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  • उदारता से आशीष
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उदारता से आशीष

उदारता बिना हिचकिचाए मुट्ठी खोलकर, विशाल हृदय और प्यार से दूसरों को देने की तत्परता है। परंतु उदारता दिखानेवाले को भी अपनी उदारता के कारण, यहोवा से और जिसे उदारता दिखायी गयी है, उनसे कई आशीषें मिलती हैं।

इब्रानी शब्द नादिव जिसे यशायाह ३२:८ में “उदार” अनुवादित किया गया है, उसे “इच्छुक” और “उदारता से देनेवाला” भी अनुवादित किया गया है। (भजन ५१:१२, NW; गिनती २१:१८, NW, फुटनोट) यूनानी संज्ञा हाप्लोतेस को २ कुरिन्थियों ८:२ और ९:११ में “उदारता,” रोमियों १२:८, NT हिंदुस्तानी में “दिल खोल कर” और इफिसियों ६:५ में “सीधाई” अनुवादित किया गया है। यहोवा स्वयं उदारता का साकार रूप है, जो ‘अपनी इच्छा के अनुसार’ अपने आज्ञाकारी प्राणियों की हर घटी को पूरा करता है। (१ यूहन्‍ना ५:१४; फिलिप्पियों ४:१९) हर एक अच्छा वरदान और उत्तम दान उससे मिलता है, जिसमें बुद्धि जैसा विशेष दान भी शामिल है।—याकूब १:५, १७.

मूसा ने अपने साथी इस्राएलियों से उदारता के इस ईश्‍वरीय गुण को विकसित करने का आग्रह किया, तब भी जब उधार देने के लिए कुछ बंधक लिया जाता था। “अपने दरिद्र भाई के लिए अपना हृदय कठोर मत करना, और न उसके लिए अपनी मुट्ठी बन्द करना; परन्तु उसके लिए अपनी मुट्ठी उदारता से खोलना, . . . तू उसे उदारतापूर्वक देना, और जब तू उसे दे तो तेरे मन में कुढ़न न हो . . . इसलिए मैं तुझे आज्ञा देता हूं, कि तू अपने भाई के लिए तथा अपने देश के दीन और दरिद्रों के लिए अपनी मुट्ठी उदारतापूर्वक खोलना।” (व्यवस्थाविवरण १५:७-११, NHT) इस ईश्‍वरीय सलाह को मानने से इस्राएलियों को आशीष मिलती जिन पर मुसीबत की घड़ी आ पड़ी थी।

लेकिन जो दूसरों को उदारता दिखाते हैं, उन्हें कौन-सी आशीष मिलती है? नीतिवचन ११:२५ में हम पढ़ते हैं: “उदार प्राणी [शब्दशः दूसरों के लिए आशीष बननेवाला प्राणी] हृष्ट पुष्ट [समृद्ध] हो जाता है, और जो औरों की खेती सींचता है, उसकी भी सींची जाएगी।” यीशु मसीह ने इसे इस तरह व्यक्‍त किया: “लेने से देना धन्य है।” (प्रेरितों २०:३५) उसने फिर कहा: “दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा: लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा।” (लूका ६:३८) इसलिए उदारता दो तरफा फायदा पहुँचाती है, जिसमें देनेवाले और पानेवाले दोनों को ही आशीष मिलती है।

मसीही कलीसिया में उदारता

प्रेरित पौलुस ने उदारता के संबंध में पहली शताब्दी के मसीहियों से बहुत कुछ कहा। उसने कहा: “जो थोड़ा बोता है वह थोड़ा काटेगा भी; और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा।” चूँकि ऐसा ही है, इसलिए प्रेरित आगे समझाता है, “हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे; न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्‍वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है।” वह यहोवा की उदारता के उत्कृष्ट उदाहरण पर ध्यान खींचते हुए आगे कहता है कि उसने बहुतायत से न केवल बोनेवाले को बीज और भोजन के लिए रोटी दी है, बल्कि कुरिन्थ के भाइयों को भी “सब प्रकार की उदारता के लिये” समृद्ध किया है ताकि वे दूसरों के प्रति उदारता दिखा सकें। पौलुस ने स्पष्ट किया कि उदारता की ऐसी भावना से “परमेश्‍वर का बहुत धन्यवाद होता है।” (२ कुरिन्थियों ९:६-१३) यह उदारता मसीहियों के लिए भी, यहोवा की ओर से आशीष का कारण होगी।

उसी प्रकार की ईश्‍वरीय उदारता दिखाने के लिए रोम के मसीहियों को प्रोत्साहित करते हुए पौलुस ने लिखा: “दान देनेवाला उदारता से दे।” (रोमियों १२:८) और इब्रानी मसीहियों को लिखा: “पर भलाई करना, और उदारता न भूलो; क्योंकि परमेश्‍वर ऐसे बलिदानों से प्रसन्‍न होता है।” (इब्रानियों १३:१६) मकिदुनिया की कलीसियाएँ उदारता दिखाने के मामले में एक बेमिसाल उदाहरण थीं। आनंदपूर्वक अपनी “सामर्थ से भी बाहर” जाकर अपने कंगालपन में से दान करने के कारण “उन की उदारता बहुत बढ़ गई।”—२ कुरिन्थियों ८:१-४.

क्या सभी लोगों के प्रति उदारता दिखानी चाहिए?

फिर भी ऐसे कुछ लोग होते हैं, जो उदारता के या दरियादिली के योग्य नहीं हो पाते। बाइबल कृतघ्न, सुस्त और आलसी लोगों की निंदा करती है। उदाहरण के लिए, आलसी मनुष्य जो शीत में हल नहीं जोतता, कटनी के समय भीख माँगने पर वह कुछ पाने का हक़ नहीं रखता; जो काम करने से इंकार करता है, वह दूसरों की उदारता के लायक नहीं है। (नीतिवचन २०:४; २ थिस्सलुनीकियों ३:१०) विधवाएँ जब तक कि योग्य नहीं होती थीं, उनका नाम नहीं लिखा जाता था। (१ तीमुथियुस ५:९, १०) गलतिया, मकिदुनिया और अखया में जिन कलीसियाओं द्वारा अंशदान किया गया था, वह उन ज़रूरतमंद मूर्तिपूजक उपासकों के लिए नहीं था, बल्कि ऐसे “पवित्र लोगों” के लिए था जिन्हें घटी थी—१ कुरिन्थियों १६:१, २; २ कुरिन्थियों ९:१, २.

उदारता से मिलनेवाली आशीष का आनंद उठाएँ

आज मसीही यहोवा के उदार, दिल खोलकर देनेवाले उदाहरण का अनुकरण करते हैं। वे ऐसे योग्य जनों को दिल खोलकर अपनी भौतिक संपत्ति देते हैं, जिन्हें घटी हुई है। वे उन सभी परियोजनाओं में तहे दिल से भाग लेते हैं, जो यहोवा के राज्य हितों को बढ़ावा देती हैं। और वे पूरे तन-मन से आध्यात्मिक सच्चाइयों को “सब मनुष्यों” के साथ बाँटते हैं।—१ तीमुथियुस २:४.

इसलिए जब वे ज़रूरतमंदों के लिए आशीष बनने में अपना भाग अदा करते हैं, बदले में वे खुद भरपूर आशीष का फल पाते हैं।

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