ज़बान के लिए बुद्धि-भरी सलाह
‘काश मैं अपनी बात वापस ले सकता!’ क्या आपने खुद से कभी ऐसा कहा है? जी हाँ, हम सभी को अपनी ज़बान पर काबू रखने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। हम करीब-करीब हर जानवर को अपने काबू में कर सकते हैं, मगर बाइबल कहती है, “जीभ को कोई भी इंसान काबू में नहीं कर सकता।” (याकूब 3:7, 8) तो क्या हमें निराश हो जाना चाहिए? नहीं! आइए कुछ बाइबल सिद्धांतों पर नज़र डालें, जो हमें अपने शरीर के इस छोटे लेकिन ताकतवर अंग पर ज़्यादा काबू रखने में मदद कर सकते हैं।
● “जहां बहुत बातें होती हैं, वहां अपराध भी होता है, परन्तु जो अपने मुंह को बन्द रखता वह बुद्धि से काम करता है।” (नीतिवचन 10:19) ज़्यादा बात करने से कोई-न-कोई बेवकूफी भरी या नुकसान पहुँचानेवाली बात कहने का खतरा बढ़ जाता है। यह सच है, बेलगाम जीभ आग की तरह हो सकती है, जो तेज़ी से नुकसान पहुँचानेवाली गपशप और गलत बातें फैला सकती है। (याकूब 3:5, 6) फिर भी, जब हम ‘अपने मुंह को बन्द रखते’ हैं यानी बोलने से पहले सोचते हैं, तो हम एक तरह से गौर कर रहे होते हैं कि हमारी बातों का दूसरों पर क्या असर होगा। इस तरह, हम सोच-समझकर काम करनेवाले कहलाएँगे और दूसरे हम पर भरोसा और हमारा आदर करेंगे।
● ‘सुनने में फुर्ती कर, बोलने में सब्र कर, और क्रोध करने में धीमा हो।’ (याकूब 1:19) अगर हम सामनेवाले की बातें ध्यान से सुनें, तो वह इसकी कदर करेगा। इस तरह हम दिखा रहे होंगे कि हमें उसमें दिलचस्पी है और उसका आदर करते हैं। लेकिन अगर कोई हमें चुभनेवाली या गुस्सा दिलानेवाली बात कहता है तब हम क्या करेंगे? उस वक्त हमें “क्रोध करने में धीमा” होना चाहिए और ईंट का जवाब पत्थर से नहीं देना चाहिए। हो सकता है वह व्यक्ति किसी वजह से परेशान हो और बाद में आपसे अपने गलत व्यवहार के लिए माफी माँगे? क्या “क्रोध करने में धीमा” होना आपको मुश्किल लगता है? अगर हाँ, तो इस पर काबू पाने के लिए परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए। दिल-से की गयी ऐसी गुज़ारिश परमेश्वर अनसुनी नहीं करेगा।—लूका 11:13.
● “कोमल वचन हड्डी को . . . तोड़ डालता है।” (नीतिवचन 25:15) ज़्यादातर लोगों के मुताबिक कोमलता कमज़ोरी की निशानी है मगर सच्चाई यह है कि कोमलता में ताकत होती है। उदाहरण के लिए, अगर कोई गुस्से में आकर या भेदभाव की वजह से हमारा विरोध करता है, इतना कड़ा मानो वह हड्डी की तरह ठोस हो, ऐसे में कोमल जवाब सुनने से विरोधी शांत हो सकता है। यह सच है कि कभी-कभी कोमलता दिखाना मुश्किल होता है, खास तौर से गहमा-गहमी के माहौल में। इसलिए सोचिए कि अगर आप बाइबल की सलाह पर चलेंगे तो आपको कितने फायदे होंगे और नहीं चलेंगे तो क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं।
सचमुच, बाइबल के सिद्धांतों के पीछे छिपी “बुद्धि स्वर्ग से” है। (याकूब 3:17) अगर हम इस बुद्धि को अपनी जीभ के मामले में लागू करें, तो सही मौके पर कहे गए शब्द “चान्दी की टोकरियों में सोनहले सेब” की तरह गरिमा से भरे, मनभावने और हौसला बढ़ानेवाले होंगे।—नीतिवचन 25:11. (g10-E 11)