राज्य उद्घोषक सारी पृथ्वी में सक्रिय
“तुम . . . पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।”—प्रेरितों १:८.
१. यीशु ने क्या कहा कि उसके अनुयायी हमारे दिन में क्या संदेश उद्घोषित करेंगे?
उस कार्य का वर्णन करते समय जिसे करने के लिए यहोवा ने अपने पुत्र को पृथ्वी पर भेजा था, यीशु ने कहा: “मुझे . . . परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाना अवश्य है।” (लूका ४:४३) उसी प्रकार, उस कार्य के बारे में बताते समय जो उसके शिष्य पृथ्वी पर तब करेंगे जब वह राज्य अधिकार में वापस आएगा, यीशु ने कहा: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।”—मत्ती २४:१४.
२. (क) यह इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है कि राज्य संदेश को विस्तृत प्रसार मिले? (ख) हम सब को अपने आप से क्या प्रश्न पूछना चाहिए?
२ परमेश्वर के राज्य के बारे में समाचार इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है? राज्य को इतने विस्तृत प्रसार की आवश्यकता क्यों है? क्योंकि मसीहाई राज्य ही यहोवा की विश्व सर्वसत्ता को दोषमुक्त करेगा। (१ कुरिन्थियों १५:२४-२८) इसके द्वारा, यहोवा वर्तमान शैतानी रीति-व्यवस्था के विरुद्ध न्याय करेगा और पृथ्वी के सारे परिवारों को आशिष देने की अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करेगा। (उत्पत्ति २२:१७, १८; दानिय्येल २:४४) राज्य के विषय में एक गवाही कार्य करवाने से यहोवा ने उन्हें पाया है जिन्हें बाद में उसने अपने पुत्र के साथ सह-वारिस होने के लिए अभिषिक्त किया है। राज्य उद्घोषणा के द्वारा एक विभाजक कार्य भी आज पूरा किया जा रहा है। (मत्ती २५:३१-३३) यहोवा चाहता है कि सभी राष्ट्र के लोगों को उसके उद्देश्य के सम्बन्ध में सूचना दी जाए। वह चाहता है कि वे उसके राज्य की प्रजा के रूप में जीवन चुनने का अवसर पाएँ। (यूहन्ना ३:१६; प्रेरितों १३:४७) क्या इस राज्य की उद्घोषणा करने में आप पूरा भाग ले रहे हैं?
अन्यजातियों के समय के अन्त की प्रत्याशा में
३. (क) उपयुक्त रूप से, बाइबल अध्ययन के लिए समूहों को संगठित करने की एक आरंभिक यात्रा पर सी. टी. रस्सल ने कौनसा विषय विशिष्ट किया? (ख) परमेश्वर के राज्य का उनके जीवन में कौनसा स्थान होना चाहिए इस विषय में उन आरंभिक बाइबल विद्यार्थियों को क्या एहसास हुआ?
३ वर्ष १८८० में, वॉच टावर पत्रिका के पहले संपादक, चार्ल्स टेज़ रस्सल ने बाइबल अध्ययन के लिए समूहों के गठन को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तरपूर्वी संयुक्त राज्य अमरीका में यात्रा की। उपयुक्त रूप से, उसने “परमेश्वर के राज्य से सम्बन्ध रखनेवाली वस्तुएँ” विषय पर बात की। जैसा वॉच टावर के आरंभिक अंकों से प्रतिबिम्बित होता है, बाइबल विद्यार्थियों (यहोवा के गवाह उस समय इस नाम से जाने जाते थे) को एहसास हुआ कि यदि उन्हें प्रमाणित करना है कि वे परमेश्वर के राज्य में भाग लेने के योग्य हैं, तो उन्हें राज्य को प्राथमिकता देनी होगी। उन्हें अपने जीवन, क्षमताओं, और सम्पत्ति को इसकी सेवा में प्रयोग करना होगा। जीवन में अन्य सभी बातों को दूसरा स्थान देना था। (मत्ती १३:४४-४६) अन्य लोगों को परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाना उनकी ज़िम्मेदारी में सम्मिलित था। (यशायाह ६१:१, २) वर्ष १९१४ में अन्यजातियों के समय के अन्त से पहले उन्होंने इसे किस हद तक किया?
४. बाइबल विद्यार्थियों के छोटे-से समूह ने १९१४ से पहले किस हद तक बाइबल साहित्य वितरित किया?
४ दशक १८७० से १९१४ तक, बाइबल विद्यार्थी संख्या में अपेक्षाकृत थोड़े थे। वर्ष १९१४ में, मात्र कुछ ५,१०० व्यक्ति सार्वजनिक गवाही देने में सक्रिय रूप से भाग ले रहे थे। लेकिन वह क्या ही असामान्य गवाही थी! वर्ष १८८१ में, वॉच टावर के पहले प्रकाशन के सिर्फ़ दो वर्ष बाद, उन्होंने १६२-पृष्ठवाले प्रकाशन विचारशील मसीहियों के लिए भोजन (अंग्रेज़ी) का वितरण करना शुरू किया। कुछ ही महीनों में, उन्होंने १२,००,००० प्रतियाँ वितरित कीं। कुछ ही वर्षों में, अनेक भाषाओं में प्रति वर्ष करोड़ों ट्रैक्ट वितरित किए जा रहे थे।
५. कॉलपोर्टर कौन थे, और उन्होंने किस प्रकार की आत्मा प्रकट की?
५ वर्ष १८८१ में ही पहली बार कुछ लोगों ने कॉलपोर्टर सुसमाचारकों के रूप में अपनी सेवा प्रस्तुत की। ये कॉलपोर्टर आज के पायनियरों (पूर्ण-समय के सुसमाचारक) के अग्रदूत थे। कुछ कॉलपोर्टरों ने पैदल या साइकल से जाकर उस देश के लगभग हर भाग में व्यक्तिगत रूप से गवाही दी जहाँ वे रहते थे। अन्य लोग विदेशी क्षेत्र में गए और फिनलैंड, बारबडोस, बर्मा (जो अब म्यानमार है) जैसे देशों में सुसमाचार ले जानेवाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने यीशु मसीह और उसके प्रेरितों के मिशनरी जोश के समान जोश दिखाया।—लूका ४:४३; रोमियों १५:२३-२५.
६. (क) बाइबल सच्चाई को फैलाने के लिए भाई रस्सल की यात्राएँ कितनी विस्तृत थीं? (ख) अन्यजातियों के समय के अन्त से पहले विदेशी क्षेत्रों में सुसमाचार के प्रचार को बढ़ाने के लिए और क्या किया गया?
६ सच्चाई को फैलाने के लिए स्वयं भाई रस्सल ने विस्तृत रूप से यात्रा की। वह बार-बार कनाडा गया; पनामा, जमैका, और क्यूबा में भाषण दिया; यूरोप की दर्जन भर यात्राएँ कीं; और एक सुसमाचार सुनाने के दौरे पर पृथ्वी का चक्कर लगाया। विदेशी क्षेत्रों में कार्य आरंभ करने और सुसमाचार के प्रचार में अगुआई लेने के लिए उसने अन्य पुरुषों को भी भेजा। अडॉल्फ़ वेबर को १८९० दशक के मध्य में यूरोप भेजा गया, और उसकी सेवकाई स्विट्जरलैंड से फ्रांस, इटली, जर्मनी, और बेलजियम तक पहुँची। ई. जे. कावर्ड को कैरिबियन क्षेत्र में भेजा गया। रॉबर्ट हॉलस्टर को १९१२ में पूर्वी देशों में भेजा गया। वहाँ, दस भाषाओं में ख़ास ट्रैक्ट तैयार किए गए, और इनकी लाखों प्रतियाँ स्थानीय वितरकों द्वारा पूरे भारत, चीन, जापान, और कोरिया में वितरित की गईं। यदि आप उस समय में जी रहे होते, तो क्या आपके हृदय ने आपको प्रेरित किया होता कि अपने समुदाय में और अन्य स्थानों में भी सुसमाचार के साथ दूसरों तक पहुँचने का मन लगाकर प्रयास करें?
७. (क) गवाही को तीव्र करने के लिए अख़बारों को किस प्रकार प्रयोग किया गया? (ख) “सृष्टि का फोटो-ड्रामा” क्या था, और मात्र एक वर्ष में कितने लोगों ने उसे देखा?
७ जैसे-जैसे अन्यजातियों का समय अपने अंत के निकट आया, भाई रस्सल के बाइबल उपदेशों को प्रकाशित करने के लिए अख़बारों का प्रयोग किया गया। उनका मुख्य ज़ोर वर्ष १९१४ पर नहीं था, बल्कि परमेश्वर के उद्देश्य और उसकी पूर्णता की निश्चितता पर था। एक ही समय पर १,५०,००,००० पाठकों तक पहुँचनेवाले २,००० अख़बार इन उपदेशों को नियमित रूप से प्रकाशित कर रहे थे। फिर, जैसे वर्ष १९१४ आया, संस्था “सृष्टि का फोटो-ड्रामा” (अंग्रेजी) को सार्वजनिक रूप से दिखाने लगी। दो-दो घंटों की चार प्रस्तुतियों में इसने सृष्टि से लेकर सहस्राब्दि तक बाइबल सच्चाइयों को प्रस्तुत किया। मात्र एक वर्ष के अन्दर, उत्तरी अमरीका, यूरोप, आस्ट्रेलिया, और न्यू ज़ीलैंड में कुल मिलाकर ९० लाख से अधिक दर्शकों ने इसे देख लिया था।
८. वर्ष १९१४ तक, बाइबल विद्यार्थी सुसमाचार के साथ कितने देशों तक पहुँच चुके थे?
८ उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार, १९१४ के दूसरे भाग तक, सुसमाचारकों के इस जोशीले समूह ने परमेश्वर के राज्य की अपनी उद्घोषणा को ६८ देशों में पहुँचाया था।a लेकिन वह तो सिर्फ़ एक शुरूआत थी!
स्थापित राज्य की उद्घोषणा जोश के साथ करना
९. सीडर पॉइन्ट में हुए अधिवेशनों में राज्य गवाही के कार्य को किस प्रकार ख़ास प्रोत्साहन दिया गया?
९ जब बाइबल विद्यार्थी १९१९ में सीडर पॉइन्ट, ओहायो में एकत्रित हुए, तो उस समय वॉच टावर संस्था के अध्यक्ष, जे. एफ. रदरफर्ड ने घोषित किया: “मसीहा के आनेवाले महिमावान् राज्य की घोषणा करना हमारा कर्तव्य था और अब भी है।” वर्ष १९२२ में, सीडर पॉइन्ट में हुए दूसरे अधिवेशन में भाई रदरफर्ड ने यह तथ्य विशिष्ट किया कि १९१४ में अन्यजातियों का समय समाप्त होने पर ‘महिमा के राजा ने अपनी बड़ी सामर्थ के साथ राज्य करना शुरू कर दिया था।’ फिर, उसने यह कहते हुए अपने श्रोताओं के सामने सीधे यह प्रश्न रखा: “क्या आप विश्वास करते हैं कि महिमा के राजा ने अपना राज्य शुरू कर दिया है? फिर क्षेत्र में लौटो, ओ परमप्रधान परमेश्वर के पुत्रों! . . . इस संदेश की घोषणा दूर-दूर तक करो। संसार को मालूम होना चाहिए कि यहोवा ही परमेश्वर है और यीशु मसीह राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है। यह सबसे महान दिन है। देखो, राजा शासन कर रहा है! आप उसके प्रचार अभिकर्ता हैं।”
१०, ११. किस प्रकार रेडियो, ध्वनि कारों, और प्लैकार्डों सभी का प्रयोग राज्य सच्चाई के साथ लोगों तक पहुँचने में किया गया?
१० सीडर पॉइन्ट अधिवेशनों को हुए ७० वर्षों से ज़्यादा समय हो चुका है। जब से यहोवा ने अपनी सर्वसत्ता अपने पुत्र के मसीहाई शासन के द्वारा व्यक्त करनी शुरू की है तब से लगभग ८० वर्ष बीत चुके हैं। जो कार्य परमेश्वर के वचन में उनके लिए दिया गया है उसे यहोवा के गवाहों ने असल में किस हद तक पूरा किया है? व्यक्तिगत रूप से आप उसमें कितना हिस्सा ले रहे हैं?
११ दशक १९२० की शुरूआत में, रेडियो एक ऐसे यंत्र के रूप में उपलब्ध हुआ जिसका प्रयोग राज्य संदेश को विस्तृत प्रसार देने के लिए किया जा सकता था। दशक १९३० के दौरान, अधिवेशन भाषण राज्य को संसार की आशा के रूप में प्रस्तुत कर रहे थे। ये रेडियो नेटवर्क या चेन प्रसारण कार्यक्रम (chain broadcasts) और संसार भर में जानेवाली टेलीफोन लाइनों द्वारा प्रसारित किए गए। रिकार्ड किए हुए बाइबल भाषणों को सार्वजनिक स्थानों में सुनाने के लिए लाउड स्पीकरों से सज्जित कारों का भी प्रयोग किया गया। फिर, १९३६ में ग्लासगो, स्कॉटलैंड में हमारे भाइयों ने प्लैकार्ड पहनकर जन भाषणों का प्रसार करने के लिए व्यवसाय क्षेत्रों में परेड करना शुरू किया। जब हमारी संख्या कम थी उस समय अनेक लोगों को गवाही देने के लिए ये सभी प्रभावकारी साधन थे।
१२. जैसे शास्त्रवचन दिखाते हैं, व्यक्तिगत रूप से हमारे लिए गवाही देने का एक सबसे प्रभावकारी तरीक़ा क्या है?
१२ अवश्य ही, शास्त्रवचन स्पष्ट करते हैं कि मसीही होने के नाते हम पर व्यक्तिगत रूप से गवाही देने की ज़िम्मेदारी है। हम सिर्फ़ अख़बार लेखों या रेडियो प्रसारण कार्यक्रमों को कार्य करने के लिए नहीं छोड़ सकते। हज़ारों निष्ठावान् मसीहियों—पुरुषों, स्त्रियों, और युवाओं—ने उस ज़िम्मेदारी को स्वीकार किया है। फलस्वरूप, घर-घर प्रचार यहोवा के गवाहों का एक पहचान चिह्न बन गया है।—प्रेरितों ५:४२; २०:२०.
सारे जगत तक पहुँचना
१३, १४. (क) अपनी सेवकाई करने के लिए कुछ गवाह दूसरे शहरों में, यहाँ तक कि दूसरे देशों में क्यों निवास-परिवर्तन कर लेते हैं? (ख) अपने जन्मस्थान में लोगों के लिए प्रेममय चिन्ता ने किस प्रकार सुसमाचार को फैलाने में मदद दी है?
१३ यह जानते हुए कि राज्य संदेश सारे जगत में प्रचार किया जाना है, कुछ यहोवा के गवाहों ने इस बात पर गंभीरता से ग़ौर किया है कि वे अपने समुदाय के बाहर के क्षेत्रों तक पहुँचने के लिए व्यक्तिगत रूप से क्या कर सकते हैं।
१४ अपने जन्मस्थान से बाहर जाने के बाद अनेक लोगों ने सच्चाई सीखी है। यद्यपि शायद वे भौतिक लाभ के लिए बाहर गए हों, उन्होंने उससे भी ज़्यादा मूल्यवान चीज़ पायी है, और कुछ व्यक्ति अपने जन्मदेश या समुदाय में लौटकर सच्चाई बाँटने के लिए प्रेरित हुए हैं। अतः, इस शताब्दी की शुरूआत में, सुसमाचार का प्रचार स्कैन्डिनेविया, यूनान, इटली, पूर्वी यूरोप के देशों, और अनेक अन्य क्षेत्रों में फैल गया। अभी भी, १९९० के दशक में राज्य संदेश उसी रीति से फैल रहा है।
१५. यशायाह ६:८ में अभिव्यक्त मनोवृत्ति के समान मनोवृत्ति रखनेवाले कुछ लोगों ने १९२० और १९३० के दशकों के दौरान क्या निष्पन्न किया?
१५ अपने जीवन में परमेश्वर के वचन की सलाह को लागू करके कुछ लोग स्वयं को उन स्थानों में सेवा के लिए उपलब्ध करने में समर्थ हुए हैं जहाँ वे पहले नहीं रहे थे। डब्ल्यू. आर. ब्राउन (अकसर “बाइबल ब्राउन” कहलाता है) इनमें से एक था। सुसमाचार के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए १९२३ में वह ट्रिनीडैड से पश्चिमी अफ्रीका गया। दशक १९३० के दौरान, फ्रैंक और ग्रे स्मिथ, रॉबर्ट निज़बत, और डेविड नॉर्मन उन लोगों में से थे जो राज्य संदेश अफ्रीका के पूर्वी तट पर ले गए। अन्य लोगों ने दक्षिण अमरीकी क्षेत्र को विकसित करने में मदद दी। दशक १९२० की शुरूआत में, कनाडा के जॉर्ज यंग ने अर्जेन्टाइना, ब्राज़ील, बोलिविया, चिली, और पेरू में कार्य में हिस्सा लिया। क्वान मूनयीस ने पहले स्पेन में फिर अर्जेन्टाइना, चिली, पराग्वे, और युरुग्वे में सेवा की। इन सब ने उसी समान जोश व्यक्त किया जो यशायाह ६:८ में व्यक्त है: “मैं यहां हूं! मुझे भेज।”
१६. युद्ध-पूर्व वर्षों में जनसंख्या के मुख्य केंद्रों के अलावा गवाही और कहाँ दी जा रही थी?
१६ सुसमाचार का प्रचार दूरस्थ क्षेत्रों में भी पहुँच रहा था। गवाहों द्वारा चलाई जानेवाली नांवें न्यूफाऊंडलैंड के सभी छोटे मछुवाही गाँवों, आर्टिक महासागर में नार्वेजियन तट, प्रशांत महासागर के द्वीपों, और दक्षिण-पूर्वी एशिया के बन्दरगाहों में भेंट कर रही थीं।
१७. (क) वर्ष १९३५ तक गवाह कितने देशों तक पहुँच चुके थे? (ख) उस समय कार्य समाप्त क्यों नहीं हुआ?
१७ आश्चर्य की बात है कि वर्ष १९३५ तक, यहोवा के गवाह ११५ देशों में प्रचार करने में व्यस्त थे, और गवाही अभियान से या डाक से भेजे गए साहित्य द्वारा वे अन्य ३४ देशों तक पहुँच चुके थे। फिर भी, कार्य अभी समाप्त नहीं हुआ था। उस वर्ष यहोवा ने उनकी आँखें “बड़ी भीड़” को एकत्रित करने के अपने उद्देश्य की ओर खोलीं जो बचकर उसके नए संसार में जाएँगे। (प्रकाशितवाक्य ७:९, १०, १४) अभी काफ़ी गवाही कार्य करना बाक़ी था!
१८. राज्य उद्घोषणा के कार्य में गिलियड स्कूल और मिनिस्टीरियल ट्रेनिंग स्कूल ने क्या भूमिकाएँ निभायी हैं?
१८ जब द्वितीय विश्व युद्ध पृथ्वी पर छाया हुआ था तब यहोवा के गवाहों के साहित्य पर या उनकी गतिविधि पर बीसियों देशों में प्रतिबंध लगे थे। ऐसे समय में भी अंतरराष्ट्रीय राज्य उद्घोषणा के ज़्यादा बड़े कार्य को पूरा करने के लिए वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ गिलियड खोला गया। यह स्कूल भावी मिशनरियों को प्रशिक्षित करने के लिए खोला गया था। आज तक, गिलियड के स्नातकों ने २०० से अधिक देशों में सेवा की है। उन्होंने सिर्फ़ साहित्य देकर अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ने से अधिक किया है। उन्होंने बाइबल अध्ययन संचालित किए, कलीसियाओं को संगठित किया, और ईश्वरशासित ज़िम्मेदारी सँभालने के लिए लोगों को प्रशिक्षित किया है। हाल ही में, जिन प्राचीनों और सहायक सेवकों ने मिनिस्टीरियल ट्रेनिंग स्कूल से स्नातकता प्राप्त की है उन्होंने भी इस कार्य के सम्बन्ध में अनिवार्य ज़रूरतों को पूरा करने में छः महाद्वीपों पर मदद दी है। लगातार वृद्धि के लिए एक ठोस बुनियाद डाली गयी है।—२ तीमुथियुस २:२ से तुलना कीजिए.
१९. जिन क्षेत्रों में ज़्यादा ज़रूरत है वहाँ सेवा करने के आमंत्रण के प्रति यहोवा के सेवकों ने किस हद तक प्रतिक्रिया दिखायी है?
१९ क्या अन्य लोग कुछ ऐसे क्षेत्रों की देखभाल करने में मदद कर सकते हैं जहाँ कार्य नहीं हुआ है? वर्ष १९५७ में विश्वभर के अधिवेशनों में, व्यक्तियों और परिवारों—यहोवा के परिपक्व गवाहों—को उन क्षेत्रों में जहाँ ज़्यादा ज़रूरत है, वहाँ जाकर रहने और अपनी सेवकाई करने के लिए विचार करने को प्रोत्साहित किया गया था। यह आमंत्रण काफ़ी कुछ प्रेरित पौलुस को परमेश्वर द्वारा प्रस्तुत किए गए आमंत्रण की तरह था। पौलुस ने दर्शन में एक पुरुष को देखा, जिसने उससे बिनती की: “पार उतरकर मकिदुनिया में आ; और हमारी सहायता कर।” (प्रेरितों १६:९, १०) कुछ लोगों ने यह निवास-परिवर्तन १९५० दशक के दौरान किया, अन्य लोगों ने बाद में किया। लगभग हज़ार लोग आयरलैंड और कोलम्बिया चले गए; सैकड़ों लोग अनेक अन्य जगहों पर गए। अन्य हज़ारों लोग अपने ही देश में ऐसे क्षेत्रों में चले गए, जहाँ ज़्यादा ज़रूरत थी।—भजन ११०:३.
२०. (क) मत्ती २४:१४ में दी गई यीशु की भविष्यवाणी की पूर्ति में १९३५ से क्या निष्पन्न किया गया है? (ख) पिछले कुछ वर्षों के दौरान, किस प्रकार कार्य में तीव्रता आयी है?
२० यहोवा की आशिष उसके लोगों पर होने के कारण राज्य उद्घोषणा का कार्य असामान्य रफ़्तार से आगे बढ़ता जा रहा है। वर्ष १९३५ से प्रकाशकों की संख्या लगभग आठगुना बढ़ गयी है, और पायनियर वर्ग में वृद्धि दर प्रकाशकों की संख्या की वृद्धि दर से ६० प्रतिशत ज़्यादा रही है। गृह बाइबल अध्ययन प्रबन्ध १९३० के दशक में शुरू किया गया। अब हर महीने औसतन ४५ लाख से अधिक गृह बाइबल अध्ययन संचालित किए जाते हैं। वर्ष १९३५ से अब तक १,५०० करोड़ से ज़्यादा घंटे राज्य उद्घोषणा के कार्य में बिताए जा चुके हैं। सुसमाचार का नियमित प्रचार अब २३१ देशों में हो रहा है। जैसे-जैसे पूर्वी यूरोप और अफ्रीका में क्षेत्र सुसमाचार के अधिक स्वतंत्र प्रचार के लिए खुल गए हैं, राज्य संदेश को जनता के सामने विशिष्टता से लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय अधिवेशनों को प्रभावकारी रूप से इस्तेमाल किया गया है। जैसे यहोवा ने बहुत पहले, यशायाह ६०:२२ में प्रतिज्ञा की थी, वह निश्चित ही “ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा” कर रहा है। इसमें भाग लेना हमारे लिए क्या ही विशेषाधिकार है!
हर संभव व्यक्ति तक सुसमाचार के साथ पहुँचना
२१, २२. जहाँ कहीं भी हम सेवा करते हैं, वहाँ ज़्यादा प्रभावकारी गवाह बनने के लिए व्यक्तिगत रूप से हम क्या कर सकते हैं?
२१ प्रभु ने अब तक नहीं कहा कि कार्य समाप्त हो गया है। हज़ारों लोग अभी-भी सच्ची उपासना के लिए आ रहे हैं। इसलिए प्रश्न उठता है, क्या यहोवा के धीरज के कारण इस कार्य के लिए जो समय दिया गया है हम उस का सदुपयोग करने के लिए हर संभव कार्य कर रहे हैं?—२ पतरस ३:१५.
२२ सभी लोग घर बदल कर कभी-कभार कार्य किए गए क्षेत्र में नहीं जा सकते। लेकिन क्या आपके सामने खुले अवसरों का आप पूरा लाभ उठा रहे हैं? क्या आप सहकर्मियों को, शिक्षकों और सहपाठियों को गवाही देते हैं? अपने क्षेत्र में बदलती परिस्थितियों के अनुरूप क्या आपने समायोजन किए हैं? यदि, बदलते रोज़गार नमूनों के फलस्वरूप, दिन के समय बहुत कम लोग घर पर होते हैं, तो क्या आपने अपनी सारणी बदली है ताकि उन से शाम के समय मिल सकें? यदि इमारतों में अनिमंत्रित भेंट करनेवालों को नहीं जाने दिया जा रहा है तो क्या आप टेलीफ़ोन से या डाक द्वारा गवाही दे रहे हैं? दिलचस्पी दिखायी जाने पर क्या आप वापस जा रहे हैं और गृह बाइबल अध्ययन संचालित करने का प्रस्ताव रख रहे हैं? क्या आप पूर्ण रूप से अपनी सेवकाई को संपन्न कर रहे हैं?—प्रेरितों २०:२१; २ तीमुथियुस ४:५ से तुलना कीजिए.
२३. क्योंकि यहोवा देखता है कि हम उसकी सेवा में क्या कर रहे हैं, हमारे संदर्भ में क्या प्रत्यक्ष होना चाहिए?
२३ ऐसा हो कि हम सब अपनी सेवकाई ऐसी रीति से करें जो यहोवा को साफ़-साफ़ दिखाती है कि इस महत्त्वपूर्ण समय में उसके गवाह होने के महान विशेषाधिकार का हम सचमुच मूल्यांकन करते हैं। ऐसा हो कि जब यहोवा भ्रष्ट पुरानी व्यवस्था पर न्यायदंड लाता है और यीशु मसीह का महिमावान् सहस्राब्दिक शासन शुरू करता है, तब उसके चश्मदीद गवाह होना हमारा विशेषाधिकार हो!
[फुटनोट]
a दशक १९९० के आरंभिक वर्षों में पृथ्वी को जिस प्रकार विभाजित किया गया था उसके अनुसार गिनती की गयी है।
पुनर्विचार
▫ राज्य संदेश का प्रचार करना इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है?
▫ वर्ष १९१४ तक सुसमाचार का प्रचार किस हद तक हो चुका था?
▫ राज्य की स्थापना के बाद से कितनी विस्तृत गवाही दी गयी है?
▫ क्या चीज़ शायद सेवकाई में स्वयं हमारा हिस्सा ज़्यादा उत्पादक बनाए?
[पेज 22, 23 पर बक्स]
यहोवा के गवाह परमेश्वर के राज्य के उद्घोषक
वर्ष १९९३-९४ के दौरान संसार-भर में सैकड़ों अधिवेशनों में एक पुस्तक के रिलीज़ की घोषणा की गयी थी। इस पुस्तक का नाम है यहोवा के गवाह—परमेश्वर के राज्य के उद्घोषक। यह यहोवा के गवाहों का सबसे ज्ञानप्रद, विस्तृत इतिहास है। इस पुस्तक में ७५२-पृष्ठ हैं और यह ९६ भिन्न देशों से एकत्रित की गयी एक हज़ार से ज़्यादा तस्वीरों द्वारा सुचित्रित है। वर्ष १९९३ के अन्त तक यह पहले ही २५ भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी थी और अन्य भाषाओं में इसका अनुवाद हो रहा है।
क्या बात एक ऐसी पुस्तक को समयोचित बनाती है? हाल ही के वर्षों में लाखों लोग यहोवा के गवाह बने हैं। उन सभी को उस संगठन के इतिहास के बारे में अच्छी तरह जानकारी होनी चाहिए जिसके साथ वे सम्बन्ध रखते हैं। इसके अतिरिक्त, उनका प्रचार और उपासना का तरीक़ा संसार-भर में राष्ट्रीय और प्रजातीय समूहों में प्रवेश कर गया है। इन्हें हर आर्थिक और शैक्षिक स्तर पर जवान और बूढ़े लोगों ने अपनाया है। फलस्वरूप, जो हो रहा है उसे देखते हुए अनेक लोगों के पास गवाहों के बारे में प्रश्न हैं। ये प्रश्न केवल उनके विश्वासों के बारे में ही नहीं बल्कि उनके आरंभ, उनके इतिहास, उनके संगठन और उनके उद्देश्यों के बारे में भी हैं। अन्य लोगों ने उनके बारे में लिखा है लेकिन हमेशा निष्पक्ष रूप से नहीं। लेकिन, यहोवा के गवाहों का आधुनिक इतिहास स्वयं गवाहों से बेहतर कोई नहीं जानता। इस पुस्तक के सम्पादकों ने उस इतिहास को एक निष्पक्ष और निष्कपट ढंग से प्रस्तुत करने की कोशिश की है। ऐसा करते हुए, उन्होंने मत्ती २४:१४ में अभिलिखित मसीह की उपस्थिति के चिह्न के अति महत्त्वपूर्ण पहलू की अब तक हुई पूर्ति को भी लिखा है। उन्होंने यह विस्तृत वर्णन के साथ किया है जो केवल वही कर सकते हैं जो मत्ती में पूर्वबताए कार्य में पूरी तरह अंतर्ग्रस्त हैं।
यह पुस्तक सात मुख्य भागों में विभाजित है:
भाग १: यह हिस्सा यहोवा के गवाहों की ऐतिहासिक जड़ों की खोज करता है। इसमें १८७० से लेकर १९९२ तक उनके आधुनिक-दिन के इतिहास का संक्षिप्त और ज्ञानप्रद सारांश सम्मिलित है।
भाग २: इसमें उन विश्वासों के प्रगतिशील विकास का एक अर्थपूर्ण पुनर्विचार है जो यहोवा के गवाहों को अन्य धार्मिक समूहों से अलग करते हैं।
भाग ३: पुस्तक का यह भाग उनकी संगठन संरचना के विकास की जाँच करता है। यह उनकी कलीसिया सभाओं और अधिवेशनों के बारे में, साथ ही जिस तरीक़े से वे राज्यगृहों, बड़े सम्मेलन गृहों, और बाइबल साहित्य का प्रकाशन करने के लिए सहूलियतों का निर्माण करते हैं, उसके बारे में रुचिकर तथ्य बताता है। यह उस जोश को व्यक्त करता है जिसके साथ यहोवा के गवाह परमेश्वर के राज्य की उद्घोषणा करते हैं और उस प्रेम को व्यक्त करता है जो तब प्रकट होता है जब वे संकट के समय में एक दूसरे की परवाह करते हैं।
भाग ४: यहाँ आपको यह मोहक वर्णन मिलेगा कि किस तरह परमेश्वर के राज्य की उद्घोषणा पृथ्वी के प्रमुख देशों और दूरस्थ द्वीपों तक पहुँची है। ज़रा कल्पना कीजिए—वर्ष १९१४ में ४३ देशों में प्रचार करना, लेकिन १९९२ तक २२९ देशों में! इस विश्वव्यापी विस्तार में भाग लेनेवाले व्यक्तियों के अनुभव सचमुच प्रोत्साहक हैं।
भाग ५: दो सौ से अधिक भाषाओं में बाइबल और बाइबल साहित्य प्रकाशित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहूलियतों का विकास आवश्यक बना है ताकि राज्य उद्घोषणा का यह कार्य पूरा हो सके। यहाँ आप उनके कार्य के इस पहलू के बारे में जानेंगे।
भाग ६: गवाहों ने संकटों का भी सामना किया है—कुछ मानवी अपरिपूर्णता के कारण, अन्य संकट झूठे भाइयों के कारण, और इससे भी कहीं अधिक सीधे सताहट के कारण। परमेश्वर के वचन ने चेतावनी दी थी कि ऐसा होगा। (लूका १७:१; २ तीमुथियुस ३:१२; १ पतरस ४:१२; २ पतरस २:१, २) पुस्तक का यह भाग सजीव रूप से बताता है कि असल में क्या हो चुका है और कैसे यहोवा के गवाहों के विश्वास ने उन्हें विजयी होने में समर्थ किया।
भाग ७: समाप्ति में, पुस्तक इस बात पर विचार करती है कि क्यों यहोवा के गवाह दृढ़ता से विश्वस्त हैं कि जिस संगठन के वे भाग हैं उसका नेतृत्व सचमुच परमेश्वर कर रहा है। यह पुस्तक इस पर भी चर्चा करती है कि क्यों वे संगठनात्मक और व्यक्तिगत रूप से जागते रहने की ज़रूरत महसूस करते हैं।
इसके अतिरिक्त, आकर्षक रूप से डिज़ाइन की गयी इस पुस्तक में रंगीन तस्वीरों का एक सुंदर और बहुत ज्ञानप्रद ५०-पृष्ठवाला भाग भी है जो विश्व मुख्यालय और विश्वभर में यहोवा के गवाहों द्वारा इस्तेमाल की जा रही शाखा सहूलियतों को दिखाता है।
यदि आप ने अभी तक ऐसा नहीं किया है तो आप निश्चित ही इस सम्मोहक प्रकाशन की एक प्रति प्राप्त करके पढ़ने से लाभ उठाएँगे।
जिन्होंने इसे पढ़ा है उनमें से कुछ की टिप्पणियाँ
जो व्यक्ति पहले ही इस पुस्तक को पढ़ चुके हैं उनकी प्रतिक्रियाएँ क्या हैं? यहाँ कुछ दी गयी हैं:
“मैं ने अभी ही सम्मोहक, सजीव वृत्तचित्र यहोवा के गवाह—परमेश्वर के राज्य के उद्घोषक पढ़कर समाप्त किया है। केवल वही संगठन जो निष्ठापूर्वक और नम्रतापूर्वक सच्चाई को समर्पित है इतनी स्पष्टता, साहस और भावुकता के साथ लिख सकता था।”
“यह पढ़ने में प्रेरितों की पुस्तक के समान लगती है। यह ईमानदारी और सच्चाई से लिखी गई है।”
“क्या ही जिज्ञासा उत्पन्न करनेवाला नया प्रकाशन! . . . यह एक ऐतिहासिक ग्रन्थरत्न है।”
लगभग आधी पुस्तक पढ़ने के बाद, एक व्यक्ति ने लिखा: “मैं विस्मयाकुल और आश्चर्यचकित हो गया, मेरी आँखों में आंसू आनेवाले थे। . . . मेरे इतने वर्षों में, अन्य कोई भी प्रकाशन भावात्मक रूप से इतना प्रेरक नहीं था।”
“हर बार जब मैं सोचता हूँ कि कैसे यह पुस्तक युवाओं का और आज संगठन में आ रहे नए व्यक्तियों का विश्वास मज़बूत करेगी तो मेरा हृदय गा उठता है।”
“मैं ने सच्चाई का हमेशा मूल्यांकन किया है, लेकिन इस पुस्तक को पढ़ने से मेरी आँखें खुल गयी हैं। इसने मुझे पहले से कहीं ज़्यादा इस बात का एहसास करने में मदद दी है कि इस सब के पीछे यहोवा की पवित्र आत्मा है।”
[पेज 24 पर तसवीरें]
जब गवाह एक छोटी संख्या में थे तब भी अनेक लोगों तक राज्य संदेश पहुँचाया गया