वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • lfb पाठ 53 पेज 128
  • यहोयादा की हिम्मत

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • यहोयादा की हिम्मत
  • बाइबल से सीखें अनमोल सबक
  • मिलते-जुलते लेख
  • बुरे दोस्तों की वजह से योआश ने यहोवा को छोड़ दिया
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2009
  • यहोवा का डर क्यों मानें?
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2023
  • हिम्मत से काम लेनेवालों को यहोवा आशीष देता है
    हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2023
  • बड़ा बनने की चाहत में एक दुष्ट औरत को सज़ा मिली
    हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2022
और देखिए
बाइबल से सीखें अनमोल सबक
lfb पाठ 53 पेज 128
महायाजक यहोयादा छोटे राजा यहोआश को लोगों के सामने ले आया है

पाठ 53

यहोयादा की हिम्मत

इज़ेबेल की एक बेटी थी जिसका नाम अतल्याह था। वह बिलकुल अपनी माँ की तरह बहुत बुरी थी। अतल्याह की शादी यहूदा के राजा से हुई थी। जब उसके पति की मौत हो गयी तो उसका बेटा राज करने लगा। लेकिन जब बेटा मर गया तो वह खुद यहूदा की रानी बन गयी। उसने ऐसे हर आदमी और लड़के को मरवा डाला जो उसकी जगह राजा बन सकता था। यहाँ तक कि उसने अपने पोतों को भी मरवा डाला। इस तरह उसने पूरे शाही खानदान को मिटाने की कोशिश की। सब लोग उससे डरते थे।

महायाजक यहोयादा और उसकी पत्नी यहोशेबा जानते थे कि अतल्याह जो कर रही है वह बहुत गलत है। उन्होंने अपनी जान खतरे में डालकर अतल्याह के एक पोते को बचा लिया। वह दूध-पीता बच्चा था और उसका नाम यहोआश था। उन्होंने उसे मंदिर में छिपा दिया और वहीं उसे पाला-पोसा।

जब यहोआश सात साल का हुआ तो यहोयादा ने सभी अधिकारियों और लेवियों को इकट्ठा किया। उसने उनसे कहा, ‘मंदिर के दरवाज़ों पर पहरा देना और किसी को भी अंदर आने मत देना।’ फिर उसने यहोआश को यहूदा का राजा बनाया और उसके सिर पर ताज रखा। यहूदा के लोग ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगे, ‘राजा की जय हो!’

रानी अतल्याह चिल्ला रही है

यह शोर सुनकर रानी अतल्याह भागकर मंदिर गयी। जब उसने नए राजा को देखा तो वह चिल्लाने लगी, “यह साज़िश है! साज़िश!” तब अधिकारी उस बुरी रानी को पकड़कर मंदिर के बाहर ले गए और उसे मार डाला। लेकिन उसने देश में जो बुराई फैला दी थी उसका क्या हुआ?

यहोयादा ने देश के लोगों को यहोवा के साथ एक करार करने में मदद दी। उस करार में उन्होंने वादा किया कि वे सिर्फ यहोवा की उपासना करेंगे। यहोयादा के कहने पर लोगों ने बाल का मंदिर गिरा दिया और मूर्तियों को चूर-चूर कर दिया। यहोयादा ने यहोवा के मंदिर में काम करने के लिए याजक और लेवी ठहराए ताकि लोग फिर से वहाँ उपासना कर सकें। उसने मंदिर के फाटक पर पहरेदार खड़े करवाए ताकि कोई भी अशुद्ध इंसान अंदर न जा सके। फिर यहोयादा और अधिकारियों ने यहोआश को राजमहल में ले जाकर उसे राजगद्दी पर बिठाया। यहूदा के लोगों ने खुशियाँ मनायीं। इतने लंबे समय बाद वे बुरी रानी अतल्याह से और बाल की उपासना से आज़ाद हो गए। अब वे यहोवा की उपासना कर सकते थे। देखा आपने, यहोयादा की हिम्मत की वजह से कैसे इतने सारे लोगों को फायदा हुआ?

“उनसे मत डरो जो शरीर को नष्ट कर सकते हैं मगर जीवन को नहीं, इसके बजाय उससे डरो जो जीवन और शरीर दोनों को गेहन्‍ना में मिटा सकता है।”—मत्ती 10:28

सवाल: यहोयादा ने कैसे हिम्मत से काम लिया? आपको क्या लगता है, क्या यहोवा आपको भी हिम्मत दे सकता है?

2 राजा 11:1–12:12; 2 इतिहास 21:1-6; 22:10-12; 23:1–24:16

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें