गीत 1
मसीही समर्पण
1. यहोवा ने है बनाया
शानदार जहाँ तमाम
ज़मीन आसमाँ उसके,
सब उसके हाथ के काम।
ये ज़िंदगी हमें दी है,
साबित किया उसने,
क़ाबिल है वही तारीफ़ के,
भक्ति भी वही पाये।
2. सीनै पर इस्राएल क़ौम ने
एक होके यूँ कहा, “क़ा -
नून यहोवा का है जो,
मानेंगे हम सदा।”
मालिक बना वो अब उनका,
लाया समंदर से,
हमेशा वफ़ादार रहके
वो समर्पन ज़ाहिर करते।
3. लिया यीशु ने बपतिस्मा
याह की मर्ज़ी होने,
ख़ुद ही को दे दिया उसने
मक़सद पूरा करने।
पानी से ऊपर जब आया,
बेटा मसीह बनके,
सेवा करता तनमन
से वो याह को समर्पन करके।
4. हाज़िर हैं हम अब यहोवा
करने तेरा गुनगान, ख़ुद
को निछावर करके हम
करेंगे तेरा काम।
तूने इकलौते को भेजा,
जिसने की जाँ क़ुरबान,
तेरे लिये जीएँ या मरें,
अर्पन करते हम प्राण।