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  • मंडली में शांति और शुद्धता बनाए रखिए

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अध्याय 14

मंडली में शांति और शुद्धता बनाए रखिए

बाइबल की भविष्यवाणी के मुताबिक हर साल हज़ारों की तादाद में लोग यहोवा की शुद्ध उपासना के भवन में आ रहे हैं। (मीका 4:1, 2) “परमेश्‍वर की मंडली” में उनका स्वागत करने में हमें बहुत खुशी होती है! (प्रेषि. 20:28) उन्हें हमारे साथ मिलकर यहोवा की सेवा करना अच्छा लगता है। हमारी तरह वे भी शुद्ध और शांति-भरे फिरदौस जैसे माहौल का आनंद उठाते हैं। परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति और उसके वचन बाइबल में दी बढ़िया सलाह की बदौलत मंडली में शांति और शुद्धता बनी रहती है।​—भज. 119:105; जक. 4:6.

2 बाइबल के सिद्धांतों पर अमल करके हम “नयी शख्सियत” पहनते हैं। (कुलु. 3:10) हम छोटी-मोटी बातों पर होनेवाले झगड़ों और मन-मुटाव को दरकिनार कर देते हैं। हम मामलों को उसी नज़र से देखते हैं, जिस नज़र से यहोवा देखता है। इस वजह से हम उन बातों पर जीत हासिल कर पाते हैं जिन्हें लेकर दुनिया के लोगों में फूट पड़ी हुई है और हम पूरी दुनिया में फैली भाइयों की बिरादरी के साथ एकता में रहकर सेवा कर पाते हैं।​—प्रेषि. 10:34, 35.

3 फिर भी कभी-कभी भाई-बहनों के बीच समस्याएँ खड़ी हो जाती हैं, जिस वजह से मंडली की शांति भंग हो सकती है और भाइयों के बीच एकता टूट सकती है। ऐसी समस्याएँ क्यों खड़ी होती हैं? अकसर ऐसा तब होता है जब हम बाइबल की सलाह मानने से चूक जाते हैं। हम सब में कमज़ोरियाँ हैं, हममें से ऐसा कोई नहीं है जिसने पाप नहीं किया। (1 यूह. 1:10) हो सकता है कि एक मसीही कोई गलत काम कर बैठे, जिस वजह से मंडली नैतिक तौर पर या यहोवा की नज़र में अशुद्ध हो जाए। शायद हम बिना सोचे-समझे कुछ कह दें या ऐसा कुछ कर दें जिससे किसी को चोट पहुँचे या हो सकता है कि हमें किसी की बातों या काम से ठेस पहुँचे। (रोमि. 3:23) हम ऐसे मामले कैसे सुलझा सकते हैं?

4 यहोवा ये बातें अच्छी तरह समझता है, इसलिए उसने अपने वचन में बताया है कि ऐसी समस्याएँ उठने पर हमें क्या करना चाहिए। प्यार से रखवाली करनेवाले चरवाहे यानी प्राचीन हर एक की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। वे बाइबल से जो सलाह देते हैं, उसे मानने से हम दूसरों के साथ दोबारा अच्छा रिश्‍ता बना सकते हैं और यहोवा की नज़र में अच्छा नाम बनाए रख सकते हैं। अगर हमने कोई गलत काम किया है और उस वजह से हमें सुधारा जाता है, तो हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमसे प्यार करने की वजह से ही हमें सुधारता है।​—नीति. 3:11, 12; इब्रा. 12:6.

छोटे-मोटे मन-मुटाव सुलझाएँ

5 कभी-कभी मंडली के भाई-बहनों के बीच छोटी-मोटी बात की वजह से खटपट हो सकती है या कोई समस्या खड़ी हो सकती है। हम अपने भाइयों से प्यार करते हैं, इसलिए हमें फौरन समस्या सुलझा लेनी चाहिए। (इफि. 4:26; फिलि. 2:2-4; कुलु. 3:12-14) हम ऐसी समस्याएँ कैसे सुलझा सकते हैं? प्रेषित पतरस की यह सलाह मानकर, “एक-दूसरे को दिल की गहराइयों से प्यार करो क्योंकि प्यार ढेर सारे पापों को ढक देता है।” (1 पत. 4:8) बाइबल में लिखा है, “हम सब कई बार गलती करते हैं।” (याकू. 3:2) अगर हम सुनहरा नियम मानें, यानी दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा हम उनसे चाहते हैं, तो हम उनकी छोटी-मोटी गलतियाँ माफ करके उन्हें भुला सकते हैं।​—मत्ती 6:14, 15; 7:12.

6 अगर आपको पता चलता है कि आपकी बातों या आपके बरताव से किसी को चोट पहुँची है, तो फौरन खुद आगे बढ़कर उससे सुलह कीजिए। याद रखिए, उस भाई या बहन के साथ रिश्‍ता खराब होने से यहोवा के साथ आपके रिश्‍ते पर भी असर पड़ेगा। यीशु ने अपने चेलों को सलाह दी, “अगर तू मंदिर में वेदी के पास अपनी भेंट ला रहा हो और वहाँ तुझे याद आए कि तेरे भाई को तुझसे कुछ शिकायत है, तो अपनी भेंट वहीं वेदी के सामने छोड़ दे और जाकर पहले अपने भाई के साथ सुलह कर और फिर आकर अपनी भेंट चढ़ा।” (मत्ती 5:23, 24) हो सकता है आप दोनों के बीच कोई गलतफहमी हो गयी हो। अगर ऐसा है तो उससे बात कीजिए। मंडली के सब भाई-बहनों के बीच अगर अच्छी बातचीत हो, तो गलतफहमियाँ नहीं होंगी और अपरिपूर्ण होने की वजह से जो समस्याएँ उठती हैं, उन्हें हम सुलझा पाएँगे।

बाइबल से सलाह

7 कभी-कभी निगरानी करनेवाले भाइयों को किसी भाई या बहन की गलत सोच सुधारने के लिए उसे सलाह देनी पड़ सकती है। यह हमेशा आसान नहीं होता। प्रेषित पौलुस ने गलातिया के मसीहियों को लिखा, “भाइयो, हो सकता है कि कोई इंसान गलत कदम उठाए और उसे इस बात का एहसास न हो। ऐसे में, तुम जो परमेश्‍वर की ठहरायी योग्यताएँ रखते हो, कोमलता की भावना से ऐसे इंसान को सुधारने की कोशिश करो।”​—गला. 6:1.

8 अगर प्राचीन प्यार से झुंड की देखरेख करें, तो वे उसे कई खतरों से बचा सकते हैं और गंभीर समस्याएँ खड़ी होने से रोक सकते हैं। वे मंडली की सेवा वैसे ही करने की कोशिश करते हैं, जैसे यहोवा ने यशायाह के ज़रिए वादा किया था, “हर हाकिम मानो आँधी से छिपने की जगह होगा, तेज़ बारिश में मिलनेवाली पनाह होगा, सूखे देश में पानी की धारा होगा और तपते देश में बड़ी चट्टान की छाया होगा।”​—यशा. 32:2.

कायदे से न चलनेवालों पर नज़र

9 प्रेषित पौलुस ने ऐसे कुछ लोगों से खबरदार रहने के लिए कहा, जो मंडली पर बुरा असर डाल सकते हैं। उसने लिखा, ‘हम तुम्हें हिदायत देते हैं कि ऐसे हर भाई से दूर हो जाओ जो कायदे से नहीं चलता और उन हिदायतों के मुताबिक नहीं चलता जो हमने तुम्हें बतायी थीं।’ फिर उसने अपनी बात साफ समझाते हुए लिखा, “अगर कोई उन बातों को नहीं मानता जो हमने इस चिट्ठी में बतायी हैं, तो ऐसे आदमी पर नज़र रखो और उसके साथ मिलना-जुलना छोड़ दो ताकि वह शर्मिंदा हो। फिर भी उसे दुश्‍मन मत समझो, मगर उसे एक भाई जानकर समझाते-बुझाते रहो।”​—2 थिस्स. 3:6, 14, 15.

10 एक मसीही ने शायद कोई बड़ा पाप न किया हो जिस वजह से मंडली से उसका बहिष्कार किया जाए, मगर शायद वह परमेश्‍वर के स्तरों का घोर अनादर करता हो। जैसे हो सकता है वह हद-से-ज़्यादा आलसी हो, हर वक्‍त दूसरों में कमियाँ निकालता हो या फिर साफ-सफाई पर कोई ध्यान न देता हो। या हो सकता है कि वह ‘उन बातों में दखल देता फिरता हो जिनसे उसका कोई लेना-देना नहीं है।’ (2 थिस्स. 3:11) या दूसरों का नाजायज़ फायदा उठाकर मुनाफा कमाने की कोशिश करता हो या ऐसे मनोरंजन में डूबे रहता हो, जो परमेश्‍वर की नज़र में गलत है। इस तरह के व्यवहार से मंडली बदनाम हो सकती है और दूसरे मसीहियों में भी ऐसा रवैया पैदा हो सकता है।

11 पहले तो प्राचीन कायदे से न चलनेवाले को बाइबल से सलाह देंगे, ताकि वह सही राह पर लौट आए। लेकिन अगर प्राचीन देखते हैं कि कई बार समझाने के बावजूद वह बाइबल के सिद्धांतों का अनादर करने से बाज़ नहीं आता, तो वे मंडली में सबको आगाह करने के लिए एक भाषण देने का फैसला कर सकते हैं। प्राचीन सूझ-बूझ से काम लेकर तय करेंगे कि फलाँ व्यक्‍ति का रवैया क्या वाकई गलत है और दूसरों पर इतना बुरा असर कर रहा है कि मंडली को इस बारे में आगाह करने के लिए एक भाषण देना ज़रूरी है। अगर भाषण दिया जाता है, तो वक्‍ता खासकर उस व्यक्‍ति के गलत चालचलन के बारे में ज़रूरी सलाह देगा, लेकिन वह उस व्यक्‍ति का नाम नहीं लेगा। नतीजा, जो भाई-बहन भाषण में ज़िक्र किए गए हालात से वाकिफ हैं, वे भाषण में बतायी बातें गंभीरता से लेंगे और कायदे से न चलनेवाले व्यक्‍ति से मेल-जोल नहीं रखेंगे। लेकिन वे उसके साथ परमेश्‍वर की सेवा से जुड़े काम करते रहेंगे और उसे ‘एक भाई जानकर समझाते-बुझाते रहेंगे।’

12 जब मंडली के भाई-बहन कायदे से न चलनेवाले व्यक्‍ति से ज़्यादा मेल-जोल नहीं रखेंगे, तो शायद वह व्यक्‍ति शर्मिंदा महसूस करे और उसका दिल उसे बदलाव करने के लिए उभारे। जब यह साफ ज़ाहिर हो जाता है कि उस व्यक्‍ति ने गलत रास्ता छोड़ दिया है, तो उसके साथ ऐसे व्यवहार करना ज़रूरी नहीं जैसे कि उस पर नज़र रखी जा रही हो।

गंभीर अपराध के मामले कैसे निपटाएँ?

13 भाई-बहनों की गलतियाँ नज़रअंदाज़ करने और उन्हें माफ करने का यह मतलब नहीं कि हम उनके पाप या अपराध को अनदेखा कर दें या उसे सही ठहराएँ। हम हर बार ऐसा नहीं कह सकते कि अपरिपूर्ण होने की वजह से उनसे गलती हो गयी होगी। अगर एक मसीही कोई संगीन अपराध करता है, तो उसे नज़रअंदाज़ करना भी सही नहीं होगा। (लैव्य. 19:17; भज. 141:5) मूसा के कानून में बताया गया था कि कुछ पाप ज़्यादा गंभीर होते हैं, तो कुछ कम। यही बात मसीही इंतज़ाम में भी लागू होती है।​—1 यूह. 5:16, 17.

14 यीशु ने बताया था कि अगर एक मसीही दूसरे मसीही के खिलाफ कोई गंभीर पाप करता है, तो मामले को निपटाने के लिए क्या-क्या कदम उठाने चाहिए। गौर कीजिए कि उसने क्या कदम बताए। “अगर तेरा भाई कोई पाप करता है, तो [1] जा और उससे अकेले में बात कर और उसकी गलती उसे बता। अगर वह तेरी सुने, तो तूने अपने भाई को पा लिया है। लेकिन अगर वह तेरी नहीं सुनता, तो [2] अपने साथ एक या दो लोगों को ले जाकर उससे बात कर ताकि हर मामले की सच्चाई दो या तीन गवाहों के बयान से साबित हो। अगर वह उनकी नहीं सुनता, तो [3] मंडली को बता। और अगर वह मंडली की भी नहीं सुनता, तो वह तेरे लिए गैर-यहूदी या कर-वसूलनेवाले जैसा ठहरे।”​—मत्ती 18:15-17.

15 इसके बाद मत्ती 18:23-35 में यीशु ने जो मिसाल दी, उसे ध्यान में रखते हुए ऐसा मालूम होता है कि मत्ती 18:15-17 में पैसे या ज़मीन-जायदाद से जुड़े किसी अपराध की बात की गयी है। जैसे कर्ज़ न चुकाना या धोखाधड़ी करना या फिर बदनाम करनेवाली बातें करके किसी की इज़्ज़त मिट्टी में मिलाना।

16 अगर आपके पास इस बात का सबूत है कि मंडली के किसी भाई या बहन ने आपके खिलाफ ऐसा अपराध किया है, तो जल्दबाज़ी में प्राचीनों से मत कहिए कि वे आपकी तरफ से कुछ कार्रवाई करें। यीशु की सलाह मानकर सबसे पहले उस व्यक्‍ति से बात कीजिए जिससे आपको शिकायत है। मामले को आपस में सुलझाने की कोशिश कीजिए, किसी और को बीच में मत लाइए। याद रखिए, यीशु ने यह नहीं कहा कि ‘सिर्फ एक बार जा और उसकी गलती उसे बता।’ इसका मतलब है कि अगर वह एक बार में अपनी गलती नहीं मानता और माफी नहीं माँगता, तो अच्छा होगा कि आप उससे कुछ समय बाद दोबारा बात करें। अगर मामला इस तरह निपटाया जाए, तो जिसने अपराध किया है वह ज़रूर आपका एहसान मानेगा कि आपने उसके अपराध के बारे में दूसरों को नहीं बताया और न ही मंडली में उसके नाम पर कीचड़ उछाला। इस तरह आप “अपने भाई को पा” लेंगे।

17 अगर अपराध करनेवाला अपनी गलती मान लेता है, माफी माँगता है और मामले को सुलझाने के लिए कदम उठाता है, तो मामला आगे बढ़ाने की ज़रूरत नहीं। हालाँकि यह अपराध गंभीर है, फिर भी ऐसे मामले उन लोगों के बीच निपटाए जा सकते हैं जो इसमें शामिल हैं।

18 अगर आप अपने भाई से ‘अकेले में बात करके’ उसकी गलती उसे बताते हैं मगर उसे पा लेने में नाकाम हो जाते हैं, तो जैसा यीशु ने कहा, “अपने साथ एक या दो लोगों को ले जाकर” उससे फिर बात कीजिए। आप जिन्हें अपने साथ ले जाते हैं, उनका भी यही मकसद होना चाहिए कि आप उस भाई को पा लें। अच्छा होगा कि आप ऐसे लोगों को साथ ले जाएँ जो उस अपराध के गवाह हैं जिसका इलज़ाम उस भाई पर है। अगर कोई चश्‍मदीद गवाह नहीं है, तो आप ऐसे एक या दो भाई-बहनों को अपने साथ ले जा सकते हैं जो उस भाई के साथ होनेवाली बातचीत के गवाह होंगे। आप चाहें तो ऐसे भाई या बहन को साथ ले जा सकते हैं, जिसे उस मामले में थोड़ा-बहुत तजुरबा हो जिस पर बातचीत होनी है और जो तय कर सकें कि जो हुआ, वह असल में एक अपराध था या नहीं। अगर प्राचीनों को गवाह के तौर पर चुना जाता है, तो उस समय वे ऐसे पेश नहीं आएँगे मानो उन्हें मंडली की तरफ से भेजा गया हो, क्योंकि प्राचीनों के निकाय ने उन्हें यह काम नहीं सौंपा है।

19 अगर आपने उससे अकेले में बात की और फिर एक या दो गवाहों को साथ ले जाकर भी उससे बात की, लेकिन मामला नहीं सुलझा और आपको लगता है कि आप मामले को यूँ ही नहीं छोड़ सकते, तो आपको क्या करना चाहिए? आपको इस बारे में मंडली के प्राचीनों को बताना चाहिए। याद रखिए, उनका लक्ष्य मंडली में शांति और शुद्धता बरकरार रखना है। अगर आपने प्राचीनों को अपनी समस्या बता दी है, तो मामला उनके हाथ में छोड़ दीजिए और यहोवा पर भरोसा रखिए। मगर दूसरे लोगों के बरताव की वजह से आपको कभी-भी ठोकर नहीं खानी चाहिए, न ही यहोवा की सेवा में अपनी खुशी को कम होने देना चाहिए।​—भज. 119:165.

20 झुंड के चरवाहे मामले की जाँच-पड़ताल करेंगे। अगर यह साबित हो जाता है कि उस भाई ने वाकई आपके खिलाफ संगीन अपराध किया है और वह पश्‍चाताप नहीं करता और जो बदलाव वह कर सकता है, वह करने के लिए तैयार नहीं है, तो ऐसे में कुछ निगरानों से बनी समिति शायद उसका मंडली से बहिष्कार करे। इस तरह प्राचीन झुंड की हिफाज़त करते हैं और मंडली में शुद्धता बनाए रखते हैं।​—मत्ती 18:17.

गंभीर पाप के मामले कैसे निपटाएँ?

21 कुछ पाप बहुत बड़े होते हैं जैसे नाजायज़ यौन-संबंध, व्यभिचार, समान लिंग के व्यक्‍ति के साथ यौन-संबंध, परमेश्‍वर की निंदा, परमेश्‍वर से बगावत, मूर्तिपूजा वगैरह। ऐसे मामलों में यह काफी नहीं कि जिसके खिलाफ किसी ने पाप किया है, वह गुनहगार को माफ कर दे। (1 कुरिं. 6:9, 10; गला. 5:19-21) ऐसे पापों की वजह से मंडली परमेश्‍वर की नज़र में और नैतिक तौर पर अशुद्ध हो सकती है, इसलिए इनके बारे में प्राचीनों को बताया जाना चाहिए और उन्हें इन मामलों को निपटाना चाहिए। (1 कुरिं. 5:6; याकू. 5:14, 15) कुछ लोग शायद प्राचीनों के पास जाकर अपने पाप कबूल करें या अगर उन्हें किसी के पाप के बारे में पता हो तो उस बारे में बताएँ। (लैव्य. 5:1; याकू. 5:16) प्राचीनों को बपतिस्मा पाए किसी भाई या बहन के गंभीर पाप के बारे में पहली बार चाहे किसी भी तरीके से सुनने को मिले, इस बारे में कोई कार्रवाई करने से पहले दो प्राचीन मामले की छानबीन करेंगे। अगर यह तय हो जाए कि उन्होंने जो सुना वह सही है, साथ ही, इस बात के सबूत भी मिलें कि उस भाई या बहन ने गंभीर पाप किया है, तो प्राचीनों का निकाय मामले को निपटाने के लिए एक न्याय-समिति बनाएगा, जिसमें कम-से-कम तीन प्राचीन होंगे।

22 प्राचीन झुंड की चौकसी करते वक्‍त उसे ऐसे हर खतरे से बचाने की कोशिश करते हैं, जिससे भाई-बहनों का परमेश्‍वर के साथ रिश्‍ता बिगड़ सकता है। साथ ही, वे बड़ी कुशलता से परमेश्‍वर के वचन की मदद से गलती करनेवाले को सुधारने की कोशिश करते हैं और परमेश्‍वर के साथ उसका रिश्‍ता दोबारा मज़बूत करने में उसकी मदद करते हैं। (यहू. 21-23) वे प्रेषित पौलुस की इस सलाह को मानते हैं जो उसने तीमुथियुस को दी थी, ‘मैं तुझे परमेश्‍वर और मसीह यीशु के सामने, जो ज़िंदा लोगों और मरे हुओं का न्याय करनेवाला है, यह आदेश देता हूँ: सब्र से काम लेते हुए और कुशलता से सिखाते हुए गलती करनेवाले को सुधार, डाँट और समझा।’ (2 तीमु. 4:1, 2) इसमें काफी समय लग सकता है, मगर यह प्राचीनों का फर्ज़ है जिससे वे मुकरते नहीं। मंडली उनकी मेहनत की कदर करती है और इसके लिए उन्हें “दुगने आदर के योग्य” समझती है।​—1 तीमु. 5:17.

23 अगर यह साबित हो जाए कि उस व्यक्‍ति ने पाप किया है, तो प्राचीन गुनहगार का परमेश्‍वर के साथ रिश्‍ता दोबारा मज़बूत करने में उसकी पूरी मदद करते हैं। वे उसे अकेले में या न्यायिक सुनवाई के दौरान बयान देनेवाले गवाहों के सामने सुधारेंगे। अगर वह सच्चा पश्‍चाताप करता है, तो वह प्राचीनों से मिली सलाह से सबक सीखेगा। साथ ही, देखनेवालों के मन में भी सही किस्म का डर पैदा होगा। (2 शमू. 12:13; 1 तीमु. 5:20) जब भी न्याय-समिति किसी व्यक्‍ति को सुधारती है, तो वह उस पर पाबंदियाँ लगाती है। इससे पाप करनेवाले को अपने कदमों के लिए “सीधा रास्ता” बनाने में मदद मिल सकती है। (इब्रा. 12:13) समय के गुज़रते अगर यह ज़ाहिर हो कि वह सुधार कर रहा है, तो उस पर लगी पाबंदियाँ हटा दी जाती हैं।

सुधार की घोषणा

24 अगर न्याय-समिति फैसला करती है कि पाप करनेवाले ने पश्‍चाताप तो किया है, मगर इस मामले के बारे में मंडली या उस इलाके के लोगों को पता चल सकता है, या फिर प्राचीनों को लगता है कि मंडली को पश्‍चाताप करनेवाले गुनहगार से सावधान रहने की ज़रूरत है, तो ‘मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा’ में इसकी एक छोटी-सी घोषणा की जाएगी। घोषणा इस तरह होनी चाहिए: “[व्यक्‍ति का नाम] को शास्त्र से सुधारा गया है।”

अगर बहिष्कार करने का फैसला किया जाए

25 कुछ मामलों में एक व्यक्‍ति पाप करते-करते इतना ढीठ हो जाता है कि उसकी मदद करने की चाहे जितनी भी कोशिश की जाए, वह बदलने को तैयार नहीं होता। न्याय-समिति को उसके मामले की सुनवाई करते वक्‍त इस बात का सबूत नहीं मिलता कि उसने “पश्‍चाताप दिखानेवाले काम” किए हैं। (प्रेषि. 26:20) तब क्या किया जाता है? ऐसे में पश्‍चाताप न करनेवाले गुनहगार का मंडली से बहिष्कार करना ज़रूरी हो जाता है और इस तरह उसे यहोवा के शुद्ध लोगों से संगति करने से रोका जाता है। साथ ही, पाप करनेवाले का मंडली पर बुरा असर नहीं होता। इस तरह मंडली नैतिक तौर पर और परमेश्‍वर की नज़र में शुद्ध रहती है और मंडली का नाम खराब नहीं होता। (व्यव. 21:20, 21; 22:23, 24) जब प्रेषित पौलुस को कुरिंथ की मंडली के एक व्यक्‍ति के शर्मनाक काम का पता चला, तो उसने वहाँ के प्राचीनों को सलाह दी, ‘उस आदमी को शैतान के हवाले कर दो ताकि मंडली का नज़रिया सही बना रहे।’ (1 कुरिं. 5:5, 11-13) पौलुस ने पहली सदी के ऐसे कुछ और लोगों के बारे में भी लिखा जिनका सच्चाई से बगावत करने की वजह से बहिष्कार किया गया था।​—1 तीमु. 1:20.

26 जब यह तय हो जाता है कि पश्‍चाताप न करनेवाले गुनहगार का बहिष्कार किया जाना है, तो न्याय-समिति को इस फैसले के बारे में उस व्यक्‍ति को बताना चाहिए। गुनहगार को साफ बताया जाना चाहिए कि बाइबल में दिए किस कारण (या कारणों) से उसका बहिष्कार किया जा रहा है। न्याय-समिति अपना फैसला बताते वक्‍त गुनहगार को यह भी बताएगी कि अगर उसे लगता है कि समिति का फैसला सही नहीं है और वह अपील करना चाहता है, तो वह खत लिखकर साफ-साफ बता सकता है कि वह किन कारणों से अपील कर रहा है। जब उसे न्याय-समिति के फैसले के बारे में बताया जाता है, तब से लेकर उसे अपील करने के लिए सात दिन दिए जाएँगे। अगर प्राचीनों के निकाय को अपील मिलती है, तो वे सर्किट निगरान से संपर्क करेंगे। फिर सर्किट निगरान मामले की दोबारा सुनवाई करने के लिए काबिल प्राचीनों की एक अपील-समिति बनाएगा। अपील-समिति के प्राचीन, खत मिलने के एक हफ्ते के अंदर मामले की सुनवाई करने की हर मुमकिन कोशिश करेंगे। अगर अपील की जाती है, तो फिलहाल मंडली में उसके बहिष्कार की घोषणा नहीं की जाएगी। तब तक उसे सभाओं में जवाब देने या प्रार्थना करने की इजाज़त नहीं दी जाएगी और सेवा की खास ज़िम्मेदारियाँ निभाने से मना कर दिया जाएगा।

27 अपील करने की इजाज़त देना आरोपी के लिए प्यार का सबूत है और इस वजह से उसे अपने दिल की बात बताने का एक और मौका मिलता है। अगर गुनहगार अपील की सुनवाई के वक्‍त जानबूझकर नहीं आता, तो उससे संपर्क करने की मुनासिब कोशिशें की जाएँगी और इसके बाद उसके बहिष्कार की घोषणा की जाएगी।

28 अगर गुनहगार अपील नहीं करना चाहता, तो न्याय-समिति उसे समझाएगी कि उसे पश्‍चाताप करने की ज़रूरत है और बताएगी कि वह कौन-से कदम उठा सकता है, ताकि कुछ समय बाद उसे मंडली में बहाल किया जा सके। ऐसा करके प्राचीन उसकी मदद करेंगे और उसके लिए प्यार ज़ाहिर करेंगे, ताकि एक दिन वह गलत रास्ता छोड़ दे और यहोवा के संगठन में लौट आने के योग्य हो जाए।​—2 कुरिं. 2:6, 7.

बहिष्कार की घोषणा

29 जब पश्‍चाताप न करनेवाले गुनहगार का बहिष्कार करना ज़रूरी हो जाता है, तो मंडली में इसकी छोटी-सी घोषणा की जानी चाहिए। बस इतना कहना चाहिए: “[व्यक्‍ति का नाम] अब से यहोवा का साक्षी नहीं है।” घोषणा करने से मंडली के वफादार भाई-बहन सावधान हो जाएँगे कि उन्हें उस व्यक्‍ति से मेल-जोल बंद कर देना चाहिए।​—1 कुरिं. 5:11.

संगति छोड़ना

30 अगर एक व्यक्‍ति ने बपतिस्मा लिया है, मगर अब वह कहता है कि वह यहोवा का साक्षी नहीं कहलाना चाहता और जानबूझकर मसीही होने से इनकार करता है, तो उसके इस कदम को “संगति छोड़ना” कहा जाता है। या फिर शायद वह अपने कामों से दिखाए कि अब वह मसीही मंडली का हिस्सा नहीं है। जैसे, वह शायद किसी ऐसे संगठन से जुड़ जाए, जो बाइबल की शिक्षाओं के खिलाफ काम करता है और जिसे परमेश्‍वर ने सज़ा देने का फैसला किया है।​—यशा. 2:4; प्रका. 19:17-21.

31 प्रेषित यूहन्‍ना के दिनों में जिन मसीहियों ने अपने विश्‍वास को ठुकरा दिया था, उनके बारे में उसने लिखा, “वे हमारे ही बीच से निकलकर गए थे मगर वे हमारे जैसे नहीं थे। अगर वे हमारे जैसे होते तो हमारे साथ ही रहते।”​—1 यूह. 2:19.

32 जब एक इंसान मंडली से नाता तोड़ लेता है, तो यहोवा की नज़र में उसकी हालत उस मसीही से बहुत अलग होती है जो निष्क्रिय है और प्रचार नहीं करता। एक मसीही शायद इसलिए निष्क्रिय हो जाए क्योंकि वह नियमित तौर पर बाइबल का अध्ययन करने में लापरवाह हो गया हो। या हो सकता है, ज़िंदगी की समस्याओं की वजह से या ज़ुल्म सहते-सहते यहोवा की सेवा में उसका जोश ठंडा पड़ गया हो। प्राचीन और मंडली के दूसरे भाई-बहन उसकी हिम्मत बँधाना जारी रखेंगे।​—रोमि. 15:1; 1 थिस्स. 5:14; इब्रा. 12:12.

33 मगर जो मसीही, मंडली से संगति करना छोड़ देता है, उसके बारे में छोटी-सी घोषणा करके मंडली को बताना चाहिए, “[व्यक्‍ति का नाम] अब से यहोवा का साक्षी नहीं है।” ऐसे व्यक्‍ति को उसी नज़र से देखा जाएगा जैसे बहिष्कार किए गए व्यक्‍ति को देखा जाता है।

बहाली

34 अगर बहिष्कार किए गए या मंडली से संगति छोड़नेवाले व्यक्‍ति के बारे में साफ ज़ाहिर हो कि उसने पश्‍चाताप किया है और समय के गुज़रते वह दिखाता है कि उसने पाप का रास्ता छोड़ दिया है, साथ ही वह यहोवा के साथ अच्छा रिश्‍ता कायम करना चाहता है, तो उसे बहाल किया जा सकता है। प्राचीन इस मामले में एहतियात बरतते हैं, इसलिए वे उस व्यक्‍ति को यह साबित करने के लिए काफी वक्‍त देंगे कि उसका पश्‍चाताप सच्चा है। हालात को ध्यान में रखते हुए उसे कई महीने, एक साल या उससे भी ज़्यादा समय दिया जा सकता है। जब प्राचीनों के निकाय को बहिष्कार किए गए व्यक्‍ति से बहाली की गुज़ारिश का खत मिलता है, तब एक बहाली-समिति उस व्यक्‍ति से बात करेगी। समिति यह जाँच करेगी कि क्या उसने “पश्‍चाताप दिखानेवाले काम” किए हैं और फैसला करेगी कि उस वक्‍त उसे बहाल करना ठीक रहेगा या नहीं।​—प्रेषि. 26:20.

35 अगर बहाली की गुज़ारिश करनेवाले का बहिष्कार किसी और मंडली में किया गया था, लेकिन अब वह दूसरी मंडली के इलाके में रहता है, तो इस मंडली की बहाली-समिति उससे मुलाकात करेगी और उसकी गुज़ारिश पर गौर करेगी। अगर बहाली-समिति के भाइयों को लगता है कि उसे बहाल किया जाना चाहिए, तो वे अपने सुझाव उसकी पुरानी मंडली के प्राचीनों के निकाय को देंगे, जहाँ उसके मामले की सुनवाई हुई थी। इस मामले में शामिल समितियाँ मिलकर काम करेंगी और इस बात का ध्यान रखेंगी कि मामले की पूरी और सही जानकारी हासिल की जाए, ताकि बिलकुल सही फैसला लिया जा सके। लेकिन उस व्यक्‍ति को बहाल करने का फैसला पुरानी मंडली की बहाली-समिति ही करेगी।

बहाली की घोषणा

36 अगर बहाली-समिति को पक्का यकीन हो जाता है कि बहिष्कार किए गए व्यक्‍ति ने या जिसने मंडली से संगति करना छोड़ दिया है, उसने सच्चा पश्‍चाताप किया है और उसे बहाल करना सही होगा, तो उसकी बहाली की घोषणा उस मंडली में की जाएगी जहाँ उसके मामले की सुनवाई की गयी थी। अगर वह फिलहाल किसी और मंडली में है, तो वहाँ भी घोषणा की जाएगी। घोषणा में सिर्फ इतना कहना चाहिए: “[व्यक्‍ति का नाम] को यहोवा के साक्षी के तौर पर बहाल किया गया है।”

बपतिस्मा पाए नाबालिग बच्चों के पाप के मामले

37 अगर किसी बपतिस्मा पाए नाबालिग बच्चे ने गंभीर पाप किया है, तो इस बारे में प्राचीनों को बताया जाना चाहिए। जब प्राचीन किसी नाबालिग बच्चे के गंभीर पाप का मामला निपटाते हैं, तो अच्छा होगा कि उस बच्चे के बपतिस्मा पाए माता-पिता मौजूद हों। वे न्याय-समिति को पूरा-पूरा सहयोग देंगे। वे अपने बच्चे को बचाने की कोशिश नहीं करेंगे ताकि उसके साथ कोई सख्त कार्रवाई न की जाए। न्याय-समिति उस बच्चे को सही राह पर लाने और यहोवा के साथ उसका रिश्‍ता दोबारा मज़बूत करने में उसकी मदद करेगी। लेकिन अगर वह पश्‍चाताप नहीं करता, तो उसे बहिष्कार करने का फैसला किया जाता है।

जब बपतिस्मा-रहित प्रचारक पाप करते हैं

38 अगर बपतिस्मा-रहित प्रचारक गंभीर पाप करते हैं, तो क्या किया जाना चाहिए? वे बपतिस्मा पाए साक्षी नहीं हैं, इसलिए उनका बहिष्कार नहीं किया जा सकता। लेकिन हो सकता है कि वे बाइबल के स्तरों को अच्छी तरह न समझते हों, इसलिए अपने कदमों के लिए “सीधा रास्ता” बनाने में प्यार से उनकी मदद की जा सकती है।​—इब्रा. 12:13.

39 अगर बपतिस्मा-रहित गुनहगार से दो प्राचीन मिलते हैं और उसकी मदद करने की कोशिश करते हैं, फिर भी वह पश्‍चाताप नहीं करता, तो उसके बारे में मंडली को बताना ज़रूरी है। इस बारे में छोटी-सी घोषणा की जानी चाहिए, “[व्यक्‍ति का नाम] अब से बपतिस्मा-रहित प्रचारक नहीं है।” इसके बाद से मंडली उस गुनहगार को एक दुनियावी इंसान समझेगी। हालाँकि उसका बहिष्कार नहीं किया जाता, फिर भी मसीही उसके साथ संगति करने से सावधान रहते हैं। (1 कुरिं. 15:33) इसके बाद से उससे प्रचार की कोई रिपोर्ट नहीं ली जाएगी।

40 जिस बपतिस्मा-रहित व्यक्‍ति ने प्रचारक होने का सम्मान खो दिया था, वह कुछ वक्‍त बाद शायद फिर से प्रचारक बनना चाहे। ऐसे में दो प्राचीन उससे मुलाकात करेंगे और देखेंगे कि वह कैसी तरक्की कर रहा है। अगर वह प्रचारक होने के काबिल बनता है, तो उसके बारे में छोटी-सी घोषणा की जाती है: “[व्यक्‍ति का नाम] को बपतिस्मा-रहित प्रचारक बनने की मंज़ूरी दोबारा दी गयी है।”

यहोवा शांति से की जानेवाली शुद्ध उपासना पर आशीष देता है

41 आज यहोवा ने अपने लोगों के बीच फिरदौस जैसा माहौल बनाया है। इस वजह से परमेश्‍वर की मंडली से संगति करनेवाले सभी लोग खुश हो सकते हैं। यहोवा हमें मानो हरे-भरे चरागाहों में ले चलता है और बहुतायत में ताज़गी देनेवाला सच्चाई का जल पिलाता है। यही नहीं, यहोवा ने मसीह को मुखिया बनाकर जो इंतज़ाम किया है, उसके अधीन रहने से हम यहोवा के साए में महफूज़ रहते हैं। (भज. 23; यशा. 32:1, 2) इन आखिरी दिनों में फिरदौस जैसे माहौल में रहकर वाकई हम कितने सुरक्षित महसूस करते हैं!

मंडली में शांति और शुद्धता बनाए रखकर हम लगातार राज की सच्चाई की रौशनी चमकाते रह सकते हैं

42 मंडली में शांति और शुद्धता बनाए रखकर हम लगातार राज की सच्चाई की रौशनी चमकाते रह सकते हैं। (मत्ती 5:16; याकू. 3:18) परमेश्‍वर की आशीष से हमें यह देखने का मौका मिलेगा कि और भी बहुत-से लोग यहोवा को जान रहे हैं और हमारे साथ मिलकर उसकी मरज़ी पूरी कर रहे हैं।

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