गीत 161
तेरी मरज़ी देती खुशी!
(भजन 40:8)
1. किया पेश जब यीशु ने खुद को,
तूने दी मंज़ूरी उसे;
करने पूरी तेरी ही मरज़ी,
दिल में ठान लिया उसने।
डगमगाया ना तेरी राह से,
नाम बुलंद तेरा किया!
दिल-ओ-जान से की तेरी सेवा,
जीना चाहूँ उस जैसा!
(कोरस)
बेटा है नूर, दिखाए राह,
मंज़िल तक साथ चले सदा।
इस राह पे ही मिलती खुशी,
चलूँ इस पे, है ठाना!
करूँ मैं तेरी मरज़ी, याह!
इसी को दूँ अहम जगह!
रोटी से ही जीऊँ नहीं,
जीऊँ करके तेरा काम
खुशी से याह!
2. तुझे जाना जब से, यहोवा,
मेरे जीवन का रुख बदला!
मैं इबादत ऐसी करूँ जो
खुश करे तुझको सदा।
तेरी सच्-चा-ई ना छिपाऊँ,
तेरा नाम करूँ ऐलान!
दोस्तों के संग सेवा में तेरी
करूँ सीना तानके काम!
(कोरस)
बेटा है नूर, दिखाए राह,
मंज़िल तक साथ चले सदा।
इस राह पे ही मिलती खुशी,
चलूँ इस पे, है ठाना!
करूँ मैं तेरी मरज़ी, याह!
इसी को दूँ अहम जगह!
रोटी से ही जीऊँ नहीं,
जीऊँ करके तेरा काम
खुशी से याह!
मरज़ी तेरी हो, याह!