मसीही परिवार आध्यात्मिक बातों को पहला स्थान देता है
“सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखनेवाले, और करुणामय, और नम्र बनो।”—१ पतरस ३:८.
१. हम सब के पास क्या चयन है, और हमारा चयन हमारे भविष्य को कैसे प्रभावित कर सकता है?
उपर्युक्त पाठ मानवजाति के सबसे पुराने प्रतिष्ठान—परिवार—पर कितना ठीक लागू होता है! और यह कितना महत्त्वपूर्ण है कि माता-पिता इन बातों में उदाहरण प्रस्तुत करें! अक्सर उनके सकारात्मक और नकारात्मक गुण बच्चों में दिखाई देने लगेंगे। फिर भी, परिवार के प्रत्येक सदस्य के पास चयन करने का अवसर रहता है। मसीही होने के नाते, हम आध्यात्मिक व्यक्ति या शारीरिक व्यक्ति होने का चयन कर सकते हैं। हम परमेश्वर को प्रसन्न या अप्रसन्न करने का चयन कर सकते हैं। यह चयन एक आशिष, अनन्त जीवन और शान्ति में—या एक श्राप, चिरस्थायी मृत्यु में परिणित हो सकता है।—उत्पत्ति ४:१, २; रोमियों ८:५-८; गलतियों ५:१९-२३.
२. (क) पतरस ने परिवार के लिए अपनी चिन्ता कैसे दिखाई? (ख) आध्यात्मिकता क्या है? (फुटनोट देखिए.)
२ पहला पतरस अध्याय ३, आयत ८, में दिए गए प्रेरित के शब्द, उन कुछ अच्छी सलाह के तुरन्त बाद आते हैं जो उसने पति-पत्नियों को दी थी। पतरस को वास्तव में मसीही परिवारों के कल्याण में दिलचस्पी थी। वह जानता था कि एक संयुक्त, प्रेममय गृहस्थी की कुंजी मज़बूत आध्यात्मिकता है।a इसलिए, उसने आयत ७ में संकेत किया कि यदि पतियों को दी गई उसकी सलाह की उपेक्षा की जाए, तो परिणाम होगा पति और यहोवा के बीच एक आध्यात्मिक बाधा। यदि पति अपनी पत्नी की आवश्यकताओं की उपेक्षा करे या निर्दयता से उसे कुचले, तो उसकी प्रार्थनाओं में अड़चन आ सकती हैं।
मसीह—आध्यात्मिकता का एक परिपूर्ण उदाहरण
३. पौलुस ने पतियों के लिए मसीह के उदाहरण को कैसे विशिष्ट किया?
३ परिवार की आध्यात्मिकता अच्छे उदाहरण पर निर्भर करती है। जब पति एक शिक्षणाभ्यासी मसीही हो, तब वह आध्यात्मिक गुणों को दिखाने में उदाहरण प्रस्तुत करता है। यदि विश्वासी पति न हो, तो अक्सर बच्चों की माँ उस ज़िम्मेदारी को उठाने की कोशिश करती है। दोनों ही मामलों में, अनुगमन करने के लिए यीशु मसीह एक परिपूर्ण आदर्श प्रदान करता है। उसका आचरण, उसके शब्द, और उसके विचार हमेशा प्रोत्साहक और स्फूर्तिदायक थे। बार-बार, प्रेरित पौलुस पाठकों को मसीह के प्रेममय नमूने की ओर निर्देशित करता है। उदाहरण के लिए, उसने कहा: “पति पत्नी का सिर है जैसे कि मसीह कलीसिया का सिर है; और आप ही देह का उद्धारकर्त्ता है। हे पतियो, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो, जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम करके अपने आप को उसके लिये दे दिया।”—इफिसियों ५:२३, २५, २९, तिरछे टाइप हमारे; मत्ती ११:२८-३०; कुलुस्सियों ३:१९.
४. यीशु ने आध्यात्मिकता का क्या उदाहरण रखा?
४ यीशु प्रेम, दयालुता, और करुणा से अभिव्यक्त आध्यात्मिकता और मुखियापन का उत्कृष्ट उदाहरण था। वह आत्मत्यागी था, न कि आत्मसंतोषी। उसने हमेशा अपने पिता की महिमा की और उसके मुखियापन का आदर किया। वह पिता के मार्गदर्शन पर चला, जिससे कि वह कह सका: “मैं अपने आप से कुछ नहीं कर सकता; जैसा सुनता हूं, वैसा न्याय करता हूं, और मेरा न्याय सच्चा है; क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, परन्तु अपने भेजनेवाले की इच्छा चाहता हूं।” “मैं . . . अपने आप से कुछ नहीं करता, परन्तु जैसे मेरे पिता ने मुझे सिखाया, वैसे ही ये बातें कहता हूं।”—यूहन्ना ५:३०; ८:२८; १ कुरिन्थियों ११:३.
५. अपने अनुयायियों के लिए प्रबन्ध करने में, यीशु ने पतियों के लिए क्या उदाहरण रखा?
५ पतियों के लिए यह क्या अर्थ रखता है? इसका यह अर्थ है कि जिस आदर्श का अनुगमन उन्हें सब बातों में करना है वह मसीह है, जिसने अपने आपको हमेशा अपने पिता के अधीन किया। उदाहरण के लिए, जैसे यहोवा ने पृथ्वी के सभी प्राणियों के लिए भोजन प्रदान किया, वैसे ही यीशु ने अपने अनुयायियों के लिए भोजन प्रदान किया। उसने उनकी मूलभूत भौतिक आवश्यकताओं की उपेक्षा नहीं की। उसकी चिंता और उसकी ज़िम्मेदारी की भावना के प्रमाण हैं, ५,००० तथा ४,००० पुरुषों को भोजन खिलाने के उसके चमत्कार। (मरकुस ६:३५-४४; ८:१-९) इसी प्रकार आज, ज़िम्मेदार पारिवारिक सिर अपनी गृहस्थियों की शारीरिक आवश्यकताओं की देख-भाल करते हैं। परन्तु क्या उनकी ज़िम्मेदारी वहाँ समाप्त हो जाती है?—१ तीमुथियुस ५:८.
६. (क) कौनसी महत्त्वपूर्ण पारिवारिक आवश्यकताओं की देख-भाल की जानी चाहिए? (ख) किस प्रकार पति और पिता समझ दिखा सकते हैं?
६ जैसे यीशु ने बताया, परिवारों की अन्य, अधिक महत्त्वपूर्ण आवश्यकताएँ भी होती हैं। उनकी आध्यात्मिक और भावात्मक आवश्यकताएँ होती हैं। (व्यवस्थाविवरण ८:३; मत्ती ४:४) परिवार और कलीसिया दोनों में हम एक दूसरे को परस्पर प्रभावित करते हैं। प्रोत्साहक होने के लिए हमें प्रेरित करने के लिए अच्छे मार्गदर्शन की आवश्यकता है। इस सम्बन्ध में पतियों और पिताओं को एक बड़ी भूमिका अदा करनी है—और भी अधिक यदि वे प्राचीन या सहायक सेवक हैं। एकजनक को अपने बच्चों की सहायता करते समय समान गुणों की आवश्यकता है। माता-पिता को केवल परिवार के सदस्यों द्वारा कही गई बातों को ही नहीं परन्तु अनकही बातों को भी समझना चाहिए। इसके लिए समझ, समय, और धीरज की आवश्यकता होती है। यह एक कारण है कि पतरस क्यों कह सका कि पतियों को लिहाज़ रखना चाहिए और अपनी पत्नियों के साथ बुद्धिमानी से जीवन निर्वाह करना चाहिए।—१ तीमुथियुस ३:४, ५, १२; १ पतरस ३:७.
ख़तरे जिनसे बचें
७, ८. (क) यदि एक परिवार को आध्यात्मिक बरबादी से बचना है, तो किस बात की आवश्यकता है? (ख) मसीही मार्ग में एक अच्छी शुरूआत के अलावा और किस बात की आवश्यकता है? (मत्ती २४:१३)
७ पारिवारिक आध्यात्मिकता पर ध्यान देना क्यों इतना महत्त्वपूर्ण है? सचित्रित करने के लिए, हम पूछ सकते हैं, एक जहाज़ को छिछले क्षेत्र वाले ख़तरनाक पानी में से निर्देशित करते समय जहाज़ के चालक का अपने नक्शे पर पूरा ध्यान देना क्यों महत्त्वपूर्ण है? अगस्त १९९२ में क्वीन इलिज़बेथ २ (QE2) नामक पर्यटन जहाज़ को ख़तरनाक बालूभित्तियों और चट्टानों के क्षेत्र में से ले जाया गया, जहाँ कहा जाता है कि नौसंचालन ग़लतियाँ आम होती हैं। एक स्थानीय निवासी ने टिप्पणी की: “उस क्षेत्र के कारण अनेक नौसंचालकों की नौकरियाँ चली गईं।” QE2 एक अन्तर्जलीय चट्टान से टक्कराई। यह ग़लती उन्हें महंगी पड़ी। जहाज़ के एक तिहाई पेटे को नुकसान पहुँचा, और मरम्मत के लिए जहाज़ को कई सप्ताहों के लिए नहीं चलाया जा सका।
८ इसी प्रकार, यदि परिवार का “चालक” ध्यानपूर्वक नक्शे की, अर्थात् परमेश्वर के वचन की जाँच न करे, तो उसका परिवार आसानी से आध्यात्मिक हानि उठा सकता है। एक प्राचीन या एक सहायक सेवक के लिए, इसका परिणाम हो सकता है कलीसिया के अन्दर विशेषाधिकारों का खोना और शायद परिवार के अन्य सदस्यों को गम्भीर हानि। इसलिए, प्रत्येक मसीही को ध्यान रखना चाहिए कि केवल पिछली अच्छी अध्ययन आदतों और जोश पर भरोसा रखते हुए, वे आध्यात्मिक रूप से आत्मसन्तुष्ट न हो जाएँ। हमारे मसीही मार्ग में, केवल अच्छी शुरूआत ही काफ़ी नहीं है; यात्रा को सफलतापूर्वक समाप्त किया जाना चाहिए।—१ कुरिन्थियों ९:२४-२७; १ तीमुथियुस १:१९.
९. (क) व्यक्तिगत अध्ययन कितना महत्त्वपूर्ण है? (ख) हम अपने आप से कौनसे उपयुक्त प्रश्न पूछ सकते हैं?
९ आध्यात्मिक छिछले क्षेत्रों, चट्टानों, और बालूभित्तियों से बचे रहने के लिए हमें परमेश्वर के वचन के नियमित अध्ययन द्वारा अपने “नक्शों” के साथ दिनाप्त रहने की आवश्यकता है। हम केवल उस बुनियादी अध्ययन पर निर्भर नहीं कर सकते हैं जिसके द्वारा हम सत्य में आए। हमारी आध्यात्मिक शक्ति, अध्ययन और सेवा के एक नियमित तथा संतुलित कार्यक्रम पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, जैसे-जैसे हम कलीसिया के प्रहरीदुर्ग अध्ययन के लिए इसी अंक को हाथ में लिए उपस्थित होते हैं, हम अपने आप से पूछ सकते हैं, ‘क्या मैं ने, या एक परिवार के तौर पर हम ने, शास्त्रवचनों को पढ़ते और उनके अनुप्रयोग पर मनन करते हुए वास्तव में इस लेख का अध्ययन किया है? या क्या हम ने केवल उत्तरों को रेखांकित किया है? क्या सभा में उपस्थित होने से पहले शायद हम ने लेख को पढ़ा तक नहीं?’ इन प्रश्नों के सच्चे उत्तर चिंतन-विषय प्रदान कर सकते हैं और सुधार करने की इच्छा को जागरित कर सकते हैं—यदि इसकी आवश्यकता है।—इब्रानियों ५:१२-१४.
१०. आत्म-परीक्षण क्यों महत्त्वपूर्ण है?
१० ऐसा आत्म-परीक्षण क्यों महत्त्वपूर्ण है? क्योंकि हम शैतान की आत्मा द्वारा नियंत्रित संसार में रहते हैं, एक ऐसा संसार जो, अनेक धूर्त तरीक़ों से, परमेश्वर और उसकी प्रतीज्ञाओं पर हमारे विश्वास को नष्ट करने की कोशिश करता है। यह एक ऐसा संसार है जो हमें इतना व्यस्त रखना चाहता है कि आध्यात्मिक आवश्यकताओं की देख-भाल करने के लिए हमारे पास समय न रहे। इसलिए हम अपने आप से पूछ सकते हैं, ‘क्या मेरा परिवार आध्यात्मिक रूप से मज़बूत है? क्या मैं माता या पिता होने के नाते इतना मज़बूत हूँ जितना कि मुझे होना चाहिए? क्या हम एक परिवार के तौर पर मन को प्रेरित करनेवाली उस आध्यात्मिक शक्ति को विकसित कर रहे हैं जो हमें धार्मिकता और निष्ठा पर आधारित निर्णय लेने के लिए सहायता करती है?’—इफिसियों ४:२३, २४, NW.
११. मसीही सभाएँ क्यों आध्यात्मिक रूप से लाभदायक हैं? एक उदाहरण दीजिए।
११ हमारी आध्यात्मिकता हर उन सभाओं द्वारा मज़बूत होनी चाहिए, जिनमें हम उपस्थित होते हैं। शैतान के शत्रुतापूर्ण संसार में जीवित रहने की कोशिश करने में जो दीर्घ घंटे हमें बिताने पड़ते हैं, उसके बाद राज्यगृह में या कलीसिया पुस्तक अध्ययन में ये अनमोल घंटे हमें स्फूर्ति प्रदान करने में सहायता करते हैं। उदाहरण के लिए, वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य जो कभी जीवित रहा पुस्तक का अध्ययन करना कितना स्फूर्तिदायक था! इससे हमें यीशु, उसके जीवन, और उसकी सेवकाई के बारे में बेहतर समझ प्राप्त करने में सहायता मिली है। हम ने उद्धरित शास्त्रवचनों को ध्यानपूर्वक पढ़ा है, व्यक्तिगत अनुसंधान किया है, और इस प्रकार यीशु द्वारा रखे गए उदाहरण से काफ़ी कुछ सीखा है।—इब्रानियों १२:१-३; १ पतरस २:२१.
१२. क्षेत्र सेवकाई हमारी आध्यत्मिकता की परीक्षा कैसे लेती है?
१२ हमारी आध्यात्मिकता की एक बढ़िया परीक्षा मसीही सेवकाई है। अक्सर उदासीन या विरोधित जनता के सामने, अपनी औपचारिक और अनौपचारिक गवाही में बने रहने के लिए हमें सही अभिप्रेरणा की आवश्यकता है, यानी परमेश्वर के लिए प्रेम और पड़ोसी के लिए प्रेम। निःसंदेह, कोई भी ठुकराया जाना पसन्द नहीं करता, और यह हमारी क्षेत्र सेवकाई में हो सकता है। परन्तु हमें याद रखना चाहिए कि व्यक्ति के तौर पर हमें नहीं, बल्कि सुसमाचार को ठुकराया जा रहा है। यीशु ने कहा: “यदि संसार तुम से बैर रखता है, तो तुम जानते हो, कि उस ने तुम से पहिले मुझ से भी बैर रखा। यदि तुम संसार के होते, तो संसार अपनों से प्रीति रखता, परन्तु इस कारण कि तुम संसार के नहीं, बरन मैं ने तुम्हें संसार में से चुन लिया है इसी लिये संसार तुम से बैर रखता है। . . . परन्तु यह सब कुछ वे मेरे नाम के कारण तुम्हारे साथ करेंगे क्योंकि वे मेरे भेजनेवाले को नहीं जानते।”—यूहन्ना १५:१८-२१.
करनी कथनी से ताक़तवर होती है
१३. एक व्यक्ति किस प्रकार परिवार की आध्यत्मिकता को नष्ट कर सकता है?
१३ यदि एक को छोड़ बाक़ी सभी सदस्य घर की सफ़ाई और सुव्यवस्था का ध्यान रखते हैं, तो परिवार में क्या होता है? एक बरसाती दिन पर, उस भुलक्कड़ व्यक्ति को छोड़ सभी सदस्य ध्यान रखते हैं कि घर में कीचड़ न लाएँ। सभी जगह कीचड़दार पद-चाप दूसरों को अतिरिक्त कार्य देते हुए, उस व्यक्ति की लापरवाही का प्रमाण देते हैं। यही बात आध्यात्मिकता के विषय में भी लागू होती है। केवल एक स्वार्थी या लापरवाह व्यक्ति परिवार की नेकनामी पर कलंक लगा सकता है। गृहस्थी में सभी व्यक्तियों को, न कि केवल माता-पिता को, मसीह की मनसा प्रतिबिम्बित करने का प्रयास करना चाहिए। कितना स्फूर्तिदायक है जब सब लोग अनन्त जीवन को ध्यान में रखते हुए एक साथ मिलकर कार्य करते हैं! उस परिवार की मानसिक प्रवृत्ति आध्यात्मिक होगी (न कि आत्म-धर्माभिमानी)। ऐसी गृहस्थी में शायद ही कभी आध्यात्मिक उपेक्षा के निशान पाए जाएँ।—सभोपदेशक ७:१६; १ पतरस ४:१, २.
१४. शैतान हमारे रास्ते में कौनसे भौतिक प्रलोभन डालता है?
१४ अपने जीवन को दैनिक आधार पर बनाए रखने के लिए, हम सब की मूलभूत भौतिक आवश्यकताएँ हैं जो पूरी की जानी चाहिए। (मत्ती ६:११, ३०-३२) लेकिन अक्सर हमारी आवश्यकताएँ हमारी इच्छाओं द्वारा निष्प्रभ हो जाती हैं। उदाहरण के लिए, शैतान की व्यवस्था हमें हर प्रकार के यंत्र और उपकरण प्रस्तुत करती है। यदि हम हमेशा सभी नवीनतम चीज़ों की माँग करें, तो हम कभी भी संतुष्ट नहीं होंगे, क्योंकि नवीनतम चीज़ें जल्द ही अप्रचलित हो जाती हैं, और एक नया उत्पादन आ जाता है। व्यापारिक संसार ने एक ऐसा चक्र शुरू किया है जो कभी रुकता ही नहीं। यह हमें निरंतर बढ़ती हुई इच्छाओं को संतुष्ट करने के लिए अधिक से अधिक पैसे खोजने के लिए प्रलोभित करता है। यह “बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं,” या “मूर्ख और ख़तरनाक महत्वाकांक्षाओं” की ओर ले जा सकता है। यह एक असंतुलित जीवन में परिणित हो सकता है, जिसमें आध्यात्मिक कार्यों के लिए समय बराबर कम होता जाता है।—१ तीमुथियुस ६:९, १०; द जरूसलेम बाइबल.
१५. किस तरीक़े से परिवार के सिर का उदाहरण महत्त्वपूर्ण है?
१५ यहाँ पर भी, मसीही गृहस्थी के सिर द्वारा रखा गया उदाहरण बहुत महत्त्वपूर्ण है। लौकिक और आध्यात्मिक ज़िम्मेदारियों के प्रति उसकी संतुलित मनोवृत्ति को परिवार के अन्य सदस्यों को प्रेरित करना चाहिए। यदि पिता बढ़िया मौखिक उपदेश दे लेकिन फिर अपने ही शब्दों के अनुसार न चले, तो निःसंदेह यह हानिकारक होगा। जीवन के प्रति जो-मैं-कहता-हूँ-उसे-करो-वह-नहीं-जो-मैं-करता-हूँ जैसी मनोवृत्ति को बच्चे जल्द ही पहचान सकते हैं। इसी प्रकार, एक प्राचीन या एक सहायक सेवक जो दूसरों को घर-घर की सेवकाई के लिए प्रोत्साहित करता है लेकिन अपने परिवार के साथ शायद ही कभी इस कार्य में भाग लेता है, जल्द ही परिवार और कलीसिया दोनों में विश्वसनीयता खो बैठता है।—१ कुरिन्थियों १५:५८; साथ मत्ती २३:३ से तुलना कीजिए.
१६. हम अपने आप से कौनसे प्रश्न पूछ सकते हैं?
१६ इसलिए, हम लाभप्रद ढंग से अपने जीवनों की जाँच कर सकते हैं। क्या हम आध्यात्मिक उन्नति करने की क़ीमत पर लौकिक सफलता प्राप्त करने में तल्लीन हैं? क्या हम संसार में उन्नति लेकिन कलीसिया में अवनति कर रहे हैं? पौलुस की यह सलाह याद रखिए: “यह बात सत्य है, कि जो अध्यक्ष होना चाहता है, तो वह भले काम की इच्छा करता है।” (१ तीमुथियुस ३:१) कार्य-स्थल पर पदोन्नति से ज़्यादा कलीसिया में ज़िम्मेदारी की भावना हमारी आध्यात्मिकता के बारे में संकेत करती है। एक सावधान संतुलन को बनाए रखना है ताकि हमारे मालिक हमें नियंत्रित न करने पाएँ, मानो कि हम उनके प्रति न कि यहोवा के प्रति समर्पित हैं।—मत्ती ६:२४.
अर्थपूर्ण संचार आध्यात्मिकता बढ़ाता है
१७. कौनसी बात परिवार में सच्चा प्रेम विकसित करने में योगदान देती है?
१७ आज लाखों घर प्रतीयमान यात्रीगृह बन गए हैं। कैसे? परिवार के सदस्य घर में केवल सोने तथा खाने के लिए आते हैं, और फिर वे जल्दी से बाहर निकल जाते हैं। वे शायद ही कभी मेज़ पर एक साथ मिलकर भोजन का आनन्द लेते हैं। परिवार की भावना नहीं है। परिणाम? वहाँ संचार की कमी है, और कोई अर्थपूर्ण वार्तालाप नहीं है। और इससे दूसरे सदस्यों में दिलचस्पी की कमी, शायद सच्ची चिन्ता की कमी परिणित हो सकती है। जब हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं, तब हम वार्तालाप करने और सुनने के लिए समय निकालते हैं। हम प्रोत्साहन देते, और हम सहायता करते हैं। आध्यात्मिकता का यह पहलू पति-पत्नी के बीच और माता-पिता तथा बच्चों के बीच अर्थपूर्ण संचार को सम्मिलित करता है।b जैसे-जैसे अपने आनन्द, अनुभव, और समस्याएँ बाँटने के लिए हम एक दूसरे को प्रोत्साहित करते हैं, यह समय और व्यवहार-कौशल की माँग करता है।—१ कुरिन्थियों १३:४-८; याकूब १:१९.
१८. (क) अक्सर संचार में एक बड़ी बाधा क्या है? (ख) अर्थपूर्ण सम्बन्ध किस चीज़ पर निर्मित होते हैं?
१८ अच्छा संचार समय और यत्न की माँग करता है। इसका अर्थ है कि एक दूसरे से बात करने और एक दूसरे की सुनने के लिए समय निकालना। इसमें एक सबसे बड़ी बाधा है समय नष्ट करनेवाला वह यंत्र जो अनेक घरों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है—यानी टी.वी.। यह एक चुनौती पेश करता है—क्या टी.वी. आपको नियंत्रित करता है, या क्या आप उसे नियंत्रित करते हैं? टी.वी. को नियंत्रित करना दृढ़ संकल्प की माँग करता है—जिसमें उसे बन्द करने की संकल्प-शक्ति सम्मिलित है। लेकिन ऐसा करने से हमारे लिए रास्ता खुल जाएगा कि हम परिवार के सदस्यों और आध्यात्मिक भाई-बहनों के तौर पर एक दूसरे के अनुकूल हो जाएँ। अर्थपूर्ण सम्बन्ध अच्छे संचार, एक दूसरे को और अपनी आवश्यकताओं तथा आनन्द को समझने, एक दूसरे को बताना कि हमारे लिए किए गए सभी दयालु कार्यों के लिए हम कितना मूल्यांकन दिखाते हैं की माँग करते हैं। दूसरे शब्दों में, अर्थपूर्ण वार्तालाप दिखाता है कि हम अन्य लोगों के लिए आभारी हैं और उनकी क़द्र करते हैं।—नीतिवचन ३१:२८, २९.
१९, २०. यदि हम परिवार में सब की परवाह करते हैं, तो हम क्या करेंगे?
१९ इसलिए, यदि हम पारिवारिक वातावरण में एक दूसरे की परवाह करते हैं—और इसमें परिवार के अविश्वासी सदस्यों की परवाह करना सम्मिलित है—तो हम अपनी आध्यात्मिकता को बढ़ाने और बनाए रखने के प्रति अधिक कार्य कर रहे होंगे। एक पारिवारिक वातावरण में, हम पतरस की सलाह को लागू कर रहे होंगे: “निदान, सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखनेवाले, और करुणामय, और नम्र बनो। बुराई के बदले बुराई मत करो; और न गाली के बदले गाली दो; पर इस के विपरीत आशीष ही दो: क्योंकि तुम आशीष के वारिस होने के लिये बुलाए गए हो।”—१ पतरस ३:८, ९.
२० यदि हम अपनी आध्यात्मिकता को बनाए रखने का प्रयास करते हैं तो हम इस समय यहोवा की आशिष प्राप्त कर सकते हैं, और यह भविष्य में हमें उसकी आशिष विरासत में प्राप्त करने के प्रति कार्य कर सकता है जब हम एक परादीस पृथ्वी पर अनन्त जीवन की देन प्राप्त करेंगे। आध्यात्मिक रूप से एक दूसरे की सहायता करने के लिए हम एक परिवार के तौर पर अन्य कार्य कर सकते हैं। एक परिवार के तौर पर एक साथ मिलकर कार्य करने के लाभों पर अगला लेख चर्चा करेगा।—लूका २३:४३; प्रकाशितवाक्य २१:१-४.
[फुटनोट]
a आध्यात्मिकता को “धार्मिक मान्यताओं के प्रति संवेदनशीलता या संलग्नता; आध्यात्मिक होने का गुण या स्थिति” परिभाषित किया गया है। (वेबस्टर्स् नाइन्थ न्यू कॉलेजिएट डिक्शनरि, Webster’s Ninth New Collegiate Dictionary) एक आध्यात्मिक व्यक्ति एक शारीरिक, पशुवत् व्यक्ति के विपरीत है।—१ कुरिन्थियों २:१३-१६; गलतियों ५:१६, २५; याकूब ३:१४, १५; यहूदा १९.
b पारिवारिक संचार पर अतिरिक्त सुझावों के लिए, द वॉचटावर (अंग्रेज़ी), सितम्बर १, १९९१, पृष्ठ २०-२ देखिए.
क्या आपको याद है?
▫ आध्यात्मिकता क्या है?
▫ एक परिवार का सिर किस प्रकार मसीह के उदाहरण का अनुसरण कर सकता है?
▫ हम अपनी आध्यात्मिकता के प्रति ख़तरों से कैसे बच सकते हैं?
▫ एक परिवार की आध्यात्मिकता को क्या नष्ट कर सकता है?
▫ अर्थपूर्ण संचार क्यों महत्त्वपूर्ण है?
[पेज 5 पर तसवीरें]
कलीसिया पुस्तक अध्ययन में उपस्थिति परिवार को आध्यात्मिक रूप से मज़बूत बनाती है