बाइबल की प्रार्थनाएँ जाँचने के योग्य हैं
एक चिन्तित स्त्री, एक राजा, और ख़ुद परमेश्वर के पुत्र द्वारा की गयी प्रार्थनाओं की अब हम जाँच करेंगे। प्रत्येक प्रार्थना को भिन्न परिस्थितियों ने प्रेरित किया। फिर भी, ऐसी स्थितियाँ आज हमें प्रभावित कर सकती हैं। इन उदाहरणों से हम क्या सीख सकते हैं?
‘अपनी दासी के दुःख पर दृष्टि कर’
क्या आप एक चिरस्थायी समस्या से संघर्ष कर रहे हैं? या क्या आप चिन्ता के बोझ तले दब गए हैं? तो फिर आपकी स्थिति काफ़ी कुछ वैसी है जैसी अपने पहले बच्चे शमूएल को जन्म देने से पहले हन्ना की थी। वह निःसंतान थी और दूसरी स्त्री उसे ताना मारती थी। असल में, हन्ना की स्थिति ने उसे इतना दुःखित और चिन्तित किया कि वह खाना न खाती। (१ शमूएल १:२-८, १५, १६) उसने यहोवा से विनती की और यह याचना की:
“हे सेनाओं के यहोवा, यदि तू अपनी दासी के दुःख पर सचमुच दुष्टि करे, और मेरी सुधि ले, और अपनी दासी को भूल न जाए, और अपनी दासी को पुत्र दे, तो मैं उसे उसके जीवन भर के लिये यहोवा को अर्पण करूंगी, और उसके सिर पर छुरा फिरने न पाएगा।”—१ शमूएल १:११.
ध्यान दीजिए कि हन्ना ने अस्पष्ट बात नहीं की। उसने यहोवा को एक स्पष्ट अनुरोध (पुत्र के लिए अनुरोध) से सम्बोधित किया और इसके साथ एक निश्चित संकल्प (उसे परमेश्वर की सेवा के लिए उपलब्ध कराने का संकल्प) किया। यह प्रार्थना हमें क्या सिखाती है?
जब आप तकलीफ़ में हैं, तो प्रार्थना में अपनी समस्याओं का स्पष्ट रूप से उल्लेख कीजिए। चाहे आपकी समस्या जो भी हो—चाहे यह आपकी घरेलू स्थिति हो, अकेलापन हो, या ख़राब स्वास्थ्य हो—इसके बारे में यहोवा से प्रार्थना कीजिए। अपनी मुश्किल का ठीक स्वरूप और आप कैसा महसूस करते हैं यह उसे विस्तार से बताइए। “हर शाम मैं अपनी सारी परेशानियाँ यहोवा को सौंप देती हूँ,” लूईज़ नामक एक विधवा कहती है। “कभी-कभी अनेक परेशानियाँ होती हैं, लेकिन मैं हर एक का उल्लेख स्पष्ट रूप से करती हूँ।”
यहोवा से सुनिश्चित शब्दों में बात करने से लाभ प्राप्त होते हैं। ऐसा करना हमें अपनी समस्या की स्पष्ट समझ प्राप्त करने में मदद करता है, जो उसके बाद शायद कम विकट लगे। सुस्पष्ट प्रार्थनाएँ करना हमें चिन्ता से मुक्त करता है। उसकी प्रार्थना का जवाब दिए जाने से पहले ही, हन्ना ने आश्वस्त महसूस किया और “उसका मुंह फिर उदास न रहा।” (१ शमूएल १:१८) इसके अतिरिक्त, सुनिश्चित होना हमें अपनी प्रार्थना के जवाब की पहचान करने के लिए सतर्क रहने में मदद करता है। “जितने ज़्यादा सुनिश्चित शब्दों में मैं अपनी प्रार्थनाएँ करता हूँ,” जर्मनी से एक मसीही, बर्नहार्ट कहता है, “उतने ही स्पष्ट जवाब होते हैं।”
“मैं छोटा लड़का सा हूँ”
लेकिन, एक व्यक्ति को एक भिन्न क़िस्म की चिन्ता महसूस हो सकती है यदि उसे एक ऐसी कार्यनियुक्ति मिले जिसे सँभालने के लिए वह अयोग्य महसूस करता हो। क्या आप कभी-कभी यहोवा द्वारा आपको दी गयी ज़िम्मेदारी को लेकर अभिभूत होते हैं? या क्या कुछ लोग आपको आपकी कार्यनियुक्ति के लिए अनुपयुक्त मानते हैं? युवा सुलैमान उस स्थिति में था जब इस्राएल के राजा के तौर पर उसे अभिषिक्त किया गया। कुछ प्रमुख व्यक्ति चाहते थे कि कोई और सिंहासन पर बैठे। (१ राजा १:५-७, ४१-४६; २:१३-२२) अपने शासन के आरंभ में, सुलैमान ने प्रार्थना में एक अनुरोध किया:
“हे मेरे परमेश्वर यहोवा! तू ने अपने दास को . . . राजा किया है, परन्तु मैं छोटा लड़का सा हूं जो भीतर बाहर आना जाना नहीं जानता। . . . तू अपने दास को अपनी प्रजा का न्याय करने के लिये समझने की ऐसी शक्ति [सुननेहारा मन, फुटनोट] दे, कि मैं भले बुरे को परख सकूं।”—१ राजा ३:७-९.
सुलैमान ने अपनी प्रार्थना को यहोवा के साथ अपने रिश्ते पर, उसे दिए गए विशेषाधिकार पर और उस कार्यनियुक्ति को पूरा करने के लिए अपनी योग्यता पर केंद्रित किया। समान तरीक़े से, जब कभी हमें ऐसी ज़िम्मेदारी दी जाती है जो हमें लगता है कि हमारी योग्यता से परे है, तो हमें परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह कार्य करने के लिए हमें सज्जित करे। निम्नलिखित अनुभवों पर ध्यान दीजिए:
“जब वॉच टावर संस्था के शाखा दफ़्तर में ज़्यादा बड़ी ज़िम्मेदारी को सँभालने के लिए मुझसे कहा गया,” यूजीन समझाता है, “मैं पूर्णतया अयोग्य महसूस कर रहा था। दूसरे लोग मौजूद थे जो ज़्यादा योग्य थे और उन्हें मुझ से कहीं ज़्यादा अनुभव था। अगली दो रातें मैं बहुत कम सोया, ज़्यादातर समय प्रार्थना में बिताया, जिससे मुझे बल और आवश्यक आश्वासन मिला।”
रॉय को एक युवा मित्र की आकस्मिक और दुःखद मृत्यु के बाद दफ़न भाषण देने के लिए कहा गया। उसका मित्र काफ़ी लोकप्रिय रहा था। सैकड़ों व्यक्ति निश्चय ही उपस्थित होते। रॉय ने क्या किया? बल के लिए और “प्रोत्साहक विचारों को व्यक्त करने और सांत्वना देने के लिए सही शब्दों को पाने की योग्यता के लिए मैं ने विरले ही इतनी प्रार्थना की है।”
जैसे-जैसे सृष्टिकर्ता ‘सब कुछ शीघ्रता से पूरा करता है’ और जैसे-जैसे उसका संगठन विस्तृत होता है, इसका स्वाभाविक परिणाम यह है कि उसके ज़्यादा सेवकों को ज़िम्मेदारी सौंपी जा रही है। (यशायाह ६०:२२) यदि आपको ज़्यादा भाग निभाने के लिए कहा जाता है, तो आश्वस्त रहिए कि आपके अनुभव, प्रशिक्षण, या योग्यता में किसी भी कमी को यहोवा पूरा कर सकता है। परमेश्वर के सम्मुख उसी प्रकार आइए जैसे सुलैमान आया था, और वह आपको उस कार्यनियुक्ति को पूरा करने के लिए सज्जित करेगा।
“कि वे सब एक हों”
एक तीसरी स्थिति जो आज पैदा होती है वह है जब प्रार्थना में एक समूह का प्रतिनिधित्व करने की माँग की जाती है। जब दूसरों की ओर से प्रार्थना करने के लिए अनुरोध किया जाता है, तो हमें किस बात के लिए प्रार्थना करनी चाहिए? यूहन्ना १७ अध्याय में अभिलिखित यीशु की प्रार्थना पर ध्यान दीजिए। मनुष्य के तौर पर अपनी आख़िरी शाम को, अपने चेलों की उपस्थिति में उसने यह प्रार्थना की। उसने अपने स्वर्गीय पिता से किस प्रकार के निवेदन किए?
यीशु ने उपस्थित जनों के सामान्य लक्ष्यों और समान आशा पर ज़ोर दिया। उसने यहोवा परमेश्वर के नाम की महिमा का और राज्य का प्रचार किए जाने का उल्लेख किया। शास्त्रवचनों के ज्ञान पर आधारित, पिता और पुत्र के साथ एक व्यक्तिगत सम्बन्ध के महत्त्व पर यीशु ने ज़ोर दिया। उसने संसार से अलग होने की बात की, जो उसके अनुयायियों को विरोध के लिए तैयार करता। मसीह ने चेलों की रक्षा करने और उन्हें सच्ची उपासना में एक करने के लिए भी अपने पिता से प्रार्थना की।
जी हाँ, यीशु ने एकता पर ज़ोर दिया। (यूहन्ना १७:२०, २१) उसी शाम कुछ समय पहले, चेले किसी बचकाने झगड़े में लग गए थे। (लूका २२:२४-२७) लेकिन, प्रार्थना में मसीह ने उनकी निन्दा करने की नहीं बल्कि उन्हें एक करने की कोशिश की। समान तरीक़े से, पारिवारिक और कलीसिया प्रार्थनाओं में प्रेम को बढ़ावा मिलना चाहिए और व्यक्तियों के बीच मतभेदों को दूर करने की कोशिश होनी चाहिए। जिनका प्रतिनिधित्व किया जा रहा है उन्हें एकता में एकसाथ क़रीब आना चाहिए।—भजन १३३:१-३.
यह एकता तब प्रदर्शित होती है जब सुननेवाले समाप्ति में “आमीन,” अर्थात् “ऐसा ही हो” कहते हैं। ऐसा संभव होने के लिए, उन्हें कही गयी हर बात को समझना और उससे सहमत होना चाहिए। इसलिए, यह अनुपयुक्त होगा कि प्रार्थना में एक ऐसे विषय का उल्लेख करें जिससे कुछ उपस्थित जन अनजान हों। उदाहरण के लिए, एक प्राचीन जो प्रार्थना में कलीसिया का प्रतिनिधित्व कर रहा है, शायद एक आध्यात्मिक भाई या बहन पर जो गंभीर रूप से बीमार है यहोवा की आशीष माँगे। लेकिन सामान्यतः ऐसा करना सिर्फ़ तभी सबसे अच्छा होगा, जब प्रतिनिधित्व किए जानेवाले अधिकांश लोग उस व्यक्ति को जानते हैं और उन्होंने उसकी बीमारी के बारे में सुना है।
इस पर भी ध्यान दीजिए कि यीशु ने उस समूह के प्रत्येक सदस्य की व्यक्तिगत ज़रूरतों की सूची नहीं दी। ऐसा करने में व्यक्तिगत मामलों का भी उल्लेख करना अंतर्ग्रस्त होता जिसकी जानकारी सिर्फ़ चंद लोगों को ही होती। व्यक्तिगत चिन्ताएँ निजी प्रार्थना के लिए एक उचित विषय हैं, जो जितनी चाहे उतनी लंबी और अंतरंग हो सकती है।
एक व्यक्ति को उपासकों के एक बड़े समूहन का प्रार्थना में प्रतिनिधित्व करने के लिए अपने आपको कैसे तैयार करना चाहिए? एक अनुभवी मसीही समझाता है: “मैं पहले से ही विचार कर लेता हूँ कि किन बातों के लिए धन्यवाद दिया जाए, भाइयों के क्या अनुरोध हो सकते हैं और उनकी ओर से मैं कौन-से निवेदनों का उल्लेख कर सकता हूँ। मैं अपने विचारों को, जिनमें स्तुति की अभिव्यक्तियाँ भी सम्मिलित होती हैं अपने मन में सही क्रम में रखता हूँ। सार्वजनिक प्रार्थना करने से पहले, मैं एक मौन प्रार्थना करता हूँ, और मदद माँगता हूँ कि भाइयों का प्रतिनिधित्व गरिमायुक्त तरीक़े से करूँ।”
चाहे आपकी परिस्थितियाँ जो भी हों, संभवतः आप बाइबल में एक प्रार्थना पाएँगे जो आपकी जैसी स्थिति में किसी के द्वारा की गयी। शास्त्रवचनों की प्रार्थनाओं की विविधता परमेश्वर की प्रेमपूर्ण-कृपा का प्रमाण है। इन प्रार्थनाओं को पढ़ना और इन पर मनन करना आपकी प्रार्थनाओं को अधिक अर्थपूर्ण बनाने में मदद करेगा।
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बाइबल में उल्लेखनीय प्रार्थनाएँ
यहोवा के सेवकों ने अनेक परिस्थितियों में प्रार्थनाएँ कीं। क्या आप निम्नलिखित स्थितियों में से एक या अधिक स्थितियों में अपनी कल्पना कर सकते हैं?
क्या आपको एलीएजेर की तरह परमेश्वर से मार्गदर्शन की ज़रूरत है?—उत्पत्ति २४:१२-१४.
क्या आप याकूब की तरह सन्निकट ख़तरे में हैं?—उत्पत्ति ३२:९-१२.
क्या आप मूसा की तरह परमेश्वर को बेहतर तरीक़े से जानना चाहते हैं?—निर्गमन ३३:१२-१७.
क्या आप एलिय्याह की तरह विरोधियों का सामना कर रहे हैं?—१ राजा १८:३६, ३७.
क्या आपके लिए प्रचार करना मुश्किल है, जैसे यिर्मयाह के लिए था?—यिर्मयाह २०:७-१२.
क्या आपको दानिय्येल की तरह पापों को क़बूल करने और माफ़ी माँगने की ज़रूरत है?—दानिय्येल ९:३-१९.
क्या आप यीशु के चेलों की तरह सताहट का सामना करते हैं?—प्रेरितों ४:२४-३१.
मत्ती ६:९-१३; यूहन्ना १७:१-२६; फिलिप्पियों ४:६, ७; याकूब ५:१६ भी देखिए।
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पुरानी आदत से संघर्ष करते वक़्त किस बात के लिए प्रार्थना करें
क्या आप बार-बार उठनेवाली कमज़ोरी के विरुद्ध संघर्ष कर रहे हैं? बाइबल में अभिलिखित प्रार्थनाएँ कैसे लाभ पहुँचा सकती हैं? दाऊद से सीखिए, जिसने स्वयं अपनी कमज़ोरियों के सम्बन्ध में विभिन्न अवसरों पर प्रार्थना की।
दाऊद ने गाया: “हे ईश्वर, मुझे जांचकर जान ले! मुझे परखकर मेरी चिन्ताओं को जान ले!” (भजन १३९:२३) दाऊद की यह इच्छा थी कि यहोवा परमेश्वर अनुचित इच्छाओं, भावनाओं, या हेतुओं को जाँच निकाले। दूसरे शब्दों में, दाऊद ने पाप से बचने के लिए यहोवा की सहायता प्राप्त की।
लेकिन दाऊद की कमज़ोरियों ने उस पर विजय पायी, और उसने बहुत बड़े पैमाने पर पाप किया। फिर से, प्रार्थना ने उसकी सहायता की—इस बार परमेश्वर के साथ उसके रिश्ते को पुनःस्थापित करने के लिए। भजन ५१:२ के अनुसार, दाऊद ने विनती की: “मुझे भली भांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर!”
हम भी नम्रतापूर्वक यहोवा की सहायता के लिए प्रार्थना कर सकते हैं ताकि ग़लत झुकावों पर नियंत्रण रख सकें। यह हमें एक पुरानी कमज़ोरी पर विजय पाने के लिए बलवन्त करेगा और पाप से दूर रहने के लिए हमारी मदद कर सकता है। यदि पुनःपतन होता है, तो हमें फिर से यहोवा के सम्मुख इन निवेदनों के साथ जाना चाहिए कि वह हमें संघर्ष जारी रखने के लिए मदद दे।
[पेज 7 पर तसवीरें]
एक समूह की ओर से की गयी प्रार्थनाओं में शास्त्रीय आशाओं और सामान्य आध्यात्मिक लक्ष्यों पर ज़ोर दिया जाना चाहिए