ज्ञान में बढ़ते जाइए
“अपने विश्वास को . . . ज्ञान . . . प्रदान करते जाओ।”—२ पतरस १:५, ७, NW.
१, २. (क) आकाश को देखने से आप क्या सीख सकते हैं? (रोमियों १:२०) (ख) ज्ञान में मानव की वृद्धि का वास्तविक विस्तार क्या है?
एक निर्मल, अँधेरी रात में बाहर जाकर रोशन चाँद और अनगिनत तारों को देखने से आप क्या सीख सकते हैं? आप उस व्यक्ति के बारे में कुछ सीख सकते हैं जिसने यह सब चीज़ें बनाईं।—भजन १९:१-६; ६९:३४.
२ यदि आप उस ज्ञान को बढ़ाना चाहते, तो क्या आप अपने घर की छत पर चढ़कर वहाँ से देखते? संभवतः नहीं। अलबर्ट आइंस्टाइन ने एक बार ऐसा ही एक दृष्टांत प्रयोग किया, यह बात स्पष्ट करने के लिए कि वैज्ञानिकों ने विश्वमंडल के ज्ञान में वास्तव में ज़्यादा उन्नति नहीं की है और निःसंदेह उस व्यक्ति के बारे में तो उनकी बहुत ही थोड़ी वृद्धि हुई है जिसने इसे सृजा है।a डॉ. लूइस थॉमस ने लिखा: “वैज्ञानिक रूप से इस सबसे उत्पादनकारी शताब्दी में विज्ञान की सबसे बड़ी एकमात्र उपलब्धि यह खोज है कि हम अत्यधिक अनभिज्ञ हैं; हम प्रकृति के बारे में बहुत थोड़ा जानते हैं और उसके बारे में हमारी समझ तो इससे भी कम है।”
३. किस अर्थ में ज्ञान की वृद्धि दुःख को बढ़ाती है?
३ यदि आप ऐसा ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक स्वाभाविक जीवन-अवधि के बाक़ी के सभी सालों को भी गुज़ारें, तो आप शायद इसके बारे में मात्र और अधिक अवगत हों कि जीवन कितना छोटा है तथा शायद और अधिक स्पष्ट रूप से देखें कि मनुष्य के ज्ञान का प्रयोग अपरिपूर्णता और इस संसार के ‘टेढ़ेपन’ द्वारा सीमित है। सुलैमान ने यह लिखते हुए, वह बात कही: “बहुत बुद्धि के साथ बहुत खेद भी होता है, और जो अपना ज्ञान बढ़ाता है वह अपना दुःख भी बढ़ाता है।” (सभोपदेशक १:१५, १८) जी हाँ, परमेश्वर के उद्देश्यों से असम्बन्धित ज्ञान और बुद्धि प्राप्त करने में अकसर दुःख और खेद सम्मिलित होते हैं।—सभोपदेशक १:१३, १४; १२:१२; १ तीमुथियुस ६:२०.
४. हमें कैसा ज्ञान प्राप्त करना चाहिए?
४ क्या बाइबल हमें अपने ज्ञान को बढ़ाने में दिलचस्पी न रखने की सलाह दे रही है? प्रेरित पतरस ने लिखा: “पर हमारे प्रभु, और उद्धारकर्त्ता यीशु मसीह के अपात्र अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते जाओ। उसी की महिमा अब भी हो, और युगानुयुग होती रहे।” (२ पतरस ३:१८, NW) हम यह सलाह अपने पर लागू कर सकते हैं और करना भी चाहिए, जो हमें ज्ञान में बढ़ने के लिए आग्रह करती है। लेकिन किस प्रकार का ज्ञान? हम इस में कैसे वृद्धि कर सकते हैं? क्या हम वास्तव में ऐसा कर रहे हैं?
५, ६. पतरस ने कैसे ज़ोर दिया कि हमें ज्ञान प्राप्त करने की ज़रूरत है?
५ विश्व के सृष्टिकर्ता और यीशु के यथार्थ ज्ञान में बढ़ना पतरस की दूसरी पत्री का प्रमुख विचार था। पत्री की शुरूआत में उसने लिखा: “परमेश्वर के और हमारे प्रभु यीशु के यथार्थ ज्ञान के द्वारा अपात्र अनुग्रह और शान्ति तुम में बहुतायत से बढ़ती जाए। क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और ईश्वरीय भक्ति से सम्बन्ध रखता है, हमें उसी के यथार्थ ज्ञान के द्वारा दिया है, जिस ने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है।” (२ पतरस १:२, ३, NW) सो वह अपात्र अनुग्रह और शान्ति प्राप्त करने को परमेश्वर और उसके पुत्र के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाने के साथ जोड़ता है। यह तर्कसंगत है, क्योंकि सृष्टिकर्ता, यहोवा सच्चे ज्ञान का केन्द्र बिन्दु है। जो व्यक्ति परमेश्वर का भय रखता है, वह मामलों को सही दृष्टिकोण से देखने और युक्तियुक्त निष्कर्ष तक पहुँचने में समर्थ है।—नीतिवचन १:७.
६ फिर पतरस ने आग्रह किया: “अपने विश्वास को सद्गुण, और सद्गुण को ज्ञान, और ज्ञान को संयम, और संयम को धीरज, और धीरज को ईश्वरीय भक्ति, और ईश्वरीय भक्ति को भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति को प्रेम प्रदान करते जाओ। क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और उमड़ती जाएं, तो ये तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के यथार्थ ज्ञान के सम्बन्ध में निष्क्रिय और निष्फल न होने देंगी।” (२ पतरस १:५-८, NW)b अगले अध्याय में, हम पढ़ते हैं कि संसार की अशुद्धता से बच निकलने के लिए ज्ञान की प्राप्ति लोगों की सहायता करती है। (२ पतरस २:२०) इस प्रकार पतरस ने स्पष्ट किया कि वह लोग जो मसीही बन रहे हैं, उन्हें ज्ञान की ज़रूरत है, जिस प्रकार उन लोगों को ज़रूरत है जो पहले से ही यहोवा की सेवा कर रहे हैं। क्या आप इन में से किसी एक वर्ग में हैं?
सीखिए, दोहराइए, प्रयोग कीजिए
७. बहुत से व्यक्तियों ने किस प्रकार मूल बाइबल सच्चाइयों का यथार्थ ज्ञान प्राप्त किया है?
७ आप शायद यहोवा के गवाहों के साथ एक बाइबल अध्ययन कर रहे हैं क्योंकि आप उनके संदेश में कुछ सच्चाई पाते हैं। सप्ताह में एक बार, लगभग एक घंटे के लिए, आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं, जैसे सहायता साधन, का प्रयोग करते हुए आप एक बाइबल विषय पर विचार करते हैं। बहुत बढ़िया! यहोवा के गवाहों के साथ ऐसा अध्ययन किए हुए बहुत से व्यक्तियों ने यथार्थ ज्ञान प्राप्त किया है। फिर भी, आप जो व्यक्तिगत रूप से सीख रहे हैं, उसे आप कैसे बढ़ा सकते हैं? यहाँ कुछ सुझाव हैं।c
८. एक अध्ययन के लिए तैयारी करते समय, एक विद्यार्थी ज़्यादा सीखने के लिए क्या कर सकता है?
८ पहले से ही, जैसे-जैसे आप अपने अध्ययन के लिए तैयारी करते हैं, अध्ययन किए जानेवाले विषय की जाँच कीजिए। इसका अर्थ है कि अध्याय का शीर्षक, उपशीर्षकों, और विषय को सचित्रित करने के लिए प्रयोग किए गए किसी भी चित्र को देखना। फिर, जैसे-जैसे आप प्रकाशन का एक अनुच्छेद या भाग पढ़ते हैं, मूल विचारों और समर्थन करनेवाले शास्त्रवचनों को ढूँढ़िए, और इन्हें रेखांकित या विशिष्ट कीजिए। ये देखने के लिए कि क्या आपने अध्ययन की गई सच्चाइयों को सीखा है या नहीं, विभिन्न अनुच्छेदों पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर देने की कोशिश कीजिए। ऐसा करते समय, उत्तरों को स्वयं अपने शब्दों में व्यक्त करने की कोशिश कीजिए। अंत में, मुख्य मुद्दों और समर्थन करनेवाले तर्कों को अनुस्मरण करने की कोशिश करते हुए, पाठ पर पुनर्विचार कीजिए।
९. अध्ययन के बारे में सुझावों को लागू करना, एक व्यक्ति को सीखने के लिए कैसे सहायता करेगा?
९ यदि आप इन सुझावों को लागू करेंगे, तो आप ज्ञान में वृद्धि की अपेक्षा कर सकते हैं। ऐसा क्यों? एक कारण है कि आप सीखने की तीव्र इच्छा से विषय को पढ़ रहे होंगे, मानो मिट्टी को तैयार करना। एक आम जाँच करने और फिर मुख्य मुद्दों और तर्क की धाराओं को ढूँढ़ने से, आप देखेंगे कि मूल-विषय या समाप्ति के साथ विवरण कैसे सम्बन्धित हैं। एक अंतिम पुनर्विचार आपको अध्ययन की गई बातों को स्मरण रखने में सहायता करेगा। बाद में, आपके बाइबल अध्ययन के दौरान, कौनसी चीज़ आपकी सहायता करेगी?
१०. (क) तथ्यों या नई जानकारी को मात्र दोहराने का सीमित महत्त्व क्यों है? (ख) “क्रमबद्ध अन्तराल अनुस्मरण” में क्या सम्मिलित है? (ग) इस्राएली बालबच्चों ने दोहराव से कैसे लाभ प्राप्त किया होगा?
१० समयोचित और उद्देश्यपूर्ण दोहराव के महत्त्व को शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ जानते हैं। यह मात्र शब्दों का रटना नहीं है, जिसे शायद स्कूल में आपने कुछ नाम, तथ्य, या विचार रटने के समय कोशिश की हो। लेकिन, क्या आपने पाया कि आप जल्द ही उन बातों को भूल गए जो आपने पढ़ी थीं, कि वह शीघ्रता से स्मरण से मिट गईं? क्यों? केवल एक नए शब्द या तथ्य को रटना उबाऊ हो सकता है, और परिणाम अल्पकालिक होते हैं। क्या चीज़ इसे परिवर्तित कर सकती है? आपकी वास्तव में सीखने की इच्छा सहायता करेगी। एक और कुंजी है उद्देश्यपूर्ण दोहराव। एक मुद्दे को सीखने के कुछ मिनट बाद, इससे पहले कि वह स्मरण से मिट जाए, सीखी हुई बातों को अनुस्मरण करने की कोशिश कीजिए। इसे “क्रमबद्ध अन्तराल अनुस्मरण” कहा गया है। इससे पहले कि वह मिट जाए, आप अपने स्मरण को ताजा करने के द्वारा अपनी स्मरण-शक्ति को बढ़ाते हैं। इस्राएल में, पिताओं को अपने बालबच्चों में परमेश्वर की आज्ञाओं को अंतर्निविष्ट करना था। (व्यवस्थाविवरण ६:६, ७, NW) “अंतर्निविष्ट करना” का अर्थ है दोहराव के ज़रिए सिखाना। संभवतः, बहुत से इन पिताओं ने पहले अपने बालबच्चों को नियम प्रस्तुत किए; बाद में उन्होंने जानकारी को दोहराया; और फिर उन्होंने अपने बालबच्चों से सीखी गई बातों के बारे में प्रश्न पूछे।
११. सीखने में वृद्धि करने के लिए एक बाइबल अध्ययन के दौरान क्या किया जा सकता है?
११ यदि एक गवाह आपके साथ बाइबल अध्ययन संचालित कर रहा है, तो वह शायद अध्ययन-क्रम के दौरान अन्तराल में क्रमिक सार प्रस्तुत करने के द्वारा सीखने के लिए आपकी सहायता करे। यह बचकाना नहीं है। यह एक ऐसी प्रणाली है जो सीखने की योग्यता को सुधारती है, इसलिए ख़ुशी-ख़ुशी आवधिक पुनर्विचारों में भाग लीजिए। फिर, अध्ययन के अंत में, अंतिम पुनर्विचार में भाग लीजिए, जिसमें आप स्मरण से उत्तर देते हैं। आप शायद, स्वयं अपने शब्दों में, मुद्दों को इस प्रकार समझाएँ जिस प्रकार आप एक अन्य व्यक्ति को सिखाने में समझाते। (१ पतरस ३:१५) यह आपकी सहायता करेगा कि आप सीखी हुई बातों को अपने दीर्घकालीन स्मरण का भाग बनाएँ।—भजन ११९:१, २, १२५; २ पतरस ३:१ से तुलना कीजिए.
१२. अपने स्मरण को सुधारने के लिए एक विद्यार्थी स्वयं क्या कर सकता है?
१२ आपके लिए एक और सहायक क़दम होगा कि, एक या दो दिन के अन्दर, आप सीखी हुई बातों को किसी अन्य व्यक्ति को बताएँ, शायद एक सहपाठी, एक सहकर्मी, या एक पड़ोसी। आप विषय का उल्लेख कर सकते हैं और फिर कह सकते हैं कि आप केवल यह देखना चाहते हैं कि क्या आप तर्क की मुख्य धाराओं को या बाइबल से समर्थन करनेवाले मूल-पाठों को अनुस्मरण कर सकते हैं या नहीं। इससे शायद दूसरे व्यक्ति में दिलचस्पी उत्पन्न हो। यदि यह न भी हो, तोभी नई जानकारी को एक-दो दिन के अंतराल के बाद दोहराने की प्रक्रिया से यह आपके स्मरण में बैठ जाएगी। फिर, २ पतरस ३:१८ जो आग्रह करता है उसे करते हुए, आपने सचमुच इसे सीख लिया होगा।
सक्रिय रूप से सीखना
१३, १४. हमें क्यों जानकारी को मात्र प्राप्त करने और स्मरण रखने से आगे बढ़ने की इच्छा करनी चाहिए?
१३ सीखने में केवल तथ्यों को समझना या जानकारी को अनुस्मरण कर सकने से अधिक सम्मिलित है। यीशु के दिनों में धार्मिक लोगों ने अपनी दोहराई जानेवाली प्रार्थनाओं के साथ यही किया। (मत्ती ६:५-७) लेकिन जानकारी से वे किस प्रकार प्रभावित हुए? क्या वे धार्मिक फल उत्पन्न कर रहे थे? बिल्कुल नहीं। (मत्ती ७:१५-१७; लूका ३:७, ८) समस्या का एक भाग तो यह था कि लाभप्रद परिणामों के लिए वह ज्ञान उनके हृदय में प्रवेश करके उन्हें प्रभावित नहीं किया।
१४ पतरस के अनुसार, तब के और अब के, मसीहियों के साथ भिन्न होना चाहिए। वह हमें अपने विश्वास को वह ज्ञान प्रदान करने का आग्रह करता है जो हमें निष्क्रिय या निष्फल होने से बचे रहने में सहायता करेगा। (२ पतरस १:५, ८) हमारे मामले में इस बात को सच साबित होने के लिए, हम में यह चाह होनी चाहिए कि हम इस ज्ञान में बढ़ें और कि यह हमारे अन्तरतम व्यक्ति को छूते हुए, हमें गहराई से प्रभावित करे। ऐसा शायद हमेशा न हो।
१५. कुछ इब्रानी मसीहियों के साथ कौनसी समस्या विकसित हुई?
१५ पौलुस के दिनों में इब्रानी मसीहियों को इस सम्बन्ध में एक समस्या थी। यहूदी होने के नाते, उन्हें शास्त्रवचनों के विषय में कुछ ज्ञान था। वे यहोवा और उसकी कुछ माँगों को जानते थे। बाद में उन्होंने मसीहा के बारे में ज्ञान सम्मिलित किया, विश्वास रखा, और मसीही के तौर पर बपतिस्मा लिया। (प्रेरितों २:२२, ३७-४१; ८:२६-३६) महीनों और सालों के दौरान, वे मसीही सभाओं में ज़रूर उपस्थित हुए होंगे, जहाँ वे शास्त्रवचनों को पढ़ने और टिप्पणी देने में भाग ले सकते थे। फिर भी, कुछ व्यक्ति ज्ञान में नहीं बढ़े। पौलुस ने लिखा: “समय के विचार से तो तुम्हें गुरु हो जाना चाहिए था, तौभी क्या यह आवश्यक है, कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए? और ऐसे हो गए हो, कि तुम्हें अन्न के बदले अब तक दूध ही चाहिए।” (इब्रानियों ५:१२) यह कैसे हो सकता था? क्या यह हमारे साथ भी हो सकता है?
१६. स्थायी तुषार भूमि क्या है, और यह पौधों को कैसे प्रभावित करती है?
१६ उदाहरण के तौर पर, स्थायी तुषार भूमि (Permafrost) का विचार कीजिए, आर्कटिक और अन्य क्षेत्रों में स्थायी रूप से जमी हुई भूमि जहाँ का औसत तापमान हिमांक से नीचे है। मिट्टी, चट्टान, और स्थल-जल, कभी-कभी ९०० मीटर की गहराई तक, जमकर एक ठोस सामग्री बन जाता है। ग्रीष्मकाल में, ऊपरी मिट्टी (जिसे सक्रिय परत कहा जाता है) में शायद हिमद्रवण हो। लेकिन, द्रवित मिट्टी की यह पतली परत अकसर कीचड़दार होती है क्योंकि नमीं नीचे की स्थायी तुषार भूमि के अन्दर नहीं जा सकती। पतली ऊपरी परत में उगनेवाले पौधे अकसर छोटे या अवरुद्ध होते हैं; उनकी जड़ें स्थायी तुषार भूमि में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। आप शायद सोचें, ‘बाइबल सच्चाइयों के ज्ञान में मैं बढ़ रहा हूँ या नहीं, इसका स्थायी तुषार भूमि के साथ क्या सम्बन्ध है?’
१७, १८. कुछ इब्रानी मसीहियों के साथ जो विकसित हुआ, उसे सचित्रित करने के लिए स्थायी तुषार भूमि और उसकी सक्रिय परत को किस प्रकार प्रयोग किया जा सकता है?
१७ स्थायी तुषार भूमि एक ऐसे व्यक्ति की स्थिति को अच्छी तरह सचित्रित करती है जिसकी मानसिक शक्तियाँ यथार्थ ज्ञान को समझने, स्मरण रखने, और प्रयोग करने में सक्रिय रूप से सम्मिलित नहीं हैं। (मत्ती १३:५, २०, २१ से तुलना कीजिए.) सम्भव है उस व्यक्ति में विभिन्न विषय, जिसमें बाइबल सच्चाई सम्मिलित है, सीखने की मानसिक क्षमता है। उसने “परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा” का अध्ययन किया और इन इब्रानी मसीहियों की तरह शायद बपतिस्मा लेने के लिए योग्य हो गया। लेकिन, वह शायद ‘सिद्धता [परिपक्वता, NW] की ओर आगे’ न ‘बढ़े,’ उन चीज़ों की ओर जो “मसीह की शिक्षा की आरम्भ की बातों” से बढ़कर हैं।—इब्रानियों ५:१२; ६:१.
१८ पहली शताब्दी की सभाओं के कुछ मसीहियों के बारे में कल्पना कीजिए। वे उपस्थित और सचेत थे, लेकिन क्या उनके मन सीखने में सम्मिलित थे? क्या वे ज्ञान में सक्रिय रूप से और तत्परता से बढ़ रहे थे? शायद नहीं। अपरिपक्व व्यक्तियों के लिए, सभाओं में किसी प्रकार का भाग, मानो, पतली सक्रिय परत में हुआ, जबकि नीचे जमी हुई गहराई थी। मानसिक स्थायी तुषार भूमि के इस क्षेत्र में ज़्यादा ठोस या जटिल सच्चाइयों की जड़ें प्रवेश नहीं कर सकती थीं।—यशायाह ४०:२४ से तुलना कीजिए.
१९. आज किस प्रकार एक अनुभवी मसीही शायद इब्रानी मसीहियों की तरह बन जाए?
१९ आज भी एक मसीही के साथ ऐसा हो सकता है। जब वह सभाओं में उपस्थित होता है, तब वह शायद इन अवसरों को ज्ञान में बढ़ने के लिए प्रयोग न करे। इन में सक्रिय रूप से भाग लेने के बारे में क्या? एक नए व्यक्ति या बच्चे को शास्त्रवचन पाठ पढ़ने या अनुच्छेद के शब्दों में एक टिप्पणी देने के लिए अपने आपको पेश करने में शायद काफ़ी यत्न करना पड़े, जो उसकी क्षमता के एक बढ़िया और सराहनीय प्रयोग को प्रतिबिम्बित करता है। लेकिन अन्य लोगों के सम्बन्ध में पौलुस ने दिखाया कि, जितना समय वे मसीही रहे हैं उसको देखते हुए, उन्हें भाग लेने के इस प्रारंभिक चरण से आगे बढ़ना चाहिए यदि वे ज्ञान में बढ़ते जाना चाहते हैं।—इब्रानियों ५:१४.
२०. हम में से हरेक व्यक्ति को क्या आत्म-विश्लेषण करना चाहिए?
२० यदि एक अनुभवी मसीही केवल एक बाइबल आयत पढ़ने या सीधे अनुच्छेद से एक मूल टिप्पणी देने से कभी भी आगे न बढ़े, तो सम्भव है कि उसका भाग लेना उसके मन की ऊपरी “सक्रिय परत” से है। सभा पर सभा गुज़र सकती है और स्थायी तुषार भूमि के हमारे दृष्टांत को जारी रखते हुए, उसकी मानसिक शक्ति की गहराई एक जमी हुई स्थिति में बनी रह सकती है। हमें स्वयं से पूछना चाहिए: ‘क्या मेरे साथ ऐसा है? क्या मैं ने एक प्रकार की मानसिक स्थायी तुषार भूमि को आरम्भ होने दिया है? मैं सीखने में मानसिक रूप से कितना सतर्क और दिलचस्पी रखता हूँ?’ चाहे हम अपने सच्चे उत्तरों से लज्जित हैं, हम ज्ञान में बढ़ने के लिए अभी से क़दम उठाना शुरू कर सकते हैं।
२१. सभाओं के लिए तैयारी करने में या उपस्थित होने में आप इससे पहले चर्चा किए गए कौनसे क़दमों को लागू कर सकते हैं?
२१ व्यक्तिगत रूप से हम अनुच्छेद ८ में दिए गए सुझावों को लागू कर सकते हैं। चाहे हम कलीसिया के साथ कितनी ही देर से संगति क्यों न कर रहे हों, हम परिपक्वता और महत्तम ज्ञान की ओर आगे बढ़ते जाने का निश्चय कर सकते हैं। कुछ व्यक्तियों के लिए इसका यह अर्थ होगा कि सभाओं के लिए अधिक अध्यवसायी रूप से तैयारी करना, शायद उन आदतों को दोबारा लगाना जो सालों पहले थीं लेकिन धीरे-धीरे छूट गई। जैसे-जैसे आप तैयारी करते हैं, यह निश्चय करने की कोशिश कीजिए कि मुख्य मुद्दे क्या हैं और तर्क की धाराओं को विकसित करने के लिए जिन अपरिचित शास्त्रवचनों का प्रयोग किया गया है, उन्हें समझने की कोशिश कीजिए। अध्ययन विषय में किसी नए दृष्टिकोण या पहलू को ढूँढ़िए। इसी प्रकार, सभा के दौरान, अनुच्छेद १० और ११ में उल्लिखित सुझावों को अपने में लागू करने की कोशिश कीजिए। मानसिक तौर से सतर्क रहने का प्रयत्न कीजिए, मानो अपने मन के तापमान को गरम रखना। यह “स्थायी तुषार भूमि” को आरम्भ होने की किसी भी प्रवृत्ति का विरोध करेगा; और यह सचेतन प्रयास किसी “जमी हुई” स्थिति को भी पिघला देगा जो शायद पहले से विकसित हो गई हो।—नीतिवचन ८:१२, ३२-३४.
ज्ञान, फलदायकता की ओर एक साधन
२२. यदि हम अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए कार्य करें, तो हम कैसे लाभ प्राप्त करेंगे?
२२ यदि हम अपने प्रभु और उद्धारकर्त्ता यीशु मसीह के अपात्र अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते जाने के विषय में कार्य करें, तो हम व्यक्तिगत रूप से कैसे लाभ प्राप्त करेंगे? अपनी मानसिक शक्तियों को सतर्क रखने से, और ज्ञान लेने के लिए तैयार रहने के हमारे सचेतन प्रयास करने से, नई और ज़्यादा जटिल बाइबल सच्चाइयों के बीज गहरी जड़ पकड़ेंगे और हमारी समझ बढ़ेगी तथा स्थायी हो जाएगी। यह उस बात के तुल्य होगी जो यीशु ने हृदयों के बारे में एक भिन्न दृष्टांत में कही थी। (लूका ८:५-१२) अच्छी भूमि पर गिरनेवाले बीज उन पौधों को थामने के लिए, जो फल लाते हैं, मज़बूत जड़ें उगा सकते हैं।—मत्ती १३:८, २३.
२३. जब हम २ पतरस ३:१८ को गम्भीरता से लेते हैं, तब क्या परिणाम हो सकते हैं? (कुलुस्सियों १:९-१२)
२३ यीशु का दृष्टांत ज़रा सा भिन्न था, फिर भी उसके अच्छे परिणाम पतरस ने जो प्रतिज्ञा की थी, उसके समान थे: “इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्न करके, अपने विश्वास को सद्गुण, और सद्गुण को ज्ञान, . . . प्रदान करते जाओ। क्योंकि यदि ये बातें तुम में बनी रहें, और उमड़ती जाएं, तो ये तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के यथार्थ ज्ञान के सम्बन्ध में निष्क्रिय और निष्फल होने से बचाए रखेंगी।” (२ पतरस १:५-८, NW) जी हाँ, ज्ञान में हमारा बढ़ते जाना हमें फलदायक होने के लिए सहायता करेगा। हम पाएँगे कि और अधिक ज्ञान लेना सर्वदा आनन्ददायक होगा। (नीतिवचन २:२-५) आप जो बातें सीखते हैं, उसे आप ज़्यादा आसानी से स्मरण रख सकेंगे और यह बातें लाभदायक होंगी जैसे-जैसे आप दूसरे लोगों को चेले बनने के लिए सिखाते हैं। सो इस प्रकार भी, आप ज़्यादा फलदायक होंगे और परमेश्वर तथा उसके पुत्र को महिमा पहुँचाएँगे। पतरस अपनी दूसरी पत्री समाप्त करता है: “हमारे प्रभु, और उद्धारकर्त्ता यीशु मसीह के अपात्र अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते जाओ। उसी की महिमा अब भी हो, और युगानुयुग होती रहे।”—२ पतरस ३:१८, NW.
[फुटनोट]
a “ज्ञान में हमारी वृद्धि उस ज्ञान के तुल्य है जो चाँद के बारे में अधिक सीखने की चाह रखनेवाले व्यक्ति को प्राप्त होता है जब वह उस ज्योति को अधिक नज़दीक से देखने के लिए अपने घर की छत पर चढ़ता है।”
b इस उद्धरण के पहले दो गुण, विश्वास और सद्गुण, पर हमारे जुलाई १, १९९३, के अंक में चर्चा की गई थी।
c दीर्घावधि मसीहियों को अपने व्यक्तिगत अध्ययन और सभाओं के लिए तैयारी से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए भी ये सुझाव सहायता कर सकते हैं।
क्या आप अनुस्मरण कर सकते हैं?
▫ आपको अपना ज्ञान बढ़ाने में क्यों दिलचस्पी रखनी चाहिए?
▫ एक नया बाइबल विद्यार्थी किस प्रकार अपने अध्ययन से ज़्यादा लाभ प्राप्त कर सकता है?
▫ जैसे स्थायी तुषार भूमि द्वारा सचित्रित किया गया, आप कौनसे ख़तरे से दूर रहना चाहते हैं?
▫ आपको ज्ञान बढ़ाने की अपनी योग्यता में सुधार लाने के लिए क्यों निश्चित होना चाहिए?
[पेज 23 पर तसवीरें]
क्या मुझे मानसिक स्थायी तुषार भूमि के साथ कोई समस्या है?