बाइबल क्या कहती है?
लोग यीशु के सच्चे चेलों से नफरत क्यों करते हैं?
“लोग तुम्हें क्लेश दिलाने के लिए पकड़वाएँगे और तुम्हें मार डालेंगे और तुम मेरे नाम की वजह से सब राष्ट्रों की नफरत का शिकार बनोगे।”—मत्ती 24:9.
यीशु ने जब ये शब्द कहे, उसके कुछ ही दिन बाद उसे बेरहमी से मार दिया गया। अपनी मौत से पहले की रात उसने अपने वफादार प्रेषितों से कहा: “अगर उन्होंने मुझ पर ज़ुल्म किया है, तो तुम पर भी ज़ुल्म करेंगे।” (यूहन्ना 15:20, 21) लेकिन ऐसा क्यों है कि जो लोग यीशु की बात मानते हैं और उसके जैसा बनने की कोशिश करते हैं, उनसे दूसरे नफरत करते हैं? यीशु ने तो गरीबों को दिलासा देने और कुचले हुओं को आशा देने में जी-जान से मेहनत की थी।
बाइबल खुलासा करती है कि इस नफरत के पीछे क्या वजह हैं। इन वजहों पर गौर करने से हम समझ पाएँगे कि आज यीशु के चेलों को क्यों उसकी तरह विरोध का सामना करना पड़ता है।
कुछ लोग अनजाने में विरोध करते हैं
यीशु ने अपने चेलों से कहा था: “वह घड़ी आ रही है जब हर कोई जो तुम्हें मार डालेगा, यह सोचेगा कि उसने परमेश्वर की पवित्र सेवा की है। मगर वे ये काम इसलिए करेंगे क्योंकि उन्होंने न तो पिता को जाना है, न ही मुझे।” (यूहन्ना 16:2, 3) यह सच है कि यीशु के कई विरोधी उसी परमेश्वर की सेवा करने का दावा करते थे जिसकी सेवा यीशु करता था, लेकिन उनकी आँखों पर झूठे धार्मिक विश्वासों और परंपराओं का परदा पड़ा था। “वे परमेश्वर की सेवा के लिए जोश तो रखते [थे], मगर सही ज्ञान के मुताबिक नहीं।” (रोमियों 10:2) ऐसा ही एक विरोधी था तरसुस शहर का रहनेवाला शाऊल, जो बाद में मसीही प्रेषित पौलुस बना।
शाऊल, फरीसी नाम के एक यहूदी गुट का सदस्य था। इस गुट के लोगों का राजनीति में बड़ा दबदबा था और इनकी पहुँच काफी ऊँची थी। यह गुट मसीहियों का विरोध करता था। शाऊल ने बाद में माना, “मैं परमेश्वर की तौहीन करनेवाला और ज़ुल्म ढानेवाला गुस्ताख था।” उसने यह भी कहा: “मैंने यह सब अविश्वास की दशा में, अनजाने में किया था।” (1 तीमुथियुस 1:12, 13) लेकिन जब एक बार उसने परमेश्वर और उसके बेटे के बारे में सच्चाई सीख ली, तो उसने मसीहियों को सताना छोड़ दिया।
इसी तरह आज भी मसीहियों पर ज़ुल्म ढानेवाले कई लोग अपने अंदर बदलाव लाए हैं। इतना ही नहीं, इनमें से कुछ लोगों को तो खुद ज़ुल्म का शिकार होना पड़ा, ठीक जैसे शाऊल हुआ था। फिर भी वे बुराई का बदला बुराई से नहीं देते, बल्कि यीशु की इस बात को मानते हैं: “अपने दुश्मनों से प्यार करते रहो और जो तुम पर ज़ुल्म कर रहे हैं, उनके लिए प्रार्थना करते रहो।” (मत्ती 5:44) यहोवा के साक्षी इन शब्दों पर चलने की पूरी-पूरी कोशिश करते हैं और यह उम्मीद करते हैं कि कुछ विरोधियों का दिल शाऊल की तरह बदल जाएगा।
कुछ लोग ईर्ष्या की वजह से विरोध करते हैं
यीशु का विरोध करनेवाले कई लोग ईर्ष्या की वजह से ऐसा करते थे। रोमी गवर्नर पुन्तियुस पीलातुस “जानता था कि प्रधान याजकों ने ईर्ष्या की वजह से यीशु को [मार डालने के लिए] उसके हवाले किया है।” (मरकुस 15:9, 10) यहूदी धर्म-गुरु क्यों यीशु मसीह से ईर्ष्या करते थे? एक वजह थी कि जिन आम लोगों को वे तुच्छ समझते थे, वही लोग यीशु को बहुत पसंद करते थे और उसकी तरफ खिंचे चले आते थे। फरीसी यह शिकायत भी करने लगे थे: “सारी दुनिया उसके पीछे हो चली है।” (यूहन्ना 12:19) आगे चलकर जब यीशु के चेलों ने प्रचार किया और लोग यीशु पर विश्वास करने लगे, तो विरोधी एक बार फिर “जलन से भर गए” और मसीही प्रचारकों पर ज़ुल्म ढाने लगे।—प्रेषितों 13:45, 50.
कुछ लोग ऐसे भी थे जो परमेश्वर के सेवकों का अच्छा चालचलन देखकर उनसे चिढ़ते थे। प्रेषित पतरस ने अपने साथी मसीहियों से कहा: “क्योंकि तुमने उनके [यानी दुष्टों के] साथ बदचलनी की कीचड़ में लोटना छोड़ दिया है, इसलिए वे ताज्जुब करते हैं और तुम्हारे बारे में बुरा-भला कहते हैं।” (1 पतरस 4:4) आज भी लोग इसी वजह से सच्चे मसीहियों से नफरत करते हैं। फिर भी मसीही यह कभी नहीं जताते कि वे बहुत धर्मी हैं और दूसरों से बेहतर हैं। ऐसा व्यवहार मसीही शिक्षाओं के खिलाफ है क्योंकि बाइबल बताती है कि सभी इंसान पापी हैं और उन्हें परमेश्वर की दया की ज़रूरत है।—रोमियों 3:23.
“दुनिया के नहीं,” इसलिए नफरत का शिकार
बाइबल कहती है: “तुम दुनिया और दुनिया की चीज़ों से प्यार करनेवाले मत बनो।” (1 यूहन्ना 2:15) यहाँ दुनिया से प्रेषित यूहन्ना का मतलब था, वे लोग जो परमेश्वर से दूर जा चुके हैं और शैतान के इशारों पर चलते हैं। शैतान ही ‘इस दुनिया का ईश्वर’ है।—2 कुरिंथियों 4:4; 1 यूहन्ना 5:19.
दुख की बात है कि कुछ लोग जो दुनिया और इसके बुरे तौर-तरीकों से प्यार करते हैं, वे बाइबल की शिक्षाओं के मुताबिक जीनेवालों का विरोध करते हैं। यीशु ने अपने प्रेषितों से कहा भी था: “अगर तुम दुनिया के होते तो दुनिया जो उसका अपना है उसे पसंद करती। मगर क्योंकि तुम दुनिया के नहीं हो बल्कि मैंने तुम्हें दुनिया से चुन लिया है, इसलिए दुनिया तुमसे नफरत करती है।”—यूहन्ना 15:19.
कितने अफसोस की बात है कि लोग यहोवा के सेवकों से इसलिए नफरत करते हैं, क्योंकि वे उस दुनिया का हिस्सा नहीं बनते जो भ्रष्टाचार, अन्याय और हिंसा से भरी हुई है और जिस पर शैतान की हुकूमत चल रही है! कई नेकदिल लोग इस दुनिया को बेहतर बनाना चाहते हैं, लेकिन वे इसके अदृश्य राजा के बुरे असर को कभी नहीं मिटा पाएँगे। सिर्फ यहोवा परमेश्वर ही शैतान को खत्म कर सकता है और वह ऐसा ज़रूर करेगा। वह शैतान को मानो आग में फेंककर उसका नाश कर देगा!—प्रकाशितवाक्य 20:10, 14.
यह बेहतरीन आशा ‘राज की उस खुशखबरी’ का एक मुख्य भाग है जिसका ऐलान यहोवा के साक्षी पूरी दुनिया में कर रहे हैं। (मत्ती 24:14) जी हाँ, साक्षियों को यकीन है कि सिर्फ परमेश्वर का राज या सरकार जिसका राजा यीशु है, धरती पर हमेशा की शांति और खुशहाली ला सकता है। (मत्ती 6:9, 10) इसलिए भले ही उन्हें लोगों की नफरत का सामना करना पड़े, फिर भी वे इस राज का ऐलान करते रहेंगे। क्योंकि परमेश्वर की मंज़ूरी पाना उनके लिए ज़्यादा मायने रखता है, न कि इंसानों को खुश करना। (g11-E 05)
क्या आपने कभी सोचा है?
● तरसुस के रहनेवाले शाऊल ने क्यों मसीह के चेलों का विरोध किया?—1 तीमुथियुस 1:12, 13.
● यीशु के कुछ दुश्मन किस वजह से उससे नफरत करते थे?—मरकुस 15:9, 10.
● सच्चे मसीही दुनिया के बारे में कैसा नज़रिया रखते हैं?—1 यूहन्ना 2:15.
[पेज 13 पर तसवीर]
सन् 1945, कनाडा का क्यूबेक शहर: परमेश्वर के राज का ऐलान करने की वजह से यहोवा के साक्षियों को गुस्से से पागल भीड़ का सामना करना पड़ा
[चित्र का श्रेय]
Courtesy Canada Wide