वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • w95 6/15 पेज 31
  • पाठकों के प्रश्‍न

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • पाठकों के प्रश्‍न
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
  • मिलते-जुलते लेख
  • परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में क्यों चलें?
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2011
  • पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलो अपने समर्पण के मुताबिक जीओ
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2010
  • आत्मा पर मन लगाइए और जीवित रहिए!
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2001
  • पहली सदी में और आज पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलना
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2011
और देखिए
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
w95 6/15 पेज 31

पाठकों के प्रश्‍न

गलतियों ६:८ के अनुसार, “जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा।” कौन-सी “आत्मा” की बात की गयी है, और हम इस प्रकार जीवन की कटनी कैसे काट सकते हैं?

जिन इब्रानी और यूनानी शब्दों को “आत्मा” अनुवाद किया गया है, उनके विभिन्‍न अर्थ हैं, जैसे कि: (१) परमेश्‍वर की सक्रिय शक्‍ति, (२) इंसानों या जानवरों में जीवन-शक्‍ति, (३) एक व्यक्‍ति की प्रेरक मानसिक शक्‍ति, और (४) एक आत्मिक व्यक्‍ति, या स्वर्गदूत। इनमें से पहला—परमेश्‍वर की सक्रिय शक्‍ति—वह अर्थ है जो हम गलतियों ६:८ में पाते हैं।

पृष्ठभूमि के तौर पर, गलतियों ३:२ को नोट कीजिए, जहाँ हम गलतियों की पुस्तक में “आत्मा” का सबसे पहला प्रयोग पाते हैं। पौलुस ने मसीहियों से पूछा: “तुम ने आत्मा को, क्या व्यवस्था के कामों से, या विश्‍वास के समाचार से पाया?” फिर, गलतियों ३:५ में, उसने उस “आत्मा” का सम्बन्ध सामर्थ्य के काम करने के साथ जोड़ा। सो जिस “आत्मा” का उसने ज़िक्र किया था वह पवित्र आत्मा, अर्थात्‌ परमेश्‍वर की अदृश्‍य सक्रिय शक्‍ति थी।

बाद में, गलतियों ५:१६ में पौलुस ने आत्मा और शरीर की विषमता की। हम पढ़ते हैं: “मैं कहता हूं, आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे।” “शरीर की लालसा” से उसका अर्थ था पापमय मानव शरीर। अतः, गलतियों ५:१९-२३ में, उसने ‘आत्मा के फल’ की विषमता में ‘शरीर के कामों’ को सूचीबद्ध किया।

अतः गलतियों ६:८ में, जो व्यक्‍ति “अपने शरीर के लिये बोता है,” वह ज़रूर एक ऐसा व्यक्‍ति होगा जो अपने आपको पापमय मानवी लालसाओं द्वारा निर्दिष्ट होने देता है, और ‘शरीर के कामों’ में आसक्‍त होता है। वह शायद ऐसे आचरण के भ्रष्ट परिणामों को अनुभव करे, और यदि वह नहीं बदलता है, तो वह यक़ीनन परमेश्‍वर के राज्य में या उसके अधीन जीवन नहीं पाएगा।—१ कुरिन्थियों ६:९, १०.

समर्पित मसीहियों के तौर पर हमें ‘आत्मा के लिये बोने’ की चाह होनी चाहिए। इसमें ऐसे तरीक़े से जीना सम्मिलित है जो पवित्र आत्मा को हमारे जीवन में बेरोक कार्यशील होने देता है, और हमें उसके फल प्रकट करने में मदद देता है। क्या पढ़ना है या कौन-से टेलिविज़न कार्यक्रम देखने हैं, इसका निर्णय करते वक़्त हमें इस सिद्धान्त को ध्यान में रखना चाहिए। जब हम कलीसिया सभाओं में ध्यान देते हैं और आत्मा-नियुक्‍त प्राचीनों की सलाह को लागू करने की कोशिश करते हैं, तब हम आत्मा के लिए बोते हैं।—प्रेरितों २०:२८.

दिलचस्पी की बात है, गलतियों ६:८ इस आश्‍वासन के साथ समाप्त होता है कि जैसे-जैसे हम पवित्र आत्मा के सामंजस्य में बोते हैं, हम ‘आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटने’ की स्थिति में होते हैं। जी हाँ, मसीह की छुड़ौती पर आधारित, परमेश्‍वर पवित्र आत्मा के कार्य के ज़रिए अन्तहीन जीवन देगा।—मत्ती १९:२९; २५:४६; यूहन्‍ना ३:१४-१६; रोमियों २:६, ७; इफिसियों १:७.

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें