प्रकाश-कौंधें—ज़्यादा और कम (भाग दो)
“तेरे प्रकाश के द्वारा हम प्रकाश पाएंगे।”—भजन ३६:९.
१. प्रकाशितवाक्य की पुस्तक के प्रतीकार्थों को समझने के लिए कौन-सा प्रारंभिक प्रयास किया गया था?
प्रकाशितवाक्य की बाइबल पुस्तक प्रारंभिक समयों से मसीहियों की जिज्ञासा उत्पन्न करती आयी है। यह एक उत्तम उदाहरण प्रदान करती है कि कैसे सत्य का प्रकाश अधिकाधिक बढ़ता है। वर्ष १९१७ में, यहोवा के लोगों ने प्रकाशितवाक्य की व्याख्या को द फ़िनिश्ड् मिस्ट्री (अंग्रेज़ी) पुस्तक में प्रकाशित किया। इस पुस्तक ने निडरतापूर्वक मसीहीजगत के धार्मिक और राजनैतिक नेताओं का पर्दाफ़ाश किया, लेकिन उसकी अनेक व्याख्याएँ विभिन्न स्रोतों से ली गयी थीं। फिर भी, द फ़िनिश्ड् मिस्ट्री (अंग्रेज़ी) ने यहोवा द्वारा प्रयोग किए जा रहे दृश्य माध्यम के प्रति बाइबल विद्यार्थियों की निष्ठा को परखने का कार्य किया।
२. लेख “जाति का जन्म” ने प्रकाशितवाक्य की पुस्तक पर कौन-सा प्रकाश डाला?
२ मार्च १, १९२५ की द वॉच टावर के लेख “जाति का जन्म” के प्रकाशन के साथ प्रकाशितवाक्य की पुस्तक पर एक उल्लेखनीय प्रकाश-कौंध चमकी। ऐसा सोचा गया था कि प्रकाशितवाक्य अध्याय १२ ने विधर्मी रोम और रोमन कैथोलिक चर्च के बीच हुए युद्ध को वर्णित किया, जिसमें बेटा पोपतंत्र का प्रतिनिधित्व कर रहा था। लेकिन उस लेख ने दिखाया कि प्रकाशितवाक्य ११:१५-१८; अध्याय १२ के अर्थ से सम्बद्ध था, जो सूचित करता है कि यह परमेश्वर के राज्य के जन्म से सम्बन्धित है।
३. प्रकाशितवाक्य पर कौन-से प्रकाशनों ने बढ़ता प्रकाश डाला?
३ इन सब बातों ने प्रकाशितवाक्य की ज़्यादा स्पष्ट समझ प्राप्त करवायी जो १९३० में, दो खण्डों में प्रकाश (अंग्रेज़ी) के प्रकाशन के साथ आयी। और ज़्यादा परिष्करण “बड़ा बाबुल गिर गया है!” परमेश्वर का राज्य शासन करता है! (अंग्रेज़ी, १९६३) और “तब परमेश्वर का रहस्य समाप्त होता है” (अंग्रेज़ी, १९६९) में प्रकाशित हुए। फिर भी, प्रकाशितवाक्य की भविष्यसूचक पुस्तक के बारे में और भी ज़्यादा सीखना बाक़ी था। जी हाँ, प्रकाशितवाक्य—इसकी महान् पराकाष्ठा निकट! (अंग्रेज़ी) के प्रकाशन से १९८८ में उस पर और भी अधिक प्रकाश चमका। यह तथ्य कि प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी “प्रभु के दिन” में लागू होती है, जो १९१४ से शुरू हुआ, इस प्रगतिशील प्रबोधन की कुँजी कही जा सकती है। (प्रकाशितवाक्य १:१०) इसलिए जैसे-जैसे वह दिन बढ़ता जाएगा, प्रकाशितवाक्य की पुस्तक और भी स्पष्ट रूप से समझी जाएगी।
“प्रधान अधिकारियों” की समझ स्पष्ट की गयी
४, ५. (क) बाइबल विद्यार्थियों ने रोमियों १३:१ को किस दृष्टिकोण से देखा? (ख) “प्रधान अधिकारियों” के सम्बन्ध में शास्त्रीय दृष्टिकोण के बारे में बाद में क्या देखा गया?
४ वर्ष १९६२ में रोमियों १३:१ से सम्बन्धित प्रकाश की एक तेज़ कौंध दिखाई दी, जो कहता है: “हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के आधीन रहे।” प्रारंभिक बाइबल विद्यार्थियों ने समझा कि वहाँ उल्लिखित ‘प्रधान अधिकारी’ सांसारिक अधिकारियों को सूचित करता है। उन्होंने इस शास्त्रवचन का यह अर्थ निकाला कि यदि एक मसीही युद्ध के समय चुना जाता है, तो वह वर्दी पहनने, बन्दूक उठाने, और युद्ध पर जाने, अर्थात् खन्दकों पर जाने के लिए बाध्य होगा। ऐसा महसूस किया गया कि चूँकि एक मसीही संगी मनुष्य को नहीं मार सकता, तब बुरी से बुरी परिस्थितियों के आने पर वह अपनी बन्दूक से हवा में गोली चलाने के लिए विवश होगा।a
५ नवम्बर १५ और दिसम्बर १, १९६२ की द वॉचटावर ने मत्ती २२:२१ में यीशु के शब्दों पर चर्चा करते वक़्त इस विषय पर स्पष्ट प्रकाश डाला: “जो कैसर का है, वह कैसर को; और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो।” प्रेरितों ५:२९ (NHT) में प्रेरितों के शब्द सुसंगत हैं: “हमारे लिए मनुष्यों की अपेक्षा परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना आवश्यक है।” मसीही कैसर—“प्रधान अधिकारियों”—के अधीन हैं बशर्ते कि यह एक मसीही से परमेश्वर के नियम के विरुद्ध कार्य करने की माँग नहीं करता। ऐसा देखा गया कि कैसर के प्रति अधीनता सापेक्षिक थी, ना कि पूर्ण। मसीही कैसर को केवल वही चीज़ें देते हैं जो परमेश्वर की माँगों के प्रतिकूल नहीं हैं। इस विषय पर स्पष्ट प्रकाश पाना कितना संतोषप्रद था!
संगठनात्मक विषयों पर प्रकाश-कौंध
६. (क) मसीहीजगत में प्रचलित धर्मतन्त्रीय संरचना से दूर हटने के लिए कौन-सा सिद्धान्त अपनाया गया? (ख) कलीसिया के निरीक्षण करनेवालों को चुनने के लिए कौन-से तरीक़े को अंततः ठीक समझा गया?
६ कलीसिया में प्राचीनों और डीकन के तौर पर किसे कार्य करना चाहिए, यह सवाल था। मसीहीजगत में प्रचलित धर्मतन्त्रीय संरचना से दूर हटने के लिए, यह निष्कर्ष निकाला गया कि इन्हें प्रत्येक कलीसिया के सदस्यों के मतदान द्वारा लोकतान्त्रिक रूप से चुना जाना चाहिए। लेकिन सितम्बर १ और अक्तूबर १५, १९३२ की द वॉचटावर में दिए गए बढ़ते प्रकाश ने दिखाया कि शास्त्र निर्वाचित प्राचीनों के लिए आधार नहीं देते। सो इनकी जगह सेवा कमेटी ने ले ली, और संस्था द्वारा एक सेवा निदेशक चुना गया।
७. कलीसिया में जिस तरीक़े से सेवकों की नियुक्ति होती थी, उस पर प्रकाश-कौंधें कौन-सी उन्नतियों में परिणित हुईं?
७ जून १ और जून १५, १९३८ की द वॉचटावर में प्रकाश-कौंधें थीं जिसमें दिखाया गया कि कलीसिया में सेवकों को नियुक्त, अर्थात् ईश्वरशासित तरीक़े से नियुक्त करना था, न कि उन्हें चुनना था। वर्ष १९७१ में प्रकाश की एक और कौंध ने दिखाया कि प्रत्येक कलीसिया केवल एक कलीसिया सेवक द्वारा निर्दिष्ट नहीं होनी थी। इसके बजाय, प्रत्येक कलीसिया में यहोवा के साक्षियों के शासी निकाय द्वारा नियुक्त प्राचीनों का एक निकाय, या ओवरसियर होना चाहिए। सो कुछ ४० से अधिक साल तक के बढ़ते प्रकाश द्वारा यह स्पष्ट हो गया कि प्राचीन साथ ही साथ डीकन्स्, जो अब सहायक सेवक के तौर पर जाने जाते हैं, की नियुक्ति अपने शासी निकाय के ज़रिए “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के द्वारा होनी चाहिए। (मत्ती २४:४५-४७) यह प्रेरितिक समयों में जो हुआ था उसके सामंजस्य में था। पहली-शताब्दी के शासी निकाय द्वारा तीमुथियुस और तीतुस जैसे पुरुष ओवरसियर के रूप में नियुक्त किए गए थे। (१ तीमुथियुस ३:१-७; ५:२२; तीतुस १:५-९) यह सब यशायाह ६०:१७ की उल्लेखनीय पूर्ति में है: “मैं पीतल की सन्ती सोना, लोहे की सन्ती चान्दी, लकड़ी की सन्ती पीतल और पत्थर की सन्ती लोहा लाऊंगा। मैं तेरे हाकिमों [अध्यक्ष, NW] को मेल-मिलाप और तेरे चौधरियों को धार्मिकता ठहराऊंगा।”
८. (क) संस्था जिस तरीक़े से संचालन करती थी, उस पर बढ़ती सच्चाई कौन-सी उन्नतियों में परिणित हुई? (ख) शासी निकाय की कौन-सी कमेटियाँ हैं, और गतिविधि या निरीक्षण के उनके अपने कार्यक्षेत्र कौन-से हैं?
८ वॉच टावर संस्था के संचालन का मामला भी था। कई सालों तक यहोवा के साक्षियों का शासी निकाय वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ऑफ पेन्सिल्वेनिया के निदेशक-मंडल के साथ समानार्थक था, और मामले ज़्यादातर उसके अध्यक्ष के हाथों में थे। जैसे यहोवा के साक्षियों की वार्षिकी १९७७ (पृष्ठ २५८-९) में दिखाया गया है, १९७६ में शासी निकाय ने छः कमेटियों द्वारा कार्य करना शुरू किया। प्रत्येक कमेटी विश्वव्यापी कार्य के कुछ पहलुओं की देखरेख के लिए नियुक्त थी। कार्यकर्त्ता कमेटी कार्मिक मामलों की देखरेख करती है, जिनमें विश्वव्यापी बेथेल परिवार में सेवा करनेवाले सब लोगों के हित सम्मिलित हैं। प्रकाशन कमेटी सभी लौकिक और कानूनी मामलों को सम्भालती है, जैसे कि संपत्ति और छपाई। सेवा कमेटी गवाही कार्य से सम्बन्धित है और सफ़री ओवरसियरों, पायनियरों, और कलीसिया प्रकाशकों की गतिविधियों का निरीक्षण करती है। शिक्षण कमेटी कलीसिया सभाओं, ख़ास सम्मेलन दिनों, सर्किट सम्मेलनों, और ज़िला तथा अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशनों के साथ-साथ परमेश्वर के लोगों की आध्यात्मिक शिक्षा के विभिन्न स्कूलों के लिए ज़िम्मेदार है। लिखाई कमेटी सब तरह के प्रकाशनों की तैयारी और अनुवाद का निरीक्षण करती है, और यह निश्चित करती है कि सब कुछ शास्त्र के सामंजस्य में है। अध्यक्ष कमेटी आपात स्थितियों और अन्य अत्यावश्यक मामलों की देखरेख करती है। साथ ही १९७० के दशक में, वॉच टावर संस्था के शाखा कार्यालय, एक ओवरसियर के बजाय एक कमेटी द्वारा निर्देशित किए जाने लगे।b
मसीही आचरण से सम्बन्धित प्रकाश
९. संसार की सरकारों के साथ मसीहियों के सम्बन्ध को सत्य के प्रकाश ने कैसे प्रभावित किया?
९ प्रकाश की अनेक कौंधें मसीही आचरण से सम्बन्ध रखती हैं। उदाहरण के लिए, तटस्थता के विषय पर ग़ौर कीजिए। इस विषय पर नवम्बर १, १९३९ की द वॉचटावर में प्रकाशित होनेवाले “तटस्थता” लेख में प्रकाश की एक ख़ासकर तेज़ कौंध चमकी। दूसरे विश्वयुद्ध के शुरू होने के ठीक बाद में प्रकाशित होने की वजह से वह कितना समयोचित था! लेख ने तटस्थता को परिभाषित किया और दिखाया कि मसीहियों को राजनैतिक मामलों में या राष्ट्रों के बीच संघर्षों में उलझना नहीं चाहिए। (मीका ४:३, ५; यूहन्ना १७:१४, १६) यह एक कारण है कि सब जातियाँ उनसे बैर रखती हैं। (मत्ती २४:९) प्राचीन इस्राएल की लड़ाइयाँ मसीहियों के लिए कोई मिसाल प्रदान नहीं करतीं, जैसे यीशु मत्ती २६:५२ में स्पष्ट करता है। इसके अतिरिक्त, आज कोई भी राजनैतिक राष्ट्र ईश्वरशासित, यानी परमेश्वर द्वारा शासित नहीं है जैसे कि प्राचीन इस्राएल था।
१०. मसीहियों का लहू के प्रति कैसा दृष्टिकोण होना चाहिए, इसके बारे में प्रकाश-कौंधों ने क्या प्रकट किया?
१० लहू की पवित्रता पर भी प्रकाश चमका। कुछ बाइबल विद्यार्थियों ने सोचा कि प्रेरितों १५:२८, २९ में दी गयी लहू के सेवन के विरोध में मनाही यहूदी मसीहियों तक ही सीमित थी। लेकिन, प्रेरितों २१:२५ दिखाता है कि प्रेरितिक समयों में यह आदेश जातियों के उन लोगों पर भी लागू किया गया था जो विश्वासी बन गए। सो लहू की पवित्रता सभी मसीहियों पर लागू होती है, जैसे कि जुलाई १, १९४५ की द वॉचटावर में दिखाया गया है। इसका मतलब न केवल जानवर का लहू खाने से इनकार करना है, जैसे रक्त-सॉसेज में, बल्कि मानवी लहू से भी परे रहना है, जैसे रक्ताधान के मामले में।
११. तम्बाकू के प्रयोग पर मसीही के दृष्टिकोण के बारे में क्या देखा गया?
११ बढ़ते प्रकाश के कारण, जिन आदतों पर पहले केवल नाक-भौं सिकोड़ी जाती थी, उन पर बाद में गम्भीर अपराध के रूप में कार्यवाही की जाती थी। इसका एक उदाहरण तम्बाकू के प्रयोग के सम्बन्ध में था। अगस्त १, १८९५ की ज़ाएन्स वॉच टावर में, भाई रस्सल ने १ कुरिन्थियों १०:३१ और २ कुरिन्थियों ७:१ की ओर ध्यान निर्दिष्ट किया और लिखा: “मैं समझ नहीं सकता कि किसी मसीही के लिए, किसी भी रूप में तम्बाकू का प्रयोग करना कैसे परमेश्वर की महिमा के लिए, या ख़ुद के लाभ के लिए होगा।” वर्ष १९७३ से यह स्पष्ट रूप से समझा जा चुका है कि तम्बाकू का प्रयोग करनेवाला कोई भी व्यक्ति यहोवा का एक साक्षी नहीं हो सकता। वर्ष १९७६ में यह स्पष्ट किया गया था कि कोई साक्षी जूएघर में कार्यरत होने के साथ-साथ कलीसिया में नहीं रह सकता।
अन्य परिष्करण
१२. (क) पतरस को सुपुर्द की गयी राज्य की कुँजियों की संख्या के बारे में प्रकाश की एक कौंध ने क्या प्रकट किया? (ख) जब पतरस ने प्रत्येक कुँजी को प्रयोग किया तब कौन-सी परिस्थितियाँ थीं?
१२ यीशु द्वारा पतरस को दी गयी प्रतीकात्मक कुँजियों की संख्या पर भी अधिक प्रकाश डाला गया। बाइबल विद्यार्थी विश्वास करते थे कि पतरस ने दो कुँजियाँ प्राप्त कीं जिससे लोगों के लिए राज्य वारिस बनने का मार्ग खुला—एक कुँजी यहूदियों के लिए सा.यु. पिन्तेकुस्त के दिन प्रयोग की गयी, और दूसरी कुँजी अन्यजातियों के लिए, जो सा.यु. ३६ में पहली बार प्रयोग की गयी जब पतरस ने कुरनेलियुस को प्रचार किया। (प्रेरितों २:१४-४१; १०:३४-४८) समय आने पर, यह देखा गया कि इसमें एक तीसरा समूह सम्मिलित था—सामरी लोग। उनके लिए राज्य अवसर खोलने के लिए पतरस ने दूसरी कुँजी का प्रयोग किया। (प्रेरितों ८:१४-१७) इस प्रकार, तीसरी कुँजी प्रयोग की गयी जब पतरस ने कुरनेलियुस को प्रचार किया।—द वॉचटावर, अक्तूबर १, १९७९, पृष्ठ १६-२२, २६.
१३. यूहन्ना अध्याय १० में उल्लिखित भेड़शालाओं के बारे में प्रकाश-कौंधों ने क्या प्रकट किया?
१३ प्रकाश की एक दूसरी किरण से, यह देखा गया कि यीशु ने न केवल दो बल्कि तीन भेड़शालाओं का उल्लेख किया। (यूहन्ना, अध्याय १०) ये थीं (१) यहूदी भेड़शाला जिसका द्वारपाल यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला था, (२) अभिषिक्त राज्य वारिसों की शाला, और (३) ‘अन्य भेड़ों’ की शाला, जिनकी एक पार्थिव आशा है।—यूहन्ना १०:२, ३, १५, १६, NW; प्रहरीदुर्ग, अक्तूबर १, १९८४, पृष्ठ १९-२८.
१४. प्रतिप्ररूपी जुबली की शुरूआत के विषय को बढ़ते प्रकाश ने कैसे स्पष्ट किया?
१४ प्रतिप्ररूपी जुबली की समझ पर भी कुछ स्पष्टीकरण प्राप्त हुआ। व्यवस्था के अधीन, हर ५०वाँ साल एक महान जुबली थी, जिसमें चीज़ों को उनके प्रारंभिक स्वामियों को लौटाया जाता था। (लैव्यव्यवस्था २५:१०) यह काफ़ी समय से समझा गया था कि यह मसीह के हज़ार वर्ष के राज्य का पूर्वसंकेत था। लेकिन, कुछ ही समय पहले, यह देखा गया कि यह प्रतिप्ररूपी जुबली वास्तव में सा.यु. ३३ के पिन्तेकुस्त के दिन शुरू हुई थी, जब उण्डेली गयी पवित्र आत्मा प्राप्त करनेवाले जन मूसा की व्यवस्था वाचा के बन्धन से मुक्त हो गए।—प्रहरीदुर्ग, जून १, १९८७, पृष्ठ १६-२६.
शब्दावली पर बढ़ता प्रकाश
१५. शब्द “योजना” के प्रयोग पर क्या प्रकाश डाला गया?
१५ “उपदेशक ने मनोहर शब्द प्राप्त करने, तथा सच्चाई के वचन शुद्ध रूप में लिखने के प्रयास किए।” (सभोपदेशक १२:१०, NHT) ये शब्द हमारे वर्तमान विषय ‘प्रकाश-कौंधों’ पर भली-भाँति लागू हो सकते हैं, क्योंकि प्रकाश न सिर्फ़ सिद्धान्त और आचरण जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर चमका है, बल्कि मसीही शब्दावली और उसके यथार्थ अर्थ पर भी चमका है। उदाहरण के लिए, बाइबल विद्यार्थियों के मध्य सबसे प्रिय प्रकाशन था शास्त्र में अध्ययन (अंग्रेज़ी) का पहला खण्ड, जिसका शीर्षक है युगों के लिए ईश्वरीय योजना। लेकिन, समय आने पर, यह समझा गया कि परमेश्वर का वचन कहता है कि केवल मनुष्य ही योजना बनाते हैं। (नीतिवचन १९:२१) शास्त्र कभी भी यहोवा के बारे में यह नहीं कहते कि वह योजना बनाता है। उसे योजना बनाने की ज़रूरत नहीं है। वह जो भी उद्देश्य करता है वह उसकी असीम बुद्धि और शक्ति के कारण निश्चय ही सफल होगा। जैसा कि हम इफिसियों १:९, १० में यों पढ़ते हैं: ‘उस ने अपने आप में ठान लिया [उद्देश्य किया, NW] था कि समयों के पूरे होने का ऐसा प्रबन्ध हो।’ सो यह आहिस्ता-आहिस्ता देखा गया कि शब्द “उद्देश्य” यहोवा का ज़िक्र करते वक़्त ज़्यादा उपयुक्त है।
१६. लूका २:१४ की सही समझ के बारे में आहिस्ता-आहिस्ता क्या देखा गया?
१६ फिर लूका २:१४ की ज़्यादा स्पष्ट समझ पाने की बात थी। किंग जेम्स् वर्शन (अंग्रेज़ी) के अनुसार, वह यों कहता है: “ऊँचे आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर मनुष्यों के प्रति शान्ति, सद्भावना हो।” ऐसा देखा गया कि यह सही विचार को व्यक्त नहीं कर रहा था, क्योंकि परमेश्वर की सद्भावना दुष्ट के प्रति व्यक्त नहीं होती। इसलिए साक्षियों ने इसे उन मनुष्यों के लिए शान्ति का विषय समझा जिनकी परमेश्वर के प्रति सद्भावना है। सो जो व्यक्ति बाइबल में दिलचस्पी रखते थे वे उनका ज़िक्र सद्भावी व्यक्तियों के तौर पर करते रहे। लेकिन बाद में यह समझा गया कि इसमें मनुष्यों की तरफ़ से नहीं, बल्कि परमेश्वर की तरफ़ से सद्भावना सम्मिलित थी। अतः, लूका २:१४ पर नया संसार अनुवाद (अंग्रेज़ी) फुटनोट कहता है, “मनुष्य जिन्हें वह [परमेश्वर] स्वीकार करता है।” सभी मसीही जो अपने समर्पण की प्रतिज्ञा के सामंजस्य में जीते हैं, उन्हें परमेश्वर की सद्भावना प्राप्त है।
१७, १८. यहोवा क्या दोषनिवारित करेगा, और वह क्या पवित्र करेगा?
१७ समान रूप से, काफ़ी समय तक साक्षियों ने यहोवा के नाम के दोषनिवारण के बारे में बात की थी। लेकिन क्या शैतान ने परमेश्वर के नाम पर संदेह प्रकट किया था? उस विषय के सम्बन्ध में, क्या शैतान के किसी कर्त्ता ने ऐसा किया था, मानो यहोवा का उस नाम पर कोई अधिकार ही न हो? जी नहीं, निश्चय ही नहीं। यह यहोवा का नाम नहीं था जिसे चुनौती दी गयी थी और जिसका दोषनिवारण करने की ज़रूरत थी। इसीलिए वॉच टावर संस्था के हाल के प्रकाशन यहोवा के नाम के बारे में कहते वक़्त दोषनिवारण इस्तेमाल नहीं करते हैं। वे कहते हैं कि यहोवा की सर्वसत्ता का दोषनिवारण और उसके नाम का पवित्रीकरण किया जाना है। यह उस बात के सामंजस्य में है जिसके बारे में यीशु ने हमें प्रार्थना करने के लिए कहा: “तेरा नाम पवित्र माना जाए।” (मत्ती ६:९, तिरछे टाइप हमारे।) बारंबार, यहोवा ने कहा है कि वह अपने नाम को पवित्र करेगा, जिसे इस्राएलियों ने चुनौती नहीं दी थी बल्कि अपवित्र किया था।—यहेजकेल २०:९, १४, २२; ३६:२३.
१८ दिलचस्पी की बात है, १९७१ में, “जातियाँ यह जानेंगी कि मैं यहोवा हूँ”—कैसे? (अंग्रेज़ी) पुस्तक ने यह भिन्नता दिखायी: “यीशु मसीह . . . यहोवा की विश्व सर्वसत्ता के दोषनिवारण और यहोवा के नाम की महिमा-प्राप्ति के लिए लड़ता है।” (पृष्ठ ३६४-५) वर्ष १९७३ में, हज़ार साल का परमेश्वर का राज्य आ पहुँचा है (अंग्रेज़ी) ने कहा: “सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा के लिए अपनी विश्व सर्वसत्ता का दोषनिवारण करने और अपने योग्य नाम को पवित्र करने के लिए आनेवाला ‘बड़ा क्लेश’ ही वह समय है।” (पृष्ठ ४०९) फिर, १९७५ में, विश्व विपत्ति से मनुष्य का उद्धार निकट! (अंग्रेज़ी) ने कहा: “तब विश्व इतिहास की सबसे बड़ी घटना पूरी हो चुकी होगी, अर्थात् यहोवा की विश्व सर्वसत्ता का दोषनिवारण और उसके पवित्र नाम का पवित्रीकरण।”—पृष्ठ २८१.
१९, २०. आध्यात्मिक प्रकाश की कौंधों के लिए हम अपना मूल्यांकन कैसे दिखा सकते हैं?
१९ इस तमाम आध्यात्मिक प्रकाश का आनन्द उठाने में यहोवा के लोग कितने ही धन्य हैं! इसकी ठीक विषमता में, जिस आध्यात्मिक अन्धकार में मसीहीजगत के अगुवे अपने आपको पाते हैं, उसको एक पादरी का यह कथन व्यक्त करता है: “पाप क्यों है? दुःख क्यों है? इब्लीस क्यों है? जब मैं स्वर्ग पहुँचूंगा, तब मैं प्रभु से ये प्रश्न पूछना चाहूँगा।” लेकिन यहोवा के साक्षी इसका कारण उसे बता सकते हैं: इसका कारण है, यहोवा की सर्वसत्ता की न्यायपूर्णता का वाद-विषय और यह प्रश्न कि क्या मानव प्राणी इब्लीस के विरोध के बावजूद परमेश्वर के प्रति अपनी खराई बनाए रख सकते हैं।
२० सालों के दौरान, दोनों ज़्यादा और कम प्रकाश-कौंधें यहोवा के समर्पित सेवकों के मार्ग को प्रकाशमान करती आई हैं। यह भजन ९७:११ और नीतिवचन ४:१८ जैसे शास्त्रवचनों की पूर्ति में हुआ है। लेकिन आइए हम यह कभी न भूलें कि प्रकाश में चलने का अर्थ है बढ़ते प्रकाश के लिए मूल्यांकन होना और उसके सामंजस्य में जीना। जैसे हम देख चुके हैं, यह बढ़ता प्रकाश हमारे आचरण और प्रचार करने की हमारी नियुक्ति दोनों को सम्मिलित करता है।
[फुटनोट]
a इस दृष्टिकोण की प्रतिक्रिया में, जून १ और जून १५, १९२९ की द वॉच टावर ने व्याख्या दी कि यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह ‘प्रधान अधिकारी’ हैं। मुख्यतः इसी दृष्टिकोण को १९६२ में सुधारा गया था।
b अप्रैल १५, १९९२ की द वॉचटावर ने घोषणा की कि मुख्यतः ‘अन्य भेड़ों’ के चुने हुए भाइयों को शासी निकाय कमेटियों की सहायता करने के लिए नियुक्त किया जा रहा था, जो एज्रा के दिन में नतीन के अनुरूप हैं।—यूहन्ना १०:१६, NW; एज्रा २:५८.
क्या आपको याद है?
◻ “प्रधान अधिकारियों” के प्रति अधीनता पर कौन-सा प्रकाश डाला गया है?
◻ प्रकाश-कौंधें कौन-सी संगठनात्मक उन्नतियों में परिणित हुई हैं?
◻ बढ़ते प्रकाश से मसीही आचरण कैसे प्रभावित हुआ है?
◻ आध्यात्मिक प्रकाश से कुछ शास्त्रीय मुद्दों की हमारी समझ में कौन-से परिष्करण आए हैं?
[पेज 24 पर तसवीरें]
Keys on page 24: Drawing based on photo taken in Cooper-Hewitt, National Design Museum, Smithsonian Institution