ज़ोर से नगर में घुस आया! साक्षी—और उनके कई पड़ोसी—राज्यगृह की छत पर भागे और उस हमले से बच गये। एक भी साक्षी की जान नहीं गयी।

लेकिन मॆक्सिको में करीब १,००० साक्षियों को सरकारी शिविरों में जाना पड़ा। साक्षियों के करीब १५६ घर पूरी तरह बरबाद हो गये और २४ घरों को नुकसान पहुँचा। इसके अलावा, सात राज्यगृह पूरी तरह नष्ट हो गये।

इसलिए, यहोवा के साक्षियों और उनके पड़ोसियों की मदद करने के लिए छः राहत कमेटियाँ बनायी गयीं। जल्द ही भोजन, कपड़े, कंबल और दूसरी चीज़ें बाँटी गयीं। असल में, जब स्थानीय अधिकारियों को बताया गया कि कितने बड़े पैमाने पर राहत काम किया गया है तो उन्होंने कहा: “सेना भी इतनी जल्दी यह काम नहीं कर पायी है।”

लंबे अरसे से यहोवा के साक्षी अपनी ईमानदारी के लिए मशहूर हैं और अकसर इससे उन्हें फायदा होता है। उदाहरण के लिए, जब कुछ लोग स्थानीय अधिकारियों के पास मदद माँगने गये तो उनसे पूछा गया कि क्या उनके इलाके में यहोवा के साक्षी हैं। जब उन्होंने कहा कि हाँ हैं, तो अधिकारियों ने उनसे कहा: “उनमें से एक को हमारे पास भेज दो और हम उसे राहत सामान दे देंगे!”

स्थानीय कलीसिया का एक प्राचीन बहुत अच्छी तरह स्थिति का वर्णन करता है। वह लिखता है: “इस विपत्ति के बावजूद भाइयों ने सकारात्मक मनोवृत्ति बनाये रखी है। अपनी जान को जोखिम में डालकर आस-पास के इलाकों के कई भाई हमारे लिए भोजन लाये और हमें शक्‍ति देने के लिए बाइबल प्रकाशन लाये। यहोवा ने हमारे लिए इतना कुछ किया है कि हम कैसे उसका शुक्रिया अदा करें।”

[पेज 14 पर नक्शा/तसवीर]

मॆक्सिको

ग्वाटामाला

ऎल सैल्वाडॉर

बलीज़

हॉन्ड्युरास

निकाराग्वा

कोस्टा रीका

[पेज 15 पर तसवीर]

हॉन्ड्युरास

◼ ग्वासॆरीकॆ नदी

[पेज 16 पर तसवीर]

ऎल सैल्वाडॉर

◼ चीलाँगॆरा की मुख्य सड़क

◼ राज्यगृह के साथ-साथ, होसे लेमूस और उसकी बेटियाँ बच गये

◼ होसे सान्टॉस ऎरनानडॆस, अपने बरबाद घर के सामने

[पेज 17 पर तसवीर]

निकाराग्वा

◼ टॆलीका में साइकिल से आनेवालों का पहला दल

◼ ऎल ग्वायाबो में साक्षियों ने खुशी से भोजन की थैलियाँ लीं

[पेज 18 पर तसवीर]

निकाराग्वा

◼ स्वयंसेवकों ने अनेक घर फिर से खड़े किये, उनमें से पहला

◼ स्थानीय कलीसियाओं के साक्षियों ने भोजन की थैलियाँ पैक करने में मदद दी

[पेज 18 पर तसवीर]

ग्वाटामाला

◼ सारा ने सात बच्चों को मिट्टी में से बचाकर निकालने में मदद दी

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