अध्याय 12
अपनी मंडली और पूरी दुनिया में हो रहे राज के काम में मदद कीजिए
यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि आखिरी दिनों में राज की खुशखबरी पूरी दुनिया में सुनायी जाएगी। आज यह भविष्यवाणी पूरी हो रही है। यहोवा के साक्षी “दुनिया के सबसे दूर के इलाकों” तक जाकर खुशखबरी सुना रहे हैं। (प्रेषि. 1:8; मत्ती 24:14) वे दूसरों को बाइबल की सच्चाई सिखाने में खुशी-खुशी अपना समय बिताते हैं और जी-तोड़ मेहनत करते हैं। उन्हें पूरा भरोसा है कि यहोवा अपने सहकर्मियों की ज़रूरतें पूरी करेगा, इसलिए वे परमेश्वर के राज को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देते हैं। (मत्ती 6:25-34; 1 कुरिं. 3:5-9) इससे जो नतीजे निकले हैं, उससे साफ ज़ाहिर है कि उनके काम से यहोवा खुश है और उन्हें आशीष दे रहा है।
पूरी दुनिया में राज से जुड़े कामों का खर्च
2 हम अलग-अलग तरीकों से लोगों को खुशखबरी सुनाते हैं और बिना कोई पैसा लिए लोगों को बाइबल और हमारे प्रकाशन देते हैं। यह देखकर कुछ लोग शायद कहें, “यह सब कैसे होता है?” बेशक इन्हें तैयार करने और इनकी छपाई में काफी पैसा खर्च होता है। इसके अलावा, जो भाई-बहन छपाई का काम करते हैं, प्रचार काम की निगरानी करते हैं और खुशखबरी फैलाने के लिए दूसरे तरीकों से सेवा करते हैं, उन सबके लिए बेथेल घर बनाने और उनके रख-रखाव में भी काफी खर्चा आता है। सर्किट निगरानों और पूरे समय प्रचार करनेवाले मिशनरियों, खास पायनियरों और दूसरे खास पूरे समय के सेवकों को भी थोड़ी-बहुत आर्थिक मदद दी जाती है, ताकि वे अपनी सेवा जारी रख सकें। इससे साफ पता चलता है कि चाहे हमारे इलाके में होनेवाले प्रचार काम की बात हो या दुनिया-भर में हो रहे काम की, इसमें बहुत पैसा लगता है। यह सारा पैसा कहाँ से आता है?
3 जो लोग साक्षियों के काम की कदर करते हैं, वे पूरी दुनिया में चल रहे इस काम के लिए खुशी-खुशी दान करते हैं। मगर ज़्यादातर खर्च साक्षी खुद उठाते हैं। कुछ भाई-बहन अपनी इच्छा से उस शाखा दफ्तर को दान भेजते हैं जो उनके देश के काम की निगरानी करता है। प्राचीन समय में परमेश्वर के सेवकों ने पवित्र डेरा और मंदिर बनाने के लिए दिल खोलकर दान दिया था। (निर्ग. 35:20-29; 1 इति. 29:9) आज साक्षी भी उनकी तरह खुशी-खुशी दान करते हैं। कुछ भाई-बहन अपने वसीयतनामे में ज़मीन-जायदाद दान करते हैं। वहीं दूसरे भाई-बहन, मंडलियाँ और सर्किट छोटी-छोटी रकम दान करते हैं। इस पूरे दान से हमारा काम चलता रहता है।
यहोवा के साक्षी प्रचार काम को बढ़ाने में अपने पैसे और साधन लगाना एक सम्मान की बात समझते हैं
4 यहोवा के साक्षी प्रचार काम को बढ़ाने में खुशी-खुशी अपने पैसे और दूसरे साधन लगाते हैं। पुराने ज़माने में भी यहोवा के सेवकों ने ऐसा किया था। यीशु और उसके चेलों के पास पैसों का एक बक्सा रहता था जिससे वे अपने खर्च पूरे करते थे। (यूह. 13:29) कुछ औरतें अपनी संपत्ति से यीशु और उसके चेलों की सेवा करती थीं। (मर. 15:40, 41; लूका 8:3) कुछ मसीहियों ने प्रेषित पौलुस की ज़रूरतें पूरी करने के लिए उसे कुछ भेजा और उसने खुशी-खुशी स्वीकार किया। वे मसीही प्रचार काम में पौलुस का हाथ बँटाना चाहते थे। (फिलि. 4:14-16; 1 थिस्स. 2:9) आज यहोवा के साक्षी भी उनकी तरह जोश से सेवा करते हैं और दिल खोलकर दान करते हैं। इसी वजह से आज हर जगह नेकदिल लोगों को “जीवन देनेवाला पानी मुफ्त में” दिया जा रहा है।—प्रका. 22:17.
हर मंडली का खर्च
5 हर मंडली का खर्च भी अपनी इच्छा से दिए गए दान से पूरा किया जाता है। राज-घर में आनेवालों से चंदा नहीं माँगा जाता, न ही कहीं से आर्थिक मदद माँगी जाती है और न ही यह हिसाब रखा जाता है कि किसको कितना देना है। राज-घर में दान-पेटियाँ रखी जाती हैं ताकि हर कोई ‘जैसा अपने दिल में ठानता है’ वैसा दान कर सके।—2 कुरिं. 9:7.
6 मंडली के दान का पैसा सबसे पहले राज-घर की ज़रूरतें पूरी करने और उसका रख-रखाव करने में लगाया जाता है। प्राचीनों का निकाय शायद यह फैसला करे कि कुछ पैसा अपने देश के शाखा दफ्तर को भेजा जाए ताकि वह पैसा पूरी दुनिया में राज के काम को आगे बढ़ाने में इस्तेमाल हो। ऐसा करने के लिए मंडली के सामने प्रस्ताव रखा जाता है और उसकी सहमति ली जाती है। इस तरह बहुत-सी मंडलियाँ दुनिया-भर में हो रहे काम के लिए नियमित तौर पर दान करती हैं। अगर मंडली के सभी लोग समय-समय पर उठनेवाली ज़रूरतों का ध्यान रखेंगे, तो दान करने के बारे में बार-बार घोषणा नहीं करनी पड़ेगी।
दान का हिसाब-किताब
7 हर सभा के बाद दो भाई दान-पेटियों में डाले गए पैसे निकालते हैं और उसका हिसाब रखते हैं। (2 राजा 12:9, 10; 2 कुरिं. 8:20) जब तक यह पैसा शाखा दफ्तर को नहीं भेजा जाता या मंडली की ज़रूरतों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता, तब तक प्राचीनों का निकाय इसे हिफाज़त से रखने का इंतज़ाम करता है। मंडली का हिसाब-किताब रखनेवाला भाई हर महीने मंडली की जानकारी के लिए एक रिपोर्ट तैयार करता है और प्राचीनों के निकाय का संयोजक हर तीसरे महीने ऑडिट करवाने यानी हिसाब की लेखा-जाँच करने का इंतज़ाम करता है।
सर्किट का खर्च
8 जब एक सम्मेलन होता है, तो उसका खर्च और सर्किट का बाकी खर्च उसी सर्किट के साक्षियों के दान से पूरा किया जाता है। सम्मेलन की जगह पर दान-पेटियाँ रखी जाती हैं ताकि लोग खुद जाकर सर्किट के लिए दान कर सकें। इसके अलावा, सर्किट में बार-बार होनेवाला खर्च पूरा करने के लिए मंडलियाँ सम्मेलन के अलावा दूसरे समय पर भी दान कर सकती हैं।
9 देखा जाए तो हर सर्किट के पास इतना दान होना चाहिए कि वह अपना खर्च खुद उठाए और दान बच जाए तो उसे पूरी दुनिया में होनेवाले काम के लिए भेजे। लेकिन अगर सर्किट के खाते में सम्मेलन चलाने या अगले सम्मेलन का इंतज़ाम करने के लिए काफी पैसे नहीं हैं, जैसे हॉल बुक कराने के लिए पैसे नहीं हैं, तो सर्किट निगरान के निर्देश पर मंडलियों को दान करने का बढ़ावा दिया जा सकता है। तब हर मंडली के प्राचीनों का निकाय इस बारे में चर्चा करेगा और तय करेगा कि सर्किट के खाते के लिए उनकी मंडली कितना दान करेगी। फिर वे एक प्रस्ताव पेश करके दान भेजेंगे।
10 अगर पैसों के मामले को लेकर सर्किट के सभी प्राचीनों की बैठक रखना ज़रूरी हो, तो सर्किट सम्मेलन के दिन उनकी बैठक रखी जा सकती है। सर्किट के जिस खर्च के लिए पहले से मंज़ूरी है, उसके अलावा अगर किसी और चीज़ के लिए खर्च करना हो तो प्राचीनों की बैठक में प्रस्ताव पेश किया जाना चाहिए और फिर फैसला करना चाहिए। जब भी इस तरह का कोई मामला उठता है, तो प्रस्ताव पेश करना ज़रूरी है। प्रस्ताव में साफ-साफ लिखा जाना चाहिए कि कितनी रकम चाहिए।
11 समय-समय पर सर्किट निगरान सर्किट के हिसाब-किताब की लेखा-जाँच करने के लिए इंतज़ाम करता है।
गरीब भाई-बहनों की देखभाल
12 यीशु और उसके चेलों के पास पैसों का जो बक्सा रहता था, उस पैसे से वे गरीबों की भी मदद करते थे। (मर. 14:3-5; यूह. 13:29) गरीबों की मदद करना आज भी मसीहियों की ज़िम्मेदारी है। यीशु ने कहा था, “गरीब तो हमेशा तुम्हारे साथ होंगे।” (मर. 14:7) आज यहोवा के साक्षी यह ज़िम्मेदारी कैसे पूरी करते हैं?
13 कभी-कभार वफादार भाई-बहनों को पैसों की ज़रूरत पड़ सकती है। हो सकता है कि उनकी उम्र ढल चुकी हो, वे चल-फिर न पाते हों या फिर उन पर कोई ऐसी मुसीबत आ पड़ी हो जिस पर उनका कोई बस नहीं। ऐसे में परिवार के लोग, रिश्तेदार या दूसरे लोग शायद उनकी मदद करने के लिए आगे आएँ। प्रेषित यूहन्ना ने कहा था, “अगर किसी के पास गुज़र-बसर के लिए सबकुछ है और वह देखे कि उसका भाई तंगी में है, फिर भी उस पर दया करने से इनकार कर देता है, तो यह कैसे कहा जा सकता है कि वह परमेश्वर से प्यार करता है? प्यारे बच्चो, हमें सिर्फ बातों या ज़बान से नहीं बल्कि अपने कामों से दिखाना चाहिए कि हम सच्चे दिल से प्यार करते हैं।” (1 यूह. 3:17, 18; 2 थिस्स. 3:6-12) सच्ची उपासना करने में यह ज़िम्मेदारी भी शामिल है कि हम तंगी झेलनेवाले भाई-बहनों की मदद करें।—याकू. 1:27; 2:14-17.
14 प्रेषित पौलुस ने तीमुथियुस के नाम पहली चिट्ठी में बताया कि जो वाकई ज़रूरतमंद हैं, उनकी कैसे मदद की जा सकती है। आप यह सलाह 1 तीमुथियुस 5:3-21 में पढ़ सकते हैं। अगर एक मसीही को पैसे की ज़रूरत है, तो सबसे पहले उसके परिवार के लोगों को उसकी मदद करनी चाहिए। जो भाई-बहन बुज़ुर्ग हैं या चल-फिर नहीं सकते उनकी मदद करने की ज़िम्मेदारी सबसे पहले उनके बच्चों, नाती-पोतों या दूसरे नज़दीकी रिश्तेदारों की है। कभी-कभी सरकार या समाज-सेवी संस्थाएँ भी कुछ योजनाएँ बनाती हैं। इन योजनाओं से फायदा पाने के लिए ज़रूरतमंदों के रिश्तेदार या दूसरे लोग अर्ज़ी भरने में उनकी मदद कर सकते हैं। ऐसे हालात भी पैदा हो सकते हैं जब पूरी मंडली को ऐसे भाई-बहनों की मदद करनी पड़े जो बरसों से यहोवा की सेवा करते आए हैं। अगर उनके परिवार में कोई नहीं है, न ही दूसरे रिश्तेदार हैं जो उनकी मदद कर सकें और उन्हें सरकार से भी इतनी मदद नहीं मिलती कि उनका गुज़ारा चल सके, तो प्राचीनों का निकाय उनकी मदद करने का इंतज़ाम कर सकता है। मसीही अपने रुपए-पैसे या साधन देकर उनकी मदद करना एक सम्मान समझते हैं।
15 आज हम संकटों से भरे वक्त में जी रहे हैं, इसलिए कई भाई-बहनों को ज़ुल्म, युद्ध, भूकंप, बाढ़, अकाल या दूसरी मुसीबतों की वजह से तंगी झेलनी पड़ सकती है। (मत्ती 24:7-9) ऐसे में शायद आस-पास की मंडलियाँ एक-दूसरे की मदद न कर पाएँ। तब शासी निकाय दूसरी जगहों के भाई-बहनों से उनकी मदद करने के लिए कहता है। पहली सदी में जब यहूदिया में अकाल पड़ा, तो एशिया माइनर के मसीहियों ने वहाँ के भाई-बहनों के लिए कुछ भेजा था। (1 कुरिं. 16:1-4; 2 कुरिं. 9:1-5) आज हम भी ज़रूरतमंद भाई-बहनों की मदद करते हैं। यही प्यार सच्चे मसीहियों की पहचान है।—यूह. 13:35.
साहित्य की देखरेख
16 बाइबल और बाइबल पर आधारित किताबों-पत्रिकाओं से राज का संदेश फैलाने में बहुत मदद मिलती है। प्राचीनों का निकाय मंडली में साहित्यों की देखरेख करने का काम आम तौर पर एक सहायक सेवक को देता है। जिस भाई को यह ज़िम्मेदारी दी जाती है, वह उसे गंभीरता से लेता है। वह साहित्यों का अच्छा रिकॉर्ड रखता है ताकि ज़रूरत के हिसाब से मंडली में काफी किताबें-पत्रिकाएँ हों।
17 हमने अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित की है, इसलिए हम जानते हैं कि हमें अपना समय, अपनी काबिलीयतें, हुनर और धन-संपत्ति, यहाँ तक कि अपनी ज़िंदगी परमेश्वर की सेवा में लगानी है। यह सब उसी का दिया हुआ है। (लूका 17:10; 1 कुरिं. 4:7) हमारे पास जो कुछ है, उसका सही इस्तेमाल करके हम दिखाते हैं कि हम दिल से यहोवा से प्यार करते हैं। हम चाहते हैं कि हम अपनी अनमोल चीज़ों से यहोवा का सम्मान करें। जब हम तन-मन से यहोवा की सेवा करते हैं और दान के रूप में उसे जो भी देते हैं उससे वह खुश होता है। (नीति. 3:9; मर. 14:3-9; लूका 21:1-4; कुलु. 3:23, 24) यीशु ने कहा था, “तुम्हें मुफ्त मिला है, मुफ्त में दो।” (मत्ती 10:8) जब हम यहोवा की सेवा में अपना सबकुछ लगा देते हैं, तो हमें भी खुशी मिलती है।—प्रेषि. 20:35.