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अपनी वक्‍तव्य क्षमता और शिक्षण क्षमता कैसे सुधारें
ht अध्या. 1 पेज 4-11

अध्ययन १

सलाह से उन्‍नति होती है

१, २. हम क्यों सलाह चाहते हैं, और हम इसे किस तरह प्राप्त करते हैं?

सच्चे परमेश्‍वर के उपासकों ने हमेशा अपनी सारी गतिविधियों में मार्गदर्शन के लिए उसकी ओर बेझिझक देखा है। भरोसे के साथ एक बाइबल भजनहार ने लिखा: “तू सम्मति [“सलाह,” NW] देता हुआ, मेरी अगुवाई करेगा।” (भज. ७३:२४) और यिर्मयाह ने हार्दिक प्रार्थना में इन शब्दों का प्रयोग किया: “तेरे लिये कोई काम कठिन नहीं है। . . . हे महान और पराक्रमी परमेश्‍वर, जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है, तू बड़ी युक्‍ति करनेवाला और सामर्थ के काम करनेवाला है।”—यिर्म. ३२:१७-१९.

२ आज यहोवा के मसीही उपासकों को उसकी सलाह उसके लिखित वचन और उसके सच्चे सेवकों के संगठन के ज़रिए मिलती है। सो जो ईश्‍वरशासित सेवकाई स्कूल में नाम लिखवाते हैं, वे जल्द ही यह जान जाते हैं कि जो सलाह वे प्राप्त करते हैं और जिस भावना के साथ वह दी जाती है, वे बाइबल के उत्तम सिद्धांतों द्वारा नियंत्रित हैं।

३-५. समझाइए कि कैसे भाषण सलाह परची और अध्ययन २१ से ३७ में दिए गए विषय एक साथ इस्तेमाल करने के लिए तैयार किए गए हैं।

३ प्रगतिशील सलाह। विद्यार्थियों और स्कूल ओवरसियर, दोनों के लिए मदद के तौर पर, भाषण सलाह परची प्रदान की गई है। यह छत्तीस मुद्दों को सूचीबद्ध करती है जो विद्यार्थियों को प्रभावकारी रीति से सत्य प्रस्तुत करने की अपनी योग्यता को बढ़ाने में मदद देंगी। हर मुद्दे पर संक्षिप्त रूप में सहायक जानकारी इस ब्रोशर के अध्ययन २१ से ३७ में पाई जा सकती है। भाषण सलाह परची पर दी गई संख्या से अमुक अध्ययन सूचित किया जाता है। ये अध्ययन विशेषतः सलाह परची के साथ इस्तेमाल किए जाने के लिए प्रदान किए गए हैं। अधिकांश जगहों पर नज़दीकी सम्बन्ध रखनेवाले दो या तीन गुणों को एक ही अध्ययन में संयुक्‍त किया गया है। यह इस विचार से किया गया है कि उन पर एक साथ कार्य करना अच्छा होगा।

४ जिन्होंने स्कूल में नया-नया नाम लिखवाया है, उनके लिए यह अच्छा होगा कि वे अच्छी तरह तैयारी करें और भाषण सलाह परची में दिए गए मुद्दों को ध्यान में रखें। ईश्‍वरशासित सेवकाई स्कूल में उनके पहले भाषण के लिए, स्कूल ओवरसियर (या यदि नामांकन बहुत ज़्यादा है तो कोई अन्य सलाहकार) मात्र उन मुद्दों की सराहना करेगा जिन्हें विद्यार्थी ने अच्छी तरह किया है। तत्पश्‍चात्‌, सलाहकार प्रगतिशील रूप से उस सलाह मुद्दे पर ध्यान केन्द्रित करेगा जिसमें विद्यार्थी की प्रस्तुति को सुधारने के लिए सबसे ज़्यादा ध्यान की ज़रूरत है, और वह विद्यार्थी को अपने अगले भाषण के सम्बन्ध में विशेषतः उस मुद्दे पर कार्य करने के लिए नियुक्‍त करेगा। सलाहकार हर विद्यार्थी को बताएगा कि कब वह सलाह परची में अगले मुद्दों पर कार्य करने के लिए तैयार है।

५ कुछ विद्यार्थी वक्‍ता शायद तुलनात्मक रूप से जल्दी तरक्क़ी करें, जबकि अन्य विद्यार्थियों को शायद एक बार एक ही मुद्दे पर कार्य करना होगा, इसके बजाय कि वे एक पूरे अध्ययन में दिए गए मुद्दों पर एक साथ कार्य करने की कोशिश करें। वास्तव में, कुछ विद्यार्थियों को भले ही यह सलाह दी जा सकती है कि वे किसी कठिन मुद्दे पर कार्य करते वक़्त कई भाषण दें ताकि वे दूसरे भाषण गुण की ओर जाने से पहले इसमें शामिल भाषण गुण में वास्तव में निपुण हो जाएँ।

६, ७. किन मुद्दों पर स्कूल ओवरसियर सलाह देगा?

६ हर विद्यार्थी भाषण के बाद दी जानेवाली सलाह कृपालु होनी चाहिए। यह विद्यार्थी को अपनी भाषण योग्यता में सुधार करते रहने में मदद देने के उद्देश्‍य से दी जानी चाहिए। लेकिन, उपदेश भाषण या बाइबल विशेषताएँ देनेवाले वक्‍ता को दी जानेवाली कोई भी सलाह स्कूल के बाद निजी तौर पर दी जाती है। मुख्यतः इस वक्‍ता को तब सलाह दी जाएगी यदि वह अपने नियुक्‍त समय से ज़्यादा समय लेता है। उपदेश भाषण के वक्‍ता को हर तरह से एक आदर्श भाषण देने की कोशिश करनी चाहिए और निजी सलाह की शायद ज़रूरत न हो।

७ जिन मुद्दों पर सलाह दी जानी है वे सामान्यतः ऐसे मुद्दे होंगे जिन पर विद्यार्थी को पहले कार्य करने की सलाह दी गई थी। जी हाँ, यदि भाषण का कोई और पहलू विशेषकर अच्छा है तो सलाहकार अपनी सराहना में इसे ज़रूर शामिल कर सकता है परन्तु वह उस मुद्दे को सलाह परची में चिन्हित नहीं करेगा। जिन चिन्हों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए वे इस प्रकार हैं: “क” (इस पर कार्य कीजिए) जब उस अमुक भाषण गुण पर अतिरिक्‍त कार्य करना लाभदायक होगा; “उ” (उन्‍नति हुई) जब एक विद्यार्थी ने पहले ही एक मुद्दे पर कम-से-कम एक बार कार्य किया है और उन्‍नति का प्रमाण देता है परन्तु एक और बार उस पर कार्य करना लाभदायक हो सकता है; “अ” (अच्छा) जब विचार किए जा रहे गुण को इतनी अच्छी तरह से प्रदर्शित किया गया है कि स्कूल में अगली नियुक्‍ति पर वह उचित ही अन्य भाषण गुणों के अध्ययन पर कार्य कर सकता है। जब एक विद्यार्थी की पठन नियुक्‍ति है तब सलाहकार सलाह के उन मुद्दों को प्रस्तुत करेगा जो इस प्रकार की नियुक्‍ति के लिए सबसे बेहतर हैं।

८-१०. सलाह परची को चिन्हित करते वक़्त, स्कूल ओवरसियर के मन में क्या बात होनी चाहिए ताकि वह उन्‍नति को प्रोत्साहित कर सके?

८ स्कूल ओवरसियर को काफ़ी समझदारी का इस्तेमाल करना होगा ताकि दी गई सलाह से सबसे अधिक भलाई निष्पन्‍न हो। यदि वक्‍ता बिलकुल नया है तो सबसे अधिक प्रोत्साहन की ज़रूरत होती है। अन्य विद्यार्थी, जो काफ़ी समय से स्कूल में हैं, शायद अपने भाषणों को तैयार करने में परिश्रमी होंगे, और उन भाषण गुणों पर ध्यान देंगे जिन पर उन्हें कार्य करने के लिए नियुक्‍त किया गया है, लेकिन उनकी योग्यताएँ शायद सीमित होंगी। ऐसे मामलों में, यदि एक भाषण गुण कुछ हद तक भी प्रदर्शित किया जाता है, तो स्कूल ओवरसियर सलाह परची पर “अ” चिन्हित कर सकता है और विद्यार्थी को दूसरे गुण पर कार्य करने की अनुमति दे सकता है जिस पर ध्यान देने की ज़रूरत है।

९ दूसरी ओर, एक अन्य वक्‍ता को शायद ज़्यादा अनुभव या अधिक स्वाभाविक योग्यता होगी, लेकिन संभवतः दूसरे कामों के दबाव के कारण, उसने नियुक्‍त भाषण गुणों का अध्ययन करने के लिए समय नहीं निकाला होगा और परिणामस्वरूप उसने उतना अच्छा नहीं किया होगा जितना कि वह कर सकता था। ऐसे एक अवसर पर यह वास्तव में विद्यार्थी की प्रगति में बाधा डालेगा यदि स्कूल ओवरसियर सलाह परची पर “अ” चिन्हित करता है और उसे और किसी गुण पर कार्य करने को कहता है। यदि भाषण उस तरह का था जिस पर नियुक्‍त गुण प्रदर्शित किया जा सकता था, तो सलाहकार उसे “क” (इस पर कार्य कीजिए) चिन्हित करेगा और विद्यार्थी को तरक्क़ी करने में मदद देने के लिए कृपापूर्वक कुछ व्यक्‍तिगत मदद प्रदान करेगा। इस प्रकार विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे हर भाषण को मात्र एक नियुक्‍ति की पूर्ति ही नहीं, परन्तु वक्‍ताओं के तौर पर अपनी तरक्क़ी का एक चिन्हक बनाएँ।

१० यह याद रखिए कि यह भाषण प्रशिक्षण प्रगतिशील है। रातोंरात एक कुशल वक्‍ता बनने की उम्मीद मत कीजिए। यह एक धीमी प्रक्रिया है, परन्तु एक ऐसी प्रक्रिया जिसे कड़े प्रयास से तेज़ किया जा सकता है। यदि आप भाषण प्रशिक्षण के इस कार्यक्रम में दिए गए सुझावों पर सोचते रहेंगे और अपनी नियुक्‍तियों की तैयारी में ध्यान लगाए रहेंगे, तो आपकी उन्‍नति सब दर्शकों पर जल्द ही प्रकट होगी।—१ तीमु. ४:१५.

११-१६. सलाहकार किन मार्गदर्शनों का पालन करने की कोशिश करता है ताकि वह सलाह देने में प्रोत्साहक हो?

११ सलाहकार। स्कूल ओवरसियर को हर हफ़्ते के अध्ययन विषय का ध्यानपूर्वक अध्ययन करना चाहिए ताकि वह यह निर्धारित कर सके कि नियुक्‍त विषय को अच्छी तरह पूरा किया गया है और वह किसी भी ग़लती को सुधारने की स्थिति में हो। लेकिन, उसे उस हद तक कभी नहीं जाना चाहिए कि वह भाषणों का आनन्द न ले पाए क्योंकि वह जिस रीति से जानकारी प्रस्तुत की जा रही है उसके बारे में अत्यधिक आलोचनात्मक है। उसे भी व्यक्‍त की जा रही उत्तम सच्चाइयों से फ़ायदा प्राप्त करना चाहिए।

१२ सलाह देते वक़्त वह सामान्यतः विद्यार्थी द्वारा किए गए प्रयास के लिए सराहना के शब्दों से शुरू करता है। फिर वह सलाह परची के उन मुद्दों पर टिप्पणी करता है जिन पर वक्‍ता कार्य कर रहा है। यदि किसी मुद्दे पर और ध्यान देने की ज़रूरत हो तो, वक्‍ता की कमज़ोरियों पर नहीं, परन्तु जिस तरह सुधार किया जा सकता है उस पर ज़ोर दिया जाना चाहिए। इस प्रकार सलाह वक्‍ता को और श्रोतागण में अन्य लोगों को प्रोत्साहित करेगी।

१३ एक वक्‍ता को मात्र यह बताना ही पर्याप्त नहीं है कि उसने अच्छा किया है या कि उसे किसी ख़ास भाषण गुण पर फिर से कार्य करने की ज़रूरत है। उपस्थित सभी लोगों के लिए सहायक होगा यदि सलाहकार यह समझाएगा कि यह क्यों अच्छा था या इसमें सुधार की ज़रूरत क्यों है और सुधार कैसे करें। इसके अतिरिक्‍त, उसके लिए यह लाभदायक होगा कि वह उन कारणों को विशिष्ट करे जिनकी वजह से चर्चा किया जा रहा भाषण गुण क्षेत्र सेवकाई में या कलीसिया सभाओं में इतना ज़रूरी है। यह उस मुद्दे के लिए पूरी कलीसिया के मूल्यांकन को प्रेरित करेगा और विद्यार्थी को उस पर ध्यान देते रहने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

१४ विद्यार्थी के भाषण को दोहराना सलाहकार की ज़िम्मेदारी नहीं है। उसे अपनी सलाह देने में संक्षिप्त और प्रासंगिक होना चाहिए और ध्यानपूर्वक हर विद्यार्थी भाषण के लिए सलाह को दो मिनट तक सीमित करना चाहिए। इस प्रकार सलाह और सुझाव बहुत सारे शब्दों के बीच अस्पष्ट नहीं होंगे। साथ ही, यह उपयुक्‍त होगा कि विद्यार्थी को इस ब्रोशर के उन पन्‍नों की ओर निर्दिष्ट करे जहाँ वह चर्चा की गई बात पर अतिरिक्‍त जानकारी प्राप्त कर सकता है।

१५ उच्चारण या व्याकरण की छोटी ग़लतियाँ इतनी बड़ी बात नहीं है जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके बजाय सलाहकार को वक्‍ता की प्रस्तुति के आम प्रभाव के बारे में चिन्तित होना चाहिए। क्या विषय उपयुक्‍त और ज्ञानप्रद है? क्या यह अच्छी तरह संगठित है और समझने में आसान है? क्या भाषण-शैली सद्‌भावपूर्ण, उत्साही और विश्‍वासोत्पादक है? क्या उसके मुख-भाव और हाव-भाव प्रदर्शित करते हैं कि वह जो कह रहा है उस पर वह विश्‍वास करता है और कि वह स्वयं जो प्रभाव डाल रहा है उससे ज़्यादा उन उत्तम सच्चाइयों को श्रोताओं तक पहुँचाने के बारे में चिन्तित है? यदि ये आवश्‍यक बातें पूरी की गई हैं तो कुछ ग़लत उच्चारणों और व्याकरणिक ग़लतियों को श्रोतागण मुश्‍किल से पहचान सकेंगे।

१६ सेवकाई स्कूल में दी गई सलाह हमेशा कृपापूर्ण और सहायक रीति से दी जानी चाहिए। विद्यार्थी की मदद करने की तीव्र इच्छा होनी चाहिए। सलाह जिस व्यक्‍ति को दी जा रही है उसके व्यक्‍तित्त्व पर विचार कीजिए। क्या वह भावुक है? क्या वह कम शिक्षित है? क्या उसकी कमज़ोरियों को क्षमा करने के कारण हैं? सलाह से उस व्यक्‍ति को जिसे सलाह दी जाती है मदद-प्राप्त महसूस होना चाहिए, आलोचित नहीं। यह निश्‍चित कीजिए कि वह दी गई सलाह और उसकी तर्कसंगतता को समझता है।

१७-१९. हर भाषण के साथ सबसे ज़्यादा प्रगति करने के लिए एक विद्यार्थी को हर भाषण तैयार करने से पहले और उसे पेश करने के बाद क्या करना चाहिए?

१७ सलाह से फ़ायदा प्राप्त करना। जब ईश्‍वरशासित सेवकाई स्कूल में एक नियुक्‍ति दी जाती है तो यह ध्यान में रखिए कि आपके भाषण देने का उद्देश्‍य मात्र ज्ञानप्रद जानकारी को कलीसिया के लिए प्रस्तुत करना ही नहीं परन्तु आपकी बोलने की योग्यता को बेहतर करना भी है। इस मुद्दे में सफल होने के लिए, उन भाषण गुणों का विश्‍लेषण करने के वास्ते कुछ समय बिताना महत्त्वपूर्ण है जिन पर आपको कार्य करने के लिए कहा गया है। इस ब्रोशर में उस अध्ययन को ध्यानपूर्वक पढ़िए जो उस मुद्दे के बारे में है जिस पर आप काम कर रहे हैं ताकि आप जान सकें कि उसका आपकी तैयारी पर कैसा असर होना चाहिए, और आपकी प्रस्तुति में इस भाषण गुण को कैसे प्रदर्शित किया जा सकता है। आपकी मदद करने के लिए, हर भाषण गुण के मुख्य मुद्दे इस ब्रोशर में मोटे अक्षरों में दिए गए हैं। ये विचार करने के लिए मुख्य मुद्दे हैं।

१८ भाषण देने के बाद दी गई मौखिक सलाह को ध्यानपूर्वक सुनिए। उसे मूल्यांकन के साथ स्वीकार कीजिए। फिर जिन मुद्दों पर ध्यान की ज़रूरत है उन पर कार्य कीजिए। यदि आप जल्द प्रगति करना चाहते हैं तो अगले भाषण तक मत रुकिए। इस ब्रोशर में उस विषय का अध्ययन कीजिए जो उन मुद्दों की चर्चा करता है जिन पर आपको कार्य करना है। उसके सुझावों को अपने दैनिक वार्तालाप में लागू करने की कोशिश कीजिए। और जब तक आप अपना अगला विद्यार्थी भाषण देंगे तब तक आप उनमें प्रवीण हो चुके होंगे।

१९ हर विद्यार्थी को स्कूल कार्यक्रम में उसके द्वारा दिए गए हर क्रमिक भाषण के साथ-साथ प्रगति करने का लक्ष्य रखना चाहिए। यह सच है कि इसका अर्थ नियमित कोशिश है, लेकिन यह ज़रूर यहोवा की आशीष लाएगा। जो ईश्‍वरशासित सेवकाई स्कूल के प्रशिक्षण से सबसे ज़्यादा फ़ायदा प्राप्त करेंगे, उनके लिए नीतिवचन १९:२० के शब्द ख़ास महत्त्व रखते हैं: “सम्मति [“सलाह,” NW] को सुन ले, और शिक्षा को ग्रहण कर, कि तू अन्तकाल में बुद्धिमान ठहरे।”

[पेज 104, 105 पर चार्ट]

भाषण सलाह

वक्‍ता ...........................................................

(पूरा नाम)

चिन्ह: क - इस पर कार्य कीजिए

उ - उन्‍नति हुई

अ - अच्छा

दिनांक भाषण क्र.

ज्ञानप्रद विषय (२)*

स्पष्ट, समझने योग्य (२)

दिलचस्पी जगानेवाली प्रस्तावना (३)

मूल-विषय के अनुरूप प्रस्तावना (३)

उचित लम्बाई की प्रस्तावना (३)

आवाज़ (४)

ठहराव (४)

श्रोतागण बाइबल प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित (५)

शास्त्रवचनों को उचित रूप से प्रस्तुत करना (५)

शास्त्रवचनों को ज़ोर देकर पढ़ना (६)

शास्त्रवचन का अनुप्रयोग स्पष्ट किया गया (६)

ज़ोर देने के लिए दोहराव (७)

हाव-भाव (७)

मूल-विषय पर ज़ोर दिया गया (८)

मुख्य मुद्दे विशिष्ट किए गए (८)

श्रोतागण सम्पर्क, नोट्‌स का इस्तेमाल (९)

रूपरेखा का इस्तेमाल (९)

टिप्पणियाँ: .................................................

.................................................................

.................................................................

* कोष्ठकों में दी गई हर संख्या अपनी वक्‍तव्य और शिक्षण क्षमता कैसे सुधारें के उस अध्ययन को सूचित करती है जो उस ख़ास भाषण गुण की चर्चा करता है।

S-48 भारत में मुद्रित

दिनांक भाषण क्र.

वाक्पटुता (१०)

वार्तालापी गुण (१०)

उच्चारण (१०)

संयोजकों द्वारा संगतता (११)

तर्कसंगत, सुसंगत विकसन (११)

विश्‍वासोत्पादक तर्क (१२)

श्रोतागण को तर्क करने के लिए मदद दी गई (१२)

भाव बलाघात (१३)

स्वर-परिवर्तन (१३)

उत्साह (१४)

स्नेह-भाव, सरगर्मी (१४)

विषय के लिए उपयुक्‍त दृष्टान्त (१५)

श्रोतागण के लिए उपयुक्‍त दृष्टान्त (१५)

विषय क्षेत्र सेवकाई के लिए अनुकूल किया गया (१६)

उपयुक्‍त, प्रभावकारी समाप्ति (१७)

उचित लम्बाई की समाप्ति (१७)

समय (१७)

आत्मविश्‍वास और ठवन (१८)

व्यक्‍तिगत दिखाव-बनाव (१८)

नोट: हर भाषण के लिए सलाहकार ख़ास सलाह देगा। यह ज़रूरी नहीं कि वह उपरोक्‍त क्रम का पालन करे, परन्तु वह उन क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करेगा जहाँ विद्यार्थी को सुधरने की ज़रूरत है। परची पर ख़ाली खानों का इस्तेमाल उन मुद्दों पर विद्यार्थी को सलाह देने के लिए किया जा सकता है जो सूचीबद्ध नहीं हैं, जैसे कि कथन की यथार्थता, व्यवहार, शब्द चयन, व्याकरण, व्यवहार-वैचित्र्य, प्रासंगिकता, शैक्षिक तरीक़े, और आवाज़ की गुणवत्ता, जब इसकी ज़रूरत होती है। जब विद्यार्थी पहले सलाह मुद्दे पर कार्य कर लेता है तो सलाहकार को अगले ज़रूरी सलाह मुद्दे के बक्स पर गोलाकार निशान लगाना चाहिए। इस मुद्दे के अध्ययन क्रमांक को अगले ईश्‍वरशासित सेवकाई स्कूल नियुक्‍ति परची (S-89) पर लिखा जाना चाहिए।

[पेज 10 पर चार्ट]

भाषण गुणों का सारांश

ज्ञानप्रद विषय (२)

सुस्पष्ट विषय

आपके श्रोतागण के लिए ज्ञानप्रद

व्यावहारिक महत्त्व का विषय

कथन की यथार्थता

अतिरिक्‍त स्पष्ट करनेवाली जानकारी

स्पष्ट, समझने योग्य (२)

सरल रीति से कहा गया

अपरिचित शब्द समझाए गए

बहुत ज़्यादा विषय नहीं

दिलचस्पी जगानेवाली प्रस्तावना (३)

मूल-विषय के अनुरूप प्रस्तावना (३)

उचित लम्बाई की प्रस्तावना (३)

आवाज़ (४)

आराम से सुनाई देने लायक ऊँची

परिस्थितियों के अनुसार आवाज़

विषय के लिए उपयुक्‍त आवाज़

ठहराव (४)

चिन्हांकन के लिए ठहराव

विचार बदलने के लिए ठहराव

ज़ोर देने के लिए ठहराव

ठहरना जब परिस्थितियाँ इसकी माँग करती हैं

श्रोतागण बाइबल प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित (५)

सुझाव से

पाठ खोलने के लिए समय देने से

शास्त्रवचनों को उचित रूप से प्रस्तुत करना (५)

शास्त्रवचनों के लिए उत्सुकता जगायी गयी

पाठ के इस्तेमाल करने के कारण पर ध्यान केंद्रित किया गया

शास्त्रवचनों को ज़ोर देकर पढ़ना (६)

सही शब्दों पर ज़ोर दिया गया

ज़ोर देने का प्रभावकारी तरीक़ा इस्तेमाल किया गया

पाठ जो गृहस्वामी पढ़ता है

शास्त्रवचन का अनुप्रयोग स्पष्ट किया गया (६)

लागू किए जानेवाले शब्दों को अलग किया गया

प्रस्तावना का मुद्दा अच्छी तरह समझाया गया

ज़ोर देने के लिए दोहराव (७)

मुख्य मुद्दों का दोहराव

न समझे गए मुद्दों का दोहराव

हाव-भाव (७)

विवरणात्मक हाव-भाव

बलात्मक हाव-भाव

मूल-विषय पर ज़ोर दिया गया (८)

उपयुक्‍त मूल-विषय

मूल-विषय के शब्द या विचार दोहराए गए

मुख्य मुद्दे विशिष्ट किए गए (८)

बहुत ज़्यादा मुख्य मुद्दे नहीं

मुख्य विचारों को अलग-अलग विकसित किया गया

उप-मुद्दे मुख्य विचारों की ओर ध्यान केन्द्रित करते हैं

श्रोतागण सम्पर्क, नोट्‌स का इस्तेमाल (९)

श्रोतागण के साथ दृष्टि-सम्पर्क

सीधे सम्बोधन द्वारा श्रोतागण सम्पर्क

रूपरेखा का इस्तेमाल (९)

वाक्पटुता (१०)

वार्तालापी गुण (१०)

वार्तालापी अभिव्यक्‍तियाँ इस्तेमाल की गईं

वार्तालापी शैली में प्रस्तुति

उच्चारण (१०)

संयोजकों द्वारा संगतता (११)

परिवर्ती अभिव्यक्‍तियों का इस्तेमाल

आपके श्रोतागण के लिए पर्याप्त संगतता

तर्कसंगत, सुसंगत विकसन (११)

तर्कबद्ध क्रम में विषय

केवल प्रासंगिक विषय इस्तेमाल किया गया

कोई मुख्य विचार छूटा नहीं

विश्‍वासोत्पादक तर्क (१२)

नींव डाली गई

ठोस प्रमाण दिया गया

प्रभावकारी सारांश

श्रोतागण को तर्क करने के लिए मदद दी गई (१२)

समान आधार क़ायम रखा गया

मुद्दे पर्याप्त रूप से विकसित

श्रोतागण के लिए लागू किया गया

भाव बलाघात (१३)

वाक्यों में विचार-संचारक शब्दों पर ज़ोर दिया गया

भाषण के मुख्य विचारों पर ज़ोर दिया गया

स्वर-परिवर्तन (१३)

बल में विविधता

गति में विविधता

सुर में विविधता

विचार या भावना के अनुरूप स्वर-परिवर्तन

उत्साह (१४)

उत्साह सजीव प्रस्तुति द्वारा प्रदर्शित

विषय के लिए उपयुक्‍त उत्साह

स्नेह-भाव, सरगर्मी (१४)

मुखभाव से स्नेह व्यक्‍त

स्नेह-भाव और सरगर्मी स्वर-शैली में व्यक्‍त

विषय के लिए उपयुक्‍त स्नेह-भाव और सरगर्मी

विषय के लिए उपयुक्‍त दृष्टान्त (१५)

सरल

अनुप्रयोग स्पष्ट किया गया

महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर ज़ोर दिया गया

श्रोतागण के लिए उपयुक्‍त दृष्टान्त (१५)

परिचित परिस्थितियों से लिया गया

अच्छा चयन किया गया

विषय क्षेत्र सेवकाई के लिए अनुकूल किया गया (१६)

अभिव्यक्‍तियाँ आम जनता के समझनेयोग्य बनायी गयीं

उपयुक्‍त मुद्दे चुने गए

विषय का व्यावहारिक महत्त्व विशिष्ट किया गया

उपयुक्‍त, प्रभावकारी समाप्ति (१७)

समाप्ति भाषण के मूलविषय के साथ सीधे सम्बन्धित

समाप्ति श्रोताओं को बताती है कि क्या करना है

उचित लम्बाई की समाप्ति (१७)

समय (१७)

आत्मविश्‍वास और ठवन (१८)

शारीरिक हाव-भाव में ठवन प्रकट

नियंत्रित आवाज़ द्वारा ठवन प्रकट

व्यक्‍तिगत दिखाव-बनाव (१८)

उचित पहनावा और सँवरना

उचित मुद्रा

साफ़-सुथरी सामग्री

कोई अनुचित मुखभाव नहीं

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