विश्वास में दृढ़ बने रहें!
पतरस की पहली पत्री से विशिष्टताएँ
यहोवा के गवाह विभिन्न परीक्षाओं का सामना करते हैं, या उनके विश्वास को परखा जाता है। कुछ देशों में, उनका राज्य प्रचार कार्य बड़ी सताहटों का सामना करते हुए किया जाता है। परमेश्वर के साथ उनके संबंध को तोड़ने के ऐसे और अन्य प्रयत्नों के पीछे शैतान इब्लीस है। परन्तु, वह सफ़ल न होगा, क्योंकि यहोवा अपने दासों को स्थिर—हाँ, विश्वास में दृढ़ बनाते हैं।
प्रेरित पतरस को ‘अपने भाइयों को,’ जो “नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण उदास” थे, ‘स्थिर करने’ का विशेष अधिकार प्राप्त था। (लूका २२:३२; १ पतरस १:६, ७) उसने ऐसा अपने पहले पत्र में किया, जो सा. यु. के लगभग वर्ष ६२-६४ में, बाबुल से लिखा गया। इस में पतरस ने यहूदी और अन्यजातीय मसीहियों को सलाह, आश्वासन और प्रोत्साहन दिया, जिस से उन्हें शैतान के आक्रमणों का विरोध करने और “विश्वास में दृढ़” बने रहने की मदद हुई। (१ पतरस १:१, २; ५:८, ९) अब जबकि इब्लीस का समय बहुत कम है और उसके आक्रमण अधिक दुष्ट हैं, अवश्य ही यहोवा के लोग पतरस के प्रेरित शब्दों से लाभ उठा सकते हैं।
परमेश्वरीय सिद्धान्तों पर आधारित आचरण
हमारी आशा चाहे स्वर्गीय हो या पार्थिव, इस से हमें परीक्षाओं को सहने में और एक धार्मिक रीति से कार्य करने में मदद होनी चाहिए। (१:१-२:१२) एक स्वर्गीय उत्तराधिकार की आशा अभिषिक्त लोगों के लिए परीक्षाओं का सामना करते समय आनन्द का कारण बनती है, जो कि वास्तव में उनके विश्वास को शुद्ध करती हैं। मसीह की नींव पर बने एक आध्यात्मिक घर के रूप में, वे परमेश्वर को स्वीकृत आत्मिक बलिदान चढ़ाते हैं और एक उत्तम रीति से व्यवहार करते हैं, जिसके द्वारा परमेश्वर को महिमा मिलती है।
सभी संगी मनुष्यों के साथ हमारे लेन-देन परमेश्वरीय सिद्धान्तों द्वारा विनियमित होने चाहिए। (२:१३–३:१२) पतरस ने दर्शाया कि हमें मानव शासकों के आधीन रहना चाहिए। गृह सेवकों को स्वामियों के, और पत्नियों को अपने पति के आधीन रहना था। मसीही पत्नी का पवित्र चालचलन सम्भवतः उसके अविश्वासी पति को सच्चे विश्वास की ओर जीत ले। और एक विश्वासी पति को अपनी ‘पत्नी को निर्बल पात्र जानकर उसका आदर करना’ चाहिए। सभी मसीहियों को सहानुभूति दर्शानी चाहिए, उन में भाईचारे के लिए प्रीति होनी चाहिए, उन्हें भलाई करनी चाहिए, और शान्ति का अनुसरण करते रहना चाहिए।
धीरज आशिषें लाती है
सच्चे मसीहियों द्वारा वफ़ादारी से दुःख सहने के परिणामस्वरूप आशिषें मिलेंगी। (३:१३–४:१९) यदि हम धार्मिकता के लिए दुःख सहते हैं, तो हमें आनन्दित होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, चूँकि मसीह ने हमें परमेश्वर की ओर ले जाने के लिए देह में दुःख सहा, हमें शारीरिक अभिलाषाओं के अनुसार नहीं जीना चाहिए। यदि हम वफ़ादारी के साथ परीक्षाओं को सहेंगे, तो हम यीशु मसीह के प्रकटीकरण पर अत्यधिक आनन्द में भागी होंगे। मसीह के नाम के कारण अथवा उसके चेलों के रूप में निन्दा सहने पर, हमें खुश होना चाहिए क्योंकि यह प्रमाणित करता है कि हमारे पास यहोवा की आत्मा है। तो जैसे हम परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप दुःख को सहते हैं, हम स्वयं को परमेश्वर को सौंपे और निरन्तर भलाई करते रहें।
मसीहियों के रूप में, हमें अपने कर्तव्यों को विश्वसनीयता से निभाने और अपने आप को परमेश्वर के शक्तिशाली हाथ के आधीन करने की आवश्यकता है। (५:१-१४) प्राचीनों को स्वेच्छा से परमेश्वर के झुण्ड की रखवाली करनी चाहिए, और इस अहसास के साथ कि यहोवा वास्तव में हमारी परवाह करते हैं, हम सब को अपनी चिन्ताएँ उन पर डालनी चाहिए। हमें इब्लीस के विरुद्ध भी अपना पक्ष लेना और कभी हताश नहीं होना चाहिए, क्योंकि हमारे भाई हमारी ही जैसी कठिनाइयों का अनुभव करते हैं। हमेशा याद रखें कि यहोवा परमेश्वर हमें स्थिर करेंगे और विश्वास में दृढ़ बने रहने में हमारा समर्थन करेंगे।
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स्त्री संबंधी सिंगार: मसीही स्त्रियों को ताड़ना देते हुए पतरस ने कहा: “तुम्हारा सिंगार दिखावटी न हो, अर्थात् बाल गूँथने, और सोने के गहने और भाँति भाँति के कपड़े पहनना। बरन तुम्हारा छिपा हुआ और गुप्त मनुष्यत्व, नम्रता और मन की दीनता की अविनाशी सजावट से सुसज्जित रहे, क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में इसका मूल्य बड़ा है।” (१ पतरस ३:३, ४) सा.यु. की पहली शताब्दी में, मूर्तिपूजक जातियों की स्त्रियाँ प्रायः अपने लम्बे बालों को दिखावटी रचनाओं में गूँथ कर और चोटियों में सोने के आभूषण लगा कर, अलंकृत केशविन्यास करती थीं। सम्भवतः, अनेकों ने दिखावट के लिए ऐसा किया—जो कि मसीहियों के लिए अशोभनीय है। (१ तीमुथियुस २:९, १०) फिर भी, सभी सिंगार ग़लत नहीं है, क्योंकि पतरस “बाहरी वस्त्र पहनना” समाविष्ट करता है—जो कि स्पष्टतः एक आवश्यकता है। प्राचीन समय के परमेश्वर के सेवकों द्वारा भी गहनों का प्रयोग किया जाता था। (उत्पत्ति २४:५३; निर्गमन ३:२२; २ शमूएल १:२४; यिर्मयाह २:३२; लूका १५:२२) फिर भी, एक मसीही स्त्री समझदारी से भड़कीले गहनों और काम-प्रवृत्ति जगानेवाले कपड़ों से दूर रहती हैं, और उसे सावधान रहना चाहिए कि प्रसाधनों का प्रयोग सुरुचिपूर्ण हो। प्रेरित की ताड़ना का मुद्दा यह है कि उसे बाहरी नहीं, परन्तु भीतरी सिंगार को महत्त्व देना चाहिए। उसे सचमुच आकर्षक होने के लिए, विनीतता से प्रसाधन करना चाहिए और परमेश्वर से डरनेवाले का सा मनोभाव रखना चाहिए।—नीतिवचन ३१:३०; मीका ६:८.
[चित्र का श्रेय]
Israel Department of Antiquities and Museums; Israel Museum/David Harris