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पाठ 16

सबसे ज़रूरी क्या है?

एक आदमी यीशु से बात कर रहा है और लोग उनकी बातें सुन रहे हैं

इस आदमी में क्या कमी थी?

एक दिन यीशु के पास एक आदमी आया। वह आदमी जानता था कि यीशु बहुत ज्ञानी है। इसलिए उसने यीशु से कहा: ‘गुरु, मेरे भाई से कह कि वह अपनी चीज़ों में से कुछ मुझे दे दे।’ वह आदमी सोचता था कि उसके भाई की कुछ चीज़ें उसे मिलनी चाहिए।

अगर आप यीशु की जगह होते तो आप क्या कहते?— यीशु ने देखा कि उस आदमी में एक कमी है। कमी यह नहीं थी कि वह अपने भाई की चीज़ें लेना चाहता था। असल में कमी यह थी कि वह नहीं जानता था ज़िंदगी में सबसे ज़रूरी चीज़ क्या है।

चलो इस पर ज़रा गौर करते हैं। हमारे लिए सबसे ज़रूरी क्या है? बढ़िया-बढ़िया खिलौने, नए-नए कपड़े या ऐसी ही दूसरी चीज़ें?— नहीं, कुछ और है जो इन सबसे कहीं ज़्यादा ज़रूरी है। और यही बात यीशु सिखाना चाहता था। इसलिए उसने एक ऐसे आदमी की कहानी सुनायी जो परमेश्‍वर को भूल गया था। क्या आप वह कहानी सुनना चाहोगे?—

एक बहुत अमीर आदमी था। उसके पास काफी खेत-खलिहान और गोदाम थे। उसके खेतों में बहुत अच्छी फसल होती थी। उसके गोदामों में इतनी जगह नहीं थी कि सारी फसल रखी जा सके। इसलिए पता है उसने क्या किया? उसने खुद से कहा: ‘मैं अपने गोदामों को तुड़वाकर और भी बड़े गोदाम बनवाऊँगा। फिर मैं अपनी सारी फसल और सारी अच्छी चीज़ें उन नए गोदामों में भर दूँगा।’

उस अमीर आदमी ने सोचा कि ऐसा करना अकलमंदी है। उसने सोचा कि अगर वह ढेर सारी चीज़ें जमा करेगा, तो वह बहुत समझदार कहलाएगा। उसने खुद से कहा: ‘मेरे पास बरसों के लिए बहुत सारी अच्छी चीज़ें जमा हैं; इसलिए अब मैं आराम की ज़िंदगी जी सकता हूँ। मैं खा-पीकर खूब मौज उड़ाऊँगा।’ लेकिन उस अमीर आदमी की सोच में कुछ कमी थी। जानते हो क्या?— वह सिर्फ अपने और अपनी मौज-मस्ती के बारे में सोच रहा था। वह परमेश्‍वर को बिलकुल भूल गया।

एक अमीर आदमी अपने नए गोदामों को देखता है

यह अमीर आदमी क्या सोच रहा है?

इसलिए परमेश्‍वर ने उस अमीर आदमी से कहा: ‘अरे मूर्ख, आज ही रात तू मर जाएगा। फिर जो कुछ तू ने जमा किया है वह किसका होगा?’ क्या मरने के बाद वह अमीर आदमी उन चीज़ों का इस्तेमाल कर सकता था?— कतई नहीं, उसकी धन-दौलत का मालिक तो कोई और ही बनता। आखिर में यीशु ने कहा: “ऐसा ही वह इंसान है जो धन-दौलत बटोरने में लगा रहता है, मगर परमेश्‍वर की नज़र में असल में कंगाल है।”—लूका 12:13-21.

क्या आप उस अमीर आदमी की तरह बनना चाहोगे?— उस आदमी की ज़िंदगी का एक ही मकसद था, ढेर सारी चीज़ें जमा करना। यह उसकी बहुत बड़ी गलती थी। उसे हमेशा पैसे की हाय-हाय लगी रहती थी। लेकिन ‘वह परमेश्‍वर की नज़र में अमीर नहीं था।’

आज कई लोग उस अमीर आदमी की तरह हैं। वे हमेशा ज़्यादा-से-ज़्यादा चीज़ें जमा करना चाहते हैं। लेकिन इससे बड़ी-बड़ी परेशानियाँ खड़ी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, आपके पास खिलौने तो होंगे, है ना?— बताओ, आपके पास कौन-कौन-से खिलौने हैं?— अब मान लीजिए कि आपके किसी दोस्त के पास एक ऐसी गेंद या गुड़िया या कोई और खिलौना है, जो आपके पास नहीं है। तो क्या उस खिलौने को खरीदने के लिए मम्मी-पापा से ज़िद्द करना अच्छी बात होगी?—

कभी-कभी आपको लग सकता है कि आपके पास वह खिलौना ज़रूर होना चाहिए। लेकिन अगर आपको वह खिलौना मिल जाए, तो कुछ समय बाद उसका क्या होगा?— वह पुराना हो जाएगा या शायद टूट जाए। फिर आपको उससे खेलने का मन नहीं करेगा। मगर आपके पास ऐसा कुछ है जो खिलौनों से कहीं ज़्यादा कीमती है। पता है वह क्या है?—

एक लड़का अपने खिलौनों के साथ खेलता है

आपके पास ऐसा क्या है जो आपके खिलौनों से भी ज़्यादा कीमती है?

वह है आपकी ज़िंदगी। आपकी ज़िंदगी बहुत कीमती है क्योंकि अगर आपमें जान न हो, तो आप कुछ नहीं कर सकते। लेकिन आपकी ज़िंदगी तभी बनी रहेगी, जब आप वे काम करोगे जिनसे परमेश्‍वर खुश होता है। क्या आपको इस बात का यकीन है?— इसलिए हमें उस बेवकूफ अमीर आदमी की तरह नहीं बनना चाहिए जो परमेश्‍वर को भूल गया था।

सिर्फ बच्चे ही उस बेवकूफ अमीर आदमी की तरह नहीं होते, कई बड़े लोग भी ऐसा ही करते हैं। उनके पास जो कुछ होता है, वे उससे खुश नहीं रहते। वे ज़्यादा और ज़्यादा पाने की चाहत रखते हैं। उनके पास शायद ज़रूरत के हिसाब से खाना, कपड़े और घर हो। लेकिन वे और ज़्यादा चाहते हैं। वे ढेर सारे कपड़े चाहते हैं, बड़ा-सा घर चाहते हैं। इन सब चीज़ों के लिए काफी पैसा चाहिए। इसलिए वे दिन-रात मेहनत करते हैं, ताकि खूब पैसा कमा सकें। लेकिन पैसा कमाने की उनकी भूख कभी शांत नहीं होती। उन्हें जितना मिलता है, वे उससे और ज़्यादा कमाना चाहते हैं।

कुछ लोगों पर पैसा कमाने की धुन इस कदर सवार हो जाती है कि उनके पास अपने परिवार के लिए बिलकुल वक्‍त नहीं रहता। और परमेश्‍वर के लिए भी उनके पास समय नहीं होता। क्या पैसा उन्हें ज़िंदगी दे सकता है?— बिलकुल नहीं। मरने के बाद क्या वे अपना पैसा इस्तेमाल कर सकते हैं?— नहीं। वह इसलिए क्योंकि मरने के बाद इंसान कुछ नहीं कर सकता।—सभोपदेशक 9:5, 10.

तो क्या पैसा कमाना गलत है?— नहीं। क्योंकि बिना पैसे के हम खाने की चीज़ें और कपड़े नहीं खरीद सकते। बाइबल कहती है कि पैसे से हमारी सुरक्षा होती है। (सभोपदेशक 7:12) लेकिन अगर हम पैसे से प्यार करने लगें, उसके पीछे भागने लगें तो हम बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं। और हम उस मूर्ख अमीर आदमी की तरह होंगे जिसने अपने लिए बहुत सारी धन-दौलत तो जमा की, मगर वह परमेश्‍वर की नज़र में अमीर नहीं था।

परमेश्‍वर की नज़र में अमीर होने का क्या मतलब है?— इसका मतलब है अपनी ज़िंदगी में परमेश्‍वर को पहली जगह देना यानी हमेशा उसका कहा मानना। कुछ लोग कहते हैं कि वे परमेश्‍वर पर विश्‍वास करते हैं। वे सोचते हैं कि इतना ही काफी है। लेकिन क्या ऐसे लोग वाकई परमेश्‍वर की नज़र में अमीर हैं?— बिलकुल नहीं, वे उस अमीर आदमी की तरह हैं जो परमेश्‍वर को भूल गया था।

यीशु स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता को कभी नहीं भूला। उसने खूब पैसा कमाने की कोशिश नहीं की। उसके पास ऐशो-आराम की चीज़ें भी नहीं थीं। यीशु को मालूम था कि जीवन में सबसे ज़रूरी क्या है। क्या आप जानते हो वह ज़रूरी चीज़ क्या है?— वह है परमेश्‍वर की नज़र में अमीर होना।

एक लड़की बाइबल पढ़ती है, दूसरी लड़की को प्रचार करती है, अपने परिवार के साथ सभा में जाती है और प्रार्थना करती है

यह लड़की कौन-से ज़रूरी काम कर रही है?

अच्छा यह बताओ, हम परमेश्‍वर की नज़र में कैसे अमीर बन सकते हैं?— अगर हम वे काम करें जिनसे परमेश्‍वर खुश होता है, तो हम उसकी नज़र में अमीर बन सकते हैं। यीशु ने कहा था: “मैं हमेशा वही करता हूँ जिससे [परमेश्‍वर] खुश होता है।” (यूहन्‍ना 8:29) जब हम परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक कोई काम करते हैं तो उसे बड़ी खुशी होती है। अच्छा चलो बताओ परमेश्‍वर को खुश करने के लिए आप क्या कर सकते हो?— आप बाइबल पढ़ सकते हो, मसीही सभाओं में जा सकते हो, परमेश्‍वर से प्रार्थना कर सकते हो और दूसरों को परमेश्‍वर के बारे में सिखा सकते हो। ये सारी बातें जीवन में सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं।

यीशु परमेश्‍वर की नज़र में अमीर था इसलिए यहोवा ने उसका खयाल रखा। उसने यीशु को हमेशा-हमेशा तक जीने का तोहफा दिया। अगर हम यीशु की तरह बनें तो यहोवा हमसे भी प्यार करेगा और हमारा खयाल रखेगा। इसलिए आओ हम यीशु की तरह बनें, न कि उस अमीर आदमी की तरह जो परमेश्‍वर को भूल गया था।

यहाँ दी बाइबल की आयतें पढ़िए जो बताती हैं कि पैसे और ऐशो-आराम की चीज़ों को हमें किस नज़र से देखना चाहिए: नीतिवचन 23:4; 28:20; 1 तीमुथियुस 6:6-10 और इब्रानियों 13:5.

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