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बाबुल से आज़ाद

मादियों और फारसियों को बाबुल पर कब्ज़ा किए करीब 2 साल हो गए थे। तब इस्राएलियों को बाबुल से आज़ाद कर दिया गया। देखिए यहाँ वे बाबुल से निकलकर जा रहे हैं। लेकिन वे कैसे आज़ाद हो गए? किसने उन्हें आज़ाद किया?

उन्हें फारस के राजा कुस्रू ने आज़ाद किया। भला क्यों? कुस्रू के पैदा होने से बहुत साल पहले यहोवा ने अपने नबी यशायाह से उसके बारे में यह लिखने के लिए कहा था: ‘तू वही करेगा जो मैं तुझे करने को कहूँगा। तेरे लिए शहर के फाटक खुले रहेंगे, ताकि तू उसमें घुसकर शहर पर कब्ज़ा कर सके।’ यहोवा की बात सोलह आने सच निकली। बाबुल पर कब्ज़ा करने के लिए कुस्रू ही सेना लेकर आया था। उस रात शहर का फाटक भी खुला ही रह गया था, जिससे मादी-फारस की सेनाएँ शहर के अंदर आसानी से घुस गयीं।

यहोवा के नबी यशायाह ने यह भी कहा था कि कुस्रू, यरूशलेम और वहाँ के मंदिर को फिर से बनाने का हुक्म देगा। तो क्या कुस्रू ने ऐसा किया? बिलकुल। उसने इस्राएलियों से कहा: ‘जाओ, अब तुम लोग यरूशलेम लौट जाओ और अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए मंदिर बनाओ।’ इस तसवीर में हम इस्राएलियों को इसी के लिए बाबुल से निकलते हुए देख सकते हैं।

मगर सभी इस्राएली बाबुल से यरूशलेम तक का सफर तय नहीं कर सकते थे। क्यों? क्योंकि वह बहुत, बहुत लंबा सफर था, 800 किलोमीटर का। और कई इस्राएली या तो काफी बूढ़े थे या बीमार। इसलिए वे इतना लंबा सफर नहीं तय कर सकते थे। इसके अलावा, कुछ इस्राएली दूसरी वजह से भी यरूशलेम नहीं गए। जो लोग नहीं जा सकते थे, उनसे कुस्रू ने कहा: ‘जो इस्राएली यरूशलेम और वहाँ का मंदिर बनाने के लिए जा रहे हैं, उन्हें सोना-चाँदी और दूसरे तोहफे दो।’

तब जो इस्राएली यरूशलेम जा रहे थे, उन्हें ढेर सारे तोहफे दिए गए। कुस्रू ने भी उन्हें वे कटोरे और प्याले दिए, जो राजा नबुकदनेस्सर यरूशलेम का नाश करते वक्‍त यहोवा के मंदिर से उठा लाया था। लोगों के पास ले जाने के लिए बहुत सारा सामान हो गया था।

करीब चार महीने का सफर तय करने के बाद, इस्राएली बिलकुल ठीक समय पर यरूशलेम पहुँचे। यरूशलेम का नाश हुए और उसको सुनसान पड़े हुए 70 साल हो चुके थे। भले ही इस्राएली अपने देश वापस आ गए, मगर उन पर बहुत-सी मुश्‍किलें आनेवाली थीं। इस बारे में हम अगली कहानी में देखेंगे।

यशायाह 44:28; 45:1-4; एज्रा 1:1-11.

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