पाठकों से प्रश्न
इब्रानियों ११:२६ में, क्या मूसा को “मसीह” सम्बोधित किया गया है, या इसके बजाय क्या वह यीशु मसीह का पूर्वसंकेतक था?
मूसा के विश्वास की चर्चा करते समय, प्रेरित पौलुस ने लिखा कि मूसा ने “मसीह के कारण निन्दित होने को मिसर के भण्डार से बड़ा धन समझा: क्योंकि उस की आंखें फल पाने की ओर लगी थीं।” (इब्रानियों ११:२६) ऐसा प्रतीत होता है कि पौलुस मूसा का ज़िक्र किसी अभिप्राय में “मसीह,” या अभिषिक्त जन के रूप में कर रहा था।
सर्वसम्मति से, मूसा ने विभिन्न पहलुओं में आनेवाले मसीहा के लिए नमूना रखा था। जबकि मूसा स्वयं एक नबी था, उसने ‘अपने समान’ आनेवाले एक ज़्यादा बड़े नबी के विषय में पूर्वबताया। बहुत से यहूदियों ने महसूस किया कि यीशु ही वह “नबी” था, जिस बात को उसके अनुयायियों ने पक्का कर दिया। (व्यवस्थाविवरण १८:१५-१९; यूहन्ना १:२१; ५:४६; ६:१४; ७:४०; प्रेरितों ३:२२, २३; ७:३७) मूसा व्यवस्था वाचा का मध्यस्थ भी था, लेकिन यीशु को “और उत्तम वाचा,” उस शानदार नई वाचा के “मध्यस्थ” के रूप में “उन की सेवकाई से बढ़कर मिली।” (इब्रानियों ८:६; ९:१५; १२:२४; गलतियों ३:१९; १ तीमुथियुस २:५) इसलिए कहा जा सकता है कि मूसा कुछ पहलुओं में आनेवाले मसीहा का पूर्वसंकेतक था।
फिर भी, वह अर्थ इब्रानियों ११:२६ का मूल अर्थ नहीं प्रतीत होता है। ऐसा कोई संकेत नहीं है कि मूसा को मसीहा के बारे में विस्तृत जानकारी थी, और उसने जानबूझकर यह समझा कि जो उसने मिस्र में सहा वह मसीहा के बदले या उसके प्रतिनिधि के तौर पर था।
कई लोगों ने यह सुझाव दिया है कि इब्रानियों ११:२६ में पौलुस के शब्दों का अर्थ उसकी टिप्पणी के समान है कि मसीही लोग “मसीह के दुख” उठा रहे थे। (२ कुरिन्थियों १:५) अभिषिक्त मसीही जानते थे कि मसीह ने दुःख उठाए थे और यदि वे ‘उसके साथ दुख उठाते हैं तो उसके साथ,’ स्वर्ग में ‘महिमा भी पाएंगे।’ लेकिन मूसा नहीं जानता था कि आनेवाला मसीहा क्या दुःख उठाएगा, न ही मूसा की स्वर्गीय आशा थी।—रोमियों ८:१७; कुलुस्सियों १:२४.
इसकी एक ज़्यादा सरल समझ है कि किस प्रकार मूसा ने “मसीह के कारण निन्दित होने को . . . बड़ा धन समझा।”
जब पौलुस ने इब्रानियों ११:२६ में “मसीह” लिखा, उसने यूनानी शब्द ख्रिस्तो (Khristou) का प्रयोग किया, जो इब्रानी शब्द माशीएक (Mashiach), या मसीहा का समानार्थी है। “मसीहा” और “मसीह” दोनों का अर्थ है “अभिषिक्त जन।” अतः, पौलुस लिख रहा था कि मूसा ने ‘अभिषिक्त जन की निन्दा को बड़ा समझा।’ क्या स्वयं मूसा को “अभिषिक्त जन” कहा जा सकता है?
जी हाँ। बाइबल के समय में एक व्यक्ति के सिर पर तेल उंडेलकर उसे ख़ास पद पर नियुक्त किया जा सकता था। “तब शमूएल ने एक कुप्पी तेल लेकर [शाऊल के] सिर पर उंडेला।” “शमूएल ने अपना तेल का सींग लेकर उसके भाइयों के मध्य में [दाऊद] का अभिषेक किया; और . . . यहोवा का आत्मा दाऊद पर बल से उतरता रहा।” (१ शमूएल १०:१; १६:१३; निर्गमन ३०:२५, ३०; लैव्यव्यवस्था ८:१२; २ शमूएल २२:५१; भजन १३३:२ से तुलना कीजिए.) इसके अतिरिक्त, कुछ जन, जैसे कि भविष्यवक्ता एलीशा और अराम के राजा हजाएल के विषय में कहा गया है कि उनका “अभिषेक” हुआ जबकि कोई प्रमाण नहीं है कि उन पर वास्तविक तेल उंडेला गया। (१ राजा १९:१५, १६; भजन १०५:१४, १५; यशायाह ४५:१) अतः, एक व्यक्ति चुने जाने या ख़ास नियुक्त होने के कारण “अभिषिक्त जन” हो सकता है।
इस अभिप्राय से मूसा स्वयं परमेश्वर का अभिषिक्त जन था, और कई बाइबलों में इब्रानियों ११:२६ का ऐसे भी अनुवाद किया गया है जैसे कि “परमेश्वर का अभिषिक्त” या “अभिषिक्त जन।” मूसा को यहोवा के प्रतिनिधि और इस्राएलियों को मिस्र से छुड़ाकर लानेवाले के रूप में नियुक्त किया गया था। (निर्गमन ३:२-१२, १५-१७) जबकि मूसा मिस्र की दौलत और वैभव में बड़ा हुआ था, उसे अपनी कार्य-नियुक्ति अधिक प्रिय थी, जिसे उसने स्वीकार किया और पूरा किया। इसी अनुसार, पौलुस लिख सकता था कि मूसा ने “मसीह के कारण निन्दित होने को मिसर के भण्डार से बड़ा धन समझा।”