वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • bm भाग 13 पेज 16
  • अच्छे राजा, बुरे राजा

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • अच्छे राजा, बुरे राजा
  • परमेश्‍वर का पैगाम—आपके नाम
  • मिलते-जुलते लेख
  • उसने अपनी गलतियों से सबक सीखा
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2009
  • उसने अपनी गलतियों से सबक सीखा
    उनके विश्‍वास की मिसाल पर चलिए
  • यहोवा की दया के बारे में योना सीखता है
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
  • उसने दया दिखाना सीखा
    उनके विश्‍वास की मिसाल पर चलिए
और देखिए
परमेश्‍वर का पैगाम—आपके नाम
bm भाग 13 पेज 16
एक जवान इसराएली राजा

भाग 13

अच्छे राजा, बुरे राजा

इसराएल राष्ट्र का बँटवारा हो गया। कई सालों तक इसराएल पर बहुत-से राजाओं ने राज किया, मगर उनमें से ज़्यादातर यहोवा के वफादार नहीं रहे। बैबिलोनिया देश की सेना ने यरूशलेम को तबाह कर दिया

जब सुलैमान ने सच्ची उपासना छोड़ दी, तब यहोवा ने उससे कहा कि इसराएल दो भागों में बँट जाएगा। और ऐसा ही हुआ। सुलैमान के बाद उसका बेटा, रहूबियाम राजा बना। वह बड़ा ही बेरहम था। इसलिए उत्तर के दस गोत्रों ने उसके खिलाफ बगावत की और अपना एक अलग राज्य स्थापित कर लिया। इस राज्य को ‘इसराएल’ कहा गया। दक्षिण के दो गोत्र दाविद के शाही परिवार के वफादार बने रहे और उनका राज्य ‘यहूदा’ कहलाया।

दोनों ही राज्यों में हमेशा उथल-पुथल मची रहती थी। इसके लिए काफी हद तक उनके राजा ज़िम्मेदार थे। उन्होंने परमेश्‍वर पर विश्‍वास नहीं किया और उसकी आज्ञाएँ मानने से साफ इनकार कर दिया। मगर यहूदा राज्य के मुकाबले इसराएल राज्य की हालत कहीं ज़्यादा बदतर थी। क्योंकि उनके राजाओं ने शुरू से ही झूठी उपासना को बढ़ावा दिया था। एलिय्याह और एलीशा जैसे नबियों ने कई चमत्कार किए, यहाँ तक कि उन दोनों ने मरे हुओं को भी ज़िंदा किया। इसके बावजूद, इसराएल अपने बुरे कामों से बाज़ नहीं आया। आखिरकार, यहोवा ने इसराएल राज्य को नाश होने के लिए अश्‍शूरियों के हवाले कर दिया।

इसराएल राज्य के विनाश के बाद, यहूदा राज्य सौ से भी ज़्यादा सालों तक बना रहा। लेकिन बाद में परमेश्‍वर ने उसे भी सज़ा दी। यहूदा के कुछ ही राजाओं ने परमेश्‍वर के नबियों की चेतावनियों पर ध्यान दिया और अपनी प्रजा को यहोवा के पास लौटने का बढ़ावा दिया। इनमें से एक था, राजा योशिय्याह। उसने अपनी रियासत से झूठी उपासना का सफाया करना शुरू किया और यहोवा के मंदिर की मरम्मत करवायी। उस वक्‍त मूसा के हाथों लिखी यहोवा की व्यवस्था की एक किताब मिली। जब वह किताब योशिय्याह को पढ़कर सुनायी गयी, तो उसमें जोश भर आया और उसने झूठी उपासना को मिटाने का अभियान और भी तेज़ कर दिया।

पर अफसोस, योशिय्याह के बाद जितने भी राजा आए, वे उसकी अच्छी मिसाल पर नहीं चले। इसलिए यहोवा ने यहूदा की हिफाज़त करनी छोड़ दी। नतीजा, बैबिलोनिया की सेना ने आकर यरूशलेम और उसके मंदिर को तहस-नहस कर दिया। और जो लोग बच गए, उन्हें कैदी बनाकर बैबिलोनिया ले जाया गया। परमेश्‍वर ने पहले से बताया था कि इसराएली 70 साल तक बैबिलोनिया की कैद में रहेंगे। इन सालों के दौरान यहूदा पूरी तरह उजाड़ पड़ा रहा। इसके बाद जैसे परमेश्‍वर ने वादा किया था, इसराएली वापस अपने वतन लौट गए।

मगर दाविद के परिवार में से कोई भी उस वक्‍त तक राजगद्दी पर नहीं बैठता, जब तक वादा किया गया छुड़ानेवाला या मसीहा नहीं आ जाता। यरूशलेम में राज करनेवाले ज़्यादातर राजाओं ने अपने बुरे कामों से साबित किया कि असिद्ध इंसान राज करने के बिलकुल भी लायक नहीं। सिर्फ मसीहा ही राज करने के काबिल है। इसलिए यहोवा ने दाविद के खानदान के आखिरी राजा से कहा: ‘मुकुट उतार दे। मैं [राज को] उलट दूंगा और जब तक उसका अधिकारी न आए तब तक वह उलटा हुआ रहेगा; तब मैं उसे दे दूंगा।’—यहेजकेल 21:26, 27.

—यह भाग 1 राजा; 2 राजा; 2 इतिहास, अध्याय 10 से 36; यिर्मयाह 25:8-11 पर आधारित है।

  • इसराएल कैसे दो राज्यों में बँट गया? उन राज्यों के साथ क्या हुआ?

  • दाविद के परिवार की हुकूमत का क्या हुआ? और क्यों?

  • योना की कहानी से हम यहोवा के बारे में क्या सीखते हैं? (बक्स देखिए।)

योना

इसराएल राष्ट्र का बँटवारा होने के बाद, परमेश्‍वर ने योना को एक ज़रूरी काम सौंपा। उसने उससे कहा कि वह नीनवे शहर जाकर लोगों को बताए कि परमेश्‍वर उन पर नाश लानेवाला है। नीनवे शहर, इसराएल से बहुत दूर था। वहाँ के लोग मार-धाड़ और खून-खराबा करने के लिए मशहूर थे। मगर योना ने परमेश्‍वर की बात नहीं मानी। वह नीनवे जाने के बजाय जहाज़ पर सवार होकर उलटी दिशा में चला गया। इस पर यहोवा ने एक चमत्कार किया। एक बड़ी मछली ने योना को निगल लिया। मछली के पेट में योना ने परमेश्‍वर से प्रार्थना की। परमेश्‍वर ने उसकी सुन ली और मछली ने योना को सूखी ज़मीन पर उगल दिया। इसके बाद, योना परमेश्‍वर का संदेश सुनाने नीनवे गया।

इस तरह, योना ने परमेश्‍वर की आज्ञा मानने का एक अच्छा सबक सीखा। मगर कुछ ही समय बाद उसे एक और सबक सीखना पड़ा। जब योना ने ज़ोर-शोर से नीनवे में संदेश सुनाया, तो वहाँ के लोगों को अपने किए पर अफसोस हुआ और उन्होंने बुरे काम छोड़ दिए। इसलिए यहोवा ने उन्हें माफ कर दिया और उन्हें नाश नहीं किया। यह देखकर योना गुस्से से भड़क उठा। इस पर यहोवा ने उसे दयालु बनने का सबक देने के लिए एक चमत्कार किया। क्या आप इस दूसरे चमत्कार के बारे में जानना चाहेंगे? तो आइए बाइबल की दिलचस्प किताब, योना पढ़ें।

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें