नौजवान पूछते हैं
क्या मैं घर छोड़ने के लिए तैयार हूँ?
“कभी-कभी मुझे लगता है लोग मेरे बारे में बुरा सोचते होंगे कि मैं 19 साल की होकर भी अपने माँ-बाप के साथ रहती हूँ। उन्हें लगता है कि जब तक मैं घर नहीं छोडूँगी, मैं अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाऊँगी।”—कविताa
“मैं 20 साल की होनेवाली हूँ और अब तक घर में रह रही हूँ। यह सोचकर मुझे चिढ़ मचती है कि अपनी ही ज़िंदगी के फैसले लेने की मुझे आज़ादी नहीं। मेरे माँ-बाप हमेशा मेरी ख्वाहिशें दबा देते हैं और हमेशा यही कहते हैं कि वे मुझसे बेहतर जानते हैं। मैं उनसे तंग आ चुकी हूँ और घर छोड़ने की सोच रही हूँ।”—गुंजन
इससे पहले कि आप घर छोड़ने के काबिल बनें, आपमें आज़ादी पाने की ख्वाहिश उठ सकती है। ऐसा होना स्वाभाविक है। आखिरकार परमेश्वर का यही तो मकसद था कि बच्चे बड़े हों और एक दिन अपने माँ-बाप को छोड़कर खुद का परिवार शुरू करें। (उत्पत्ति 2:23, 24; मरकुस 10:7, 8) लेकिन आज़ादी पाने की इच्छा उठने का क्या यह मतलब है कि अब आपके घर छोड़ने का वक्त आ गया है? शायद हाँ। पर आप यह कैसे जान सकते हैं कि आप घर छोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं? आइए ऐसे तीन अहम सवालों पर गौर करें, जो आपको खुद से पूछने चाहिए। पहला सवाल है:
मेरे इरादे क्या हैं?
आखिर एक जवान क्यों घर छोड़ना चाहता है इसकी कुछेक वजह आगे दी गयी हैं। आप खास किन वजहों से घर छोड़ना चाहते हैं, उन वजहों के आगे 1, 2, 3, 4 . . . के हिसाब से नंबर लिखिए।
________ घर की परेशानियों से अपना पीछा छुड़ाने के लिए
________ ज़्यादा आज़ादी पाने के लिए
________ दोस्तों के बीच अपना नाम बनाने के लिए
________ एक ऐसे दोस्त की मदद करने के लिए जो अकेला रहता है
________ किसी दूसरी जगह जाकर स्वयंसेवा करने के लिए
________ ज़िंदगी में तजुरबा हासिल करने के लिए
________ मैं अपने माँ-बाप पर अब और बोझ नहीं बनना चाहता
________ कुछ और वजह
ज़रूरी नहीं कि ऊपर बतायी आपकी वजह गलत हों। लेकिन घर छोड़ने के आपके इरादे का इस बात पर गहरा असर पड़ेगा कि आप माँ-बाप की छत्र-छाया छोड़कर खुश रहेंगे या नहीं। उदाहरण के लिए, अगर आप सिर्फ घर की परेशानियों से अपना पिंड छुड़ाने या और भी आज़ादी पाने के लिए घर छोड़ते हैं, तो आगे चलकर आपको बड़ा धक्का लग सकता है!
दीपा को लीजिए जिसने 20 साल की उम्र में कुछ वक्त के लिए घर छोड़ दिया था। उसने इस अनुभव से बहुत कुछ सीखा। वह कहती है, “हम सभी पर किसी-न-किसी तरह की बंदिशें होती हैं। मगर जब आप घर छोड़कर अलग रहते हैं, तो नौकरी या पैसे की कमी की वजह से आप वह सब कुछ नहीं कर पाते जो आप करना चाहते हैं।” चित्रा जो छ: महीने के लिए विदेश में रही, कहती है, “वहाँ रहकर मुझे मज़ा आया लेकिन मेरे पास ज़रा-भी वक्त नहीं बचता था! घर के काम-काज में ही सारा वक्त निकल जाता था जैसे घर साफ-सुथरा रखना, चीज़ों की मरम्मत करना, बगीचे की साफ-सफाई, कपड़े धोना, झाड़ू-पोंछा लगाना वगैरह।”
यह सच है कि अलग रहने से आपको शायद ज़्यादा आज़ादी मिल जाए और दोस्तों के बीच आपका नाम बन जाए, लेकिन आपको कई काम अकेले करने पड़ेंगे। आपको बिल भरने होंगे, खुद खाना पकाना होगा, घर की साफ-सफाई करनी होगी और जब दोस्त और परिवारवाले आपके साथ नहीं होंगे, तो खुद ही अपना मन बहलाना पड़ेगा। इसलिए दूसरों की बातों में आकर जल्दबाज़ी में कोई फैसला मत कीजिए। (नीतिवचन 29:20) भले ही आपके पास घर छोड़ने के वाजिब कारण हों और आपका इरादा भी नेक हो, लेकिन इतना काफी नहीं। आपको अकेले जीने का हुनर सीखना होगा। आइए इससे जुड़े दूसरे सवाल पर गौर करें:
क्या मैं तैयार हूँ?
घर छोड़कर अकेले रहना ऐसा है मानो आप कुछ दिनों के लिए जंगल में सैर करने जा रहे हों। अगर आपको तंबू गाड़ना, आग जलाना, खाना पकाना या नक्शा पढ़ना नहीं आता, तो क्या आप यह खतरा मोल लेंगे? शायद नहीं! कुछ ऐसे जवान हैं जो घर छोड़कर तो चले जाते हैं, मगर उन्हें घर चलाने के ज़रूरी हुनर पूरी तरह पता नहीं होते।
बुद्धिमान राजा सुलैमान ने कहा था, “चतुर मनुष्य समझ बूझकर चलता है।” (नीतिवचन 14:15) यह जानने के लिए कि आप घर से बाहर अकेले कदम रखने के लिए तैयार हैं या नहीं, आगे दिए गए चार मुद्दों पर गौर कीजिए। जो हुनर आपमें पहले से है, उसके आगे (✓) सही का निशान लगाइए और जिस हुनर को बढ़ाने की ज़रूरत है, उसके आगे (✘) गलत का निशान लगाइए।
❍ पैसे का सोच-समझकर इस्तेमाल करना उन्नीस साल की स्नेहा कहती है, “मुझे कभी अपनी जेब से पैसे खर्च नहीं करने पड़े। मुझे यह सोचकर ही डर लगता है कि अगर मैंने घर छोड़ा तो मुझे खुद बजट बनाना होगा और फिर पैसे खर्च करने होंगे।” आप पैसे का सोच-समझकर इस्तेमाल करना कैसे सीख सकते हैं?
बाइबल का एक नीतिवचन कहता है, “बुद्धिमान सुनकर अपनी विद्या बढ़ाए।” (नीतिवचन 1:5) क्यों न आप अपने माँ-बाप से पूछें कि एक व्यक्ति के लिए हर महीने का किराया, राशन-पानी, कार या दूसरे यातायात पर कितना खर्च होता है? अपने माँ-बाप से सीखिए कि बजट कैसे बनाना है और खर्चे कैसे पूरे करने हैं। आपके लिए यह सीखना क्यों ज़रूरी है? बीस साल का मनोज कहता है, “एक बार जब आप घर छोड़ देते हैं, तो बहुत-से ऐसे खर्चे होते हैं जिनके बारे में आपने पहले कभी नहीं सोचा था। अगर आप ध्यान न दें, तो आपकी सारी ज़िंदगी बिल चुकाते-चुकाते ही कट जाएगी।”
क्या आप जानना चाहते हैं कि घर छोड़ने के बाद आप अपने खर्चे पूरे कर पाएँगे या नहीं? अगर आप नौकरी करते हैं, तो कुछ समय के लिए हर महीने अपने खाने, रहने और दूसरे खर्चों के लिए अपने माँ-बाप को पैसा दीजिए। अगर आप अपने खर्चों के लिए पैसा नहीं चुका पाते या पैसे देने से कतराते हैं, तो समझ जाइए कि आप घर छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।—2 थिस्सलुनीकियों 3:10, 12.
❍ घर के काम-काज करना सत्रह साल का बृजेश कहता है कि घर छोड़ने के बारे में उसका सबसे बड़ा डर है कि उसे खुद अपने कपड़े धोने और इस्तिरी करने पड़ेंगे। आप यह कैसे जान सकते हैं कि आप अपनी देखभाल करने के लिए तैयार हैं? बीस साल का ऐरन यह सुझाव देता है, “एक हफ्ते इस तरह रहिए मानो आप अकेले हैं। खुद खाना बनाइए और खाइए। अपने पैसे से साग-सब्ज़ी खरीदिए। अपने कपड़े खुद धोइए और इस्तिरी कीजिए। खुद सारे घर की साफ-सफाई कीजिए। कहीं जाना हो तो किसी पर निर्भर मत रहिए, खुद सफर कीजिए।” इन सुझावों को मानने से आपको दो फायदे होंगे। पहला, आप ज़रूरी हुनर बढ़ा पाएँगे और दूसरा, अपने माँ-बाप के लिए आपकी कदर बढ़ेगी कि वे कितनी मेहनत करते हैं।
❍ दूसरों के साथ निबाह करना क्या आपकी अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ बनती है? अगर नहीं, तो शायद आपको लगे कि घर छोड़कर किसी दोस्त के साथ रहने से आपकी ज़िंदगी ज़्यादा आसान हो जाएगी। आपका सोचना शायद सही हो। लेकिन ज़रा अठारह साल की रूचि पर ध्यान दीजिए। वह कहती है, “मेरी दो सहेलियाँ एक-साथ रहने लगीं। साथ रहने से पहले वे पक्की सहेलियाँ थीं लेकिन बाद में एक-दूसरे की शक्ल देखना भी उन्हें गँवारा नहीं था। एक साफ-सफाई पसंद करती थी, तो दूसरी हमेशा कमरा गंदा रखती थी। एक अध्यात्मिक बातों में दिलचस्पी रखती थी, पर दूसरी को उन बातों में इतनी दिलचस्पी नहीं थी। उनकी आपस में जम ही नहीं पायी!”
अठारह साल की आकांशा घर छोड़ना चाहती है। मगर वह कहती है, “घर पर रहकर आप बहुत-सी बातें सीखते हैं। जैसे दूसरों के साथ कैसे एक अच्छा रिश्ता बनाएँ, समस्याओं से कैसे निपटें और दूसरों के साथ कैसे समझौता करें। मैंने देखा है, जो नौजवान यह सोचकर घर छोड़ देते हैं कि माँ-बाप से उनकी तकरार न हो, वे असल में समस्या को सुलझाने के बजाए उससे दूर भाग रहे होते हैं।”
❍ उपासना से जुड़े कामों का अच्छा शेड्यूल बनाना कुछ लोग अपने माँ-बाप के धार्मिक दस्तूरों से बचने के इरादे से घर छोड़ देते हैं। दूसरे ऐसे हैं जो घर छोड़ने के बाद भी बाइबल पढ़ाई और उपासना का अच्छा शेड्यूल बनाए रखते हैं, लेकिन जल्द ही उनकी ये अच्छी आदतें छूट जाती हैं और उन्हें बुरी आदतें लग जाती हैं। आप अपने विश्वास को “तहस-नहस” होने से कैसे बचा सकते हैं?—1 तीमुथियुस 1:19.
बिना सोचे-समझे अपने माँ-बाप के धार्मिक विश्वासों को मत अपनाइए। यहोवा परमेश्वर हम सभी से चाहता है कि हम अपने विश्वास को परखें और खुद को यकीन दिलाएँ कि हमारा विश्वास सही है। (रोमियों 12:1, 2) इसलिए बाइबल पढ़ाई और उपासना से जुड़े कामों का एक अच्छा शेड्यूल बनाइए और उस पर बने रहिए। उपासना से जुड़े कामों को कैलेंडर पर लिख लीजिए और देखिए कि मम्मी-पापा के कहे बिना क्या आप एक महीने तक उस शेड्यूल पर चल पाते हैं या नहीं।
अब आइए तीसरे और आखिरी सवाल पर गौर करें:
मैं क्या करना चाहता हूँ?
कुछ जवान इसलिए घर छोड़ देते हैं क्योंकि वे मुश्किलों से भागना चाहते हैं या अपने माँ-बाप के अधीन नहीं रहना चाहते। वे सिर्फ यही सोचते हैं कि किसी भी तरह उन्हें घर छोड़ना है और वे आगे की नहीं सोचते। यह ठीक वैसा ही है जैसे एक चालक आगे देखने के बजाय अपनी गाड़ी के शीशे में उन चीज़ों की तरफ देख रहा है, जो पीछे छूटती जा रही हैं। इससे आप क्या सीख सकते हैं? कामयाब होने के लिए सिर्फ घर छोड़ने के बारे में ही सोचना काफी नहीं, बल्कि आपको आगे देखने की भी ज़रूरत है यानी आप आनेवाले कल में क्या करेंगे।
यहोवा के साक्षियों में कुछ जवान अपने ही देश में या दूसरे देश के किसी ऐसे इलाकों में जाकर बस गए हैं, जहाँ ज़्यादा साक्षी नहीं हैं ताकि वे वहाँ परमेश्वर के राज की खुशखबरी सुना सकें। दूसरे कुछ जवानों ने यहोवा के साक्षियों के शाखा दफ्तर या उपासना से जुड़ी इमारतों के निर्माण काम में हाथ बँटाने के लिए घर छोड़ दिया है। कुछ नौजवान घर छोड़कर इसलिए अलग रहते हैं क्योंकि वे शादी करने से पहले ज़िम्मेदारी सँभालने के काबिल बनना चाहते हैं।b
आगे दी जगह में लिखिए कि घर छोड़ने के बाद आप क्या करना चाहेंगे। .....
कभी-कभी हो सकता है कि एक जवान लड़का या लड़की लंबे समय तक घर पर ही रहे, लेकिन फिर भी समझदार न बन पाए, न ही अकेले जीने के ज़रूरी हुनर सीख पाए। ऐसे में जल्दबाज़ी में कोई फैसला मत कीजिए। ध्यान से सोचिए। बाइबल का एक नीतिवचन कहता है, “कामकाजी की कल्पनाओं से केवल लाभ होता है, परन्तु उतावली करनेवाले को केवल घटती होती है।” (नीतिवचन 21:5) इसलिए अपने माता-पिता के साथ सलाह-मशविरा कीजिए और उनकी सुनिए। (नीतिवचन 23:22) घर छोड़ने के बारे में परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए। फैसला करने से पहले इस लेख में दिए बाइबल के सिद्धांतों पर गहराई से सोचिए।
तो फिर असली मुद्दा यह नहीं कि क्या मैं घर छोड़ने के लिए तैयार हूँ, बल्कि यह है कि क्या मैं खुद अपना घर चलाने के लिए तैयार हूँ? अगर आप दूसरे सवाल का जवाब “हाँ” में देते हैं, तो आप घर छोड़कर अलग रहने के लिए तैयार हैं। (g10-E 07)
“नौजवान पूछते हैं” के और भी लेख, वेब साइट www.watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं
[फुटनोट]
a इस लेख में कुछ नाम बदल दिए गए हैं।
b कुछ देशों में यह रिवाज़ है कि एक बच्चा खासकर एक बेटी तब तक अपने माता-पिता के घर पर ही रहती है जब तक उसकी शादी नहीं हो जाती। बाइबल इस सिलसिले में कोई सलाह नहीं देती।
इस बारे में सोचिए
● मुश्किलों के बावजूद घर पर रहने से आपको कैसे फायदा हो सकता है?
● घर पर रहते वक्त आप क्या कर सकते हैं, जिससे आपके परिवार को फायदा हो साथ ही, आप भी घर चलाना सीख सकें?
[पेज १७ पर बक्स/ तसवीरें]
आपके हमउम्र क्या कहते हैं
“मम्मी-पापा के साथ रहते वक्त कोई ज़िम्मेदारी उठाना आसान होता है। साथ ही, आप ज़िम्मेदार इंसान बनना भी सीख सकते हैं। लेकिन अगर वही ज़िम्मेदारी आपको अकेले उठानी पड़े, तो शायद आपके लिए मुश्किल हो।”
“आज़ादी पाने की चाहत रखने में कोई बुराई नहीं। लेकिन अगर आप इस वजह से घर छोड़ना चाहते हैं कि आप माता-पिता की लगायी बंदिशों से आज़ाद हो जाएँगे, तो आप घर छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।”
[तसवीरें]
सेरा
ऐरन
[पेज 19 पर बक्स]
माता-पिता के लिए एक पैगाम
स्नेहा, जिसका इस लेख में ज़िक्र किया गया है, घर छोड़ने से डरती है। क्यों? वह कहती है, “जब मैं अपने पैसों से कुछ खरीदना चाहती हूँ, तो मेरे पापा मुझे खरीदने नहीं देते। वे कहते हैं कि मेरे होते हुए तुम पैसे क्यों खर्च करोगी। इसलिए मुझे यह सोचकर ही डर लगता है कि घर छोड़कर मैं कैसे अपना खर्च उठा पाऊँगी।” बेशक स्नेहा के पिता का इरादा नेक है, पर क्या आपको लगता है कि अपनी बेटी को पैसा खर्च करने से रोककर वह उसे अपने घरबार की ज़िम्मेदारियाँ उठाने के लिए तैयार कर रहे हैं?—नीतिवचन 31:10, 18, 27.
क्या आप बच्चों की कुछ ज़्यादा ही हिफाज़त करते हैं और उन्हें कोई भी ज़िम्मेदारी नहीं देते? क्या वे आगे चलकर अपनी ज़िम्मेदारी खुद उठाने के लिए तैयार हैं? आप यह कैसे जान सकते हैं? आइए इस लेख में दिए चार मुद्दों को माता-पिता के नज़रिए से देखें।
पैसे का सोच-समझकर इस्तेमाल करना। क्या आपके बड़े बच्चे बिजली, पानी या फोन का बिल भरना जानते हैं? क्या उन्हें कर भरना आता है? (रोमियों 13:7) क्या वे ज़िम्मेदाराना तरीके से पैसे का इस्तेमाल करना जानते हैं? (नीतिवचन 22:7) क्या वे आमदनी के हिसाब से अपना बजट बनाते हैं और चादर देखकर ही पाँव फैलाते हैं? (लूका 14:28-30) क्या उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से कुछ खरीदने की खुशी महसूस की है? और क्या उन्होंने उस बेइंतिहा खुशी का अनुभव किया है जो अपना समय और साधन लगाकर दूसरों की मदद करने से मिलती है?—प्रेषितों 20:35.
घर के काम-काज करना। क्या आपकी बेटी और बेटा खाना बनाना जानते हैं? क्या आपने उन्हें कपड़े धोना और इस्तिरी करना सिखाया है? अगर वे गाड़ी चलाते हैं तो क्या वे उसकी अच्छी देखरेख और छोटी-मोटी मरम्मत कर सकते हैं जैसे, क्या उन्हें फ्यूज़ ठीक करना, ऑयल या टायर बदलना आता है?
दूसरों के साथ निबाह करना। जब आपके बड़े बच्चों में कुछ अनबन हो जाती है, तो क्या आप हमेशा बिचवई बनते हैं और शांति कायम करने के लिए अपना फैसला उन पर थोप देते हैं? या क्या आप उन्हें सिखाते हैं कि उनके बीच उठनेवाली समस्याओं को वे आपस में ही कैसे सुलझा सकते हैं? और क्या वे आपको आकर बताते हैं कि उन्होंने फलाँ समस्या कैसे सुलझायी?—मत्ती 5:23-25.
उपासना से जुड़े कामों का अच्छा शेड्यूल बनाना। क्या आप अपने बच्चों पर धर्म की कोई शिक्षा बस थोप देते हैं या उन्हें दलील देकर उस पर यकीन दिलाते हैं? (2 तीमुथियुस 3:14, 15) धर्म या नैतिक मूल्यों से जुड़े उनके सवालों के जवाब देने के बजाय क्या आप उनके “विवेक” यानी सोचने-समझने की काबिलीयत को बढ़ाने और उन्हें ‘सही-गलत में फर्क करने के लिए प्रशिक्षित करते हैं?’ (नीतिवचन 1:4; इब्रानियों 5:14) अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे निजी बाइबल अध्ययन करें तो क्या आप उनके लिए एक अच्छी मिसाल रखते हैं?
इसमें कोई शक नहीं कि ऊपर बताए पहलुओं में अपने बच्चों को तालीम देने में समय और अच्छी-खासी मेहनत लगती है। लेकिन आगे चलकर आपकी मेहनत रंग लाएगी, जब आपका बच्चा आपका दामन छोड़कर अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा।
[पेज 18 पर तसवीर]
घर छोड़कर अलग जाना जंगल में सैर पर जाने की तरह है। सैर पर निकलने से पहले ज़रूरी है कि आप अकेले जीने के हुनर सीख लें