स्वर्गदूतों के बारे में सच्चाई
किसी व्यक्ति से परिचित होना साधारणतया उस व्यक्ति के परिवार के बारे में कुछ सीखना सम्मिलित करता है। यही बात यहोवा परमेश्वर को जानने के बारे में भी सही है। मात्र उसका नाम सीखने से ज़्यादा शामिल है। हमें स्वर्ग में उसके “घराने” के बारे में भी कुछ जानना चाहिए। (इफिसियों ३:१४, १५ से तुलना कीजिए।) बाइबल स्वर्गदूतों को परमेश्वर के “पुत्र” कहती है। (अय्यूब १:६) बाइबल में उनकी उल्लेखनीय भूमिका पर विचार करते हुए, हमें परमेश्वर के उद्देश्य में उनके स्थान को समझने के लिए उनके बारे में और जानने की इच्छा होनी चाहिए।
एक नयी उपसंस्कृति विकसित हो रही है। न केवल ज़्यादा लोग कह रहे हैं कि वे स्वर्गदूतों में विश्वास करते हैं; एक बढ़ती संख्या दावा कर रही है कि वे कुछ हद तक उनके द्वारा प्रभावित हुए हैं। जब ५०० अमरीकियों से पूछा गया, “क्या आपने अपने जीवन में व्यक्तिगत रूप से कभी स्वर्गदूतीय उपस्थिति महसूस की है?” तब तक़रीबन एक-तिहाई ने जवाब हाँ में दिया। उन युवाओं की संख्या भी चकित करनेवाली है जो स्वर्गदूतों में विश्वास करने का दावा करते हैं—अमरीका के एक सर्वेक्षण के अनुसार, पूरे ७६ प्रतिशत! स्पष्टतया, लोगों को स्वर्गदूतों में दिलचस्पी है। लेकिन बाइबल सच्चाई के मुताबिक़ स्वर्गदूतों के बारे में वर्तमान विचार का क्या स्थान है?
शैतान की भूमिका का महत्त्व कम करना
स्वर्गदूतों के बारे में बात करते वक़्त, हमें दुष्ट स्वर्गदूतों को अनदेखा नहीं करना चाहिए, ऐसे स्वर्गीय प्राणी जिन्होंने, बाइबल कहती है कि परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया था। इनमें से सर्वप्रथम है शैतान। अपने स्वर्गदूतों से पूछिए (अंग्रेज़ी) नामक एक लोकप्रिय पुस्तक सुझाती है कि शैतान केवल “परमेश्वर का एक पहलू” है जो निरन्तर प्रलोभनों के ज़रिए मनुष्यों को अपनी “आध्यात्मिक मांसपेशियों” को मज़बूत करने में मदद करता है। शैतान के “प्रेममय अभिप्राय” के बावजूद, लेखक कहते हैं, शताब्दियों के दौरान उसकी पहचान ग़लती से दुष्टता के साथ की गयी है। वे आगे कहते हैं कि शैतान और यीशु, “जबकि एक दूसरे के पूरी तरह सम्पूरक नहीं हैं, कम-से-कम उनका लक्ष्य तो एक ही है, वे एक ही व्यक्ति के अभिन्न अंग हैं।” ये आश्चर्यजनक दावे हैं, लेकिन बाइबल क्या कहती है?
बाइबल यह स्पष्ट करती है कि शैतान “परमेश्वर का एक पहलू” नहीं है बल्कि परमेश्वर का एक शत्रु है। (लूका १०:१८, १९; रोमियों १६:२०) वह यहोवा की सर्वसत्ता का विरोध करता है, और मनुष्यों के प्रति उसके अभिप्राय निश्चय ही “प्रेममय” नहीं हैं। वह निर्दयता से परमेश्वर के पार्थिव सेवकों पर अपना क्रोध निकालता है। वह परमेश्वर के सामने उन पर दिन-रात दोष लगाता है!a (प्रकाशितवाक्य १२:१०, १२, १५-१७) शैतान उन्हें किसी भी क़ीमत पर भ्रष्ट करने पर तुला हुआ है। धर्मी मनुष्य अय्यूब पर उसकी कठोर सताहट ने मानव दुःख के प्रति उसकी निर्दयी मनोवृत्ति का पर्दाफ़ाश किया।—अय्यूब १:१३-१९; २:७, ८.
‘लक्ष्य एक ही होने’ से तो दूर, शैतान और यीशु एक दूसरे के पूर्णतः विरुद्ध हैं। वह निस्संदेह शैतान था जिसने हेरोदेस को सामूहिक शिशुहत्या करने का आदेश देने के लिए प्रेरित किया—यह सब कुछ इसलिए किया गया था ताकि बालक यीशु मार डाला जाए! (मत्ती २:१६-१८) और शैतान का निष्ठुर आक्रमण यीशु की मृत्यु तक जारी रहा। (लूका ४:१-१३; यूहन्ना १३:२७) इस प्रकार, “एक ही व्यक्ति के अभिन्न अंग” होने के बजाय, यीशु और शैतान बिलकुल विपरीत हैं। बाइबल भविष्यवाणी दिखाती है कि उनकी शत्रुता अपरिहार्य है। (उत्पत्ति ३:१५) उचित रूप से, पुनरुत्थित यीशु ही परमेश्वर के नियत समय में शैतान को नाश करेगा।—प्रकाशितवाक्य १:१८; २०:१, १०.
किससे प्रार्थना?
स्वर्गदूत आन्दोलन के कुछ समर्थक स्वर्गदूतों के साथ संचार करने के लिए मनन और अन्य तकनीकों की सलाह देते हैं। “आकाशीय परिवार के किसी भी सदस्य से संपर्क करने के लिए किया गया निष्कपट निवेदन अनसुना नहीं किया जाएगा,” एक पुस्तक कहती है। “पूछो और तुम्हें जवाब दिया जाएगा।” मीकाईल, जिब्राएल, यूरिएल, और रैफ़ेल उन स्वर्गदूतों में हैं जिनसे मशविरा करने के लिए पुस्तक सिफ़ारिश करती है।b
लेकिन, यीशु ने अपने अनुयायियों को परमेश्वर से प्रार्थना करना सिखाया, स्वर्गदूतों से नहीं। (मत्ती ६:९, १०) समान रूप से, पौलुस ने लिखा: “हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएं।” (तिरछे टाइप हमारे।) (फिलिप्पियों ४:६) इसलिए, मसीही अपनी प्रार्थनाओं में यहोवा के सिवाय किसी और के पास नहीं जाते, और वे ऐसा यीशु मसीह के नाम से करते हैं।c—यूहन्ना १४:६, १३, १४.
असाम्प्रदायिक स्वर्गदूत?
स्वर्गदूत-निगरानी नेटवर्क पर अध्यक्षता करनेवाली आइलीन इलिअस फ्रीमॆन के मुताबिक, “स्वर्गदूत हर धर्म, हर तत्वज्ञान, हर मत से बढ़कर हैं। दरअसल, जहाँ तक हम जानते हैं स्वर्गदूतों का कोई धर्म नहीं होता।”
लेकिन, बाइबल स्पष्ट करती है कि विश्वासी स्वर्गदूतों का एक धर्म है; वे सच्चे परमेश्वर, यहोवा की उपासना करते हैं जो अन्य ईश्वरों से कोई प्रतिस्पर्द्धा बरदाश्त नहीं करता। (व्यवस्थाविवरण ५:६, ७; प्रकाशितवाक्य ७:११) अतः, एक ऐसे स्वर्गदूत ने परमेश्वर की आज्ञाओं को माननेवालों के “संगी दास” के रूप में अपना वर्णन प्रेरित यूहन्ना को दिया। (प्रकाशितवाक्य १९:१०) हम बाइबल में कहीं भी यह नहीं पढ़ते कि वफ़ादार स्वर्गदूतों ने किसी अन्य प्रकार की उपासना का समर्थन किया। वे यहोवा को अनन्य भक्ति देते हैं।—निर्गमन २०:४, ५.
“झूठ का पिता”
अनेक तथाकथित स्वर्गदूतीय मुलाक़ातों में मृतकों के साथ संचार शामिल है। “मुझे ऐसा लगता था कि मेरे अंकल ने मुझ तक पहुँचने और यह जानकारी देने के लिए कि वो अंततः ख़ुश थे एक रास्ता पा लिया था,” एलीस नामक एक स्त्री कहती हैं। उन्होंने ऐसा उसे प्राप्त करने के बाद कहा जिसे वो एक शकुन समझती थीं। उसी तरह टॆरी एक प्रिय मित्र की याद करती हैं जो गुज़र गए। “अंत्येष्टि के एक सप्ताह बाद,” वो कहती हैं, “वो मेरे पास आए। मैं ने सोचा कि वह एक सपना था। उन्होंने मुझे बताया कि मुझे उनके चले जाने पर शोक नहीं मनाना चाहिए, क्योंकि वो सुखी, और शान्ति में थे।”
लेकिन बाइबल कहती है कि मरे हुए “कुछ भी नहीं जानते।” (सभोपदेशक ९:५) वह यह भी कहती है कि जब एक व्यक्ति मरता है, तो ‘उसी दिन उसकी सब कल्पनाएँ नाश हो जाती हैं।’ (भजन १४६:४) लेकिन, शैतान “झूठ का पिता है।” (यूहन्ना ८:४४) उसी ने इस झूठ की शुरूआत की कि मानव प्राण मृत्यु के बाद भी जीता है। (यहेजकेल १८:४ से तुलना कीजिए।) आज अनेक लोग इस पर विश्वास करते हैं, जो शैतान के उद्देश्य को पूरा करता है, क्योंकि यह पुनरुत्थान—मसीहियत के एक आधारभूत सिद्धान्त—में विश्वास की ज़रूरत को नकारता है। (यूहन्ना ५:२८, २९) सो, मृतकों से पूछताछ करना या प्रतीयमानतः उनसे संदेश प्राप्त करना स्वर्गदूत आन्दोलन का एक और पहलू है जिसे परमेश्वर की स्वीकृति नहीं है।
स्वर्गदूतों से या पिशाचों से?
अधिकतर वर्तमान स्वर्गदूत आन्दोलन तंत्रविद्या से जुड़ा हुआ है। मॉरस्या के अनुभव पर ग़ौर कीजिए। “सितम्बर से दिसम्बर १९८६ तक,” वो कहती हैं, “मुझे ‘अलौकिक’ से संदेश प्राप्त होने लगे। मैं ने भूत देखे और ‘अतीत जीवन’ के अविश्वसनीय सपने देखे। मैं ने ऐसे मित्रों से संपर्क किया जो मर चुके थे और मुझे ऐसे अनेक अतिभौतिक अनुभव हुए जिनमें मुझे ऐसे लोगों के बारे में बातें मालूम थीं जिनसे मैं अभी-अभी मिली थी। मुझे अपने आप ही लिखने की देन भी मिली और मैं ने अशरीरियों से संदेशों को संचारित किया। कुछ, जिनसे मैं ने उनके पार्थिव जीवन में कभी मुलाक़ात नहीं की, मेरे ज़रिए दूसरों तक संदेश पहुँचाते।”
स्वर्गदूतों से “संचार” करने के माध्यम के रूप में शकुन-विद्या का प्रयोग असाधारण नहीं है। एक स्रोत स्पष्ट रूप से अपने पाठकों को जादुई पत्थर, टैरो ताश के पत्ते, ई जिंग सिक्के, हस्तरेखा-शास्त्र, ज्योतिष-विद्या का प्रयोग करने को प्रोत्साहित करता है। “अपने अन्तरतम व्यक्ति को आपको सही आत्मिक-माध्यम की ओर ले जाने दीजिए,” लेखक लिखते हैं, “और भरोसा कीजिए कि वहाँ आपसे एक स्वर्गदूत मिलेगा।”
लेकिन, बाइबल के मुताबिक़, जो कुछ भी ‘आपसे वहाँ मिलेगा’ वह निश्चय ही परमेश्वर का एक स्वर्गदूत नहीं है। क्यों? क्योंकि शकुन-विद्या सीधे-सीधे परमेश्वर के विरोध में है, और सच्चे उपासकों को—स्वर्ग में और पृथ्वी पर—इससे कोई लेना-देना नहीं है। इस्राएल में शकुन-विद्या मृत्युदण्ड-अपराध थी! “जितने ऐसे ऐसे काम करते हैं वे सब यहोवा के सम्मुख घृणित हैं,” व्यवस्था ने बताया।—व्यवस्थाविवरण १३:१-५; १८:१०-१२.
“ज्योतिर्मय स्वर्गदूत”
इससे हमें अचम्भित नहीं होना चाहिए कि इब्लीस शकुन-विद्या को लाभप्रद, यहाँ तक कि स्वर्गदूतीय प्रतीत करा सकता है। बाइबल कहती है कि शैतान “आप भी ज्योतिर्मय स्वर्गदूत का रूप धारण करता है।” (२ कुरिन्थियों ११:१४) वह शुभ-अशुभ मुहूर्त गढ़ सकता है और फिर उन्हें पूरा कर सकता है, जिससे देखनेवाले यह सोचकर धोखे में पड़ जाते हैं कि वह शकुन परमेश्वर की ओर से है। (मत्ती ७:२१-२३. २ थिस्सलुनीकियों २:९-१२ से तुलना कीजिए।) लेकिन शैतान के सब कार्य—चाहे वे कितने ही भले या कितने ही अनर्थकारी क्यों न प्रतीत हों—दो उद्देश्यों में से एक के लिए कार्य करते हैं: लोगों को यहोवा के विरुद्ध करने या मात्र उनके मन को अन्धा करने के लिए ताकि ‘मसीह के तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके।’ (२ कुरिन्थियों ४:३, ४) धोखे का यह दूसरा तरीक़ा अकसर सबसे ज़्यादा प्रभावकारी होता है।
पहली शताब्दी की एक दासी के बारे में बाइबल वृत्तान्त पर ग़ौर कीजिए। उसके भविष्यकथनों से उसके स्वामियों को बहुत कमाई होती। कई दिनों तक वह यह कहते हुए शिष्यों के पीछे-पीछे गयी: “ये मनुष्य परम प्रधान परमेश्वर के दास हैं, जो हमें उद्धार के मार्ग की कथा सुनाते हैं।” उसके शब्द सच थे। फिर भी, वृत्तान्त हमें बताता है कि वह आत्मा-ग्रस्त थी, एक स्वर्गदूत द्वारा नहीं, बल्कि एक “भावी कहनेवाली आत्मा” द्वारा। अंततः, पौलुस ने “मुंह फेरकर उस आत्मा से कहा, मैं तुझे यीशु मसीह के नाम से आज्ञा देता हूं, कि उस में से निकल जा और वह उसी घड़ी निकल गई।”—प्रेरितों १६:१६-१८.
पौलुस ने इस आत्मा को बाहर क्यों निकाला? आख़िरकार, इसने पिशाच-ग्रस्त लड़की के स्वामियों को बहुत आमदनी प्रदान की थी। अलौकिक शक्तियों से, दासी ने शायद किसानों को बताया होगा कि कब बोना है, कुँवारियों को कि कब विवाह करना है, और खनिकों को कि सोने के लिए कहाँ तलाश करनी है। इस आत्मा ने उस लड़की को सार्वजनिक रूप से शिष्यों की प्रशंसा करते हुए सच्चाई के कुछ शब्द कहने के लिए भी प्रेरित किया!
फिर भी, वह एक “भावी कहनेवाली आत्मा” थी। पिशाच होने के नाते, उसे यहोवा और उद्धार के लिए उसके प्रबन्ध के बारे में उद्घोषणाएँ करने का कोई हक़ नहीं था। उसके प्रशंसात्मक कथन ने, जो शायद उस दासी के भविष्यकथन की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए कहे गए हों, देखनेवालों को मसीह के सच्चे अनुयायियों से विकर्षित किया। वाजिब कारण से, पौलुस ने कुरिन्थियों को चिताया: “तुम प्रभु की मेज और दुष्टात्माओं की मेज दोनों के साझी नहीं हो सकते।” (१ कुरिन्थियों १०:२१) यह आश्चर्य की बात नहीं कि प्रथम-शताब्दी मसीहियों ने जादू-टोने से सम्बन्धित अपनी सारी पोथियाँ नाश कर दीं।—प्रेरितों १९:१९.
‘आकाश के बीच में उड़ता हुआ एक स्वर्गदूत’
जैसा कि हम देख चुके हैं, बाइबल पर्दाफ़ाश करती है कि अधिकतर वर्तमान स्वर्गदूत आन्दोलन का परमेश्वर के विरोधी, शैतान अर्थात् इब्लीस से नज़दीकी सम्बन्ध है। क्या इसका यह अर्थ है कि पवित्र स्वर्गदूत मानवी मामलों में शामिल नहीं हैं? इसके विपरीत, वे अभी पृथ्वी पर एक शक्तिशाली कार्य कर रहे हैं। वह क्या है? जवाब देने के लिए, हमें बाइबल की प्रकाशितवाक्य नामक पुस्तक में देखना चाहिए। बाइबल की किसी अन्य पुस्तक से ज़्यादा बार इस पुस्तक में स्वर्गदूतों का उल्लेख किया गया है।
प्रकाशितवाक्य १४:६, ७ में, हम प्रेरित यूहन्ना को प्राप्त एक भविष्यसूचक दर्शन के बारे में उसका वृत्तान्त पढ़ते हैं: “मैं ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिस के पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था। और उस ने बड़े शब्द से कहा; परमेश्वर से डरो; और उस की महिमा करो; क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुंचा है, और उसका भजन करो, जिस ने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जल के सोते बनाए।”
यह शास्त्रवचन आज स्वर्गदूतों के सर्वप्रमुख कार्य को विशिष्ट करता है। वे एक अति-महत्त्वपूर्ण कार्य-नियुक्ति में शामिल हैं—परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार की घोषणा करने में। इस कार्य के सम्बन्ध में ही यीशु ने अपने अनुयायियों से प्रतिज्ञा की: “मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।” (मत्ती २८:१८-२०) यीशु अपने अनुयायियों के साथ कैसे है? एक तरीक़ा है उन्हें स्वर्गदूतीय मदद देने के द्वारा ताकि यह अति-विशाल कार्य पूरा हो सके।
यहोवा के साक्षी परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार को प्रचार करने में प्रति वर्ष एक अरब से भी ज़्यादा घंटे बिताते हैं। इस कार्य को करते वक़्त, वे स्वर्गदूतीय निर्देशन का सबूत देखते हैं। अपनी दर-दर सेवकाई में, ऐसा अकसर हुआ है कि वे ऐसे व्यक्तियों से संपर्क करते हैं जो परमेश्वर के उद्देश्यों को समझने में उनकी मदद करने के लिए अभी-अभी प्रार्थना कर रहे थे। साक्षियों की ख़ुद की पहल के साथ-साथ स्वर्गदूतीय मार्गदर्शन के परिणाम से हर साल हज़ारों-हज़ार लोग यहोवा के ज्ञान को पाते हैं!
क्या आप आकाश के बीच में उड़ते हुए स्वर्गदूत की सुन रहे हैं? जब यहोवा के साक्षी भेंट करते हैं, तब क्यों न उनके साथ और भी पूरी तरह से इस स्वर्गदूतीय संदेश की चर्चा करें?
[फुटनोट]
a शब्द “शैतान” और “इब्लीस” का अर्थ “विरोधी” और “निन्दक” है।
b जबकि बाइबल में मीकाईल और जिब्राएल का ज़िक्र है, रैफ़ेल, और यूरिएल के नाम अप्रामाणिक पुस्तकों में आते हैं, जो बाइबल संग्रह का भाग नहीं हैं।
c नोट कीजिए कि प्रार्थना यीशु के ज़रिए निर्दिष्ट होती है, उससे नहीं की जाती। प्रार्थना यीशु के नाम से की जाती है क्योंकि उसके बहाए गए लहू से परमेश्वर के सम्मुख जाने का मार्ग खुला।—इफिसियों २:१३-१९; ३:१२.
[पेज 8 पर बक्स]
स्वर्गदूत कौन हैं?
अनेक लोग जो विश्वास करते हैं उसके विपरीत, स्वर्गदूत ऐसे मनुष्यों के प्राण नहीं हैं जो उनके मरने के बाद निकल गए हैं। बाइबल स्पष्ट रूप से कहती है कि मरे हुए कुछ भी नहीं जानते। (सभोपदेशक ९:५) तब, स्वर्गदूत कहाँ से आए? बाइबल सूचित करती है कि पृथ्वी की नींव डालने से पहले वे एक-एक करके परमेश्वर द्वारा सृष्ट किए गए थे। (अय्यूब ३८:४-७) परमेश्वर के स्वर्गीय परिवार में शायद लाखों-लाख, संभवतः अरब या उससे भी ज़्यादा स्वर्गदूत हैं! कुछ स्वर्गदूत शैतान के साथ उसके विद्रोह में शामिल हो गए।—दानिय्येल ७:१०; प्रकाशितवाक्य ५:११; १२:७-९.
चूँकि यहोवा व्यवस्था का परमेश्वर है, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि उसका विशाल स्वर्गदूतीय परिवार सुव्यवस्थित है।—१ कुरिन्थियों १४:३३.
• शक्ति और अधिकार, दोनों में सर्वप्रमुख स्वर्गदूत, प्रधान दूत अर्थात् यीशु मसीह है, जो मीकाईल भी कहलाता है। (१ थिस्सलुनीकियों ४:१६; यहूदा ९) उसके अधिकार में साराप, करूब, और स्वर्गदूत हैं।
• साराप परमेश्वर के सिंहासन के पास उपस्थित रहते हैं। उनकी नियुक्ति में प्रत्यक्षतः परमेश्वर की पवित्रता की घोषणा करना और उसके लोगों को शुद्ध रखना शामिल है।—यशायाह ६:१-३, ६, ७.
• करूब भी यहोवा की उपस्थिति में दिखाई देते हैं। परमेश्वर के सिंहासन के वाहकों या अनुरक्षकों के तौर पर, वे यहोवा के राजप्रताप का समर्थन करते हैं।—भजन ८०:१; ९९:१; यहेजकेल १०:१, २.
• स्वर्गदूत (अर्थात् संदेशवाहक) यहोवा के अभिकर्ता और प्रतिनिधि हैं। वे ईश्वरीय इच्छा को पूरा करते हैं, चाहे इसमें परमेश्वर के लोगों का छुटकारा या दुष्टों का सर्वनाश शामिल हो।—उत्पत्ति १९:१-२६.
[पेज 7 पर तसवीरें]
क्या आप आकाश के बीच में उड़ते हुए स्वर्गदूत की सुन रहे हैं?