अपने परिवार को बचाकर परमेश्वर के नये संसार में ले जाने का यत्न कीजिए
“तू ही हे परमेश्वर उनकी रक्षा करेगा, उनको इस काल के लोगों से सर्वदा के लिये बचाए रखेगा।”—भजन १२:७.
१, २. (क) अंतिम दिनों के दबाव के अधीन कुछ परिवारों की क्या दशा है? (ख) मसीही परिवार कैसे बचने का यत्न कर सकते हैं?
“आज मेरा हृदय आनन्द से भरा हुआ है!” जॉन नामक एक मसीही प्राचीन ने कहा। इस उल्लास का कारण? “मेरे १४ साल के बेटे और १२ साल की बेटी का बपतिस्मा हो गया,” वह बताता है। परन्तु उसका आनन्द वहीं तक सीमित नहीं था। “मेरा १७ साल का बेटा और १६ साल की बेटी दोनों पिछले साल से सहयोगी पायनियर हैं,” वह आगे कहता है।
२ बाइबल सिद्धांतों पर अमल करते हुए, हमारे बीच बहुत सारे परिवारों को ऐसे ही अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। परन्तु, कई परिवार समस्याओं का सामना कर रहे हैं। “हमारे पाँच बच्चे हैं,” एक मसीही दम्पति लिखता है, “और उन को संभालना दिन-पर-दिन कठिन होता गया है। पहले ही हम ने एक संतान को इस पुरानी व्यवस्था में खो दिया है। इस समय हमारे जवान किशोर-किशारियाँ ही शैतान के आक्रमण का मुख्य क्षेत्र प्रतीत होते हैं।” ऐसी भी कुछ दम्पतियाँ हैं जो सख़्त वैवाहिक झगड़ों का अनुभव कर रही हैं, जिसका परिणाम कभी-कभी पृथक्करण या तलाक़ होता है। तब भी, जो परिवार मसीही गुणों को विकसित करते हैं, वे “भारी क्लेश” से बचकर परमेश्वर के आनेवाले नये संसार में जा सकते हैं। (मत्ती २४:२१; २ पतरस ३:१३) तो फिर, आप अपने परिवार के बचाव को निश्चित बनाने के लिए क्या कर सकते हैं?
संचार को सुधारना
३, ४. (क) पारिवारिक जीवन में संचार कितना आवश्यक है, और इसके विषय में अकसर क्यों समस्याएँ उठती हैं? (ख) पतियों को अच्छे श्रोता बनने का यत्न क्यों करना चाहिए?
३ अच्छा संचार एक स्वस्थ परिवार की प्राण-शक्ति है; जब इसकी कमी होती है, तब तनाव और दबाव बढ़ता है। “बिना सम्मति की कल्पनाएं निष्फल हुआ करती हैं,” नीतिवचन १५:२२ कहता है। दिलचस्पी की बात यह है, एक विवाह-सलाहकार रिपोर्ट करती है: “जिन पत्नियों को मैं सलाह देती हूँ उनकी सबसे आम शिकायत होती है ‘वे मुझ से बात नहीं करते हैं,’ और ‘वे मेरी नहीं सुनते हैं।’ और जब मैं उनके पतियों को यह शिकायत बताती हूँ, तो वे मेरी भी नहीं सुनते हैं।”
४ संचार की कमी किस कारण होती है? एक बात तो यह है, पुरुष तथा स्त्री भिन्न हैं, और अकसर सुस्पष्ट रूप से उनके संचार की भिन्न शैलियाँ होती हैं। एक लेख ने टिप्पणी की कि एक पति अपने वार्तालाप में “सहज ही अपरोक्ष और व्यावहारिक होता है,” जबकि “[पत्नी] को सबसे अधिक ज़रूरत है एक समानुभूतिपूर्ण श्रोता की।” यदि आप के विवाह में यह एक समस्या पेश करती है, तो मामलों को सुधारने का यत्न कीजिए। एक मसीही पति को शायद एक बेहतर श्रोता बनने के लिए सख़्त यत्न करना पड़े। “हर एक मनुष्य,” याकूब कहता है, “सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा” हो। (याकूब १:१९) हुक़्म चलाने, फटकारने, या भाषण देने से परहेज़ करना सीखिए, जबकि आपकी पत्नी सिर्फ़ “कृपामय” भावना चाहती है। (१ पतरस ३:८) “जो संभलकर बोलता है, वही ज्ञानी ठहरता है,” नीतिवचन १७:२७ कहता है।
५. किन तरीक़ों से पति अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने में सुधार कर सकते हैं?
५ दूसरी ओर, “बोलने का भी समय” होता है, और शायद आपको अपने विचारों और भावनाओं को और अधिक अभिव्यक्त करने के लिए सीखने की ज़रूरत हो। (सभोपदेशक ३:७) उदाहरण के लिए, क्या आप अपनी पत्नी की सफ़लताओं के लिए प्रशंसा देने में उदार हैं? (नीतिवचन ३१:२८) आपकी सहायता करने और गृहस्थी की देख-रेख करने में लगी उसकी मेहनत के लिए, क्या आप अपने आपको कृतज्ञ दिखाते हैं? (कुलुस्सियों ३:१५ से तुलना कीजिए.) या शायद आपको ज़बानी “प्रेम की अभिव्यक्तियाँ” करने में सुधरने की ज़रूरत हो। (श्रेष्ठगीत १:२, NW) पहले-पहल आपको यह शायद कष्टकर लगे, परन्तु यह आपकी पत्नी को सुरक्षित महसूस करने में सहायता करेगी कि आप उससे प्रेम करते हैं।
६. पारिवारिक संचार को सुधारने में पत्नियाँ क्या कर सकती हैं?
६ मसीही पत्नियों के बारे में क्या? एक पत्नी का हवाला दिया गया है जिसने कहा कि उस का पति जानता है कि वह उसकी क़दर करती है, इसलिए उसका उसे यह बताना ज़रूरी नहीं है। परन्तु, पुरुष भी क़दर, प्रशंसा, और तारीफ़ पर फलते फूलते हैं। (नीतिवचन १२:८) क्या आपको इस विषय में और अभिव्यंजक होने की ज़रूरत है? दूसरी तरफ़, शायद आपको ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत हो कि आप कैसे सुनते हैं। यदि आपके पति को अपनी समस्याओं, भय, या चिन्ताओं पर खुलकर बात करने में कठिनाई होती है, तो क्या आपने कृपाभाव और व्यवहार कुशलता से उसको प्रेरित करना सीखा है कि वह बिना हिचकिचाए आप से बात करे?
७. किस बात से वैवाहिक झगड़े उठ सकते हैं, और उन्हें कैसे रोका जा सकता है?
७ बेशक, जिन दम्पतियों की आम तौर पर अच्छी बनती है, वे भी कभी-कभी अपने संचार में बिगाड़ अनुभव कर सकते हैं। भावना तर्क पर हावी हो सकती है, या एक शांत विचार-विमर्श शीघ्र ही उत्तेजित झगड़े में बदल सकता है। (नीतिवचन १५:१) “हम सब बहुत बार चूक जाते हैं”; तो भी एक वैवाहिक कहा-सुनी का अर्थ विवाह का अंत नहीं होता। (याकूब ३:२) परन्तु “कलह, और निन्दा” उचित नहीं और किसी भी रिश्ते के लिए हानिकर है। (इफिसियों ४:३१) पीड़ाकर शब्दों की अदला-बदली होने पर शीघ्र ही सुलह कर लिया कीजिए। (मत्ती ५:२३, २४) सबसे पहले तो झगड़े अकसर रोके जा सकते हैं यदि आप दोनों इफिसियों ४:२६ में दिये गये पौलुस के शब्दों पर अमल करें: “सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।” जी हाँ, समस्याएँ जब अभी छोटी और काबू में हैं, तभी उन्हें सुलझा लीजिए; अपनी भावनाओं को ज्वलनांक तक पहुँचने के समय का इन्तज़ार न कीजिए। चिन्ता की बातों पर प्रत्येक दिन कुछ मिनट विचार-विमर्श करने से काफ़ी हद तक संचार बढ़ाया जा सकता है और ग़लतफ़हमियाँ रोकी जा सकती हैं।
“प्रभु की शिक्षा”
८. कई युवक सच्चाई से क्यों दूर बहक सकते हैं?
८ यह प्रतीत होता है कि कुछ माता-पिता संतुष्ट हैं कि उनके बच्चे बिना ज़्यादा निर्देशन के बड़े हों। बच्चे सभाओं में उपस्थित होते हैं और क्षेत्र-सेवा में भी कुछ भाग लेते हैं, परन्तु अकसर उन्होंने परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते को नहीं बढ़ाया होता है। कुछ समय बाद “शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा” ऐसे बहुत से युवकों को सच्चाई से दूर ले जा सकती हैं। (१ यूहन्ना २:१६) यह कितना ही दुःखद होगा यदि माता-पिता तो अरमगिदोन से बच निकलें परन्तु बीते हुए लापरवाही के कारण उनके बच्चे शिकार होकर पीछे रह जाएं!
९, १०. (क) “प्रभु की शिक्षा, और चितावनी” में बच्चों का “पालन-पोषण करने में क्या सम्मिलित है? (ख) बच्चों को खुलकर अपने विचारों को प्रकट करने देना क्यों महत्त्वपूर्ण है?
९ पौलुस ने इसलिए लिखा: “हे बच्चेवालो अपने बच्चों को रिस न दिलाओ परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो।” (इफिसियों ६:४) ऐसे करने के लिए, आपको स्वयं यहोवा के स्तरों के साथ पूरी तरह से परिचित होना चाहिए। आपको मनोरंजन के चुनाव में, निजी अध्ययन, सभा में उपस्थिति, और क्षेत्र सेवा के मामलों में सही उदाहरण पेश करना चाहिए। पौलुस के शब्द यह भी सूचित करते हैं कि एक माता या पिता को (१) अपने बच्चों का विदग्ध प्रेक्षक होना चाहिए और उसे (२) उनके साथ अच्छा संचार बनाए रखना चाहिए। तभी आप को पता चल सकेगा कि उन्हें कहाँ “शिक्षा” की ज़रूरत है।
१० यह प्राकृतिक बात है कि नवयुवक-युवतियाँ कुछ आज़ादी के लिए यत्न करें। परन्तु, उनकी बातचीत, विचार, पहनावा और बनाव-श्रृंगार, और मित्रों के चुनाव में सांसारिक प्रभाव के स्पष्ट चिह्नों के प्रति आपको सतर्क रहना चाहिए। जैसे नीतिवचन २३:२६ में दर्ज है, एक बुद्धिमान पिता ने कहा: “हे मेरे पुत्र, अपना मन मेरी ओर लगा।” क्या आपके बच्चे आपके साथ अपने विचारों और भावनाओं पर बात करने में निस्संकोच महसूस करते हैं? जब बच्चों को तात्कालिक निन्दा का भय न हो, तब वे पाठ्येतर क्रियाओं, डेट कर (dating), ऊँची शिक्षा, या स्वयं बाइबल सच्चाइयों के बारे में अपने असल विचारों को प्रकट करने में ज़्यादा प्रवृत हो सकते हैं।
११, १२. (क) पारिवारिक संचार को बढ़ाने के लिये भोजन के समय का कैसा इस्तेमाल किया जा सकता है? (ख) अपने बच्चों के साथ संचार को बढ़ाने के लिए एक पिता के लगातार यत्नों का क्या परिणाम हो सकता है?
११ बहुत से देशों में परिवारों का इकट्ठा भोजन करना एक रिवाज है। इसलिए रात का भोजन परिवार के सब सदस्यों के लिए प्रोत्साहक वार्तालाप में शामिल होने का एक अच्छा अवसर पेश कर सकता है। अकसर टेलीविजन और दूसरे विकर्षण पारिवारिक भोजन का स्थान ले लेते हैं। परन्तु, वास्तव में घंटों तक आपके बच्चे स्कूल में बंधक व्यक्ति के तौर पर कैद होकर सांसारिक विचारों के प्रभाव के अधीन रहते हैं। भोजन का समय ही अपने बच्चों के साथ संचार करने का अच्छा समय है। “दिन के दौरान घटी बातों पर बात करने के लिए हम भोजन का समय इस्तेमाल करते हैं,” एक माँ कहती है। फिर भी, ज़रूरी नहीं कि भोजन का समय शर्मिंदा करनेवाली अनुशासनीय बैठक या प्रतिपरीक्षा बनें। ऐसे अवसर को तनाव-मुक्त और आनन्दप्रद रखिए!
१२ बच्चों को आपके साथ खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित करना एक चुनौती हो सकता है और शायद असीम धीरज की ज़रूरत पड़े। परन्तु, कुछ समय के बाद आप शायद आनन्दकर परिणाम देखेंगे। “हमारा १४ साल का बेटा उदास और ग़ैर-मिलनसार था,” एक चिन्तित माँ याद करती है। “हमारी प्रार्थनाओं और प्रयत्न द्वारा, वह अब खुलकर बात करने लगा है!”
प्रोत्साहन देनेवाला पारिवारिक अध्ययन
१३. बच्चों को आरंभ से ही प्रशिक्षित करना क्यों इतना महत्त्वपूर्ण है, और इसे कैसे सफल बनाया जा सकता है?
१३ परमेश्वर के वचन में औपचारिक निर्देशन देना भी “शिक्षा” में सम्मिलित है। जैसे तीमुथियुस के साथ हुआ, ऐसा प्रशिक्षण “बालकपन से” शुरू होना चाहिए। (२ तीमुथियुस ३:१५) आरंभ से दिया गया प्रशिक्षण बच्चों को स्कूल के वर्षों के दौरान आनेवाली विश्वास की परिक्षाओं के लिए मज़बूत बनाएगा—जन्मदिन मनाना, देशभक्ति के उत्सव, या धार्मिक त्योहार। इन परिक्षाओं के लिए तैयारी किये बिना, एक बच्चे का विश्वास कुचला जा सकता है। इसलिए नन्हे बच्चों के लिए वॉच टावर सोसायटी द्वारा तैयार किए गए साधन, लिसनिंग टू द ग्रेट टीचर (Listening to the Great Teacher) और माइ बुक ऑफ़ बाइबल स्टोरीज़ (My Book of Bible Stories) पुस्तकों का लाभ उठाइये।a
१४. पारिवारिक अध्ययन को नियमित कैसे रखा जा सकता है, और एक नियमित पारिवारिक अध्ययन रखने के लिए आपने क्या किया है?
१४ पारिवारिक अध्ययन एक और ध्यान देने योग्य क्षेत्र है, जो आसानी से अनियमितता में पड़ सकता है या मंद, आदतन मामला बन सकता है जिससे दोनों माता-पिता और बच्चों को तकलीफ़ होती है। आप मामले को कैसे सुधार सकते हैं? पहले तो, आपको अध्ययन के लिए ‘समय को निकालना’ चाहिए, और टी. वी. कार्यक्रम या अन्य मनोरंजन को इसका स्थान न लेने दीजिए। (इफिसियों ५:१५-१७, NW) “हमें अपने पारिवारिक अध्ययन को नियमित रखने में कठिनाई होती थी,” एक परिवार का सिर स्वीकार करता है। “हम ने अलग-अलग समय परखकर देखे, जब तक हमें आख़िर में शाम को वह समय न मिल गया जो हमारे लिए व्यावहारिक था। अब हमारा पारिवारिक अध्ययन नियमित रूप से होता है।”
१५. आप कैसे अपने पारिवारिक अध्ययन को अपने परिवार की ज़रूरतों के अनुकूल बना सकते हैं?
१५ उसके बाद, अपने परिवार की ख़ास ज़रूरतों पर विचार कीजिए। बहुत से परिवार अपने साप्ताहिक प्रहरीदुर्ग पाठ को इकट्ठे तैयार करने में आनन्द लेते हैं। परन्तु, समय-समय पर आपके परिवार की कुछ ख़ास समस्याएँ हो सकती हैं जिन पर विचार-विमर्श करने की ज़रूरत हो, और स्कूल में आई समस्याएँ भी इन में सम्मिलित हो सकती हैं। क्वेस्चन्स यंग पीपल आस्क—आन्सर्स् दैट वर्क (Questions Young People Ask—Answers That Work) पुस्तक और प्रहरीदुर्ग तथा अवेक! में से लेख इस ज़रूरत को पूरा कर सकते हैं। “यदि हमारे ध्यान में यह आ जाए कि हमारे लड़कों में कुछ ऐसे रवैये हैं जिन्हें सुधारने की ज़रूरत है,” एक पिता कहता है, “तो हम यंग पीपल आस्क पुस्तक में उस अध्याय पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो इस विषय पर व्याख्या करता है।” उसकी पत्नी आगे कहती है: “हम नम्य होने की कोशिश करते हैं। यदि हमने अपने अध्ययन के लिए कुछ योजना बनायी है, और फिर कुछ और विषय पर विचार-विमर्श करने की ज़रूरत पड़ जाती है, तो हम ज़रूरतों के अनुसार इसको बदल देते हैं।”
१६. (क) आप कैसे निश्चित कर सकते हैं कि आपके बच्चे सीखीं हुई बातों को समझ रहे हैं? (ख) पारिवारिक अध्ययन संचालित करते समय आम तौर पर किस बात से बचना चाहिए?
१६ आप कैसे यह निश्चित कर सकते हैं कि आपके बच्चे सीखीं हुई बातों को सचमुच समझ रहे हैं? उत्कृष्ट शिक्षक, यीशु, ने दृष्टिकोण सवाल पूछे, जैसे कि, “तू क्या समझता है?” (मत्ती १७:२५) ऐसे करने से, पता लगाने की कोशिश कीजिए कि आपके बच्चे असल में क्या विचार रखते हैं। हर बच्चे को अपने शब्दों में जवाब देने के लिए प्रोत्साहित कीजिए। अलबत्ता, यदि आप उनकी सच्ची अभिव्यक्तियों के प्रति गुस्से या संक्षोभ की प्रतिक्रया दिखाएँगे, तो शायद वे दुबारा आपके साथ खुलकर बात करने में हिचकिचाएँ। इसलिए शांत रहिए। पारिवारिक अध्ययन को ताड़ना का अवसर न बनाइए। इसे आनन्दप्रद और प्रोत्साहक होना चाहिए। “यदि मुझे पता चल जाए कि मेरे बच्चों में से किसी को कोई समस्या है,” एक पिता कहता है, “तो मैं इस समस्या से किसी और समय पर निपटुँगा।” “इसके बजाय कि एक बच्चे को पारिवारिक अध्ययन के दौरान चेतावनी दी जाए, यदि उसके साथ अलग-से निपटा जाता है,” एक माँ आगे कहती है, “तो वह बच्चा इतना शर्मिन्दा नहीं होता है और ज़्यादा खुलकर बात करने को तैयार होता है।”
१७. पारिवारिक अध्ययन को दिलचस्प बनाने के लिए क्या किया जा सकता है, और आपके परिवार के लिए कौनसी बातें सफल हुई है?
१७ पारिवारिक अध्ययन में हिस्सा लेने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करना एक चुनौती हो सकता है, विशेषकर जब बच्चे अलग-अलग आयु के हों। कम आयु के बच्चे शायद सहज ही अस्थिर और अशांत हों, या ध्यान-अवधि की कमी प्रकट करें। आप क्या कर सकते हैं? अध्ययन के वातावरण को तनाव से मुक्त रखने की कोशिश कीजिए। यदि आपके बच्चों की ध्यान-अवधि कम है, तो ज़्यादा अकसर परन्तु कम समय की बैठक रखने की कोशिश कीजिए। आपका उत्साही होना भी सहायता करेगा। “जो अगुआई करे, वह उत्साह से करे।” (रोमियों १२:८) सबको शामिल कीजिए। छोटे बच्चे शायद चित्रों पर टिप्पणी कर सकेंगे या आसान सवालों का जवाब दे सकेंगे। किशोर-किशोरियों को अतिरिक्त छानबीन करने या विचाराधीन लेख का व्यावहारिक प्रयोग करने के लिए कहा जा सकता है।
१८. माता-पिता हर अवसर पर अपने बच्चों को कैसे परमेश्वर का वचन समझाकर सिखा सकते हैं, और किस परिणाम के साथ?
१८ परन्तु, आध्यात्मिक निर्देशन को केवल सप्ताह में एक घंटे तक सीमित न रखें। परमेश्वर के वचन को हर अवसर पर अपने बच्चों को समझाकर सिखाया कीजिए। (व्यवस्थाविवरण ६:७) उनकी बातों को सुनने के लिए समय निकालिए। जब ज़रूरत पड़े, उन्हें उपदेश और सांत्वना दीजिए। (१ थिस्सलुनीकियों २:११ से तुलना कीजिए.) करुणामय और दयालु बनिए। (भजन १०३:१३; मलाकी ३:१७) ऐसा करने से, आप अपने बच्चों में ‘सुख’ पाएंगे और उनकी सहायता करेंगे कि वे परमेश्वर के नये संसार में बचकर जाएं।—नीतिवचन २९:१७.
‘हंसने का समय’
१९, २०. (क) पारिवारिक जीवन में मनोरंजन कौनसी भूमिका अदा करती है? (ख) किन तरीक़ों से माता-पिता अपने परिवार के लिए मनोरंजन का प्रबंध कर सकते हैं?
१९ “हंसने का भी समय . . . , नाचने का भी समय” होता है। (सभोपदेशक ३:४) “हंसने” के लिए इब्रानी शब्द का अनुवाद ‘उत्सव मनाना,’ ‘खेलना,’ ‘तमाशा करना,’ या यहाँ तक कि ‘क्रीड़ा करना’ जैसी अभिव्यक्तियों से भी किया जा सकता है। (२ शमूएल ६:२१, NW; अय्यूब ४१:५; न्यायियों १६:२५; निर्गमन ३२:६; उत्पत्ति २६:८) खेल एक लाभदायक उद्देश्य पूरा कर सकता है, और यह बच्चों और युवकों के लिए ज़रूरी होता है। बाइबल के समय में माता-पिता अपने परिवार के लिए मन बहलाव और मनोरंजन का प्रबंध करते थे। (लूका १५:२५ से तुलना कीजिए.) क्या आप भी ऐसा करते हैं?
२० “हम सार्वजनिक पार्क का लाभ उठाते हैं,” एक मसीही पति कहता है। “हम कुछ युवा भाइयों को बुलाकर गेंद खेलते और पिकनिक करते हैं। उन्हें बहुत मज़ा आता है और वे स्वास्थ्यकर संगति का आनन्द लेते हैं।” एक और पिता आगे कहता है: “हम योजना बनाते है कि अपने लड़कों के साथ मिलकर क्या करना है। हम तैरने जाते हैं, गेंद खेलते हैं, छुट्टियाँ मनाते हैं। परन्तु हम मनोरंजन को उचित स्थान पर रखते हैं। मैं संतुलन रखने की ज़रूरत पर ज़ोर डालता हूँ।” स्वास्थ्यकर मनोरंजन, जैसे कि उचित पार्टियाँ या चिड़िया-घर और अजायब-घर जाना, काफ़ी हद तक बच्चे को सांसारिक विलास की ओर आकर्षित होने से रोक सकते हैं।
२१. सांसारिक त्योहारों को न मनाने के कारण उनके बच्चे वंचित महसूस न करें, इसके लिए माता-पिता क्या कर सकते हैं?
२१ यह भी महत्त्वपूर्ण है कि आपके बच्चे वंचित महसूस न करें क्योंकि वे जन्मदिन या ग़ैर-मसीही त्योहारों को नहीं मनाते हैं। आपकी तरफ़ से कुछ प्रबंध के साथ, वे साल-भर बहुत सारे आनन्दप्रद समयों की आशा कर सकते हैं। अजी, भौतिक रूप से अपने प्रेम को व्यक्त करने के लिए एक अच्छे माता या पिता को कोई त्योहार का सहारा लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। अपने स्वर्गीय पिता के जैसे, वह स्वैच्छिक रूप से ‘अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानता’ है।—मत्ती ७:११.
अपने परिवार के लिए एक अनंत भविष्य को निश्चित बनाना
२२, २३. (क) जैसे ही भारी क्लेश निकट आता जा रहा है, परमेश्वर का भय माननेवाले परिवार किस बात पर अश्वस्त हो सकते हैं? (ख) परमेश्वर के नये संसार में बचकर जाने के लिए परिवार क्या कर सकते हैं?
२२ भजनहार ने प्रार्थना की: “तू ही हे परमेश्वर उनकी रक्षा करेगा, उनको इस काल के लोगों से सर्वदा के लिये बचाए रखेगा।” (भजन १२:७) शैतान की ओर से दबाव निश्चय ही बढ़ेगा—ख़ासकर यहोवा के गवाहों के परिवारों के विरुद्ध। फिर भी, इस निरंतर बढ़ते हुए आक्रमण का सामना करना सम्भव है। यहोवा की सहायता के साथ और पति, पत्नी, और बच्चों के दृढ़ निश्चय तथा सख़्त मेहनत के साथ, परिवार—आपका परिवार भी—भारी क्लेश के दौरान जीवित बच निकलने की आशा रख सकते हैं।
२३ पति-पत्नियों, परमेश्वर द्वारा नियुक्त अपनी भूमिकाओं को पूरा करके अपने विवाह में शांति और सामंजस्य लाइये। माता-पिताओं, अपने बच्चों के लिए एक अच्छा उदाहरण पेश करते रहिए, और वह प्रशिक्षण तथा अनुशासन देने के लिए समय निकालें जिनकी उन्हें अत्यधिक ज़रूरत है। उनसे बात कीजिए। उनकी सुनिए। उनके जीवन ख़तरे में है! बच्चों, अपने माता-पिता की सुनो और उनकी आज्ञाओं का पालन करो। यहोवा की सहायता के साथ आप सफ़ल हो सकते हैं और परमेश्वर के आनेवाले नये संसार में अपने लिए अनंत भविष्य को निश्चित बना सकते हैं।
[फुटनोट]
a कुछ भाषाओं में ऑडियो कैसेट भी उपलब्ध हैं।
क्या आपको याद है?
▫ पति और पत्नी अपने संचार को कैसे सुधार सकते हैं?
▫ माता-पिता बच्चों को “प्रभु की शिक्षा” में कैसे बड़ा कर सकते हैं? (इफिसियों ६:४)
▫ पारिवारिक अध्ययन को प्रोत्साहक तथा ज़्यादा दिलचस्प बनाने के कौनसे तरीक़े हैं?
▫ अपने परिवारों के लिए मनबहलाव तथा मनोरंजन का प्रबंध करने में माता-पिता क्या कर सकते हैं?
[पेज 27 पर बक्स]
संगीत—एक शक्तिशाली प्रभाव
बच्चों के पालन-पोषण पर एक पुस्तक का लेखक कहता है: “यदि मैं श्रोतागण के सामने खड़ा होता . . . और मतवाले रंग-रलियों, कोकेन, पॉट, या और कोई दिमाग़ को घुमानेवाली नशीली दवाओं से नशा करने के पक्ष में तर्क करता, तो वे मेरी ओर चकित अचम्भे से देखते। . . . [तो भी] माता-पिता अपने बच्चों को रिकार्ड या कैसेट रिकार्डिंग्स ख़रीदने के लिए पैसा देते हैं जो ख़ुलकर उन्हीं बातों के पक्ष में तर्क करती हैं।” [ज़िग ज़िगलर द्वारा लिखी गई एक नकारात्मक संसार में सकारात्मक बच्चों को बड़ा करना (Raising Positive Kids in a Negative World)] उदाहरण के लिए, अमेरिका में लैंगिक तौर से सुस्पष्ट रैप गीत बहुत सारे युवकों के ज़ुबान पर हैं। क्या आप अपने बच्चों की सहायता कर रहे हैं कि वे अपने संगीत का अच्छा चुनाव करें ताकि वे ऐसे शैतानी फंदों से बच सकें?
[पेज 26 पर तसवीरें]
पारिवारिक एकता और संचार को बढ़ाने के लिए भोजन के समय आनन्दप्रद अवसर हो सकते हैं