प्रकृति की पुस्तक और बाइबल
“यह विश्व मुझे चकरा देता है! मैं यह कल्पना नहीं कर सकता, कि ऐसी एक ‘घड़ी’ बिना किसी घड़ी-निर्माता के अस्तित्व रख सकती हैं।’
—वोल्टेर, १८-वी सदी का फ्रेंच दार्शनिक।
एक सूक्ष्म घड़ी उसके रचयिता की योग्यता और प्रवीणता के लिए प्रशंसा उत्पन्न करती है। लेकिन उस विश्व के बारे में क्या, जो हमारे चारों ओर है? क्या वह, कम से कम कुछ हद तक, उसके सृष्टिकर्ता के व्यक्तित्व को प्रकट कर सकता है?
करीब २,००० वर्ष पहले, प्रेरित पौलुस, बाइबल के लेखकों में से एक, ने इस प्रश्न का उत्तर दिया: “क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उसकी सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते हैं।” (रोमियों १:२०) इसलिए प्रकृति की इस पुस्तक का निरीक्षण करने से हम क्या सीख सकते हैं?
घड़ी हमें घड़ी-निर्माता के बारे में क्या सिखाती है
एक प्रतापी जलप्रपात, तूफान के समय का सागर, हज़ारों सितारों से भरा रात का एक साफ आसमान—ये कुछ बातें हैं, जो हमें एक शक्तिशाली सृष्टिकर्ता के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करता है। ग्रहों के परिक्रमा-पथों की सूक्ष्मता हमें याद दिलाते हैं, जैसे वोल्टेर को याद दिलाया था, कि यह सृष्टिकर्ता एक महान संगाठक होगा एक श्रेष्ठ घड़ी-निर्माता।—भजन १०४:१.
इस पृथ्वी की आज की विविधता—वे फल और सब्जी जो हम प्रचुर रूप से पाते हैं—भी परमेश्वर की उदारता का प्रमाण है। पौलुस इसे अनुप्रमाणित करता है जब उन्होंने घोषित किया कि परमेश्वर “ने अपने आप को बेगवाह न छोड़ा; किन्तु वह भलाई करता रहा, और आकाश से वर्षा और फलवन्त ऋतु देकर, तुम्हारे मन को भोजन और आनन्द से भरता रहा।”—प्रेरित १४:१७.
घड़ी हमें क्या नहीं बताता
प्रकृति की पुस्तक का अधिक परीक्षण हमें परमेश्वर के और अन्य गुणों के बारे में सिखाता है। लेकिन अगर हम केवल उस पर निर्भर रहें जो हम सृष्टि से सीखते हैं, तो परमेश्वर के बारे में हमारा ज्ञान हमेशा सीमित रहेगा। फ्रेंच लेखक रोबर्ट लेनोबल अपनी पुस्तक एसक्वीस डी अन हिस्टाँ डे ला ऐडीय डी नेच, (प्रकृति की भावना पर एक संक्षेप इतिहास) में बताते हैं: “मनुष्य हमेशा प्रकृति की ओर अपना ध्यान लगाएगा ताकि उसके भेद में प्रवेश कर सकें और उसका रहस्य समझे, एक ऐसा रहस्य जो कभी भी एक प्रयोगशाला से नहीं निकल सकता।” कैथॉलिक दैनिक पत्र ला क्रवा द्वारा साक्षात्कार किए गए फ्रेन्च लोगों में—कि वे विश्वासी हैं या नास्तिक—आधा से ज्यादा इससे सहमत हुए और स्वीकार किया कि “विज्ञान कभी भी विश्व के बारे में एक यथेष्ट व्याख्या नहीं दे सकेगा, क्योंकि बहुत सारी बातें दार्शनिक या धार्मिक क्षेत्र से सम्बन्ध रखती हैं।
करीब ३,५०० वर्ष पहले वफादार अय्यूब भी इसी निष्कर्ष पर पहुँचे। उन्होंने यह प्रश्न उठाया: “परन्तु बुद्धि कहाँ मिल सकती है? और समझ का स्थान कहाँ है?” क्या यह बुद्धि प्रकृति की पुस्तक में पायी जाएगी? “अथाह सागर कहता है, वह मुझ में नहीं है और समुद्र भी कहता है, वह मेरे पास नहीं है। वह सब प्राणियों की आँखों से छिपी है, और आकाश के पक्षियों के देखने में नहीं आती।”—अय्यूब २८:१२, १४, २१.
फिर, हमें यह बुद्धि पाने के लिए कहाँ जाना है? वही पुस्तक जवाब देती है: “परन्तु परमेश्वर उसका मार्ग समझता है, और उसका स्थान उसको मालूम है।” (अय्यूब २८:२३) और परमेश्वर ने अपनी बुद्धि मानवजाति में एक उत्कृष्ट रीति से, अपना वचन, बाइबल के द्वारा बाँट दी।
बाइबल से अनुपम ज्ञान
मानवजाति की उत्पत्ति के बारे में बाइबल हमें अनोखा अन्तर्दृष्टि देती है। वह हमें बताती है कि परमेश्वर ने पृथ्वी को तैयार किया और फिर वहाँ पहला मानव जोड़े को रखा। हमारे पहले माता-पिता हमेशा के लिए परिपूर्ण परिस्थितियों में जी सकते थे। लेकिन उन्होंने विद्रोह किया, और उनके पाप के कारण उन्होंने सभी विपत्तियों के लिए मार्ग खोल दिए—जिन में पाप और मृत्यु भी है—जो मानवजाति को पीड़ित किया है।—उत्पत्ति, अध्याय १ से ३; रोमियों ५:१२-२१.
इस स्थिति को ठीक करने के लिए परमेश्वर द्वारा लिए गए कदमों के बारे में भी बाइबल हमें विस्तृत रूप से बताती है। आदम और हव्वा के हज़ारों वर्ष पश्चात, परमेश्वर का अपना पुत्र, यीशु इस पृथ्वी पर आया ताकि मानवजाति को परमेश्वर के साथ सामंजस्य स्थापित करने का अवसर मिल सके। इस तरह, मसीह ने उन मनुष्यों के सामने, जो उस पर विश्वास रखेगा और जो उसके बलिदान के मूल्य को समझेगा, एक ऐसी पृथ्वी पर अनन्त जीवन की प्रत्याशा रखी जो एक प्रमोदवन के रूप में बदल दी जाएगी।—लूका २३:४३; यूहन्ना ३:१६.
यह प्रतीक्षा हम में से प्रत्येक को दी गई है। उसे अनुभव करने के लिए हमें ‘अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को जिसे उसने भेजा’ जानना होगा। हमें उस आशा के अनुकूल जीना होगा। यह यथार्थ ज्ञान बाइबल में पाया गया है।—यूहन्ना १७:३; याकूब २:२४-२६.
क्या आप ऐसे प्रश्नों के लिए एक विस्तृत जवाब चाहते हैं जैसे, मनुष्य कहाँ से आया है? मृत्यु के बाद क्या होता है? मानव जाति की समस्याओं के कारण क्या हैं? क्या कोई आशा है कि एक दिन उनका हल किया जा सकेगा? कब और कैसे परमेश्वर मानवजाति के लिए परिपूर्ण परिस्थितियाँ लाएगा? अगर ऐसा है, तो हम आपको बाइबल की ओर देखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, वह एकमात्र पुस्तक है जो आपको इस विश्व के परमेश्वर से उत्तर देगी और वह एकमात्र पुस्तक जिसमें “जीवन की आशा” है। वॉच टावर संस्था के प्रकाशनों का उद्देश्य आपको आपकी बाइबल से इन जवाबों को पाने में मदद करना है।—तीतुस १:१, २.
[पेज 10 पर तसवीरें]
यह विश्व परमेश्वर के व्यक्तित्व के पहलुओं को प्रकट करता है
[पेज 11 पर तसवीरें]
मनुष्य और पृथ्वी की ओर परमेश्वर के उद्देश्यों के बारे में केवल बाइबल ही हमें बता सकती है