भाग ४
परमेश्वर हमें अपने उद्देश्यों के विषय में सूचित करता है
१, २. हम कैसे जानते हैं कि परमेश्वर उनको उत्तर देता है जो निष्कपटता से माँगते हैं?
एक प्रेममय परमेश्वर अवश्य ही अपने उद्देश्यों को उन निष्कपट जनों पर प्रकट करता है जो उसे ढूंढ़ते हैं। वह जिज्ञासु मनुष्यों को ऐसे प्रश्नों के उत्तर देता है जैसे उसने दुःख को अनुमति क्यों दी है।
२ बाइबल कहती है: “यदि तू [परमेश्वर की] खोज में रहे, तो वह तुझ को मिलेगा।” “भेदों का प्रगटकर्त्ता परमेश्वर स्वर्ग में है।” “प्रभु यहोवा अपने दास भविष्यद्वक्ताओं पर अपना मर्म बिना प्रगट किए कुछ भी न करेगा।”—१ इतिहास २८:९; दानिय्येल २:२८; आमोस ३:७.
उत्तर कहाँ हैं?
३. हम कहां से जान सकते हैं कि परमेश्वर दुःख को अनुमति क्यों देता है?
३ परमेश्वर दुःख को अनुमति क्यों देता है और वह इसके विषय में क्या करेगा, ऐसे प्रश्नों के उत्तर उस लिखित प्रमाण में पाए जाते हैं जो हमारे लाभ के लिए उसने प्रेरित किया है। वह लिखित प्रमाण उसका वचन, पवित्र बाइबल है। “हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए।”—२ तीमुथियुस ३:१६, १७.
४, ५. कौन-सी बात बाइबल को एक अद्वितीय पुस्तक बनाती है?
४ बाइबल वास्तव में एक अद्वितीय पुस्तक है। इसमें मानव इतिहास का सबसे यथार्थ लिखित प्रमाण मिलता है और यह मनुष्यों की सृष्टि से भी पहले की जानकारी देती है। यह अद्यावधिक भी है, क्योंकि इसकी भविष्यवाणियाँ हमारे समय की घटनाओं, और निकट भविष्य की घटनाओं से भी सम्बन्धित हैं।
५ ऐतिहासिक यथार्थता के लिए किसी भी अन्य पुस्तक के पास ऐसे प्रत्यय-पत्र नहीं हैं। उदाहरण के लिए, प्राचीन क्लासिकी लेखकों की केवल कुछ ही हस्तलिपियाँ विद्यमान हैं। लेकिन बाइबल की अनेक हस्तलिपियाँ, कुछ अधूरी और कुछ पूरी विद्यमान हैं: इब्रानी शास्त्रों (‘पुराने नियम’ की ३९ पुस्तकों) की क़रीब ६,००० और मसीही यूनानी शास्त्रों (‘नए नियम’ की २७ पुस्तकों) की क़रीब १३,००० हस्तलिपियाँ।
६. हम क्यों विश्वस्त हो सकते हैं कि आज बाइबल मूलतः उसी समान है जैसी तब थी जब परमेश्वर ने इसे प्रेरित किया था?
६ बाइबल को प्रेरित करनेवाले सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने इस बात का ध्यान रखा कि उन हस्तलिपियों में इसकी पाठाखंडता सुरक्षित रहे। इसलिए आज हमारी बाइबल मूल रूप से मौलिक प्रेरित लेखनों के समान हैं। एक और तत्त्व जो इसका मूल्यांकन करने में हमारी सहायता करता है यह है कि मसीही यूनानी शास्त्रों की कुछ प्राप्त हस्तलिपियों का लेखन मौलिक लेखन से सौ साल के दरमियान हुआ था। प्राचीन लौकिक लेखकों की कुछ हस्तलिपियाँ जो अभी विद्यमान हैं, अक़सर मौलिक लेखकों के समय से कई शताब्दियों तक भी नहीं जाती हैं।
परमेश्वर की देन
७. बाइबल का वितरण कितना विस्तृत है?
७ इतिहास में बाइबल सबसे ज़्यादा वितरित पुस्तक है। कुछ तीन अरब प्रतियां छापी जा चुकी हैं। अन्य कोई पुस्तक इस संख्या के क़रीब भी नहीं है। और बाइबल या इसके भाग कुछ २,००० भाषाओं में अनुवाद किए जा चुके हैं। अतः, यह आकलन किया गया है कि हमारे ग्रह की ९८ प्रतिशत जनसंख्या को बाइबल तक पहुंच हो सकती है।
८-१०. इसके कुछ कारण क्या हैं कि बाइबल हमारे जाँच के योग्य है?
८ निश्चित ही जो पुस्तक परमेश्वर की ओर से होने का दावा करती है और जिसमें विश्वसनीयता के सारे बाहरी और आन्तरिक प्रमाण हैं, हमारी जाँच के योग्य है।a यह जीवन का उद्देश्य, संसार की परिस्थितियों का अर्थ, और भविष्य के विषय में समझाती है। अन्य कोई पुस्तक ऐसा नहीं कर सकती।
९ जी हाँ, बाइबल मानव परिवार से परमेश्वर का संचार है। उसने अपनी सक्रिय शक्ति, या आत्मा के द्वारा इसके लेखन का निर्देशन किया, जिसे कुछ ४० मनुष्यों ने लिखा। अतः परमेश्वर हम से अपने वचन, पवित्र बाइबल के द्वारा बोलता है। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “जब हमारे द्वारा परमेश्वर के सुसमाचार का वचन तुम्हारे पास पहुंचा, तो तुम ने उसे मनुष्यों का नहीं, परन्तु परमेश्वर का वचन समझकर (और सचमुच यह ऐसा ही है) ग्रहण किया।”—१ थिस्सलुनीकियों २:१३.
१० अमरीका के १६वें राष्ट्रपति, एब्रहम लिन्कन ने बाइबल को “अब तक दी गई परमेश्वर की सर्वोत्तम देन कहा . . . क्योंकि इसके बिना हम सही-ग़लत में भेद नहीं कर सकते।” तो फिर, यह अत्युत्तम देन हमें दुःख के उद्गम के विषय में क्या बताती है, परमेश्वर ने इसे अनुमति क्यों दी, और वह इसके विषय में क्या करेगा?
[फुटनोट]
a बाइबल की विश्वसनीयता के विषय में ज़्यादा विस्तृत जानकारी के लिए वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा १९८९ में प्रकाशित पुस्तक, द बाइबल—गॉडस् वर्ड ऑर मैन्ज़? (The Bible—God’s Word or Man’s?) देखिए।
[पेज 10 पर तसवीर]
परमेश्वर द्वारा प्रेरित, बाइबल, मानव परिवार से उसका संचार है