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  • क्या आप हमेशा ज़िंदा रह सकते हैं?

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  • क्या आप हमेशा ज़िंदा रह सकते हैं?
  • सजग होइए!–1999
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सजग होइए!–1999
g99 9/8 पेज 11-13

क्या आप हमेशा ज़िंदा रह सकते हैं?

कोशिका जीव-विज्ञान का प्रोफॆसर डॉ. जेम्स आर. स्मिथ कहता है, “इंसान के शरीर के अंदर कुछ ऐसा होता रहता है जो तय करता है कि वह ज़्यादा-से-ज़्यादा ११५ से १२० साल तक ज़िंदा रह सके।” इंसान के लिए ज़िंदा रहने की “एक हद है मगर, हम यह नहीं जानते कि वह क्या है जो इस हद को तय करता है।” जीव-विज्ञानी डॉ. रॉजर गॉस्डन कहता है कि इसलिए इसमें हैरानी की कोई बात नहीं कि “अभी तक वैज्ञानिकों को जीवन-अवधि बढ़ाने का कोई तरीका नहीं मिला और शायद ही कोई ऐसा करने के बारे में सोचता है।” क्या अब इसमें बदलाव होनेवाला है?

“सबसे खास सवाल” पर अटकना

हालाँकि ऐसी थ्योरी की कोई कमी नहीं जिनमें बुढ़ापे का इलाज ढूँढ़ निकालने का दावा किया गया है, लेकिन अधिकतर विशेषज्ञ, अमरीकी जरा-विज्ञान संस्थान के अध्यक्ष, डॉ. जीन डी. कोहन से सहमत हैं कि “बुढ़ापे को दूर करने का दावा करनेवाले सारे इलाज सिर्फ कोरी कल्पना साबित हुए हैं।” क्यों? एक वज़ह विज्ञान लेखिका नैन्सी शूट यू.एस.न्यूज़ एण्ड वर्ल्ड रिपोर्ट में बताती है, “अब तक कोई नहीं जानता कि हम क्यों बूढ़े होते और मरते हैं। और जब हमें पता ही नहीं कि बीमारी की वज़ह क्या है तो उसकी दवा देना, हवा में तीर मारने के बराबर है।” डॉ. गॉस्डन भी कहता है कि बुढ़ापा सचमुच एक रहस्य है: “सभी एक ना एक दिन इसकी गिरफ्त में आते हैं लेकिन यह है क्या? यह बात एक पहेली बनी हुई है।” वह कहता है कि “सबसे खास सवाल ये उठता है कि यह आता ही क्यों है,” और अकसर इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।a

जिस तरह हर काम की एक हद है, जैसे मनुष्य कितनी तेज़ी से दौड़ सकता है, कितना ऊँचा कूद सकता है और कितनी गहरी डुबकी लगा सकता है, उसी तरह लगता है कि कुछ सवालों के जवाब देना भी इंसानों की समझ से परे है। और यह लगता है कि इस ‘सबसे खास सवाल क्यों’ का जवाब देना भी मनुष्य की हद के बाहर है। इसलिए, जवाब पाने का सिर्फ एक तरीका है कि किसी ऐसे स्रोत का सहारा लें जो मानव ज्ञान की हद से कहीं ज़्यादा ऊँचा हो। बुद्धि की सबसे प्राचीन किताब, बाइबल आपको ऐसा ही करने के लिए कहती है। बाइबल सृष्टिकर्ता के बारे में कहती है कि वही “जीवन का सोता है” और हमें यह आश्‍वासन देती है: “यदि तुम उसको खोजो तो वह तुम को मिलेगा।” (भजन ३६:९; २ इतिहास १५:२, NHT) तो फिर परमेश्‍वर का वचन यानी बाइबल इस बारे में क्या बताती है कि मनुष्य क्यों मरता है?

मौत की खास वज़ह

बाइबल बताती है कि जब परमेश्‍वर ने पहले मानव जोड़े को बनाया तो उसने “उनके मनों में अनन्तता का ज्ञान भी उत्पन्‍न किया।” (सभोपदेशक ३:११, NHT) लेकिन, सृष्टिकर्ता ने हमारे सबसे पहले माता-पिता को हमेशा ज़िंदा रहने की सिर्फ इच्छा ही नहीं दी; बल्कि उसने उन्हें इस इच्छा को पूरा करने का मौका भी दिया। उनके शरीर और मन को परिपूर्ण बनाया गया था और उन्हें शांति और खुशहाली के माहौल में रखा ताकि वे जीवन का आनंद ले सकें। सृष्टिकर्ता का मकसद उन्हें हमेशा तक ज़िंदा रखना और पृथ्वी को धीरे-धीरे उनकी परिपूर्ण संतानों से भरना था।—उत्पत्ति १:२८; २:१५.

लेकिन, अनंत जीवन के लिए एक शर्त थी। वह शर्त थी परमेश्‍वर की आज्ञा मानना। यदि आदम परमेश्‍वर की आज्ञा न मानता तो वह ‘अवश्‍य मर जाता।’ (उत्पत्ति २:१६, १७) अफसोस कि पहले जोड़े ने आज्ञा नहीं मानी। (उत्पत्ति ३:१-६) ऐसे करने से वे पापी बन गये क्योंकि “पाप तो व्यवस्था का विरोध है।” (१ यूहन्‍ना ३:४) और नतीजा यह हुआ कि उन्होंने अनंत जीवन की आशा खो दी क्योंकि “पाप की मजदूरी तो मृत्यु है।” (रोमियों ६:२३) इस पहले जोड़े को दंड सुनाते हुए परमेश्‍वर ने कहा: “तू मिट्टी तो है और मिट्टी में फिर मिल जाएगा।”—उत्पत्ति ३:१९.

जब पहले जोड़े ने पाप किया तो दंड के मुताबिक पाप उनके शरीर या जीन्स में बस गया और उनके जीवन की एक हद तय की गयी। इसलिए वे बूढ़े होने लगे और यही बुढ़ापा उन्हें आखिर में मौत के मुँह में धकेल देता है। इसके अलावा, अपने घर यानी अदन के बगीचे से निकाले जाने के बाद, पहले जोड़े ने एक और बात का सामना किया वह थी अदन के बाहर का बाधा-रूपी वातावरण, जिसका उनके जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ा। (उत्पत्ति ३:१६-१९, २३, २४) जीन्स में आये नुक्स और कठोर वातावरण का बुरा प्रभाव पहले जोड़े के साथ-साथ उनकी होनेवाली संतानों पर भी पड़ा।

दंड और प्रतिज्ञा

बच्चे पैदा होने से पहले ही, आदम और हव्वा के जीवन में ये हानिकर बदलाव आ गये थे इसलिए वे सिर्फ वैसे ही बच्चे पैदा कर सकते थे जैसे वे खुद थे—अपरिपूर्ण, पापमय और बूढ़े होनेवाले। क्योंकि बाइबल कहती है: “मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया।” (रोमियों ५:१२. भजन ५१:५ से तुलना कीजिए।) “हम खुद अपनी कोशिका रचना में अपनी मौत का वारंट लिये फिरते हैं,” द बॉडी मशीन—यॉर हॆल्थ इन पर्सपॆक्टिव पुस्तक कहती है।

लेकिन, इसका अर्थ यह भी नहीं है कि हम बुढ़ापे और मौत के बिना हमेशा तक ज़िंदा नहीं रह सकते। पहले तो यह मानना बुद्धिमानी की बात होगी कि इंसानों और तरह-तरह के दूसरे आश्‍यर्यजनक जीवों का बनानेवाला जो बहुत ही बुद्धिमान है, जीन्स के किसी भी नुक्स को दूर करके इंसानों को हमेशा जीवित रहने की शक्‍ति दे सकता है। दूसरी बात कि हमारे सृष्टिकर्ता ने ठीक ऐसा ही करने की प्रतिज्ञा भी की है। पहले जोड़े को मृत्युदंड सुनाने के बाद परमेश्‍वर ने कई बार ज़ाहिर किया कि उसका उद्देश्‍य अब भी यही है कि इंसान पृथ्वी पर हमेशा तक जीवित रहे। जैसे कि वह खुद कहता है: “धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।” (भजन ३७:२९) अगर आप इस प्रतिज्ञा को पूरा होता हुआ देखना चाहते हैं तो आपको क्या करने की ज़रूरत है?

अपने जीवन को कैसे बढ़ाएँ—हमेशा तक

दिलचस्पी की बात है कि ३०० चिकित्सा शोधकर्ताओं का इंटरव्यू लेने के बाद विज्ञान लेखक रॉनल्ड कॉट्यूलक ने कहा: “वैज्ञानिकों को लंबे अरसे से पता है कि आमदनी, रोज़गार और शिक्षा से यह बताया जा सकता है कि लोगों का स्वास्थ्य कैसा होगा और वे कितने समय तक जीएँगे। . . . लेकिन इन तीनों में से शिक्षा का लंबी उम्र होने पर सबसे ज़्यादा असर पड़ता है।” उसने समझाया: “जैसे हमारा भोजन, जानलेवा संक्रामक कीटाणुओं से बचाव करने के लिए हमारे शरीर को ताकत देता है, वैसे ही शिक्षा हमारा बचाव करती है कि हम हानिकर चुनाव न करें।” एक शोधकर्ता ने कहा, “शिक्षा आपको बताती है कि अपनी ज़िंदगी कैसे बिताएँ” और कैसे “आनेवाली बाधाओं को पार” करें। इसलिए, लेखक कॉट्यूलक के शब्दों में कहें तो शिक्षा एक तरह से “ज़्यादा स्वस्थ और लंबे जीवन का रहस्य” है।

शिक्षा, अनंत जीवन पाने के लिए पहला कदम है और वह शिक्षा है बाइबल की शिक्षा। यीशु मसीह ने कहा: “अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्‍वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें।” (यूहन्‍ना १७:३) सृष्टिकर्ता यहोवा परमेश्‍वर ने यीशु मसीह को भेजकर हमारी खातिर छुड़ौती बलिदान का प्रबंध किया। तो हमें दोनों का ही ज्ञान लेना है यानी यहोवा परमेश्‍वर और यीशु मसीह के बारे में ज्ञान। यही ज्ञान एकमात्र ऐसी शिक्षा है जो हमें अनंत जीवन की राह पर ले जाएगा।—मत्ती २०:२८; यूहन्‍ना ३:१६.

यहोवा के साक्षी, लोगों को बाइबल की शिक्षा देते हैं और बाइबल का ज्ञान लेने से आपको भी जीवन की आशा मिल सकती है। मुफ्त में दी जा रही इस शिक्षा कार्यक्रम के बारे में ज़्यादा जानने के लिए उनके किसी राज्यगृह में जाइए या उनसे कहिए कि एक सुविधाजनक समय पर आकर आपसे मिलें। आप देखेंगे कि बाइबल में इसका ठोस प्रमाण है कि वह समय निकट है जब जीवन में बाधाएँ नहीं रहेंगी और जीवन की कोई हद या सीमा नहीं होगी। यह सच है कि हज़ारों सालों से मृत्यु ने राज किया है लेकिन जल्द ही इसे हमेशा के लिए मात दे दी जाएगी। चाहे बूढ़े हों या जवान, यह सभी के लिए कितनी रोमांचक आशा है!

[फुटनोट]

a जरा-विज्ञानियों ने कई अलग-अलग थ्योरियाँ बनायी हैं (एक गिनती के हिसाब से ये ३०० से ज़्यादा हैं!) जो बताती हैं कि बुढ़ापा कैसे आता है। लेकिन, ये थ्योरियाँ यह नहीं बतातीं कि आखिर बुढ़ापा क्यों आता है।

[पेज 13 पर तसवीरें]

हमेशा का जीवन पाने के लिए पहला कदम है बाइबल की शिक्षा लेना

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