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  • आपका परिवार सुखी हो सकता है

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  • आपका परिवार सुखी हो सकता है
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बाइबल हमें क्या सिखाती है?
bhs अध्या. 14 पेज 145-153

अध्याय चौदह

आपका परिवार सुखी हो सकता है

1, 2. यहोवा परिवारों के लिए क्या चाहता है?

सबसे पहली शादी यहोवा परमेश्‍वर ने करवायी थी। बाइबल बताती है कि परमेश्‍वर ने पहली औरत को बनाया और “उसे आदमी के पास ले आया।” उस औरत को देखकर आदम इतना खुश हुआ कि उसने कहा, “आखिरकार यह वह है, जिसकी हड्डियाँ मेरी हड्डियों से रची गयी हैं, जिसका माँस मेरे माँस से बनाया गया है।” (उत्पत्ति 2:22, 23) यह दिखाता है कि यहोवा शादीशुदा लोगों को खुश देखना चाहता है।

2 मगर अफसोस, कई परिवारों में खुशी नहीं है। लेकिन बाइबल में ऐसे कई सिद्धांत हैं जो परिवारों की मदद कर सकते हैं। अगर परिवार का हर सदस्य इन सिद्धांतों को माने तो घर खुशियों का आशियाना बन सकता है और परिवार में एकता हो सकती है।—लूका 11:28.

परमेश्‍वर पतियों से क्या उम्मीद करता है

3, 4. (क) एक पति को अपनी पत्नी से कैसे पेश आना चाहिए? (ख) यह क्यों ज़रूरी है कि पति-पत्नी एक-दूसरे को माफ करें?

3 बाइबल बताती है कि एक पति को अपनी पत्नी से प्यार करना चाहिए और उसका आदर करना चाहिए। इफिसियों 5:25-29 पढ़िए। एक अच्छा पति हमेशा अपनी पत्नी के साथ प्यार से पेश आएगा। वह उसकी हिफाज़त और देखभाल करेगा। वह ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे पत्नी को नुकसान पहुँचे।

4 लेकिन जब पत्नी कोई गलती करती है तब पति को क्या करना चाहिए? पतियों से कहा गया है, “अपनी-अपनी पत्नी से प्यार करते रहो और उन पर गुस्से से आग-बबूला मत हो।” (कुलुस्सियों 3:19) पतियो, याद रखिए कि गलतियाँ आपसे भी होती हैं। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि परमेश्‍वर आपकी गलतियाँ माफ करे तो आपको अपनी पत्नी की गलतियाँ माफ करनी होंगी। (मत्ती 6:12, 14, 15) जब पति-पत्नी दिल से एक-दूसरे को माफ करते हैं तो उनकी शादीशुदा ज़िंदगी खुशहाल रहती है।

5. पति को अपनी पत्नी का आदर क्यों करना चाहिए?

5 यहोवा पति से उम्मीद करता है कि वह अपनी पत्नी का आदर करे। पति को उसकी ज़रूरतों का पूरा ध्यान रखना चाहिए। यह एक बहुत गंभीर बात है। क्योंकि अगर पति अपनी पत्नी के साथ ठीक से पेश नहीं आएगा तो यहोवा उसकी प्रार्थना सुनने से इनकार कर देगा। (1 पतरस 3:7) यहोवा उन सभी को अनमोल समझता है जो उससे प्यार करते हैं। ऐसा नहीं है कि वह औरतों से ज़्यादा आदमियों को पसंद करता है। उसकी नज़र में दोनों बराबर हैं।

6. पति और पत्नी “एक तन” हैं, इसका क्या मतलब है?

6 यीशु ने बताया था कि पति-पत्नी “दो नहीं . . . बल्कि एक तन हैं।” (मत्ती 19:6) इसका मतलब है कि उन्हें एक-दूसरे का वफादार रहना चाहिए और कभी बेवफाई नहीं करनी चाहिए। (नीतिवचन 5:15-21; इब्रानियों 13:4) पति-पत्नी को सिर्फ खुद के बारे में नहीं सोचना चाहिए बल्कि अपने जीवन-साथी के बारे में भी सोचना चाहिए। उन्हें एक-दूसरे की लैंगिक ज़रूरतें पूरी करनी चाहिए। (1 कुरिंथियों 7:3-5) एक पति को याद रखना चाहिए कि “कोई भी आदमी अपने शरीर से कभी नफरत नहीं करता, बल्कि वह उसे खिलाता-पिलाता है और अनमोल समझता है।” इसलिए पति को अपनी पत्नी से प्यार करना चाहिए और उसे अनमोल समझना चाहिए। एक पत्नी सबसे बढ़कर यही चाहती है कि उसका पति उससे प्यार करे और उसके साथ अच्छे से पेश आए।—इफिसियों 5:29.

परमेश्‍वर पत्नियों से क्या उम्मीद करता है

7. परिवार में एक मुखिया का होना क्यों ज़रूरी है?

7 हर परिवार में एक मुखिया का होना ज़रूरी है जिसकी अगुवाई में सब मिलकर काम कर सकें। बाइबल में लिखा है, “हर आदमी का सिर मसीह है और औरत का सिर आदमी है और मसीह का सिर परमेश्‍वर है।” (1 कुरिंथियों 11:3) यह दिखाता है कि पति, परिवार का मुखिया है।

8. एक पत्नी अपने पति का गहरा आदर कैसे कर सकती है?

8 हर पति से गलतियाँ होती हैं। लेकिन जब पत्नी खुशी-खुशी उसका फैसला मानती है और उसका साथ देती है तो पूरे परिवार को फायदा होता है। (1 पतरस 3:1-6) बाइबल में लिखा है, “पत्नी भी अपने पति का गहरा आदर करे।” (इफिसियों 5:33) लेकिन अगर पति का धार्मिक विश्‍वास पत्नी से अलग हो तो पत्नी को क्या करना चाहिए? उसे तब भी पति का गहरा आदर करना चाहिए। बाइबल बताती है, “पत्नियो, तुम अपने-अपने पति के अधीन रहो ताकि अगर किसी का पति परमेश्‍वर के वचन की आज्ञा नहीं मानता तो वह अपनी पत्नी का पवित्र चालचलन और गहरा आदर देखकर तुम्हारे कुछ बोले बिना ही जीत लिया जाए।” (1 पतरस 3:1, 2) पत्नी की अच्छी मिसाल देखकर पति शायद उसके विश्‍वास को समझे और उसका आदर करे।

9. (क) अगर एक पत्नी किसी बात पर अपने पति से सहमत नहीं है तो उसे क्या करना चाहिए? (ख) तीतुस 2:4, 5 में पत्नियों के लिए क्या सलाह दी गयी है?

9 अगर एक पत्नी किसी बात पर अपने पति से सहमत नहीं है तो उसे क्या करना चाहिए? उसे आदर के साथ पति को अपनी राय बतानी चाहिए। यहोवा के सेवक, अब्राहम की पत्नी सारा को ही लीजिए। एक बार उसने किसी मसले पर अब्राहम को अपनी राय बतायी। मगर अब्राहम को उसकी बात पसंद नहीं आयी। इस पर यहोवा ने अब्राहम से कहा, “सारा की बात मान।” (उत्पत्ति 21:9-12) ऐसा बहुत कम होता है कि पति कोई ऐसा फैसला ले जो बाइबल के खिलाफ हो। इसलिए पत्नी को हमेशा उसका साथ देना चाहिए। (प्रेषितों 5:29; इफिसियों 5:24) एक अच्छी पत्नी अपने परिवार की देखभाल करेगी। (तीतुस 2:4, 5 पढ़िए।) जब उसका पति और बच्चे देखेंगे कि वह उनके लिए कितनी मेहनत करती है तो वे उससे और भी ज़्यादा प्यार करेंगे और उसका आदर करेंगे।—नीतिवचन 31:10, 28.

अब्राहम, सारा की बात मानता है

सारा किस तरह पत्नियों के लिए एक अच्छी मिसाल है?

10. बाइबल, अलग होने और तलाक के बारे में क्या बताती है?

10 कभी-कभी जब परिवार में समस्या उठती है तो पति-पत्नी फौरन अलग होने या तलाक लेने का फैसला करते हैं। लेकिन बाइबल में लिखा है, “एक पत्नी को अपने पति से अलग नहीं होना चाहिए” और “एक पति को चाहिए कि अपनी पत्नी को न छोड़े।” (1 कुरिंथियों 7:10, 11) फिर भी जब हालात बहुत ज़्यादा बिगड़ जाते हैं तो एक पति-पत्नी शायद अलग हो जाएँ। ऐसे में उन्हें याद रखना चाहिए कि अलग होने का फैसला करना बहुत गंभीर फैसला है। तलाक के बारे में क्या? बाइबल बताती है कि सिर्फ एक ही वजह से तलाक लिया जा सकता है। वह है, जब पति-पत्नी में से कोई एक किसी पराए के साथ नाजायज़ संबंध रखता है।—मत्ती 19:9.

परमेश्‍वर माता-पिता से क्या उम्मीद करता है

1. यीशु बच्चों के साथ वक्‍त बिताता है; 2. एक पिता अपने बेटे के साथ ‘महान शिक्षक से सीखिए’ किताब से चर्चा कर रहा है

यीशु, परिवार के हर सदस्य के लिए एक अच्छी मिसाल है

11. बच्चों को सबसे ज़्यादा किसकी ज़रूरत हैं?

11 माता-पिताओ, अपने बच्चों के साथ जितना ज़्यादा हो सके वक्‍त बिताइए। आपके बच्चों को सबसे ज़्यादा आपकी ज़रूरत है। आपको उन्हें यहोवा के बारे में सिखाना चाहिए।—व्यवस्थाविवरण 6:4-9.

12. अपने बच्चों की हिफाज़त करने के लिए माता-पिताओं को क्या करना चाहिए?

12 शैतान की दुनिया दिनों-दिन दुष्ट होती जा रही है। कुछ लोग शायद आपके बच्चों को नुकसान पहुँचाना चाहें। यहाँ तक कि उनके साथ गलत काम करना चाहें। कई माता-पिता इस विषय पर अपने बच्चों से बात करने में झिझकते हैं। लेकिन यह ज़रूरी है कि वे अपने बच्चों से इस बारे में बात करें और उन्हें ऐसे लोगों से खबरदार करें। माता-पिताओं को चाहिए कि वे अपने बच्चों को सिखाएँ कि कैसे इस तरह के लोगों से दूर रहें। माता-पिताओ, अपने बच्चों की हिफाज़त कीजिए।a—1 पतरस 5:8.

13. माता-पिताओं को अपने बच्चों को कैसे सुधारना चाहिए?

13 माता-पिताओं की ज़िम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों को लगातार सिखाएँ कि उन्हें दूसरों के साथ कैसे पेश आना चाहिए। आप यह कैसे कर सकते हैं? जब आपका बच्चा कोई गलती करता है तो उसे सुधारिए, मगर कभी-भी गुस्से में आकर नहीं और न ही कठोरता से। (यिर्मयाह 30:11) आप ऐसा हरगिज़ नहीं चाहेंगे कि आपकी बातों से उसे ठेस पहुँचे या आपका बोलना ‘तलवार से वार करने’ जैसा हो। (नीतिवचन 12:18) अपने बच्चे को समझाइए कि क्यों उसे आपका कहना मानना चाहिए।—इफिसियों 6:4; इब्रानियों 12:9-11; “शिक्षा देना” देखिए।

परमेश्‍वर बच्चों से क्या उम्मीद करता है

14, 15. बच्चों को क्यों अपने माता-पिता का कहना मानना चाहिए?

14 यीशु ने हमेशा अपने पिता की आज्ञा मानी। उस वक्‍त भी जब ऐसा करना उसके लिए मुश्‍किल था। (लूका 22:42; यूहन्‍ना 8:28, 29) यहोवा भी चाहता है कि बच्चे अपने माता-पिता का कहना मानें।—इफिसियों 6:1-3.

15 बच्चो, आपको अपने माता-पिता का कहना मानना मुश्‍किल लग सकता है। मगर याद रखिए, जब आप उनका कहना मानेंगे तब यहोवा और आपके माता-पिता आपसे खुश होंगे।b—नीतिवचन 1:8; 6:20; 23:22-25.

एक लड़के को उसके दोस्त सिगरेट पीने के लिए कह रहे हैं, मगर वह मना कर रहा है

जब जवान लोगों को कुछ गलत करने के लिए लुभाया जाता है, तो क्या बात उन्हें परमेश्‍वर के वफादार रहने में मदद देगी?

16. (क) शैतान कैसे जवान लोगों को गलत काम करने के लिए लुभाता है? (ख) जवानों के लिए यह क्यों ज़रूरी है कि वे उन लोगों से दोस्ती करें जो यहोवा से प्यार करते हैं?

16 शैतान आपके दोस्तों या दूसरे जवानों के ज़रिए आपको गलत काम करने के लिए लुभा सकता है। वह अच्छी तरह जानता है कि दोस्तों को मना करना आपके लिए मुश्‍किल हो सकता है। बाइबल में इसकी एक मिसाल है। वह है दीना, जो परमेश्‍वर के सेवक याकूब की बेटी थी। दीना ने ऐसे लोगों से दोस्ती की जो यहोवा से प्यार नहीं करते थे। इस वजह से वह एक बड़ी मुसीबत में फँस गयी और उसके परिवार को भी कई मुश्‍किलों का सामना करना पड़ा। (उत्पत्ति 34:1, 2) अगर आपके भी ऐसे दोस्त हैं जो यहोवा से प्यार नहीं करते, तो वे आपको ऐसे काम करने के लिए लुभा सकते हैं जिनसे यहोवा नफरत करता है। नतीजा, आपको इसके बुरे अंजाम भुगतने पड़ सकते हैं। यही नहीं, इससे आपके परिवार और परमेश्‍वर को बहुत दुख पहुँच सकता है। (नीतिवचन 17:21, 25) इसलिए यह ज़रूरी है कि आप उन लोगों से दोस्ती करें जो यहोवा से प्यार करते हैं।—1 कुरिंथियों 15:33.

आपका परिवार सुखी हो सकता है

17. परिवार के हर सदस्य की क्या ज़िम्मेदारी है?

17 जब परिवार के सभी सदस्य परमेश्‍वर का निर्देश मानते हैं तो वे कई समस्याओं से बचते हैं। इसलिए अगर आप एक पति हैं तो अपनी पत्नी से प्यार कीजिए और उसके साथ प्यार से पेश आइए। अगर आप एक पत्नी हैं तो अपने पति का गहरा आदर कीजिए और उसके अधीन रहिए। नीतिवचन 31:10-31 में दी सलाह मानकर एक अच्छी पत्नी बनने की कोशिश कीजिए। अगर आप माता-पिता हैं तो अपने बच्चों को परमेश्‍वर से प्यार करना सिखाइए। (नीतिवचन 22:6) अगर आप एक पिता हैं तो “अपने परिवार की अच्छी तरह अगुवाई” कीजिए। (1 तीमुथियुस 3:4, 5; 5:8) और बच्चो, अपने माता-पिता का कहना मानिए। (कुलुस्सियों 3:20) याद रखिए कि परिवार के सभी सदस्यों से गलतियाँ हो सकती हैं। इसलिए नम्र बनिए और अपनी गलतियों के लिए एक-दूसरे से माफी माँगिए। जी हाँ, यहोवा ने बाइबल में परिवार के हर सदस्य के लिए निर्देश दिया है।

a अपने बच्चों की हिफाज़त कैसे करें, इस बारे में ज़्यादा जानने के लिए महान शिक्षक से सीखिए किताब का अध्याय 32 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

b एक बच्चे को सिर्फ तभी अपने माता-पिता का कहना नहीं मानना चाहिए, जब वे उसे परमेश्‍वर की आज्ञा के खिलाफ कुछ करने के लिए कहते हैं।—प्रेषितों 5:29.

आपने क्या सीखा?

पहली बात: परिवार की शुरूआत यहोवा ने की

“इस वजह से मैं उस पिता के सामने घुटने टेककर तुम्हारे लिए प्रार्थना करता हूँ, जिसकी बदौलत स्वर्ग में और धरती पर हर परिवार वजूद में आया है।”—इफिसियों 3:14, 15

आपका परिवार कैसे सुखी हो सकता है?

  • उत्पत्ति 1:26-28

    यहोवा ने सबसे पहले परिवार की शुरूआत की थी।

  • इफिसियों 5:1, 2

    अगर परिवार सुखी रहना चाहता है तो उसके हर सदस्य को यहोवा और यीशु की मिसाल पर चलना होगा।

दूसरी बात: एक अच्छा पति या एक अच्छी पत्नी कैसे बनें

“तुममें से हरेक अपनी पत्नी से . . . प्यार करे . . . और पत्नी भी अपने पति का गहरा आदर करे।”—इफिसियों 5:33

पति-पत्नी को एक-दूसरे के साथ कैसे पेश आना चाहिए?

  • इफिसियों 5:22-29

    परिवार की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी पति की है। उसे अपनी पत्नी से प्यार करना चाहिए और पत्नी को चाहिए कि पति जो भी फैसला करता है उसमें उसका साथ दे।

  • कुलुस्सियों 3:19; 1 पतरस 3:4

    उन्हें एक-दूसरे के साथ प्यार से पेश आना चाहिए और एक-दूसरे का लिहाज़ करना चाहिए।

  • 1 पतरस 3:1, 2, 7

    पति-पत्नी को एक-दूसरे का आदर करना चाहिए।

  • 1 तीमुथियुस 5:8; तीतुस 2:4, 5

    पति को अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी करनी चाहिए और पत्नी को अपने परिवार की अच्छी देखभाल करनी चाहिए।

तीसरी बात: अच्छे माता-पिता कैसे बनें

“अपने बच्चों को चिढ़ मत दिलाओ बल्कि यहोवा की मरज़ी के मुताबिक उन्हें सिखाते और समझाते हुए उनकी परवरिश करो।”—इफिसियों 6:4

माता-पिता की क्या ज़िम्मेदारी बनती है?

  • व्यवस्थाविवरण 6:4-9; नीतिवचन 22:6

    समय निकालकर अपने बच्चों को यहोवा के बारे में सिखाइए। छोटी उम्र से ही उन्हें यहोवा के दोस्त बनने में मदद दीजिए। इसके लिए सब्र से काम लीजिए।

  • 1 पतरस 5:8

    अपने बच्चों को ऐसे लोगों से दूर रहना सिखाइए जो उनके साथ गलत काम करना चाहते हैं। उन्हें दूसरे खतरों से बचना भी सिखाइए।

  • यिर्मयाह 30:11; इब्रानियों 12:9-11

    अपने बच्चों को सुधारिए, मगर कभी-भी गुस्से में आकर नहीं और न ही कठोरता से।

चौथी बात: परमेश्‍वर बच्चों से क्या उम्मीद करता है

“बच्चो, . . . अपने माता-पिता का कहना माननेवाले बनो।”—इफिसियों 6:1

बच्चो, आपको अपने माता-पिता का कहना क्यों मानना चाहिए?

  • नीतिवचन 23:22-25; कुलुस्सियों 3:20

    अगर आप अपने माता-पिता का कहना मानेंगे तो इससे यहोवा और आपके माता-पिता खुश होंगे।

  • 1 कुरिंथियों 15:33

    उन लोगों से दोस्ती कीजिए जो यहोवा से प्यार करते हैं। तब सही काम करना आपके लिए आसान होगा।

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