युवा लोग पूछते हैं . . .
जब कोई मेरा मज़ाक उड़ाता है तब मैं क्या करूँ?
जिन युवाओं के व्यवहार करने का तरीका या पहनावा उसके साथियों से अलग होता है, उनका बुरी तरह मज़ाक उड़ाया जाता है। ऐसा मसीही युवाओं के साथ भी होता है, जिनका व्यवहार अकसर दूसरे युवजनों से काफी अलग होता है। लेकिन क्या यीशु ने अपने सच्चे चेलों के बारे में ऐसा नहीं कहा था: “यदि उन्हों ने मुझे सताया [है], तो तुम्हें भी सताएंगे”?—यूहन्ना १५:२०.
इससे उन युवाओं पर क्या प्रभाव पड़ता है जो यहोवा के साक्षी हैं? जब साक्षी युवा त्योहारों में दूसरे युवाओं के साथ शरीक नहीं होते, तो उनको बुरा-भला कहा जाता है या फिर जब वे झंड़े को सलामी नहीं देते, तो उनकी निंदा की जाती है। कई साक्षियों को तो इसलिए भी परेशान किया जाता है क्योंकि वे नशीले पदार्थों का सेवन करने से इंकार करते हैं, ईमानदार बने रहते हैं और बाइबल के मुताबिक चलने की वज़ह से कोई बुरा काम नहीं करते हैं।
यह कोई नयी बात नहीं है। ऐसा पहले से ही होता चला आया है। देखा जाए तो प्रेरित पतरस ने पहली सदी के मसीहियों से कहा: “इस से [अन्यजाति के लोग] अचम्भा करते हैं, [क्योंकि] तुम . . . उन का साथ नहीं देते, और इसलिये वे बुरा भला कहते हैं।” (१ पतरस ४:४) दूसरी बाइबलों में इसका अनुवाद यूँ किया गया है, वे “आपको गालियाँ देते हैं,” (नॉक्स) या “वे तुम्हारा अपमान करते हैं।”—NHT.
अपने धर्म के उसूलों के मुताबिक चलने की वज़ह से क्या आपको कभी बुरा-भला कहा गया है? अगर कहा गया है, तो ढाढ़स बाँधिए। आप अकेले नहीं हैं! अपने धर्म के उसूलों पर चलने के लिए और भी कई लोगों को ज़लील किया गया है! माना कि आपके विश्वास को लेकर जब आपकी हँसी उड़ायी जाती है, तो आपको बुरा लगता है। लेकिन, आपको यह जानकर खुशी होगी कि आप इसका सामना करना सीख सकते हैं।
मज़ाक उड़ाने की वज़हें
जब किसी का धर्म या आचरण अपने से अलग होता है तो क्यों कुछ लोग इस बात का मज़ाक उड़ाते हैं? इसकी वज़ह यह है कि मज़ाक उड़ानेवाले लोगों में आत्म-विश्वास की कमी होती है, ठीक उसी तरह जैसे धौंस जमानेवालों में आत्म-विश्वास की कमी होती है। और वे अपने यार-दोस्तों के बीच चमकना चाहते हैं, सो इसके लिए वे शायद आपकी खिल्ली उड़ाए। दरअसल, जब खिल्ली उड़ानेवाले ये युवजन अकेले होते हैं, तो इनमें न तो इतनी दिलचस्पी, ना ही इतनी हिम्मत होती है कि वे खुल्लम-खुल्ला आपकी हँसी उड़ाए या फिर आपकी निंदा करें।
दूसरी तरफ, कुछ लोग इसलिए मज़ाक उड़ाते हैं क्योंकि वे, जैसा पतरस ने कहा, ‘अचंभित’ होते हैं। जी हाँ, जिस तरीके से आप व्यवहार करते हैं, उसे देख वे दरअसल उलझन में पड़ जाते हैं। मिसाल के तौर पर, अगर आप यहोवा के एक साक्षी हैं और इस वज़ह से आप त्योहारों में हिस्सा नहीं लेते, तो यह बात उन्हें असल में अटपटी लगती होगी। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि यहोवा के साक्षियों को बिलकुल पसंद नहीं करनेवाले लोगों ने उन्हें गलत जानकारी दी हो ताकि कोई इन साक्षियों को पसंद न करें।
कारण चाहे जो भी हो, जब आप पर ताने-बाने की बौछार होती है, तो आप बाइबल की इस कहावत को सच पाएँगे: “ऐसे लोग हैं जिनका बिना सोचविचार का बोलना तलवार की नाईं चुभता है।” (नीतिवचन १२:१८) लेकिन जो लोग ऐसे बोलते हैं, क्या वे इसलिए बोलते हैं क्योंकि वे आपसे चिढ़ते हैं? जी नहीं, ऐसी बात नहीं है। बल्कि जैसा बाइबल कहावत कहती है, वे ‘बिना सोचविचार किए बोलते’ हैं।
फिर भी, ताने कसे जाने पर या मज़ाक उड़ाए जाने पर दिल को चोट पहुँच सकती है। यह चोट ऐसी होती है मानो किसी ने तलवार से हमें भेद दिया हो। कभी-कभी शायद आपका मन भी करे कि इन ज़लील करनेवाले ताने-बानों की बौछार बंद करने के लिए आप अपने विश्वास को छोड़ दें। तो फिर, आप क्या कर सकते हैं जब आपको अपने विश्वास के अनुसार चलने के लिए ताने सुनने पड़ते हैं?
अपने विश्वास के विषय में उत्तर देना
प्रेरित पतरस ने मसीहियों को सलाह दी: “जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय [“आदर,” NHT] के साथ।” (१ पतरस ३:१५) अपने विश्वास के विषय में इस तरह उत्तर दे पाने के लिए ज़रूरी है कि आप सही-सही ज्ञान लें और साथ ही अपने विश्वास के कारणों को अच्छी तरह समझें।
लेकिन, सिर्फ ज्ञान लेना और अपने विश्वास के कारणों को समझ लेना ही काफी नहीं है, आपको “आदर” के साथ इन बातों को दूसरों को समझाना भी सीखना होगा। “आदर” को द बाइबल इन बेसिक इंग्लिश यूँ अनुवाद करती है, “बिना अहं के।” चूँकि आपको बाइबल और इसकी शिक्षाओं का ज्ञान है, लेकिन इसकी वज़ह से आपको दूसरों से खुद को बड़ा या श्रेष्ठ नहीं समझना चाहिए। इसके बजाय, आपको वैसी मनोवृत्ति विकसित करने की कोशिश करनी चाहिए जैसी प्रेरित पौलुस की थी। पौलुस ने अपनी सेवकाई के विषय में कहा: “मैं ने अपने आप को सब का दास बना दिया है; कि अधिक लोगों को खींच लाऊं।”—१ कुरिन्थियों ९:१९.
अगर आप अपने विश्वास के विषय में उत्तर देने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं, तो मायूस मत होइए। कई युवा साक्षियों को ऐसा ही महसूस हुआ था। जमाल कहता है: “जब मैं प्राइमरी स्कूल में पढ़ता था, तब मुझे दूसरों को समझाना नहीं आता था कि मैं क्यों त्योहार नहीं मनाता था या झंडे को सलामी नहीं देता था या मैं घर-घर जाकर क्यों प्रचार करता था।” किस बात से उसे मदद मिली? “जब तक मैं इस काबिल नहीं हो गया कि मैं दूसरों को ये सब बातें समझा सकूँ, तब तक मेरे पिता मेरी मदद करते रहे और इससे मुझे बहुत बड़ी मदद मिली।” अपने विश्वास के बारे में दूसरों को समझाने में अगर आपको भी दिक्कत होती हो, तो शायद आप अपने माता या पिता या कलीसिया के किसी अनुभवी भाई या बहन से मदद माँग सकते हैं। वे आपको परमेश्वर के ज्ञान को पूरी तरह से समझने में मदद करेंगे।—इफिसियों ३:१७-१९.
सोलह साल की एक युवा साक्षी ने कहा कि नियमित रूप से पर्सनल बाइबल स्टडी करने की वज़ह से वह स्कूल में बोलने की हिम्मत जुटा पायी। वह कहती है, “मेरे साक्षी होने के कारण पहले जब स्कूल की सहेलियाँ मेरा मज़ाक उड़ाती थीं तो मुझे समझ नहीं आता था कि मैं क्या कहूँ या करूँ। लेकिन अब मैं पूर्ण-समय की सेवकाई करती हूँ जिसकी वज़ह से बाइबल का बहुत अध्ययन करती हूँ। इसलिए मैं अब दूसरों को उत्तर दे पाती हूँ। प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं के हर अंक पढ़ने से भी मुझे अपने विश्वास के विषय में अपने दोस्तों और सहेलियों से बात करने में मदद मिलती है।”
यह बात भी सच है कि हर स्थिति एक जैसी नहीं होती। इसलिए हमें अलग-अलग स्थिति में अलग-अलग तरीके से जवाब देना पड़ेगा। लेकिन, जब कोई ऐसा ताना मार देता है जिससे आपके दिल को ठेस पहुँचती है और आप भड़क उठते हैं, तो याद रखिए कि कभी भी ‘बुराई के बदले बुराई’ करना सही तरीका नहीं है। (रोमियों १२:१७-२१) चाहे आपने ऐसे तानों का चालाकी या बुद्धिमानी से मुँहतोड़ जवाब ही क्यों न दिया हो, लेकिन यह आग में तेल डालने का ही काम करेगा, और अब से शायद वे और ज़्यादा ताना मारने लगेंगे। इसलिए ऐसे तानों को सुनी-अनसुनी कर देना ही कई लोगों को बुद्धिमानी की बात लगी है।
कभी-कभी ऐसा होता है कि सबको हँसाने के इरादे से मज़ाक-मज़ाक में शायद आपकी खिल्ली उड़ायी गयी हो। ऐसे समय में इसका बुरा मानने के बजाय अगर मज़ाक को मज़ाक ही समझकर आप भी सबके साथ हँस दें तो यह बुद्धिमानी की बात होगी। (सभोपदेशक ७:९) जब ताना मारनेवाला देखता है कि उसके ताने का आप पर बिलकुल भी असर नहीं पड़ता तो वह शायद आप पर ताना मारना या मज़ाक उड़ाना बंद कर देगा।—नीतिवचन २४:२९; १ पतरस २:२३ से तुलना कीजिए।
हिम्मत करके बोलना
कभी-कभी ऐसे मौके भी मिलते हैं जब थोड़े शब्दों में और सूझ-बूझ से अपने विश्वास के बारे में समझाना मुमकिन होता है। तेरह साल की एक लड़की ने यही तरीका आज़माया और इसका नतीजा बहुत ही शानदार निकला। वह कहती है, “मैं अपनी क्लास की ओर जा रही थी कि तभी कई सहेलियों ने यहोवा के साक्षियों का मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया। मैं चुप नहीं रह सकी और मैं बोल पड़ी। लेकिन वे मुझ पर हँसी-मज़ाक करती हुईं बस आगे बढ़ गयीं। पर उनमें से एक लड़की वहीं रुक गयी।” यह साक्षी आगे कहती है: “जेमी नाम की इस लड़की ने मुझसे कहा कि उसके पास आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैंa पुस्तक है। उसने कहा कि उसने यह पुस्तक लगभग पूरी-की-पूरी पढ़ डाली है और वह हमारे विश्वास के बारे में और जानना चाहती है। तब मैंने जेमी के साथ बाइबल स्टडी चालू की।” इस अनुभव से उसका हौसला बुलंद हो गया और वह दूसरे युवजनों से भी बाइबल के बारे में बात करने लगी। वह कहती है, “मैं चार संगी विद्यार्थियों के पास लगातार जाती हूँ। इन्होंने रुचि दिखायी है और मुझे यकीन है कि वे जल्द ही स्टडी भी करने लगेंगे।”
कुछ साल पहले एक अफ्रीकी देश लाइबीरिया में एक विद्यार्थी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। सोशियलॉजी की क्लास में एक बार उसने बड़ी इज़्ज़त से समझाया कि वह यहोवा का एक साक्षी है और इसलिए वह क्रमविकास के बजाय सृष्टि में विश्वास करता है। शुरू-शुरू में तो उसके कई सहपाठी उसकी बात सुनने को राज़ी नहीं हुए और उसकी बुरी तरह निंदा करने लगे। लेकिन टीचर ने उसे टोका नहीं और उसे अपने विश्वास के बारे में क्लास को समझाने दिया। इसके बाद खुद टीचर ने एक पुस्तक यह जीवन—यहाँ कैसे आया? क्रमविकास से या सृष्टि से?b ली।
पुस्तक पढ़ लेने के बाद, टीचर ने उस क्लास के विद्यार्थियों से कहा: “यह किताब लाजवाब है। सृष्टि के बारे में यह उन अच्छी-से-अच्छी विज्ञान की किताबों में से एक है जो मैंने अब तक पढ़ी हैं।” इसके बाद टीचर ने कहा कि वह पूरे साल क्लास की पाठ्यपुस्तक के साथ-साथ इस सृष्टि नामक पुस्तक से भी पढ़ाएगा। उसने सभी विद्यार्थियों से कहा कि वे साक्षी विद्यार्थी से एक-एक पुस्तक मँगवा लें। क्लास में दर्जनों पुस्तकें दी गयीं और यहोवा के साक्षियों के बारे में कई विद्यार्थियों का नज़रिया बदल गया!
परखा गया विश्वास मज़बूत होता है
माना कि कभी-कभी आप शायद यह देखकर दुःखी हो जाएँ कि क्यों इतने सारे लोग आपकी सुनते नहीं हैं और बाइबल पर आपके विश्वास और धर्म को समझते नहीं हैं। आप शायद यह देखकर भी निराश हो जाएँ कि बहुत ही कम लोग यहोवा के साक्षी हैं। (भजन ३:१, २ से तुलना कीजिए।) सो, ऐसी निराशा से निपटने के लिए, अगर आप किसी साक्षी से ही दोस्ती करेंगे, तो यह बुद्धिमानी की बात होगी। (नीतिवचन २७:१७) लेकिन, अगर आपके स्कूल में या आपके अड़ोस-पड़ोस में कोई भी युवा साक्षी नहीं है, तब आप क्या करेंगे?
अगर ऐसी बात है तो याद रखिए कि आपका सबसे महान और पक्का दोस्त यहोवा परमेश्वर है, और वह आपकी मदद कर सकता है। क्योंकि वह खुद भी तो हज़ारों साल से शैतान के ताने सहता आया है। इसलिए, हम यकीन रख सकते हैं कि जब हम अपने विश्वास के लिए डटे रहते हैं तो इससे यहोवा को कितनी खुशी होती होगी। अगर आप अपने विश्वास के लिए डटे रहते हैं, तो इससे यहोवा को एक मौका मिलता है कि वह ‘अपने निन्दा करनेवाले [शैतान] को उत्तर दे सके।’—नीतिवचन २७:११.
इस बात की उम्मीद तो की जा सकती है कि समय-समय पर आपके विश्वास की परीक्षा होगी। (२ तीमुथियुस ३:१२) लेकिन, प्रेरित पतरस ने हमें भरोसा दिलाया कि परखे जाने पर हमारा विश्वास “आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं अधिक बहुमूल्य” हो जाता है। (१ पतरस १:७) इसलिए, अपने विश्वास को लेकर जब आपकी निंदा की जाती है, तब इसे अपने विश्वास को मज़बूत करने और अपने धीरज को आज़माने का मौका समझिए। प्रेरित पौलुस ने लिखा कि धीरज धरने से हम ‘खरा निकलते’ हैं। (रोमियों ५:३-५) जी हाँ, यहोवा की नज़रों में खरा निकलने की आपकी प्रबल इच्छा ही आपको अपने विश्वास के लिए बुरा-भला कहे जाने पर उसका सामना करने के लिए मदद करेगी!
[फुटनोट]
a इस पुस्तक को वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ने प्रकाशित किया है।
b इस पुस्तक को वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ने प्रकाशित किया है।
[पेज 22 पर तसवीर]
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