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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1994
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1994
w94 2/1 पेज 4-7

दुष्टता के अभिकर्ता

मनुष्य के मामलों में पिशाचों की भूमिका की बाइबल की व्याख्या दुष्टता के बारे में मूल प्रश्‍नों का उत्तर देती है जो अन्यथा उत्तरहीन होते। उदाहरण के लिए, बाल्कन क्षेत्र में चल रहे युद्ध के बारे में इंटरनैशनल हैरल्ड ट्रिब्यून के इस कथन पर विचार कीजिए: “यूरोपीय समुदाय के जाँचकर्त्ताओं के एक दल ने निष्कर्ष निकाला है कि [सैनिकों] ने लगभग २०,००० मुस्लिम स्त्रियों और लड़कियों का बलात्कार किया है . . . जो दहशत की एक योजनाबद्ध नीति का हिस्सा है, जिसे भयभीत करने, हताश करने और उन्हें अपने घरों से भगाने के इरादे से बनायी गयी है।”

टाइम पत्रिका में एक निबन्ध ने स्थिति को समझाने के लिए एक अविश्‍वस्त प्रयास किया: “कभी-कभी युद्ध में युवक अपने बड़ों को, अपने अफ़सरों को ख़ुश करने के लिए, और एक प्रकार की बाप-बेटे जैसी स्वीकृति शायद जीतने के लिए बलात्कार करें। अपने फौजी समूह की उग्रता की ओर वचनबद्धता का सबूत बलात्कार है। अपने समूह के अटल उद्देश्‍यों के साथ एक होने के लिए जो युवक घिनौनी हरकतें करने के लिए इच्छुक है, वह अपने व्यक्‍तिगत अंतःकरण का दमन कर चुका है। एक आदमी अत्याचार के द्वारा अपनी निष्ठा की मुहर लगाता है।”

लेकिन ‘समूह के अटल उद्देश्‍य’ उसके सदस्यों के व्यक्‍तिगत अंतःकरणों से अधिक अपभ्रष्ट क्यों हैं? वैयक्‍तिक तौर पर, लगभग हरेक व्यक्‍ति अपने पड़ोसी के साथ शांति से जीना चाहता है। सो क्यों, युद्ध के समय में, लोग बलात्कार करते, यंत्रणा देते और एक दूसरे की हत्या करते हैं? एक मूल कारण है कि पैशाचिक शक्‍तियाँ कार्य कर रही हैं।

पिशाचों की भूमिका को समझना उस समस्या का भी हल है जिसे कुछ लोग एक “धर्मगुरु की समस्या” कहते हैं। समस्या है कि तीन प्रस्तावों में कैसे सामंजस्य स्थापित किया जाए: (१) परमेश्‍वर सर्वशक्‍तिमान है; (२) परमेश्‍वर प्रेमपूर्ण और भला है; और (३) भयंकर बातें घटित होती हैं। कुछ का विचार है कि इनमें से किन्हीं दो प्रस्तावों में सामंजस्य लाना संभव है, तीनों को कभी सामंजस्य में नहीं लाया जा सकता। परमेश्‍वर का वचन ही इसका उत्तर देता है, और उस उत्तर में अनदेखी आत्माएँ, दुष्टता के अभिकर्ता अंतर्ग्रस्त हैं।

पहला विद्रोही

बाइबल बताती है कि परमेश्‍वर स्वयं एक आत्मा है। (यूहन्‍ना ४:२४) समय बीतने पर वह लाखों अन्य आत्मिक व्यक्‍तियों, स्वर्गदूतीय पुत्रों, का सृष्टिकर्ता बना। दर्शन में, परमेश्‍वर के सेवक दानिय्येल ने दस करोड़ स्वर्गदूतों को देखा। सभी आत्मिक व्यक्‍ति जिन्हें यहोवा ने सृष्ट किया धर्मी थे और उसकी इच्छा के सामंजस्य में थे।—दानिय्येल ७:१०; इब्रानियों १:७.

बाद में, जब यहोवा ने “पृथ्वी की नेव डाली,” परमेश्‍वर के ये स्वर्गदूतीय पुत्र ‘एक संग आनन्द से गाने’ और ‘जयजयकार करने’ लगे। (अय्यूब ३८:४-७) लेकिन उनमें से एक स्वर्गदूत ने सृष्टिकर्ता को उचित रूप से देय उपासना को स्वयं अपने लिए हथियाने की इच्छा विकसित की। परमेश्‍वर के विरुद्ध विद्रोह करने के द्वारा, इस स्वर्गदूत ने अपने आपको शैतान (अर्थात, “विरोधी”) और इब्‌लीस (अर्थात्‌ “निन्दक”) बना लिया।—यहेजकेल २८:१३-१५ से तुलना कीजिए.

अदन में पहली स्त्री हव्वा से बात करने के लिए एक सर्प का प्रयोग करते हुए, शैतान ने उसे बाग़ में एक विशेष वृक्ष से फल न खाने की परमेश्‍वर की स्पष्ट आज्ञा की अवज्ञा करने के लिए क़ायल किया। उसके बाद, उसका पति भी उसके साथ हो लिया। इस तरह, यहोवा के विरुद्ध विद्रोह में पहला मानव जोड़ा स्वर्गदूत के साथ मिल गया।—उत्पत्ति २:१७; ३:१-६.

जबकि अदन की घटनाएँ आज्ञाकारिता में एक सुस्पष्ट सबक़ प्रतीत हों, वहाँ शैतान द्वारा दो महत्त्वपूर्ण नैतिक मसले उठाए गए। पहला, शैतान ने विवाद किया कि क्या अपनी सृष्टि पर यहोवा का शासन न्यायसंगत रूप से और उनके सर्वोत्तम हितों के लिए किया जा रहा है। शायद मानव स्वयं अपने आप पर शासन करने का कार्य बेहतर कर सकते हैं। दूसरा, शैतान ने प्रश्‍न किया कि जब आज्ञाकारिता कोई भौतिक लाभ नहीं देती तब क्या कोई भी बुद्धिमान सृष्टि परमेश्‍वर के प्रति वफ़ादार और निष्ठ रहेगी।a

यहोवा के गुणों के ज्ञान के साथ, अदन में उठाए गए मसलों की स्पष्ट समझ, हमें “धर्मगुरु की समस्या” का हल समझने में सहायता करती है, यानी दुष्टता के अस्तित्व को परमेश्‍वर की शक्‍ति और प्रेम के गुणों के सामंजस्य में लाना। जबकि यह सच है कि यहोवा असीमित शक्‍ति रखता है और प्रेम का साक्षात्‌ रूप है, वह बुद्धिमान और न्यायपूर्ण भी है। वह इन चार गुणों का इस्तेमाल पूर्ण संतुलन में करता है। अतः, उसने अपनी अप्रतिरोध्य शक्‍ति का प्रयोग उन तीन विद्रोहियों को तुरन्त नष्ट करने के लिए नहीं किया। वह न्यायपूर्ण होता लेकिन आवश्‍यक नहीं कि विवेकपूर्ण या प्रेमपूर्ण होता। इसके अतिरिक्‍त, उसने क्षमा करके छोड़ नहीं दिया, एक ऐसा मार्ग जिसे कुछ लोग एक प्रेममय विकल्प मान सकते हैं। वह करना ना तो बुद्धिमानी होती और ना ही न्यायपूर्ण।

शैतान द्वारा उठाए गए मसलों को सुलझाने के लिए समय की आवश्‍यकता थी। परमेश्‍वर से स्वतंत्र होकर, मानव स्वयं अपने आप पर सही रीति से राज्य कर सकता है या नहीं यह साबित करने के लिए समय लगता। उन तीन विद्रोहियों को जीवित रहने की अनुमति देकर, यहोवा ने सृष्ट प्राणियों के लिए, कठिन परिस्थितियों में भी वफ़ादारी से परमेश्‍वर की सेवा करने के द्वारा, शैतान के दावे को झूठा साबित करने में हिस्सा लेना संभव किया।b

यहोवा ने आदम और हव्वा से स्पष्टतया कहा था कि यदि वे वर्जित फल खाएँगे, वे मर जाएँगे। और वे मर गए, हालाँकि शैतान ने हव्वा को आश्‍वस्त किया था कि वह नहीं मरेगी। शैतान भी मृत्युदंड के अधीन है; इस दौरान वह मानवजाति को गुमराह करता रहा है। वास्तव में, बाइबल कहती है: “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।”—१ यूहन्‍ना ५:१९; उत्पत्ति २:१६, १७; ३:४; ५:५.

अन्य स्वर्गदूत विद्रोह करते हैं

अदन की घटनाओं के कुछ ही समय बाद, अन्य स्वर्गदूत यहोवा की सर्वसत्ता के विरुद्ध विद्रोह में शामिल हुए। बाइबल कहती है: “फिर जब मनुष्य भूमि के ऊपर बहुत बढ़ने लगे, और उनके बेटियां उत्पन्‍न हुईं, तब परमेश्‍वर के पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा, कि वे सुन्दर हैं; सो उन्हों ने जिस जिसको चाहा उन से ब्याह कर लिया।” दूसरे शब्दों में, इन स्वर्गदूतों ने “[स्वर्ग में] अपने निज निवास को छोड़ दिया” और पृथ्वी पर आए, मानवी रूप लिया, और स्त्रियों के साथ कामुक विलास का आनन्द उठाया।—उत्पत्ति ६:१, २; यहूदा ६.

उत्पत्ति ६:४ में वृत्तान्त आगे कहता है: “उन दिनों में पृथ्वी पर दानव रहते थे; और इसके पश्‍चात्‌ जब परमेश्‍वर के पुत्र मनुष्य की पुत्रियों के पास गए तब उनके द्वारा जो सन्तान उत्पन्‍न हुए, वे पुत्र शूरवीर होते थे, जिनकी कीर्त्ति प्राचीनकाल से प्रचलित है।” स्त्रियों को जन्मे और स्वर्गदूतों द्वारा उत्पन्‍न यह संकर पुत्र असामान्य रूप से बलवन्त, “शूरवीर” थे। वे हिंसक पुरुष थे, या नेफिलिम, एक इब्रानी शब्द जिसका अर्थ है “वे जो दूसरों का पतन करवाते हैं।”

यह उल्लेखनीय है कि इन घटनाओं ने बाद में प्राचीन सभ्यताओं की दन्तकथाओं में अभिव्यक्‍ति प्राप्त की। उदाहरण के लिए, बाबुल की एक ४,०००-वर्षीय कथा गिलगामेश के अलौकिक कारनामों का विवरण देती है, जो एक शक्‍तिशाली, हिंसक अर्ध देव था, जिसकी “कामुकता ने किसी कुँवारी को अपने प्रेमी के लिए नहीं छोड़ा।” यूनानी दन्तकथा से एक और उदाहरण, हरक्यूलीज़ (या हिराक्लीस) है। हरक्यूलीज़ जो अल्कमिनि, एक मानव, को जन्मा, और जिसका पिता देव ज़ूस था, हरक्यूलीज़ पागलपन के दौरे में अपनी पत्नी और बच्चों की हत्या करने के बाद हिंसात्मक जोखिमों के एक दौरे पर निकल पड़ा। हालाँकि ऐसी कथाओं को पीड़ी दर पीड़ी बहुत ज़्यादा तोड़-मरोड़कर बताया गया, वे बाइबल में नेफिलिम और उनके विद्रोही स्वर्गदूतीय पिताओं के बारे में कही बातों से मिलती जुलती हैं।

दुष्ट स्वर्गदूतों और उनके अलौकिक पुत्रों के प्रभाव के कारण, पृथ्वी हिंसा से इतनी भर गयी कि यहोवा ने संसार को एक बड़ी जलप्रलय से नष्ट करने का निर्णय लिया। नेफिलिम सभी भक्‍तिहीन मनुष्यों के साथ नष्ट हो गए; मानव उत्तरजीवी मात्र धर्मी नूह और उसका परिवार था।—उत्पत्ति ६:११; ७:२३.

तथापि, दुष्ट स्वर्गदूतों की मृत्यु नहीं हुई। लेकिन उन्होंने अपने मानव शरीरों को छोड़ दिया और आत्मिक क्षेत्र में वापस लौट गए। उनकी अवज्ञाकारिता के कारण, उन्हें धार्मिक स्वर्गदूतों के परमेश्‍वर के परिवार में वापस आने की अनुमति नहीं मिली; ना ही उन्हें दुबारा मानव शरीर धारण करने की अनुमति दी गयी जैसे उन्होंने नूह के दिनों में किया था। फिर भी, “दुष्टात्माओं के सरदार” शैतान इब्‌लीस के अधिकार के अधीन उन्होंने मानवजाति के कार्यों में एक विनाशकारी प्रभाव डालना जारी रखा है।—मत्ती ९:३४; २ पतरस २:४; यहूदा ६.

मानवजाति के शत्रु

शैतान और पिशाच हमेशा से हिंसक और क्रूर रहे हैं। शैतान ने, विभिन्‍न तरीकों से, अय्यूब के पशुधन को छीन लिया और उसके अधिकांश सेवकों की हत्या की। उसके बाद, जिस घर में अय्यूब के दस बच्चे थे, उसे “बड़ी प्रचण्ड वायु” से गिराने के द्वारा शैतान ने उनकी हत्या की। उसके बाद, शैतान ने अय्यूब को “पांव के तलवे से ले सिर की चोटी तक बड़े बड़े फोड़ों” से पीड़ित किया।—अय्यूब १:७-१९; २:३, ७.

पिशाच भी समान रूप से एक दुष्ट प्रवृत्ति दिखाते हैं। यीशु के दिनों में, वे लोगों से उनकी आवाज़ और दृष्टि छीन लेते थे। अपने आपको पत्थरों से घायल करने के लिए उन्होंने एक पुरुष को प्रेरित किया। उन्होंने एक लड़के को ज़मीन पर पटका और “हिंसात्मक रूप से मरोड़ा।”—लूका ९:४२, NW; मत्ती ९:३२, ३३; १२:२२; मरकुस ५:५.

सारे संसार से रिपोर्टें दिखाती हैं कि शैतान और पिशाच पहले जैसे ही विद्वेषपूर्ण हैं। कुछ लोगों को वे बीमारी से पीड़ित करते हैं। वे अन्य लोगों की नींद छीन लेने के द्वारा या भयानक सपनों के द्वारा या लैंगिक दुर्व्यवहार करने के द्वारा तंग करते हैं। और अन्य लोगों को वे पागलपन, हत्या या आत्महत्या करने तक ले गए हैं।

और कब तक उन्हें बरदाश्‍त किया जाएगा?

शैतान और उसके पिशाचों को सदा के लिए बरदाश्‍त नहीं किया जाएगा। अच्छे कारण से यहोवा ने हमारे दिन तक उन्हें अस्तित्व में रहने दिया है, लेकिन अब उनका समय थोड़ा ही है। इस शताब्दी के प्रारंभ में, उनके कार्यक्षेत्र को सीमित करने के लिए एक बड़ा क़दम उठाया गया। प्रकाशितवाक्य की पुस्तक समझाती है: “फिर स्वर्ग पर लड़ाई हुई, मीकाईल [पुनरुत्थित यीशु मसीह] और उसके स्वर्गदूत अजगर [शैतान] से लड़ने को निकले, और अजगर और उसके दूत उस से लड़े। परन्तु प्रबल न हुए, और स्वर्ग में उन के लिये फिर जगह न रही। और वह बड़ा अजगर अर्थात्‌ वही पुराना सांप, जो इब्‌लीस और शैतान कहलाता है, और सारे संसार का भरमानेवाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया; और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए।”—प्रकाशितवाक्य १२:७-९.

परिणाम क्या हुआ? वृत्तान्त आगे कहता है: “इस कारण, हे स्वर्गो, और उन में के रहनेवालों मगन हो!” धार्मिक स्वर्गदूत आनन्द कर सके क्योंकि शैतान और उसके पिशाच अब स्वर्ग में नहीं रहे। लेकिन पृथ्वी पर लोगों के बारे में क्या? बाइबल कहती है: “हे पृथ्वी, और समुद्र, तुम पर हाय! क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है; क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।”—प्रकाशितवाक्य १२:१२.

शैतान और उसके खुशामदी क्रोधित होकर अपने सन्‍निकट अंत से पहले जितनी अधिक विपत्ति संभव है लाने के लिए दृढ़संकल्प हैं। इस शताब्दी में दो विश्‍व युद्ध हो चुके हैं और दूसरे विश्‍व युद्ध की समाप्ति के बाद अब तक १५० से अधिक छोटे युद्ध हो चुके हैं। हमारी शब्दावली में ऐसे वाक्यांश शामिल हुए हैं जो इस पीढ़ी की हिंसा को प्रतिबिम्बित करते हैं: “रोगाणु युद्ध,” “हत्याकाण्ड,” “हत्या के क्षेत्र,” “बलात्कार शिविर,” “क्रमिक हत्यारे,” और “परमाणु हथियार।” समाचार नशीले पदार्थों, हत्या, बम फटने, मनोरोगमय नरभक्षिता, क़त्ले-आम, अकाल और उत्पीड़न की कहानियों से भरा हुआ है।

अच्छा समाचार यह है कि यह बातें अस्थायी हैं। निकट भविष्य में, परमेश्‍वर दुबारा शैतान और उसके पिशाचों के विरुद्ध कार्य करेगा। परमेश्‍वर से दर्शन का विवरण करते हुए, प्रेरित यूहन्‍ना ने कहा: “फिर मैं ने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा; जिस के हाथ में अथाह कुंड की कुंजी, और एक बड़ी जंजीर थी। और उस ने उस अजगर, अर्थात्‌ पुराने सांप को, जो इब्‌लीस और शैतान है; पकड़ के हजार वर्ष के लिये बान्ध दिया। और उसे अथाह कुंड में डालकर बन्द कर दिया और उस पर मुहर कर दी, कि वह हजार वर्ष के पूरे होने तक जाति जाति के लोगों को फिर न भरमाए।”—प्रकाशितवाक्य २०:१-३.

उसके बाद, इब्‌लीस और उसके पिशाचों को ‘थोड़ी देर के लिए फिर खोला जाएगा,’ और फिर वे सदा के लिए नाश किए जाएँगे। (प्रकाशितवाक्य २०:३, १०) वह क्या ही बढ़िया समय होगा! शैतान और उसके पिशाच हमेशा के लिए हटाए जाने के बाद, यहोवा ‘सब में सब कुछ होगा।’ और प्रत्येक जन वास्तव में “बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।”—१ कुरिन्थियों १५:२८; भजन ३७:११.

[फुटनोट]

a यह बाद में स्पष्ट हुआ जब शैतान ने परमेश्‍वर के सेवक अय्यूब के बारे में कहा: “खाल के बदले खाल, परन्तु प्राण के बदले मनुष्य अपना सब कुछ दे देता है। सो केवल अपना हाथ बढ़ाकर उसकी हड्डियां और मांस छू, तब वह तेरे मुंह पर तेरी निन्दा करेगा।”—अय्यूब २:४, ५.

b परमेश्‍वर दुष्टता को क्यों अनुमति देता है की विस्तृत चर्चा के लिए, वॉचटावर बाइबल एन्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं पुस्तक देखिए।

[तसवीर]

क्या केवल मानव ऐसी बातों के लिए ज़िम्मेदार है, या क्या एक दुष्ट, अनदेखी शक्‍ति भी दोषी है?

[चित्र का श्रेय]

कुवैत में जलते हुए तेल के कुँए, १९९१:

[तसवीर]

वह क्या ही बढ़िया समय होगा जब पिशाच मानवजाति को और तंग नहीं करेंगे!

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