धैर्य इतना विरल क्यों?
एमील्यो अपने जीवन के सातवें दशक में था।a वह ओवाउ में एक दुःखद कार्य के लिए आया था—अपने वयस्क बेटे को दफ़नाने। एक पहाड़-किनारे की शान्त सड़क पर चलते और कुछ दोस्तों के साथ बात करते वक़्त, एमील्यो एक कार से हकबका गया जो तीव्र गति में एक प्रवेश-मार्ग से पीछे की तरफ़ आ रही थी। कार उससे लगभग टकरा गयी, और गुस्से और अधैर्य की वजह से, एमील्यो चालक पर चिल्लाया और उसने अपने हाथ से कार को ज़ोर से मारा। बहस शुरू हो गयी। ऐसा लगता है कि चालक ने एमील्यो को धक्का मारा जिससे वह गिर गया और उसका सर सख़्त ज़मीन से जा टकराया। कुछ ही दिनों में, अपने सिर पर चोट की वजह से एमील्यो मर गया। क्या ही दुःखद परिणाम!
हम एक ऐसे संसार में जीते हैं जहाँ धैर्य एक विरल गुण है। अधिकाधिक वाहन चालक तीव्र गति से चलाते हैं। अन्य लोग गति-सीमा में जा रही गाड़ियों के पीछे टेलगेट करते हैं, अर्थात् उनके पीछे काफ़ी नज़दीकी से चलाते हैं। और भी अन्य लोग लेन काटते हुए चलाते हैं क्योंकि वे दूसरी गाड़ियों के पीछे धैर्यपूर्वक चलाना बरदाश्त नहीं कर सकते हैं। घर में, शायद परिवार के सदस्य ज़ोरदार रूप से अपने गुस्से को प्रकट करें और हिंसक बनें। यहाँ तक कि कुछ मसीही भी अपने आध्यात्मिक भाइयों की ख़ामियों या ग़लतियों की वजह से कुछ ज़्यादा ही अशांत हो सकते हैं।
धैर्य इतना विरल क्यों है? क्या धैर्य हमेशा इसी तरह रहा है? हमारे समय में धैर्यवान होना इतना कठिन क्यों है?
अधैर्य के उदाहरण
बाइबल एक ऐसी स्त्री के बारे में बताती है जो एक गम्भीर निर्णय करने से पहले अपने पति से परामर्श लेने के लिए नहीं रुकी। उसका नाम हव्वा था। आदम का इन्तज़ार किए बिना, शायद अंशतः अपने अधैर्य की वजह से, उसने निषिद्ध फल खा लिया। (उत्पत्ति ३:१-६) उसके पति के बारे में क्या? उसने भी शायद अपने स्वर्गीय पिता, यहोवा के पास सहायता या मार्गदर्शन के लिए पहले न जाकर, हव्वा के पीछे-पीछे पाप करने के द्वारा अधैर्य प्रकट किया हो। उनकी लालच के, जिसमें संभवतः अधैर्य जुड़ा हुआ हो जो पाप की ओर ले गया, हम सभी के लिए घातक परिणाम थे। उनसे विरासत के रूप में हमने भी पाप करने की प्रवृत्ति पाई है, जिसमें अहंकार और अधैर्य सम्मिलित है।—रोमियों ५:१२.
हमारे पहले माता-पिता के पाप के तक़रीबन २,५०० साल बाद, परमेश्वर के चुने हुए लोग, इस्राएलियों ने विश्वास की अत्यधिक और सतत कमी, साथ ही साथ धैर्य की कमी प्रदर्शित की। हालाँकि यहोवा ने कुछ ही समय पहले उन्हें मिस्र के दासत्व से चमत्कारिक रूप से छुड़ाया था, वे झट “उसके कामों को भूल गए” और “उसकी युक्ति के लिये न ठहरे।” (भजन १०६:७-१४) बारंबार वे गम्भीर बुराई में पड़े क्योंकि वे धैर्यवान नहीं रहे। उन्होंने सोने का एक बछड़ा बनाया और उसकी उपासना की; उन्होंने उनके लिए यहोवा की ओर से मन्ना के भौतिक प्रबन्ध के बारे में कुड़कुड़ाया; और उनमें से अनेकों ने यहोवा के ईश्वरीय रूप से नियुक्त किए गए प्रतिनिधि, मूसा के विरुद्ध विद्रोह भी किया। सचमुच, उनके धैर्य की कमी उन्हें दुःख और घोर विपत्ति की ओर ले गयी।
इस्राएल के सबसे पहले मानवी राजा, शाऊल ने अपने बेटों के लिए उसके राजकीय उत्तराधिकारी होने का अवसर खो दिया। क्यों? क्योंकि वह भविष्यवक्ता शमूएल के लिए इन्तज़ार करने से चूक गया, जिसे यहोवा के लिए बलिदान करना था। मनुष्यों के भय से शाऊल, शमूएल का इन्तज़ार किए बिना बलिदान चढ़ाने के लिए प्रेरित हुआ। कल्पना कीजिए कि उसे कैसा महसूस हुआ होगा जब शाऊल के धर्मक्रिया को ख़त्म करने के तुरन्त बाद शमूएल प्रकट हुआ! काश उसने चन्द मिनट और इन्तज़ार कर लिया होता!—१ शमूएल १३:६-१४.
काश हव्वा ने फल को अन्धाधुन्ध लेने के बजाय आदम के लिए इन्तज़ार कर लिया होता! काश इस्राएली यहोवा की युक्ति के लिए ठहर गए होते! जी हाँ, धैर्य शायद उन्हें और हमें काफ़ी दुःख और पीड़ा से बचाने में सहायता करता।
अधैर्य के कारण
बाइबल आज अधैर्य की एक मुख्य वजह को समझने में हमारी सहायता करती है। दूसरा तीमुथियुस अध्याय ३ वर्णन करता है कि हमारी पीढ़ी “कठिन समय” में जी रही है। वह कहता है कि लोग “अपस्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी . . . असंयमी, कठोर, भले के बैरी” होंगे। (आयत २, ३) अनेक लोगों के हृदय और मन में ऐसी लालची और स्वार्थी अभिवृत्ति है, जो सब के लिए, यहाँ तक कि सच्चे मसीहियों के लिए भी धैर्य से कार्य करना कठिन बनाती है। जब हम सांसारिक लोगों को गाड़ी काफ़ी तेज़ चलाते हुए या पंक्तियों में खड़े दूसरे लोगों के आगे आते हुए या हमें अपमानित करते हुए देखते हैं, तब हमारे धैर्य की अत्यधिक परीक्षा हो सकती है। हम शायद उनकी नक़ल करने या उनके विरुद्ध बदला लेने के लिए प्रलोभित हो सकते हैं, और उसके द्वारा स्वार्थी अभिमान के उनके दर्जे तक गिर सकते हैं।
कभी-कभी हमारे ख़ुद के ग़लत निष्कर्ष हमें धैर्य खोने के लिए प्रेरित करते हैं। ध्यान दीजिए कि बुद्धिमान राजा सुलैमान ने कैसे अविचारित, दोषपूर्ण तर्क और अधैर्यवान, ग़ुस्सैल व्यवहार के बीच के सम्बन्ध को चित्रित किया: “धीरजवन्त पुरुष गर्वी से उत्तम है। अपने मन में उतावली से क्रोधित न हो, क्योंकि क्रोध मूर्खों ही के हृदय में रहता है।” (सभोपदेशक ७:८, ९) यदि हम प्रतिक्रिया दिखाने से पहले स्थिति का एक पूर्ण, यथार्थ वर्णन प्राप्त करने के लिए समय निकालते हैं, तो संभव है कि हम दूसरों के प्रति ज़्यादा समझदारी से काम लेनेवाले, ज़्यादा सहानुभूतिशील, ज़्यादा धैर्यवान हो सकते हैं। दूसरी तरफ़, एक घमण्डी, स्वार्थी आत्मा शायद हमें कुड़कुड़ानेवाले, हठीले इस्राएलियों की तरह, जिन्होंने मूसा को उत्पीड़ित किया, संकीर्ण मनवाले, अधीर, और कटु बनने के लिए प्रेरित करे।—गिनती २०:२-५, १०.
इस संसार की निराशाजनक परिस्थिति का एक दूसरा कारण है इसकी बढ़ती हुई धैर्य की कमी, जो यहोवा से विमुख होने का नतीजा है। दाऊद ने यहोवा में आशा रखने के लिए मनुष्य की ज़रूरत को अभिव्यक्त किया: “हे मेरे मन, परमेश्वर के साम्हने चुपचाप रह, क्योंकि मेरी आशा उसी से है।” (भजन ६२:५) अनेक लोगों के पास जो यहोवा को नहीं जानते हैं एक संकुचित, अस्पष्ट दृष्टिकोण है, सो वे अपना समय पूरा होने से पहले सुख और लाभ के हर मौक़े को पकड़ने की कोशिश करते हैं। अपने आध्यात्मिक पिता, शैतान अर्थात् इब्लीस की तरह, वे अकसर इसकी परवाह नहीं करते कि उनके कार्य दूसरों को कैसे चोट पहुँचा सकते हैं।—यूहन्ना ८:४४; १ यूहन्ना ५:१९.
यह आश्चर्य की बात नहीं है कि धैर्य आज इतना विरल है। यह दुष्ट, स्वार्थी रीति-व्यवस्था, इसका ईश्वर शैतान, और हमारे पतित शरीर की पापमय प्रवृत्तियाँ सभी लोगों के लिए, यहाँ तक कि निष्कपट जनों के लिए भी, धैर्यवान होना कठिन बना देते हैं। फिर भी, बाइबल हमें ‘धीरज धरने,’ के लिए प्रोत्साहित करती है, ख़ासकर परमेश्वर के उद्देश्यों की पूर्ति के बारे में। (याकूब ५:८) धैर्य इतना मूल्यवान क्यों है? यह हमारे लिए कौन-से प्रतिफल ला सकता है?
धैर्य—इतना मूल्यवान क्यों
“जो धैर्यपूर्वक सहते हैं और अवसरों का इन्तज़ार करते हैं, वे भी सेवा करते हैं।” अंग्रेज़ कवि जॉन मिल्टन ने अपनी सॉनॆट “उसके अन्धेपन पर” (अंग्रेज़ी) में तीन सौ से भी ज़्यादा साल पहले ये शब्द कहे थे। वह अपने जीवन के पाँचवें दशक में अन्धा हो गया था। इस वजह से उसने परमेश्वर की सेवा पूरी तरह से न कर पाने की अपनी असमर्थता की भावना पर अपनी कुण्ठा और चिन्ता को कविता के शुरू की पंक्तियों में अभिव्यक्त किया। लेकिन यहाँ उद्धृत कविता की अंतिम पंक्ति से जैसे देखा जा सकता है, उसे समझ में आया कि एक व्यक्ति परीक्षाओं को धैर्यपूर्वक सहने और सेवा के उपलब्ध अवसरों को शान्तिपूर्वक ढूँढने के द्वारा परमेश्वर की उपासना कर सकता है। मिल्टन ने परमेश्वर पर धैर्यपूर्ण निर्भरता के मूल्य को समझा।
हममें से अधिकांश लोगों की नज़र तेज़ हो सकती है, लेकिन हम सभी के सीमा-बन्धन हैं जो हमें क्रोधित या चिन्तित होने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। हम कैसे धैर्य प्राप्त करके उसका प्रयोग कर सकते हैं?
प्रोत्साहक उदाहरण
बाइबल हमें धैर्य के अनेक उत्तम उदाहरण प्रदान करती है। यहोवा का धैर्य करोड़ों मनुष्यों के लिए अनन्त जीवन संभव बनाता है। (२ पतरस ३:९, १५) अपने कृपापूर्ण निमंत्रण में कि हम उसका जूआ लें और ‘अपने मन में विश्राम पाएँ,’ यीशु पूर्ण रूप से अपने पिता के अद्भुत धैर्य को प्रतिबिंबित करता है। (मत्ती ११:२८-३०) यहोवा और यीशु के उदाहरणों पर मनन करना हमें ज़्यादा धैर्यवान बनने में सहायता दे सकता है।
एक व्यक्ति जिसके पास प्रतीयमानत: क्रोधित, कटु, या प्रतिशोधी होने के काफ़ी कारण थे, वह था याक़ूब का पुत्र यूसुफ। उसके भाइयों ने उसकी मौत का षड्यन्त्र रचने और अंततः उसे दासत्व में बेच देने के द्वारा उसके साथ अति अनुचित ढंग से व्यवहार किया था। मिस्र में, पोतीपर के प्रति अपनी कर्तव्यनिष्ठ, वफ़ादार सेवा के बावजूद, यूसुफ पर अनुचित रूप से दोष लगाया गया और क़ैद किया गया। उसने धैर्यपूर्वक अपनी सारी परीक्षाएँ सहीं, संभवतः यह समझ कर कि ऐसी परीक्षाएँ यहोवा के उद्देश्यों को पूरा करने में कार्य कर सकती हैं। (उत्पत्ति ४५:५) क्योंकि उसने नम्रता और समझ के साथ-साथ यहोवा पर विश्वास और आशा को बढ़ाया था, यूसुफ अति कष्टकर परिस्थितियों में भी धैर्य से कार्य कर सका।
एक और महत्त्वपूर्ण सहायक है यहोवा की पवित्र आत्मा। उदाहरण के लिए, यदि हम गुस्सैल हैं और हमारी ज़ुबान तेज़ है, तो हम पवित्र आत्मा की सहायता के लिए प्रार्थना कर सकते हैं ताकि हम उसके फल विकसित कर सकें। इन में से प्रत्येक फल पर मनन करना, जैसे धीरज और संयम, यह देखने में हमारी सहायता करेगा कि वे कैसे धैर्य से गहरे रूप से सम्बद्ध हैं।—गलतियों ५:२२, २३.
धैर्य के प्रतिफल
धैर्यवान होना हमें अनेक लाभ पहुँचा सकता है। यह हमारे चरित्र को मज़बूत करता है और हमें अविचारित, मूर्खतापूर्ण कार्यों को करने से बचाता है। हममें से ऐसा कौन है जिसने कठिन या तनावपूर्ण परिस्थितियों के प्रति प्रतिक्रिया दिखाने में जल्दबाज़ी करने की वजह से चोट पहुँचानेवाली ग़लतियाँ न की हों? हमने शायद एक कठोर शब्द कहा हो या एक रूखे तरीक़े से पेश आए हों। हमने शायद एक छोटी-सी घटना को अपने प्रियजन के साथ एक ज़िद्द की लड़ाई तक बढ़ने दिया हो। काफ़ी गुस्सा, कुण्ठा, और पीड़ा के बाद, हमने शायद खेदपूर्वक सोचा हो, ‘काश मैंने थोड़ी देर और इन्तज़ार कर लिया होता।’ धैर्य से कार्य करना हमें सब प्रकार के दुःख से बचा सकता है। केवल वह तथ्य हमारे जीवन को काफ़ी ज़्यादा शान्ति, स्थिरता, और संतोष प्रदान करता है।—फिलिप्पियों ४:५-७.
धैर्यवान होना शान्त, भरोसा करनेवाला हृदय रखने में भी हमारी सहायता करता है। यह हमारे बेहतर शारीरिक, भावात्मक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का आनन्द उठाने का माध्यम हो सकता है। (नीतिवचन १४:३०) यदि गुस्से पर नियंत्रण न रखा जाए तो, अत्यधिक गुस्सा गम्भीर भावात्मक और शारीरिक बीमारी और मृत्यु उत्पन्न कर सकता है। दूसरी तरफ़, धैर्यवान होने से हम दूसरों के प्रति ज़्यादा सकारात्मक मनोवृत्ति रख सकते हैं, विशेषकर हमारे आध्यात्मिक भाइयों और परिवार के सदस्यों के प्रति। हम तब चिड़चिड़े और आलोचनात्मक होने के बजाय विचारशील और सहायक होने के लिए ज़्यादा प्रवृत्त होंगे। क्रमशः, दूसरे हमारे साथ संगति करना ज़्यादा आसान और ज़्यादा सुखद पाएँगे।
मसीही कलीसिया के प्राचीनों को धैर्य से कार्य करने की विशेषकर ज़रूरत है। समय-समय पर, संगी मसीही उनके पास गम्भीर समस्याओं को लेकर आते हैं। ये निष्कपट जन शायद उलझन में, अशांत, या निराश हों, लेकिन प्राचीन शायद ख़ुद भी थके हुए या अपनी ख़ुद की व्यक्तिगत या पारिवारिक समस्याओं से विकर्षित हों। फिर भी, यह कितना महत्त्वपूर्ण है कि प्राचीन ऐसी कष्टकर परिस्थितियों में धैर्य से कार्य करें! इस तरीक़े से वे “नम्रता से” उपदेश दे सकते हैं और “झुंड के साथ कोमलता से व्यवहार” कर सकते हैं। (२ तीमुथियुस २:२४, २५; प्रेरितों २०:२८, २९, NW) अनमोल जीवन दाँव पर हैं। कलीसिया के लिए कृपालु, प्रेममय, और धैर्यवान प्राचीन क्या ही आशिष हैं!
परिवारों के सिरों को अपने घराने के साथ धैर्य, समझ, और कृपा से व्यवहार करना चाहिए। उन्हें परिवार के सभी सदस्यों से इन्हीं गुणों को प्रदर्शित करने की भी अपेक्षा करनी चाहिए और उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। (मत्ती ७:१२) यह घर में प्रेम और शान्ति को अत्यधिक योग देगा।
क्षेत्र सेवकाई में भाग लेते वक़्त धैर्य से कार्य करना मसीही सेवकों को इस सेवा का और भी पूरी तरह से आनन्द उठाने में सहायता देगा। सामना की जानेवाली किसी भी उदासीनता और विरोध को झेलने में वे बेहतर समर्थ होंगे। क्रोधित गृहस्वामियों से बहस करने के बजाय, धैर्यवान सेवक एक नरम जवाब देने या चुपचाप चले जाने में समर्थ होंगे, और इस प्रकार वे शान्ति और आनन्द बनाए रखेंगे। (मत्ती १०:१२, १३) इसके अतिरिक्त, जब मसीही सब लोगों के साथ धैर्य और कृपा से व्यवहार करते हैं, तो भेड़-समान लोग राज्य संदेश की ओर खिचेंगे। यहोवा ने विश्वव्यापी पैमाने पर धैर्यपूर्ण प्रयत्नों को आशिष दी है, जैसे-जैसे लाखों नम्र सत्य के खोजी हर साल यहोवा की प्रेममय कलीसिया में एकत्रित होते हैं।
वाक़ई, धैर्य से कार्य करना हमारे लिए उत्तम प्रतिफल लाएगा। हम अनेक दुर्घटनाओं और समस्याओं से बच सकते हैं जो जल्दबाज़ी से काम करने या अपनी ज़ुबान पर लगाम न देने की वजह से उत्पन्न होती हैं। हम ज़्यादा ख़ुश, ज़्यादा शान्त, और संभवतः ज़्यादा स्वस्थ होंगे। हम अपनी सेवकाई में, कलीसिया में, और घर पर ज़्यादा आनन्द और शान्ति का अनुभव करेंगे। लेकिन सबसे बढ़कर, हम परमेश्वर के साथ एक ज़्यादा नज़दीकी रिश्ते का आनन्द उठाएँगे। सो यहोवा की बाट जोहिए। धैर्य से कार्य कीजिए!
[फुटनोट]
a नाम बदल दिया गया है।
[पेज 10 पर तसवीरें]
आप दैनिक जीवन में कितने धैर्यवान हैं?