अध्याय 12
हाव-भाव और चेहरे के भाव
कुछ संस्कृतियों के लोग खुलकर हाव-भाव करते हैं, तो कुछ ऐसा नहीं करते। फिर भी, लगभग सभी लोग आपस में बात करते वक्त या भाषण देते वक्त, चेहरे पर तरह-तरह के भाव लाते हैं या फिर दूसरे किस्म के हाव-भाव करते हैं।
यीशु और उसके पहले शिष्य, सहजता से हाव-भाव करते थे। एक बार, जब किसी ने यीशु को खबर दी कि उसकी माँ और उसके भाई उससे बात करना चाहते हैं, तब यीशु ने जवाब में कहा: “कौन है मेरी माता? और कौन हैं मेरे भाई?” बाइबल आगे कहती है: “अपने चेलों की ओर अपना हाथ बढ़ा कर कहा; देखो; मेरी माता और मेरे भाई ये हैं।” (तिरछे टाइप हमारे।) (मत्ती 12:48, 49) बाइबल में ऐसी और भी कई आयतें हैं, जहाँ हाव-भाव करने का ज़िक्र मिलता है। मसलन, प्रेरितों 12:17 और 13:16 दिखाते हैं कि प्रेरित पतरस और पौलुस ने सहजता से हाव-भाव किए।
विचार और भावनाएँ, सिर्फ बोलकर ही नहीं बयान किए जाते हैं बल्कि ये आपके हाव-भाव और चेहरे के भावों से भी ज़ाहिर होते हैं। अगर भाषण देनेवाला सही से हाव-भाव नहीं करेगा, तो इससे यह लगेगा कि खुद उसे अपनी बातों में कोई दिलचस्पी नहीं है। दूसरी तरफ, अपनी बात कहने के लिए अगर आप ठीक-ठीक जगह पर सही तरह से हाव-भाव करेंगे, तो आपकी बातचीत का असर बहुत ज़बरदस्त होगा। यहाँ तक कि टेलिफोन पर बात करते वक्त भी, अगर आप सही किस्म के हाव-भाव करें, तो आप ज़्यादा खुलकर बात कर पाएँगे। इस तरह आपकी आवाज़ से सुननेवाला, आपके संदेश की अहमियत को भाँप पाएगा और आप जो कहते हैं, उसके बारे में खुद आप कैसा महसूस करते हैं, इसका भी उसे अंदाज़ा हो जाएगा। इसलिए, चाहे आप भाषण दे रहे हों या कुछ पढ़कर सुना रहे हों, चाहे लोगों की नज़र आप पर हो या वे अपनी-अपनी बाइबलें देख रहे हों, आपका हाव-भाव करना और चेहरे पर भाव लाना मायने रखता है।
आपके हाव-भाव सहज होने चाहिए ना कि बनावटी, मानो ऐसा करना आपने किसी किताब से सीखा हो। जिस तरह हँसना और गुस्सा करना आपने किसी किताब से नहीं सीखा, उसी तरह हाव-भाव भी हैं। इनके ज़रिए आपके अंदर की भावनाएँ ज़ाहिर होनी चाहिए। जितनी सहजता से आप हाव-भाव करेंगे, उनका उतना ही अच्छा असर होगा।
आम तौर पर हाव-भाव दो किस्म के होते हैं: एक, वर्णन करने के लिए और दूसरा, ज़ोर देने के लिए। वर्णन के लिए हाव-भाव, कुछ करके दिखाने, लंबाई-चौड़ाई बताने, या फलाँ जगह कहाँ है, ये सब बताने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। परमेश्वर की सेवा स्कूल में जब आपको हाव-भाव के गुण पर काम करने के लिए कहा जाता है, तो आपको बस एक-दो बार हाव-भाव करके ही तसल्ली नहीं कर लेनी चाहिए। इसके बजाय, भाषण की शुरूआत से लेकर आखिर तक, सहजता से हाव-भाव करने की कोशिश कीजिए। अगर आपको ऐसा करना मुश्किल लगे, तो अपनी जानकारी में ऐसे शब्द ढूँढ़िए जिनसे दिशा, दूरी, आकार, जगह या एक से दूसरे की तुलना बतायी गयी है, क्योंकि ऐसे शब्दों पर हाव-भाव करना ज़्यादा आसान होता है। लेकिन ज़्यादातर मामलों में आपको बस अपने भाषण में पूरी तरह डूब जाने की ज़रूरत होती है। और यह चिंता करने के बजाय कि लोग आपके बारे में क्या सोचेंगे, अच्छा होगा अगर आप उसी तरह बोलने और हाव-भाव करने पर ध्यान दें जैसे आप रोज़ाना ज़िंदगी में करते हैं। तब आपको कम घबराहट महसूस होगी और फिर आप सहजता के साथ हाव-भाव करने लगेंगे।
ज़ोर देने के लिए जो हाव-भाव किए जाते हैं, उनसे भावनाएँ और दृढ़ विश्वास ज़ाहिर होता है। ऐसे हाव-भाव के ज़रिए विचारों पर ज़ोर दिया जाता है, इनमें जान आती है और इन्हें पक्का किया जाता है। ज़ोर देने के हाव-भाव ज़रूरी हैं। मगर सावधान! ऐसे हाव-भाव बड़ी आसानी से आपकी आदत बन सकते हैं। अगर आप हमेशा एक ही तरह का हाव-भाव करते रहेंगे, तो इससे आपका भाषण असरदार नहीं होगा बल्कि लोगों का ध्यान आपके हाव-भाव पर होगा। अगर स्कूल ओवरसियर आपको इस कमज़ोरी के बारे में बताता है, तो कुछ समय के लिए ज़ोर देने के हाव-भाव को छोड़कर सिर्फ वर्णन के लिए हाव-भाव का इस्तेमाल कीजिए। उसके कुछ समय बाद, आप ज़ोर देने के हाव-भाव का दोबारा इस्तेमाल करना शुरू कर सकते हैं।
किस हद तक आपको ज़ोर देने के हाव-भाव करने चाहिए और किस तरह के हाव-भाव करना सही होगा, यह तय करने के लिए, आपको सुननेवालों के जज़्बात का ध्यान रखना चाहिए। सामने बैठे लोगों की तरफ उँगली दिखाकर बात करने से वे बुरा मान सकते हैं। कुछ संस्कृतियों में जब पुरुष हैरानी ज़ाहिर करने के लिए अपने मुँह पर हाथ रखने जैसे इशारे करते हैं, तो यह उन्हें नहीं सोहता क्योंकि माना जाता है कि ऐसा अकसर औरतें करती हैं। दुनिया के कुछ भागों में माना जाता है कि स्त्रियों का खुलकर हाथों से इशारा करना, उन्हें शोभा नहीं देता। इसलिए वहाँ की बहनों को खासकर चेहरे के भाव का इस्तेमाल करने का बढ़ावा दिया जाता है। और दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में, एक छोटे समूह के सामने बढ़ा-चढ़ाकर हाव-भाव करने से लोगों की हँसी छुट जाती है।
जैसे-जैसे आप भाषण देने में तजुर्बा हासिल करेंगे और आपकी घबराहट कम होगी, तब आप ज़ोर देने के लिए जो भी हाव-भाव करेंगे, उसके ज़रिए आप सहजता से अपनी भावनाएँ ज़ाहिर कर पाएँगे। इस तरह आप अपना दृढ़ विश्वास दिखा पाएँगे और यह भी कि आप जो कह रहे हैं, उस पर आप खुद सच्चे मन से यकीन करते हैं। ऐसे हाव-भाव से आपका भाषण और असरदार हो जाएगा।
आपके चेहरे के भाव। शरीर के सभी अंगों में सबसे बढ़कर आपका चेहरा, आपके दिल की बात कह जाता है। आपकी आँखें, आपका मुँह और आपके सिर का झुकाव इन सभी से भाव ज़ाहिर होते हैं। भले ही आप एक लफ्ज़ न बोलें, मगर आपका चेहरा बता सकता है कि आपको किसी बात में दिलचस्पी नहीं है, किसी चीज़ से नफरत है, आप उलझन में हैं, या हैरान या बेहद खुश हैं। अगर आप चेहरे पर ये भाव लाकर बात करेंगे, तो कही गयी बातों पर ऐसा ज़ोर पड़ेगा जिसे सुननेवाले देख और महसूस कर पाएँगे। हमारे सिरजनहार ने भी बड़ी बखूबी के साथ हमारे चेहरे पर बहुत-सी यानी कुल मिलाकर 30 माँस-पेशियाँ बनायी हैं। इनमें से लगभग आधी माँस-पेशियाँ मुस्कुराने में इस्तेमाल होती हैं।
आप चाहे स्टेज से भाषण दे रहे हों, या प्रचार में किसी को गवाही दे रहे हों, याद रखिए कि आप लोगों को मन भानेवाला संदेश सुना रहे हैं जिसे सुनकर उनका दिल खुशी से भर जाएगा। और जब आपके चेहरे पर अच्छी-सी मुस्कान हो, तो उन्हें इसका सबूत मिलता है। लेकिन अगर आपके चेहरे पर कोई भाव न हो, तो सुननेवाले को शक हो सकता है कि आपकी बात कहाँ तक सच है।
इतना ही नहीं, आपकी मुस्कान उन्हें बताती है कि आपको उनकी सच्ची परवाह है। आज के समय में यह खासकर बहुत ज़रूरी है, जब लोग अकसर अजनबियों को देखकर डरते हैं। आपके मुस्कुराने से लोगों की घबराहट दूर हो सकती है, और तब वे आपकी बात सुनने के लिए तैयार होंगे।