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  • हिंसा का स्थायी अन्त—कैसे?
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
w96 2/15 पेज 5-7

हिंसा का स्थायी अन्त—कैसे?

हिंसा के प्रवाह को रोकने के लिए, अमरीका में अनेक शहरों ने एक अनूठी योजना का प्रयोग किया—बन्दूकों के बदले पैसा या सामान, कोई सवाल नहीं। इसका परिणाम? उदाहरण के लिए, सेंट लुइस शहर में $३,४१,०००, के मूल्य पर ८,५०० बन्दूकें इकट्ठी की गईं। इसी तरह के एक कार्यक्रम ने न्यू यॉर्क शहर में एक हज़ार से ज़्यादा हथियार जमा किए।

अपराध पर इन सबका क्या असर पड़ा? दुःख की बात है, बहुत थोड़ा। उसके अगले साल सेंट लुइस में बन्दूक-सम्बन्धी हत्याएँ सबसे बड़े शिखर पर पहुँच गईं। न्यू यॉर्क शहर में, अब भी अनुमानित २० लाख बन्दूकें आम लोगों के पास हैं। अमरीका में लगभग २० करोड़ निजी बन्दूकें लोगों के पास हैं, लगभग प्रत्येक पुरुष, स्त्री, और बच्चे के लिए एक। दूसरे देशों में, बन्दूक-सम्बन्धी हिंसा ख़तरनाक दर से बढ़ती जा रही है। ब्रिटेन में “१९८३ और १९९३ के बीच में, पुलिस द्वारा दर्ज़ किए गए वे अपराध जिनमें बन्दूकें शामिल थीं, लगभग दुगने होकर १४,००० हो गए,” द इक्नॉमिस्ट कहता है। हालाँकि हत्या की दर तुलना में कम है, उस देश में लगभग दस लाख अवैध हथियार हैं।

निश्‍चित ही, उन संख्याओं में कोई भी कटौती एक क़दम आगे बढ़ना है। फिर भी, ऐसी युक्‍तियाँ जो ऊपर वर्णित हैं मुश्‍किल से हिंसा के बुनियादी कारणों तक पहुँचती हैं। वे कारण क्या हैं? अनेक कारकों का उल्लेख किया गया है, लेकिन उनमें से थोड़े मूलभूत हैं। पारिवारिक स्थिरता और नैतिक निर्देशनों के अभाव ने अनेक युवजनों को सम्बन्धित होने की एक अनुभूति के लिए गिरोहों में भर्ती होने की ओर धकेल दिया है। बड़े मुनाफ़े का प्रलोभन अनेक लोगों को हिंसा की ओर मुड़ने के लिए फुसलाता है। अन्याय, अनेकों को मामलों को हिंसात्मक तरीक़े से निपटने के लिए भड़काता है। देश, जाति, या जीवन में अपनी स्थिति का घमण्ड लोगों का दूसरों की पीड़ा को नज़रअंदाज़ करने का कारण बनता है। यह गहरी-जड़ रखनेवाले कारक हैं जिनके कोई आसान उपाय नहीं हैं।

क्या किया जा सकता है?

ज़्यादा पुलिस, कठोर कारावास, बन्दूक नियन्त्रण, मृत्यु दण्ड—अपराध और हिंसा को ख़त्म करने के माध्यम के रूप में इन सबका प्रस्ताव रखा जा चुका है और इनका प्रयोग किया जा चुका है। ये अनेक प्रकार से सफलता लाए हैं, लेकिन कड़वा सच यह है कि हिंसा अब भी हमारे बीच मौजूद है। क्यों? ऐसा इसलिए है क्योंकि ये युक्‍तियाँ मात्र लक्षणों का उपचार करती हैं।

दूसरी ओर, अनेक विशेषज्ञ महसूस करते हैं कि हिंसा को समाप्त करने की कुंजी शिक्षा है। जबकि यह विचार अच्छा है, हमें यह ध्यान देना चाहिए कि हिंसा केवल उन देशों तक ही सीमित नहीं है जहाँ शैक्षिक अवसरों का अभाव है। वास्तव में, ऐसा जान पड़ता है कि सबसे ज़्यादा हिंसात्मक देश वे हैं जिनके शिक्षा के स्तर सबसे ऊँचे हैं। यह देखना कठिन नहीं कि जिसकी ज़रूरत है वह केवल शिक्षा ही नहीं है बल्कि सही प्रकार की शिक्षा है। यह किस प्रकार की होगी? क्या ऐसा कोई है जो लोगों को यह शिक्षा दे सके कि शान्ति-प्रिय और धर्मी व्यक्‍ति बनें?

“मैं ही तेरा परमेश्‍वर यहोवा हूं जो तुझे तेरे लाभ के लिये शिक्षा देता हूं, और जिस मार्ग से तुझे जाना है उसी मार्ग पर तुझे ले चलता हूं। भला होता कि तू ने मेरी आज्ञाओं को ध्यान से सुना होता! तब तेरी शान्ति नदी के समान और तेरा धर्म समुद्र की लहरों के नाईं होता।” (तिरछे टाइप हमारे।) (यशायाह ४८:१७, १८) यहोवा परमेश्‍वर लोगों को शान्ति-प्रिय और धर्मी बनना कैसे सिखाता है? मुख्यतः अपने वचन, बाइबल के ज़रिए।

परमेश्‍वर के वचन की शक्‍ति

बाइबल निश्‍चित ही मात्र पुरानी कल्पकथाओं और कहावतों का संकलन नहीं है जो कि पुरानी और असंगत हों। इसमें मनुष्यजाति के सृष्टिकर्त्ता के विचार और सिद्धान्त हैं, जो अपने सर्वोच्च प्रेक्षण स्थान से मानवीय स्वभाव को किसी भी दूसरे व्यक्‍ति से अच्छी तरह जानता है। “मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।”—यशायाह ५५:९.

इस कारण प्रेरित पौलुस ने गवाही दी कि “परमेश्‍वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग करके, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है।” (इब्रानियों ४:१२) जी हाँ, परमेश्‍वर के वचन में, एक व्यक्‍ति के हृदय तक पहुँचने और उसे छूने की और उसके विचारों और व्यवहार को बदल देने की शक्‍ति है। क्या आज लोगों के हिंसात्मक तरीक़ों को बदलने के लिए इसी बात की आवश्‍यकता नहीं है?

यहोवा के साक्षी, अब २३० से अधिक देशों में गिनती में लगभग ५० लाख, इस बात के जीवित उदाहरण हैं कि वाक़ई, परमेश्‍वर के वचन में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की शक्‍ति है। उन के बीच में हर राष्ट्रीयता, भाषा और जाति के लोग हैं। वे जीवन के हर क्षेत्र से और सामाजिक पृष्ठभूमियों से भी आते हैं। उनमें से कुछ ने पहले हिंसात्मक और अशांत जीवन बिताए हैं। लेकिन ऐसे तत्वों को अपने बीच दुश्‍मनी, प्रतिस्पर्द्धा, भेद-भाव, और घृणा उत्पन्‍न करने देने के बजाय, इन्होंने इन बाधाओं पर विजय पाना सीखा है और संसार-भर में शान्ति-प्रिय और संयुक्‍त लोग बन गए हैं। किस बात ने यह संभव किया है?

एक अभियान जो हिंसा को ख़त्म करता है

यहोवा के साक्षी दूसरों को परमेश्‍वर के उद्देश्‍य का यथार्थ ज्ञान पाने में, जो उसके वचन बाइबल में बताया गया है, मदद देने के लिए वचनबद्ध हैं। पृथ्वी के हर कोने में वे उनकी खोज कर रहे हैं जो यहोवा के मार्गों को सीखना और उसके द्वारा शिक्षित होना चाहते हैं। उनके प्रयास फल उत्पन्‍न कर रहे हैं। इस शैक्षिक अभियान का परिणाम यह है कि एक अद्‌भुत भविष्यवाणी पूरी हो रही है।

कुछ २,७०० साल पहले, भविष्यवक्‍ता यशायाह यह लिखने के लिए प्रेरित हुआ: “अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि . . . बहुत देशों के लोग आएंगे, और आपस में कहेंगे: आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर, याकूब के परमेश्‍वर के भवन में जाएं; तब वह हमको अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे।”—यशायाह २:२, ३.

यहोवा द्वारा शिक्षित होना और उसके मार्गों पर चलना लोगों के जीवन में अद्‌भुत परिवर्तन उत्पन्‍न कर सकता है। परिवर्तनों में से एक उसी भविष्यवाणी में पूर्वबताया गया है: “वे अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल और अपने भालों को हंसिया बनाएंगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध फिर तलवार न चलाएगी, न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेंगे।” (यशायाह २:४) अनेक लोगों ने यह शास्त्रवचन पढ़ा है। दरअसल, यह वचन न्यू यार्क शहर के संयुक्‍त राष्ट्र चौक की एक दीवार पर खोदा गया है। यह उस बात का अनुस्मारक है जिसकी संयुक्‍त राष्ट्र आकांक्षा तो करता है लेकिन पूरा करने में चूक गया है। युद्ध और हिंसा का यह ख़ात्मा किसी मानव-निर्मित संगठन से हासिल नहीं किया जाएगा। यह ऐसा कुछ है जिसे केवल यहोवा परमेश्‍वर ही करने में समर्थ है। वह इसे कैसे निष्पन्‍न करेगा?

प्रत्यक्षतः हरेक इस आमंत्रण “यहोवा के पर्वत पर चढ़कर” ‘उसके मार्गों को सीखने’ और ‘उसके पथों पर चलने’ के प्रति अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं दिखाएगा; न ही हरेक व्यक्‍ति “अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल और अपने भालों को हंसिया” बनाने का इच्छुक होगा। यहोवा ऐसे लोगों के साथ क्या करेगा? वह हमेशा के लिए उनके सामने अवसर का द्वार खोले नहीं रखेगा या उनके बदलने का इन्तज़ार नहीं करेगा। हिंसा को ख़त्म करने के लिए, यहोवा उनका भी नाश करेगा जो अपने हिंसात्मक मार्गों पर अड़े रहते हैं।

एक महत्त्वपूर्ण सबक़

परमेश्‍वर ने नूह के दिनों में जो किया वह आज हमारे लिए चेतावनी सबक़ है। बाइबल वृत्तान्त दिखाता है कि उस समय किस प्रकार का संसार अस्तित्व में था: “परमेश्‍वर की दृष्टि में पृथ्वी भ्रष्ट हो गई थी और हिंसा से भर गई थी।” इस कारण परमेश्‍वर ने नूह को सूचित किया: “मेरे सामने सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्‍न आ गया है, क्योंकि पृथ्वी उनके कारण हिंसा से भर गई है; और देख, मैं उनको पृथ्वी समेत नाश करने पर हूं।”—उत्पत्ति ६:११, १३, NHT.

हमें एक महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। उस पीढ़ी पर जलप्रलय लाते समय परमेश्‍वर ने नूह और उसके परिवार को सुरक्षित रखा। क्यों? बाइबल जवाब देती है: “नूह धर्मी पुरुष और अपने समय के लोगों में खरा था, और नूह परमेश्‍वर ही के साथ साथ चलता रहा।” (उत्पत्ति ६:९; ७:१) जबकि यह ज़रूरी नहीं है कि उस समय जीवित हरेक व्यक्‍ति हिंसात्मक था, केवल नूह और उसका परिवार “परमेश्‍वर ही के साथ साथ चलता रहा।” इसी कारण जब उस हिंसक संसार का ख़ात्मा किया गया तब वे बच निकले।

जैसा कि एक बार फिर हम पृथ्वी को ‘हिंसा से भरा हुआ’ देखते हैं हम निश्‍चिंत हो सकते हैं कि यह परमेश्‍वर द्वारा अनदेखा नहीं रहेगा। जैसा कि उसने नूह के दिनों में किया था, ठीक वैसे ही वह—स्थायी रूप से—हिंसा को समाप्त करने के लिए शीघ्र कार्यवाही करेगा। लेकिन वह उनके लिए सुरक्षा का मार्ग भी प्रदान करेगा जो अभी ‘परमेश्‍वर के साथ साथ चलना’ सीख रहे हैं, जो शान्ति के लिए उसके महान शैक्षिक अभियान के प्रति अनुकूल प्रतिक्रिया दिखा रहे हैं।

भजनहार के द्वारा यहोवा यह आश्‍वासन देता है: “थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं; और तू उसके स्थान को भली भांति देखने पर भी उसको न पाएगा। परन्तु नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।”—भजन ३७:१०, ११.

यहोवा के साक्षी आपके साथ बाइबल का अध्ययन करने में ख़ुश होंगे ताकि आप उनके साथ शामिल हो सकें जो कहते हैं: “आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर, याकूब के परमेश्‍वर के भवन में जाएं; तब वह हमको अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे।” (यशायाह २:३) ऐसा करने के द्वारा, आप उनमें हो सकते हैं जो सारी दुष्टता और हिंसा का ख़ात्मा देखेंगे। आप “बड़ी शान्ति के कारण आनन्द” पा सकते हैं।

[पेज 5 पर चित्र का श्रेय]

Reuters/Bettmann

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