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  • परमेश्‍वर की तरफ से खुशखबरी!
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परमेश्‍वर की तरफ से खुशखबरी!
fg पाठ 9 सवाल 1-5

पाठ 9

आपका परिवार कैसे खुश रह सकता है?

1. परिवार में खुशी पाने के लिए एक जोड़े का शादी-शुदा होना ज़रूरी क्यों है?

एक जोड़ा कानूनी तौर पर अपनी शादी रजिस्टर करवा रहें हैं

खुशखबरी का स्रोत, यहोवा परमेश्‍वर एक आनंदित परमेश्‍वर है। वह चाहता है कि सभी परिवार खुश रहें। (1 तीमुथियुस 1:11) शादी की शुरूआत उसी ने की थी। कानून के मुताबिक शादी-शुदा होना परिवार की खुशी के लिए ज़रूरी है क्योंकि इससे पति-पत्नी और बच्चे, सभी सुरक्षित महसूस करते हैं। जो परमेश्‍वर की आज्ञा मानना चाहते हैं उन्हें शादी को रजिस्टर करने के मामले में अपने देश के कानून मानने चाहिए।—लूका 2:1, 4, 5 पढ़िए।

शादी के बारे में परमेश्‍वर का नज़रिया क्या है? वह चाहता है कि एक स्त्री और पुरुष के बीच का यह बँधन कभी न टूटे। यहोवा चाहता है कि पति-पत्नी एक दूसरे के वफादार रहें। (इब्रानियों 13:4) उसे तलाक से नफरत है। (मलाकी 2:16) लेकिन एक बिनाह पर परमेश्‍वर तलाक की इजाज़त देता है। अगर किसी मसीही का साथी व्यभिचार करे, तो वह तलाक लेकर दोबारा शादी कर सकता है।—मत्ती 19:3-6, 9 पढ़िए।

2. पति-पत्नी को एक-दूसरे के साथ किस तरह पेश आना चाहिए?

एक खुशहाल पति-पत्नी

परमेश्‍वर ने स्त्री और पुरुष को इस तरह बनाया है कि वे मिलकर शादी-शुदा ज़िंदगी में अपनी-अपनी भूमिका निभा सकें जिससे उनकी शादी कामयाब हो। (उत्पत्ति 2:18) पति परिवार का मुखिया है इसलिए परिवार की रोज़ी-रोटी का इंतज़ाम करना और परिवार को परमेश्‍वर के बारे में सिखाना, खासकर उसकी ज़िम्मेदारी है। उसे अपनी ज़रूरतों से ज़्यादा अपनी पत्नी की ज़रूरतों का खयाल रखना चाहिए। पति-पत्नी को एक-दूसरे से प्यार करना चाहिए और एक-दूसरे के साथ आदर से पेश आना चाहिए। दोनों गलतियाँ करते हैं, इसलिए शादी-शुदा ज़िंदगी में खुशी पाने के लिए ज़रूरी है कि वे एक-दूसरे को माफ करना सीखें।—इफिसियों 4:31, 32; 5:22-25, 33; 1 पतरस 3:7 पढ़िए।

3. अगर आप अपनी शादी-शुदा ज़िंदगी से खुश नहीं हैं, तो क्या आपको अपने साथी को छोड़ देना चाहिए?

अगर पति-पत्नी अपनी शादी-शुदा ज़िंदगी में मुश्‍किलों का सामना कर रहे हैं, तो उन्हें एक-दूसरे के साथ प्यार से पेश आने की कोशिश करते रहना चाहिए। (1 कुरिंथियों 13:4, 5) परमेश्‍वर का वचन पति-पत्नी को शादी-शुदा ज़िंदगी में होनेवाली आम मुश्‍किलों से निजात पाने के लिए एक-दूसरे से अलग होने का बढ़ावा नहीं देता।—1 कुरिंथियों 7:10-13 पढ़िए।

4. बच्चो, परमेश्‍वर आपके लिए क्या चाहता है?

घर पर माता-पिता अपने बच्चों की मदद कर रहे हैं

यहोवा चाहता है कि आप खुश रहें। वह आपको ऐसी बढ़िया सलाह देता है जिसे मानकर आप अपनी जवानी में खुशी पा सकेंगे। वह चाहता है कि आप अपने माता-पिता की बुद्धि और तजुरबे से फायदा पाएँ। (कुलुस्सियों 3:20) यहोवा यह भी चाहता है कि आप अपने बनानेवाले और उसके बेटे की सेवा करने की खुशी का अनुभव करें।—सभोपदेशक 11:9–12:1; मत्ती 19:13-15; 21:15, 16 पढ़िए।

5. माता-पिताओ, आप अपने बच्चों को खुशी कैसे दे सकते हैं?

एक पिता अपने बच्चे से बात कर रहा है

आपको अपने बच्चों के खाने-पहनने और रहने का इंतज़ाम करने के लिए मेहनत करनी चाहिए। (1 तीमुथियुस 5:8) लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे सचमुच खुश रहें, तो यह ज़रूरी है कि आप उन्हें परमेश्‍वर के बारे में सीखने और उससे प्यार करने की अहमियत समझाएँ। (इफिसियों 6:4) परमेश्‍वर के लिए आपका प्यार देखकर भी बच्चे परमेश्‍वर से प्यार करना सीखेंगे। परमेश्‍वर के वचन पर आधारित सलाह देकर आप उन्हें सही दिशा में सोचने के लिए मदद दे सकते हैं।—व्यवस्थाविवरण 6:4-7; नीतिवचन 22:6 पढ़िए।

उनकी हिम्मत बँधाइए और उनकी सराहना कीजिए; इससे उन्हें हौसला मिलेगा। इसके अलावा ज़रूरी है कि आप उनकी गलतियाँ सुधारें और उन्हें शिक्षा दें। अगर आप उन्हें ऐसी तालीम दें, तो उनकी हिफाज़त होगी; वे ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे उनकी खुशी छिन जाए। (नीतिवचन 22:15) लेकिन शिक्षा कठोरता या बेरहमी से नहीं दी जानी चाहिए।—कुलुस्सियों 3:21 पढ़िए।

यहोवा के साक्षियों ने माता-पिताओं और बच्चों की मदद करने के लिए कई किताबें प्रकाशित की हैं जिनमें बाइबल पर आधारित सलाह दी गयी है।—भजन 19:7, 11 पढ़िए।

ज़्यादा जानकारी के लिए बाइबल हमें क्या सिखाती है? नाम की किताब का अध्याय 14 देखिए।

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