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यूनान पाँचवी महान्‌ विश्‍व शक्‍ति

एक तेज़, पर-युक्‍त चीते के जैसे, सिकंदर एशिया माइनर (आधुनिक तुर्किस्तान), पलश्‍तीन, मिस्र, और भारत की सीमा तक मादी-फ़ारसी साम्राज्य पर विजय प्राप्त करने के लिए यूनान में से निकला। क्या आप इस विशिष्ट विजेता के बारे में और कि बाइबल उसके विषय क्या कहती है जानना चाहेंगे?

सिर्फ़ २० वर्ष की आयु में, जवान सिकंदर ने मकिदोन की राजगद्दी विरासत में पायी। दो वर्ष बाद, अपने पिता फिलिप की योजना के अनुसार काम करते हुए, सिकंदर ने शक्‍तिशाली फ़ारसियों के विरुद्ध बदले का युद्ध शुरू किया, जिनका साम्राज्य पूर्वी दिशा में स्थित था। उसके रोकने से पहले, सिकंदर ने अपने समय की दुनिया पर विजय की थी।

इस जोशीले नौजवान सैन्य युद्धनीतिज्ञ ने एशिया माइनर, सीरिया, पलश्‍तीन, मिस्र, बाबेलोनिया, और प्राचीन भारत की दहलीज़ तक, सम्पूर्ण मादी-फ़ारसी साम्राज्य में से तेज़ी से चलकर जय किया। उसे प्राचीन समय के शायद सबसे महान्‌ सेनापति के तौर से माना गया, और आज वह बड़ा सिकंदर के नाम से सुप्रसिद्ध है।

आश्‍चर्यजनक रूप से कम समय में, यूनान बाइबल इतिहास की विश्‍व शक्‍तियों की पाँचवी शक्‍ति बन गया​—उसके पहले आनेवाली किसी भी शक्‍ति से भी बड़ी। ऐसा कैसे हुआ? यह परमेश्‍वर के वचन से किस तरह संबद्ध है? यह आप के लिए क्या अर्थ रखता है?

बाइबल भविष्यद्वाणी में पूर्वबतलाया गया

सिकंदर के समय के दो सौ वर्ष पहले, जब बाबेलोन शासन कर रहा था और मादी तथा फ़ारसी लोग अब तक विश्‍व शक्‍ति न बने थे, यहोवा के भविष्यद्वक्‍ता दानिय्येल को दो बड़े भविष्यसूचक दर्शन दिए गए जिन में भावी विश्‍व इतिहास की रूपरेखा दी गयी थी। फिर, बाबेलोन के गिरने के बाद, उसने उन बातों से संबंधित तीसरी भविष्यद्वाणी प्राप्त की जो उसके समय के बहुत देर बाद घटित होनेवाली थीं। दानिय्येल ने उन्हें लिख लिया। ये भविष्यवाणियाँ, जो लगभग दो शतकों बाद ही पूरा होना शुरू हुईं, सिकंदर और उसके राज्य को होनेवाली बातों के बारे में विशेष जानकारी समाविष्ट करती हैं।

दानिय्येल को क्या प्रगट किया गया? आपको वे भविष्यवाणियाँ दानिय्येल की बाइबल किताब में मिलेंगी, जो सामान्य युग पूर्व लगभग ५३६ में लिखी गयी थी। संक्षेप में, यही वे बातें हैं जो उसने पाँचवी विश्‍व शक्‍ति, यूनान, के संबंध में देखीं:

पहले भविष्यसूचक दर्शन में, यूनान को तेज़ गति के लिए तैयार चीते के तौर से चित्रित किया गया था। उसके “पीठ पर पक्षी के से चार पंख हैं। . . . और उसको अधिकार दिया गया।”​—दानिय्येल ७:६.

दूसरे भविष्यसूचक दर्शन में, एक बकरा “सूर्यास्त (पश्‍चिम दिशा) से निकलकर सारी पृथ्वी के ऊपर” दिखायी दिया, और वह ऐसी गति से फिर रहा था कि “भूमि पर पाँव न छू रहे थे।” यह दो-सींगवाले मेढ़े के पास आया, जिस का “अर्थ” स्वर्गदूत कहता है “मादियों और फ़ारसियों के राजा से है।” उसने “मेढ़े को मारकर उसके दोनों सींगों को तोड़ दिया।” दानिय्येल को बताया गया: “और वह रोंआर बकरा यूनान का राजा है।”​—दानिय्येल ८:५-८, २०, २१.

तीसरे में, दानिय्येल को बताया गया कि “फ़ारस” का राजा “सब लोगों को यूनान के राज्य के विरुद्ध उभारेगा। उसके बाद एक पराक्रमी राजा उठकर अपना राज्य बहुत बढ़ाएगा, और अपनी इच्छा के अनुसार ही काम किया करेगा।”​—दानिय्येल ११:२, ३.

इन प्रतीकों का क्या अर्थ था? क्या जैसे दानिय्येल को बताया गया कि होंगे, ये बातें उसी तरह घटीं? आइए देखें।

भविष्यवाणियाँ परिपूर्ण हुईं

सा.यु.पू. सन्‌ ३३४ की वसंत ऋतु में, सिकंदर ने लगभग ३०,००० प्यादों और ५,००० घुड़सवारों के साथ दार्दानेल्स (प्राचीन हेल्लेस्पोंट) से एशिया में प्रवेश किया। प्रतीकात्मक चार-पंखवाले चीते या बकरे की गति के साथ, जो प्रतीत होता था कि ज़मीन को न छू रहा था, वह फ़ारसी साम्राज्य की रियासतों में से तेज़ी से चला​—जो कि खुद उसके राज्य के विस्तार से ५० गुना ज़्यादा थे! क्या वह ‘अपना राज्य बढ़ाकर अपनी इच्छा के अनुसार ही काम किया करता’? इतिहास जवाब देता है:

एशिया माइनर (आधुनिक तुर्किस्तान) के उत्तरपश्‍चिमी कोने में, ग्रॅनिकस नदी पर बड़े सिकंदर ने फ़ारसियों के विरुद्ध अपना पहला युद्ध जीता। उसी वर्ष की शीतऋतु में उसने पश्‍चिमी एशिया पर कब्ज़ा किया। अगले वर्ष की शरदऋतु में एशिया माइनर के दक्षिणपूर्वी कोने में आइसस्‌ नाम जगह में, उसने अनुमानतः पाँच लाख आदमियों की एक फ़ारसी सेना पूर्ण रूप से हरा दी, और महान्‌ राजा, फ़ारस का दारा III, सिकंदर के हाथों अपना परिवार त्यागकर भाग गया।

भाग रहे फ़ारसियों का पीछा करने के बजाय, सिकंदर मेडिटरेनियन तट पर शक्‍तिशाली फ़ारसी जलसेना द्वारा इस्तेमाल किए गए एक एक अड्डे पर कब्ज़ा करके, दक्षिण की ओर चलता गया। सोर का द्वीप शहर सात महीनों तक उसका प्रतिरोध किया। आख़िरकार, नबूकदनेस्सर द्वारा नष्ट किए गए पुराने मुख्य भूमि शहर का मलवा इस्तेमाल करके, सिकंदर ने द्वीप शहर पहुँचने के लिए एक सेतूमार्ग बनाया। उस सेतूमार्ग के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं, जो यहेजकेल की भविष्यवाणी की परिपूर्णता को सत्य सिद्ध करते हैं कि सोर की धूलि जल में फेंकी जाती।​—यहेजकेल २६:४, १२.

यरूशलेम को छोड़कर, जो कि उस के अधीन हो गयी थी, सिकंदर दक्षिण की ओर बढ़ा, और गज़्ज़ा पर विजय करके, उसने “अपना राज्य” अधिक बढ़ाया तथा मिस्र में, जहाँ उसका स्वागत एक उद्धारक के तौर से हुआ, “अपनी इच्छा के अनुसार ही काम” करता रहा। मम्फिस में उसने ॲपिस बैल को बलि चढ़ायी और इस प्रकार मिस्री याजकों को प्रसन्‍न किया। उसने सिकंदरिया शहर भी स्थापित की, जो कि बाद में एक शिक्षा केंद्र के तौर से ॲथेने के बराबर था और जिससे अब भी उसका नाम जोड़ा हुआ है।

फिलिप की योजना के सभी लक्ष्य, और उन से भी ज़्यादा पूरे किए गए थे, लेकिन सिकंदर अभी विजय प्राप्त करना बन्द करनेवाला न था। एक तेज़गामी बकरे की तरह, वह फिर से उत्तर-पूर्वी दिशा में मुड़ा, पलश्‍तीन में से हिद्देकेल्‌ नदी की ओर चला। वहाँ, सा.यु.पू. ३३१ में, उसने गौगामेला में फ़ारसियों से लड़ाई की, जो भूतपूर्व अश्‍शूरी राजधानी, नीनवे, के टूटते हुए खण्डहर के पास था। सिकंदर के ४७,००० आदमियों ने १०,००,००० आदमियों की पुनःसंगठित फ़ारसी सेना को पराजित किया। दारा III निकल भागा और बाद में खुद उसके लोगों ने उसकी हत्या की।

विजय से उत्तेजित होकर, सिकंदर दक्षिण की ओर मुड़ा और फ़ारसियों की शीतकालीन राजधानी पर कब्ज़ा किया। उसने सूसा और पर्सेपोलिस की राजधानियों पर भी अधिकार किया, और विशाल फ़ारसी खज़ाने को छीनकर उसने ज़रक्सीज़ के बड़े राजमहल को जला डाला। आख़िरकार, ॲक्‌बाटाना में राजधानी उसके सामने पराजित हुई। इस तेज़गामी विजेता ने फिर फ़ारसियों की बाक़ी रियासत को वशीभूत करके आधुनिक पाक़िस्तान में इंडस नदी तक पूर्वी दिशा में बढ़ गया। निःसन्देह, यूनान बाइबल इतिहास की विश्‍व शक्‍तियों की पाँचवी शक्‍ति बन गया था।

सिकंदर के विजय से इस विशाल राज्य भर में यूनानी भाषा और संकृति फैल गयी। चूँकि यूनानी अधिराज्य जीते हुए देशों में स्थापित किए गए, सर्वसामान्य कोईने यूनानी भाषा उस समय की अंतर्राष्ट्रीय भाषा बन गयी। यह वही भाषा थी जो बाद में बाइबल के मसीही यूनानी शास्त्रों को लिपिबद्ध करने में इस्तेमाल की गयी।

सिकंदर का राज्य विभक्‍त

सिकंदर अपने साम्राज्य की राजधानी के तौर से बाबेलोन को फिर से बँधवा लेना चाहता था। लेकिन ऐसा नहीं होनेवाला था। भविष्यवाणियों में एक बड़े सींगवाले रोंआर बकरे का विवरण किया गया था, जिसके विषय दानिय्येल को बताया गया: “तब बकरा अत्यन्त बड़ाई मारने लगा, और जब बलवन्त हुआ, तब उसका बड़ा सींग टूट गया, और उसकी सन्ती देखने योग्य चार सींग निकलकर चारों दिशाओं की ओर बढ़ने लगे। . . . और वह रोंआर बकरा यूनान का राजा है; और उसकी आँखों के बीच जो बड़ा सींग निकला, वह पहला राजा ठहरा। और वह सींग जो टूट गया और उसकी सन्ती जो चार सींग निकले, इसका अर्थ यह है कि उस जाति से चार राज्य उदय होंगे, परन्तु उसका बल उस पहले का सा न होगा।”​—दानिय्येल ८:८, २१, २२.

“और जब वह बड़ा होगा, तब उसका राज्य टूटेगा और चारों दिशाओं में बटकर अलग अलग हो जाएगा; और न तो उसके राज्य की शक्‍ति ज्यों की त्यों रहेगी और न उसके वंश को कुछ मिलेगा; क्योंकि उसका राज्य उखड़कर, उनकी अपेक्षा और लोगों को प्राप्त होगा।”​—दानिय्येल ११:४.

जैसे बाइबल ने पूर्वबतलाया, सिकंदर का विश्‍व आधिपत्य का उपभोग अल्पकालिक था। अपने विजयी पेशे के शिखर पर ही, सिर्फ़ ३२ वर्ष की उम्र में, सिकंदर के बेरहम विजय समाप्त हुए। मलेरिया ज्वर से पीड़ित होते हुए भी, वह नशे में धुत्त होने तक खान-पान करता रहा और सा.यु.पूर्व. ३२३ में बाबेलोन में अचानक मर गया। उसका शव मिस्र ले जाकर सिकंदरिया में दफ़नाया गया। “बड़ा सींग” जिसका “अर्थ पहला राजा है,” टूट चुका था। तब उसके राज्य को क्या हुआ?

भविष्यवाणी में कहा गया कि उसका राज्य बट जाता “और न उसके वंश को कुछ” मिलता। सिकंदर के अयोग्य भाई फिलिप ॲरहीडेईस ने थोड़े समय के लिए राज्य किया लेकिन उसे वध किया गया। और सिकंदर का जायज़ बेटा सिकंदर (ॲल्लू) और उसका नाजायज़ बेटा हेराक्लीज़ (हरक्यूलीज़) भी मारे गए। इस तरह बड़े सिकंदर, बड़े खून बहानेवाले, की वंशावली लुप्त हो गयी।

यह भी पूर्वबतलाया गया कि “उस जाति से चार राज्य उदय होंगे, परन्तु उनका बल उस पहले को सा न होगा” और कि उसका राज्य “चारों दिशाओं में बटकर अलग अलग हो जाएगा; और न उसके राज्य की शक्‍ति ज्यों की त्यों रहेगी।” क्या ऐसा हुआ?

समय में, सिकंदर का विशाल साम्राज्य उसके चार सेनापतियों के बीच विभाजित किया गया: (१) जेनरल कॅस्सॅन्डर​—मकिदुनिया और यूनान। (२) जेनरल लाइसिमॅकस​—एशिया माइनर और यूरोपी थ्रेस। (३) जेनरल सेलूकस निकेटर​—बाबेलोनिया, मीडिया, सिरिया, फ़ारस और इंडस नदी तकगके पूर्वी प्रान्त। (४) जेनरल टॉलेमी लागस​—मिस्र, लिब्या, और पलश्‍तीन। जैसे भविष्यद्वाणी दी गयी, सिकंदर के एक बड़े राज्य से चार हेल्लेनी या यूनानी राज्य उदय हुए।a

इन में से सबसे ज़्यादा टिकनेवाला राज्य मिस्र में टॉलेमी का राज्य था। सा.यु.पू. ३० में यह रोम के सामने पराजित हो गया, जिसके पश्‍चात्‌ रोम ने यूनान की जगह ली और महान्‌ विश्‍व शक्‍तियों की छठीं शक्‍ति बन गया।

भविष्य में मनुष्यजाति के लिए उज्ज्वल प्रत्याशाएँ

क्या अत्याचारी विश्‍व शक्‍तियों को अनिश्‍चित काल तक लगातार रहना था? नहीं, इसलिए कि बाइबल हमें बताती है कि हम उन में की आख़री शक्‍ति के अन्त के समय में जी रहे हैं।​—प्रकाशितवाक्य १७:१०.

इन जानवर-से मानवी सरकारों को देखने के बाद, दानिय्येल ने कुछ अलग बात देखी। उसे बिल्कुल स्वर्ग ही का एक विशिष्ट दर्शन दिया गया, जहाँ उसने “अति प्राचीन,” स्वयं परमेश्‍वर को, कोई भावी छीननेवाला मानवी नेता को नहीं, बल्कि “मनुष्य के सन्तान सा कोई” व्यक्‍ति को राज्य देते हुए देखा​—पुनरुत्थित, स्वर्गीय यीशु मसीह को!​—दानिय्येल ७:९, १०, १३.

कैसा वैषम्य! वह स्वर्गीय राज्य और उसका शासन पृथ्वी के भूतपूर्व प्रतिद्वंद्वी मानवी राजाओं से कितना अलग होनेवाला था। इस उन्‍नत स्वर्गीय “मनुष्य के सन्तान” के बारे में दानिय्येल ने ऐसा कहा: “तब उसको ऐसी प्रभुता, महिमा और राज्य दिया गया, कि देश-देश और जाति-जाति के लोग और भिन्‍न-भिन्‍न भाषा बोलनेवाले सब उसके अधीन हों; उसकी प्रभुता सदा तक अटल, और उसका राज्य अविनाशी ठहरेगा।” (दानिय्येल ७:१४) यह शान्ति और धार्मिकता का राज्य होनेवाला था।​—यशायाह ९:६, ७.

जैसे हम अतीत में मानवी शासन के लोभ और हिंसा को देखते हैं, हम कितने खुश हो सकते हैं कि यह स्वर्गीय राज्य अब स्थापित हो चुका है और कि उसका धार्मिक जग-व्यापी शासन निकट है!​—प्रकाशितवाक्य १२:१०, १२.

“क्योंकि इस दर्शन की बात नियत समय में पूरी होनेवाली है, वरन वह अन्त की ओर हाँफती है; इस में धोखा न होगा। चाहे इस में विलम्ब भी हो, तौभी उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्‍चय आएगी और उस में देर न होगी।”​—हबक्कूक २:३.

[फुटनोट]

a सिकंदर के साम्राज्य के विभाजन के बाद जो उग्र घटनाएँ घटीं, वे “उत्तर के राजा” और “दक्खिन के राजा” की भविष्यवाणी में पूर्वबतलायी गयीं। दानिय्येल, अध्याय ११ में लिपिबद्ध, इस भविष्यवाणी पर विचार-विमर्श, वॉच टावर बाइबल ॲन्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित, “यॉर विल बी डन्‌ ऑन अर्त” नामक किताब के पृष्ठ २२९-४८ में सविस्तर रूप से किया गया है।

[पेज 27 पर नक्शा]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

सिकंदर के अधिकार-क्षेत्र का फैलाव

पेल्ला

सरदीस

आइसस्‌

दमिश्‍क

सोर

यरूशलेम

सिकंदरिया

मेम्फिस

थीब्ज़

फरात नदी

हिद्देकेल्‌ नदी

गौगामेला

बाबेलोन

ॲक्‌बाटाना

शूशन

पर्सेपोलिस

सिकंदरिया एस्केट

तक्षिला

इंडस नदी

[पेज 29 पर नक्शा]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

सिकंदर के साम्राज्य का बँटवारा

महासागर

कॅस्सॅन्डर

पेल्ला

लाइसिमॅकस

लाइसिमेकिया

टॉलेमी लागस

सिकंदरिया

सेलूकस निकेटर

अन्तकिया

सेलूकिया

[पेज 28 पर तसवीरें]

आधुनिक सिकंदरिया के पास की तट-रेखा

[चित्र का श्रेय]

Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.

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