पाठकों के प्रश्न
फिलिप्पियों २:९ में पौलुस ने यीशु के विषय में कहा: “परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो [“अन्य,” NW] सब नामों में श्रेष्ठ है।” यह नया नाम क्या है? और यदि यीशु यहोवा से निम्न है, तो कैसे यीशु का नाम अन्य सब नामों में श्रेष्ठ है?
फिलिप्पियों २:८, ९ कहती है: “और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर [यीशु ने] अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां क्रूस की मृत्यु भी सह ली। इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो [“अन्य,” NW] सब नामों में श्रेष्ठ है।”
इस लेखांश का यह अर्थ नहीं है कि चूँकि केवल यहोवा का नाम सब नामों से परम श्रेष्ठ है, यीशु और यहोवा अवश्य एक ही व्यक्ति हैं। जैसा कि फिलिप्पियों अध्याय २ का संदर्भ बताता है, यीशु ने अपने श्रेष्ठ नाम को अपने पुनरुत्थान के बाद पाया। उससे पहले, यह उसके पास नहीं था। दूसरी ओर, यहोवा सदैव ही सर्वोच्च रहा है, और उसका स्थान कभी नहीं बदला। यह तथ्य कि यीशु ने उस नाम से एक श्रेष्ठ नाम पाया, जो उसकी पार्थिव सेवा से पहले उसका था, सिद्ध करता है कि वह और यहोवा एक नहीं है। जब पौलुस ने कहा कि यीशु को सब नामों से श्रेष्ठ नाम दिया गया, तब उसका तात्पर्य था कि अब यीशु के पास परमेश्वर के सभी प्राणियों से सर्वश्रेष्ठ नाम है।
यीशु का श्रेष्ठ नाम क्या है? यशायाह ९:६ हमें उत्तर देने में मदद करती है। आनेवाले मसीहा, यीशु के बारे में भविष्यवाणी करते हुए वह आयत कहती है: “प्रभुता उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करनेवाला पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा।” (तिरछे टाईप हमारे।) यहाँ यीशु का “नाम” उसके ऊँचे पद और अधिकार से सम्बन्धित है, इसी प्रकार हम फिलिप्पियों २:९ में बताए गए “नाम . . . जो [“अन्य,” NW] सब नामों में श्रेष्ठ है,” को भी समझते हैं। यीशु के अधिकार के ऊँचे पद की स्वीकृति में जो उसे यहोवा ने दिया है, हरेक घुटने को टेकने की आज्ञा दी गई है—दूसरे किसी-भी प्राणी को दिए गए अधिकार के पद से श्रेष्ठ। इस अनुवाद में शब्द “अन्य” यूनानी मूल-पाठ को सीधे रूप से प्रस्तुत नहीं करता, लेकिन यह आयत के भाव से अंतर्निहित है। यीशु का “नाम” उसके अपने नाम से श्रेष्ठ नहीं है बल्कि सब अन्य प्राणियों के नाम से श्रेष्ठ है।
सभी वफ़ादार स्वर्गदूतों और मनुष्यों के साथ यीशु के नाम की स्वीकृति में हम घुटने टेकने में कितने प्रसन्न हैं! हम स्वयं को—“परमेश्वर पिता की महिमा के लिए” यीशु के ऊँचे और शक्तिशाली पद के जो उसे यहोवा द्वारा दिया गया है, अधीन करने के द्वारा ऐसा करते हैं।—फिलिप्पियों २:११; मत्ती २८:१८.