गीत 41
जवानी में याह की सेवा करो
1. याह के गुल-शन में फूल हो तुम बच्-चों
कर-ता है प्यार बे-प-नाह वो तुम-को।
दे-के स-हा-रा माँ-बाप, दोस्-तों का
मा-ली के जै-से ही कर-ता पर-वाह।
2. मा-नो बच्-चों तुम माँ-बाप की हर बात
उन-के क-भी ना दु-खा-ना जज़्-बात।
चल-ना गर सी-खो तुम याह की राह पे
बी-ते ज-वा-नी तुम्-हा-री सुख से।
3. याह के बा-ग़ान में ज-ड़ें फै-ला-ओ
सच के द-रख़्त से तुम लिप-टे र-हो।
पू-रे दिल से कर-ना से-वा अ-भी
याह तुम्-हें देख के पा-ए-गा ख़ु-शी।
(भज. 71:17; विला. 3:27; इफि. 6:1-3 भी देखिए।)