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पाठ ३

यीशु मसीह कौन है?

यीशु को परमेश्‍वर का “पहिलौठा” पुत्र क्यों कहा जाता है? (१)

उसे “वचन” क्यों कहा जाता है? (१)

यीशु एक मनुष्य के रूप में पृथ्वी पर क्यों आया? (२-४)

उसने चमत्कार क्यों किए? (५)

यीशु निकट भविष्य में क्या करेगा? (६)

१. यीशु पृथ्वी पर आने से पहले स्वर्ग में एक आत्मिक व्यक्‍ति के तौर पर जीया। वह परमेश्‍वर की पहली सृष्टि था, और इसीलिए उसे परमेश्‍वर का “पहिलौठा” पुत्र कहा जाता है। (कुलुस्सियों १:१५; प्रकाशितवाक्य ३:१४) केवल यीशु वह पुत्र है जिसे परमेश्‍वर ने स्वयं सृष्ट किया। यहोवा ने मानवपूर्व यीशु को अपने “कुशल कारीगर” के रूप में स्वर्ग में और पृथ्वी पर अन्य सभी वस्तुओं को सृष्ट करने के लिए प्रयोग किया। (नीतिवचन ८:२२-३१, NHT; कुलुस्सियों १:१६, १७) परमेश्‍वर ने उसे अपने प्रमुख प्रवक्‍ता के रूप में भी प्रयोग किया। इसीलिए यीशु को “वचन” कहा जाता है।—यूहन्‍ना १:१-३; प्रकाशितवाक्य १९:१३.

२. परमेश्‍वर ने अपने पुत्र के जीवन को मरियम के गर्भ में स्थानांतरित करने के द्वारा उसे पृथ्वी पर भेजा। सो यीशु का कोई मानवीय पिता नहीं था। इसीलिए उसे कोई पाप या अपरिपूर्णता विरासत में नहीं मिली। परमेश्‍वर ने यीशु को पृथ्वी पर तीन कारणों से भेजा: (१) परमेश्‍वर के बारे में हमें सत्य सिखाने के लिए (यूहन्‍ना १८:३७), (२) पूर्ण खराई बनाए रखने के लिए, और इस प्रकार हमारे अनुकरण करने के वास्ते एक आदर्श प्रदान करने के लिए (१ पतरस २:२१), और (३) हमें पाप और मृत्यु से मुक्‍त करने की ख़ातिर अपना जीवन बलिदान करने के लिए। इसकी ज़रूरत क्यों थी?—मत्ती २०:२८.

३. परमेश्‍वर की आज्ञा को न मानने के द्वारा, पहले पुरुष, आदम ने वह किया जिसे बाइबल “पाप” कहती है। इसलिए परमेश्‍वर ने उसे मृत्यु का दण्ड सुनाया। (उत्पत्ति ३:१७-१९) वह अब परमेश्‍वर के स्तरों के मापदण्ड में छोटा पड़ गया, इसलिए वह अब परिपूर्ण नहीं रहा। धीरे-धीरे वह बूढ़ा हुआ और मर गया। आदम ने अपने सभी बच्चों में पाप आगे बढ़ा दिया। इसीलिए हम भी बूढ़े होते, बीमार होते और मरते हैं। मानवजाति को कैसे बचाया जा सकता था?—रोमियों ३:२३; ५:१२.

४. यीशु ठीक आदम की तरह एक परिपूर्ण मानव था। लेकिन, आदम से भिन्‍न यीशु सबसे बड़ी परीक्षा के अधीन भी परमेश्‍वर के प्रति पूर्णतया आज्ञाकारी था। इसलिए वह आदम के पाप की क़ीमत चुकाने के लिए अपने परिपूर्ण मानव जीवन का बलिदान कर सकता था। यही है जिसका उल्लेख बाइबल “छुड़ौती” के तौर पर करती है। इस प्रकार, आदम के बच्चों को मृत्यु की दण्डाज्ञा से मुक्‍त किया जा सकता था। उन सभी को जो यीशु में अपना विश्‍वास रखते हैं, अपने पापों की क्षमा मिल सकती है और वे अनन्त जीवन प्राप्त कर सकते हैं।—१ तीमुथियुस २:५, ६, NW; यूहन्‍ना ३:१६; रोमियों ५:१८, १९.

५. जब यीशु पृथ्वी पर था उसने बीमारों को चंगा किया, भूखों को खिलाया, और तूफ़ानों को शान्त किया। उसने मुर्दों को भी जिलाया। उसने चमत्कार क्यों किए? (१) जो लोग पीड़ित थे उन पर उसे दया आयी, और वह उनकी मदद करना चाहता था। (२) उसके चमत्कारों ने साबित किया कि वह परमेश्‍वर का पुत्र था। (३) उन्होंने दर्शाया कि जब वह पृथ्वी पर एक राजा की हैसियत से शासन करता, तब वह आज्ञाकारी मानवजाति के लिए क्या करेगा।—मत्ती १४:१४; मरकुस २:१०-१२; यूहन्‍ना ५:२८, २९.

६. यीशु की मृत्यु हुई और परमेश्‍वर द्वारा उसे एक आत्मिक प्राणी के रूप में पुनरुत्थित किया गया, और वह स्वर्ग लौट गया। (१ पतरस ३:१८) उसके बाद, परमेश्‍वर ने उसे राजा बनाया है। जल्द ही यीशु सारी दुष्टता और दुःख को इस पृथ्वी से निकाल देगा।—भजन ३७:९-११; नीतिवचन २:२१, २२.

[पेज ७ पर तसवीरें]

यीशु की सेवकाई में सिखाना, चमत्कार करना, और हमारे लिए अपना जीवन देना भी सम्मिलित था

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